देश में महिलाओं, बच्चों, एससी-एसटी के खिलाफ बढ़े अपराध, महिला अपराध में दिल्ली यूपी टॉप पर: NCRB

Written by Navnish Kumar | Published on: December 5, 2023
"जब देश में चार राज्यों के चुनाव परिणाम चर्चा में थे, उस दिन NCRB ने रिपोर्ट जारी करते हुए बताया कि देश में महिलाओं, बच्चों, वरिष्ठ नागरिकों और अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) के खिलाफ अपराध बढ़े हैं। देश के विभिन्न पुलिस स्टेशनों पर दर्ज अपराधों पर NCRB ने नई रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट के अनुसार, साल 2022 में महिलाओं व बच्चों पर हिंसा के मामलों में अप्रत्याशित बढ़ोतरी हुई है। महिलाओं, बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों के खिलाफ अपराध में क्रमश: 4%, 8.7% और 9.3% की वृद्धि हुई है। आर्थिक और भ्रष्टाचार से जुड़े अपराधों में भी 11.1% की वृद्धि हुई। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2022 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 4,45,256 मामले दर्ज किए गए, जो 2021 में 4,28,278 की तुलना में 4% ज्यादा हैं। महिला अपराध में यूपी और दिल्ली टॉप पर है।"



राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) ने 2022 की रिपोर्ट रविवार (3 दिसंबर) जारी कर दी है। रिपोर्ट में बताया गया है कि दिल्ली महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित शहर है। यहां 2022 में एक दिन में 3 रेप केस दर्ज किए गए। NCRB की 546 पेज की रिपोर्ट में बताया कि देश में महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल 4 लाख 45 हजार 256 केस दर्ज किए गए, यानी हर घंटे लगभग 51 FIR हुईं। 2021 में यह आंकड़ा 4 लाख 28 हजार 278 था। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021 की तुलना में महिला अपराधों में 4% की बढ़ोतरी हुई है। वहीं 2022 में 28 हजार 522 मर्डर केस दर्ज हुए यानी हर दिन 78 हत्याएं हुईं।

महिला अपराधों में उत्तर प्रदेश टॉप पर

एनसीआरबी रिपोर्ट में सामने आया है कि महिलाओं के खिलाफ अपराध की दर (प्रति एक लाख जनसंख्या पर घटनाओं की संख्या) 2021 में 64.5% से बढ़कर 2022 में 66% हो गई है। इसमें से 2022 के दौरान 19 महानगरों में महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल 48,755 मामले दर्ज किए गए, जो 2021 (43,414 केस) की तुलना में 12.3% ज्यादा हैं।

2022 में महिला अपराध में 65,743 मामलों के साथ उत्तर प्रदेश टॉप पर है। इसके बाद महाराष्ट्र (45,331 केस) और राजस्थान (45058 केस) पश्चिम बंगाल (34738) और मध्य प्रदेश (32765 केस) का नंबर हैं।

राजधानी दिल्ली में रोजाना तीन रेप

महानगरों की बात करें तो महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध के मामले में देश के 19 महानगरों में लगातार तीसरे साल दिल्ली टॉप पर है। केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत काम करने वाली ऑर्गनाइजेशन नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) के साल 2022 के जारी आंकड़ों से ये खुलासा हुआ है। दिल्ली में 2021 में रोज औसतन दो रेप के केस दर्ज होते थे, जिनका आंकड़ा 2022 में तीन तक पहुंच गया। रविवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, 2022 में दिल्ली में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध 14158 दर्ज किए गए, जबकि 2021 में ये 13892 थे। राजधानी में होने वाले कुल अपराधों में से 31.20 फीसदी महिलाओं के विरुद्ध होते हैं।

