अय्यासामी के पिता भूमिनाथन ने कहा कि हमलावर उनके बेटे के बुलेट मोटरसाइकिल चलाने से नाराज थे।
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तमिलनाडु के सिवागंगा जिले के मेलापिडावुर गांव में बुधवार शाम 21 वर्षीय दलित छात्र पर जातिवादियों द्वारा मोटरसाइकिल चलाने को लेकर हमला किया गया। पीड़ित आर. अय्यासामी को दोनों हाथों में गंभीर चोटें आई हैं और उनका इलाज मदुरै के सरकारी राजाजी अस्पताल में चल रहा है।
पुलिस के हवाले से द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, अय्यासामी अपनी मोटरसाइकिल से घर लौट रहे थे, तभी उसी गांव के तीन युवकों ने उन्हें रोक लिया और धारदार हथियारों से हमला कर दिया। आरोपी युवक का नाम आर. विनोदकुमार (21), ए. अतीश्वरन (22) और एम. वल्लारासु (21) है।
घायल छात्र के रिश्तेदार मुनियासामी ने मीडिया को बताया कि हमलावरों ने अय्यासामी के हाथों पर हमला करते हुए कहा, “सिर्फ ऊंची जाति के युवक ही महंगी बाइक्स चला सकते हैं; दलितों को ऐसा करने की इजाज़त नहीं।” उन्होंने जातिसूचक शब्दों का भी इस्तेमाल किया। मुनियासामी ने कहा कि अय्यासामी ने किसी तरह वहां से भागकर अपनी जान बचाई।
रिपोर्ट के अनुसार, हमले के बाद एक समूह ने अय्यासामी के परिवार के घर पर हमला कर दिया। मुनियासामी ने कहा कि गांव में जातिगत भेदभाव लंबे समय से चला आ रहा है और उन्होंने पुलिस सुरक्षा की मांग की। अय्यासामी के पिता भूमिनाथन के अनुसार, हमलावर उनके बेटे के बुलेट मोटरसाइकिल चलाने से नाराज थे। उन्होंने यह भी बताया कि इससे पहले भी हमलावरों ने बाइक को नुकसान पहुंचाया था।
हालांकि, पुलिस ने दावा किया कि हमला सिर्फ बाइक के कारण नहीं हुआ। पुलिस सूत्रों के अनुसार, अय्यासामी और अतीश्वरन के बीच पहले से ही विवाद था। एसआईपीसीओटी पुलिस ने विनोदकुमार, अतीश्वरन और वल्लारासु के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 296(1), 126(2), 118(1), और 351(3) तथा अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धारा 3(1)(r)(s) के तहत मामला दर्ज किया है। आरोपियों को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।
अय्यासामी सिवागंगा के एक कॉलेज में तृतीय वर्ष के गणित स्नातक छात्र हैं। उनका अभी भी इलाज चल रहा है और मामले की जांच जारी है।
ज्ञात हो कि दलितों के खिलाफ भेदभाव का मामला लगातार सामने आ रहा है। कुछ सप्ताह पहले गुजरात के बनासकांठा जिले के पालनपुर तहसील के गदलवाड़ा गांव में गुरुवार का माहौल आम शादी समारोह से बिल्कुल अलग था। पेशे से वकील मुकेश पारेचा की शादी की लिस्ट में अन्य दूल्हों से अलग पुलिस सुरक्षा मांगना भी शामिल था।
उलझन में दूल्हा, उत्साही बारात और 145 पुलिसकर्मियों की टीम - सभी वरघोड़ो (घोड़े पर सवार दूल्हे की शादी से पहले की रस्म) के लिए तैयार थे।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, बनासकांठा जिले के पालनपुर तहसील के गदलवाड़ा गांव में गुरुवार का माहौल आम शादी समारोह से बिल्कुल अलग था। पेशे से वकील मुकेश पारेचा की शादी की लिस्ट में अन्य दूल्हों से अलग पुलिस सुरक्षा मांगना भी शामिल था।
बारात के दौरान किसी अनहोनी के डर के चलते 33 वर्षीय दलित दूल्हे ने 22 जनवरी को बनासकांठा जिले के पुलिस अधीक्षक के समक्ष एक आवेदन दिया, जिसमें उसने सुरक्षा की मांग की क्योंकि वह अपने खास दिन पर घोड़े पर सवार होना चाहता था।
पारेचा ने अपने आवेदन में कहा, "हमारे गांव में अनुसूचित जाति के लोग कभी वरघोड़ो नहीं निकालते हैं। मैं वरघोड़ो निकालने वाला पहला व्यक्ति होऊंगा, और किसी अनहोनी की पूरी संभावना है। इसलिए, हम पुलिस सुरक्षा देने का अनुरोध करते हैं।"
वहीं मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिले के हीरानगर गांव में दलित बंसाकर समुदाय के ग्रामीणों ने स्थानीय नाइयों के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है, जिन्होंने उनका बाल काटने से इनकार कर दिया।
द ऑब्जर्वर पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, गांव के नाइयों ने दलित लोगों के बाल काटने और दाढ़ी बनाने से इनकार कर दिया है, जिससे उन्हें इसके लिए 10 किलोमीटर दूर टीकमगढ़ शहर जाना पड़ता है। इस भेदभाव से निराश होकर, ग्रामीणों ने पुलिस को दखल देने की मांग की है।
गांव की एक महिला ने कहा, “यह सालों से हो रहा है।” “यहां तक कि शादियों और मृत्यु संस्कारों के दौरान भी कोई नाई हमारे काम नहीं करते हैं। हमारे पास जिला मुख्यालय जाने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है।”
एक स्थानीय नाई सौरभ सेन ने भेदभावपूर्ण व्यवहार को मानते हुए कहा, “हमारे पूर्वजों ने कभी बंसाकर समुदाय का काम नहीं किया, तो हम कैसे कर सकते हैं? यह प्राचीन काल से हमारी परंपरा रही है।”
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तमिलनाडु के सिवागंगा जिले के मेलापिडावुर गांव में बुधवार शाम 21 वर्षीय दलित छात्र पर जातिवादियों द्वारा मोटरसाइकिल चलाने को लेकर हमला किया गया। पीड़ित आर. अय्यासामी को दोनों हाथों में गंभीर चोटें आई हैं और उनका इलाज मदुरै के सरकारी राजाजी अस्पताल में चल रहा है।
पुलिस के हवाले से द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, अय्यासामी अपनी मोटरसाइकिल से घर लौट रहे थे, तभी उसी गांव के तीन युवकों ने उन्हें रोक लिया और धारदार हथियारों से हमला कर दिया। आरोपी युवक का नाम आर. विनोदकुमार (21), ए. अतीश्वरन (22) और एम. वल्लारासु (21) है।
घायल छात्र के रिश्तेदार मुनियासामी ने मीडिया को बताया कि हमलावरों ने अय्यासामी के हाथों पर हमला करते हुए कहा, “सिर्फ ऊंची जाति के युवक ही महंगी बाइक्स चला सकते हैं; दलितों को ऐसा करने की इजाज़त नहीं।” उन्होंने जातिसूचक शब्दों का भी इस्तेमाल किया। मुनियासामी ने कहा कि अय्यासामी ने किसी तरह वहां से भागकर अपनी जान बचाई।
रिपोर्ट के अनुसार, हमले के बाद एक समूह ने अय्यासामी के परिवार के घर पर हमला कर दिया। मुनियासामी ने कहा कि गांव में जातिगत भेदभाव लंबे समय से चला आ रहा है और उन्होंने पुलिस सुरक्षा की मांग की। अय्यासामी के पिता भूमिनाथन के अनुसार, हमलावर उनके बेटे के बुलेट मोटरसाइकिल चलाने से नाराज थे। उन्होंने यह भी बताया कि इससे पहले भी हमलावरों ने बाइक को नुकसान पहुंचाया था।
हालांकि, पुलिस ने दावा किया कि हमला सिर्फ बाइक के कारण नहीं हुआ। पुलिस सूत्रों के अनुसार, अय्यासामी और अतीश्वरन के बीच पहले से ही विवाद था। एसआईपीसीओटी पुलिस ने विनोदकुमार, अतीश्वरन और वल्लारासु के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 296(1), 126(2), 118(1), और 351(3) तथा अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धारा 3(1)(r)(s) के तहत मामला दर्ज किया है। आरोपियों को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।
अय्यासामी सिवागंगा के एक कॉलेज में तृतीय वर्ष के गणित स्नातक छात्र हैं। उनका अभी भी इलाज चल रहा है और मामले की जांच जारी है।
ज्ञात हो कि दलितों के खिलाफ भेदभाव का मामला लगातार सामने आ रहा है। कुछ सप्ताह पहले गुजरात के बनासकांठा जिले के पालनपुर तहसील के गदलवाड़ा गांव में गुरुवार का माहौल आम शादी समारोह से बिल्कुल अलग था। पेशे से वकील मुकेश पारेचा की शादी की लिस्ट में अन्य दूल्हों से अलग पुलिस सुरक्षा मांगना भी शामिल था।
उलझन में दूल्हा, उत्साही बारात और 145 पुलिसकर्मियों की टीम - सभी वरघोड़ो (घोड़े पर सवार दूल्हे की शादी से पहले की रस्म) के लिए तैयार थे।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, बनासकांठा जिले के पालनपुर तहसील के गदलवाड़ा गांव में गुरुवार का माहौल आम शादी समारोह से बिल्कुल अलग था। पेशे से वकील मुकेश पारेचा की शादी की लिस्ट में अन्य दूल्हों से अलग पुलिस सुरक्षा मांगना भी शामिल था।
बारात के दौरान किसी अनहोनी के डर के चलते 33 वर्षीय दलित दूल्हे ने 22 जनवरी को बनासकांठा जिले के पुलिस अधीक्षक के समक्ष एक आवेदन दिया, जिसमें उसने सुरक्षा की मांग की क्योंकि वह अपने खास दिन पर घोड़े पर सवार होना चाहता था।
पारेचा ने अपने आवेदन में कहा, "हमारे गांव में अनुसूचित जाति के लोग कभी वरघोड़ो नहीं निकालते हैं। मैं वरघोड़ो निकालने वाला पहला व्यक्ति होऊंगा, और किसी अनहोनी की पूरी संभावना है। इसलिए, हम पुलिस सुरक्षा देने का अनुरोध करते हैं।"
वहीं मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिले के हीरानगर गांव में दलित बंसाकर समुदाय के ग्रामीणों ने स्थानीय नाइयों के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है, जिन्होंने उनका बाल काटने से इनकार कर दिया।
द ऑब्जर्वर पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, गांव के नाइयों ने दलित लोगों के बाल काटने और दाढ़ी बनाने से इनकार कर दिया है, जिससे उन्हें इसके लिए 10 किलोमीटर दूर टीकमगढ़ शहर जाना पड़ता है। इस भेदभाव से निराश होकर, ग्रामीणों ने पुलिस को दखल देने की मांग की है।
गांव की एक महिला ने कहा, “यह सालों से हो रहा है।” “यहां तक कि शादियों और मृत्यु संस्कारों के दौरान भी कोई नाई हमारे काम नहीं करते हैं। हमारे पास जिला मुख्यालय जाने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है।”
एक स्थानीय नाई सौरभ सेन ने भेदभावपूर्ण व्यवहार को मानते हुए कहा, “हमारे पूर्वजों ने कभी बंसाकर समुदाय का काम नहीं किया, तो हम कैसे कर सकते हैं? यह प्राचीन काल से हमारी परंपरा रही है।”
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