खास है कि दिल्ली पुलिस अपनी वेबसाइट में अपराध के आंकड़े हर महीने या डेढ़ महीने में अपडेट किया करती थी। लेकिन जुलाई 2022 से इसे अपडेट करना बंद कर दिया गया हैं। दिल्ली पुलिस कमिश्नर की तरफ से भी सालाना प्रेस कॉन्फ्रेंस में साल भर का लेखा-जोखा पेश किया जाता था, जो इस साल नहीं हुआ है। इसलिए दिल्ली में हुए साल 2022 और इस साल नवंबर 2023 तक के क्राइम डेटा की जानकारी सार्वजनिक नहीं हो सकी थी। अब एनसीआरबी के 2022 के आंकड़ों से खुलासा हुआ है कि दिल्ली की हर एक लाख में से 189.9 महिलाएं अपराध का शिकार हुई हैं।

दिल्ली के बाद दूसरे नंबर पर मुंबई

देश के 19 महानगरों में दिल्ली के बाद मुंबई का नंबर आता है, जहां 6176 महिलाएं क्राइम का शिकार हुईं। तीसरे नंबर पर 3924 के साथ बेंगलुरू है। दिल्ली में 1204 रेप केस दर्ज हुए, जो सबसे ज्यादा हैं। इसके बाद जयपुर का नंबर है, जहां 497 केस दर्ज हुए थे। इसी तरह दिल्ली में पॉक्सो एक्ट के तहत 2022 में 1529 मामले सामने आए। मुंबई 1195 केसों के साथ दूसरे नंबर पर है। राज्यों की बात करें तो महाराष्ट्र में सबसे सबसे ज्यादा 20,762 केस हुए। इसके बाद मध्य प्रदेश (20415) और उत्तर प्रदेश (18682) का नंबर है। रेप के राजस्थान में 5399 और यूपी में 3690 केस दर्ज हुए। देश भर की बात करें तो 2021 में महिलाओं पर जुर्म के 4,28,278 मामले सामने आए थे, जो 2022 में 4,45,256 तक पहुंच गए। यानी महिलाओं पर होने वाले अपराधों पर औसतन रोजाना हर घंटे में 51 मुकदमे दर्ज हो रहे हैं।

दिल्ली में क्राइम अगेंस्ट वीमन का चढ़ता ग्राफ
वारदात          2021          2022
रेप                833            1204
अपहरण         3948          3909
दहेज हत्या।      136            129
घरेलू हिंसा          4674           4847
पॉक्सो।           1357         1529
___________________________

हर घंटे 3 मर्डर, हर दिन 78 हत्याएं... देश में क्राइम के आंकड़े भी दहलाने वाले

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की वार्षिक अपराध रिपोर्ट के अनुसार, साल 2022 में हत्या के सबसे अधिक 9962 मामलों में 'मामूली विवाद' कारण था। इसके बाद 3761 मामलों में 'व्यक्तिगत प्रतिशोध' या 'दुश्मनी' और 1884 मामलों में 'फायदा उठाना' या 'लालच' था। हालांकि, 2021 के मुकाबले ऐसे मामलों में कमी आई है।

एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, 2022 में हत्या की कुल 28,522 एफआईआर दर्ज की गईं यानि हर दिन औसतन 78 हत्याएं या हर घंटे तीन से अधिक हत्याएं हुईं। हालांकि, ये 2021 में 29,272 और 2020 में 29,193 मर्डर केस से कम हैं। आंकड़ों के मुताबिक, 2022 में हत्या के 9,962 केसों में 'मामूली विवाद' कारण था। इसके बाद 3,761 मामलों में 'व्यक्तिगत प्रतिशोध या दुश्मनी' और 1,884 मामलों में 'लालच/फायदा' वजह थी। वहीं, देश भर में प्रति लाख जनसंख्या पर हत्या की दर 2.1 थी, जबकि ऐसे मामलों में आरोप पत्र दायर करने की दर 81.5 थी।

राज्यवार आंकड़े

पिछले साल उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 3,491 एफआईआर की गईं, उसके बाद बिहार (2,930), महाराष्ट्र (2,295), मध्य प्रदेश (1,978) और राजस्थान (1,834) राज्य रहे। इन शीर्ष 5 राज्यों में हत्या के 43.92% मामले दर्ज किए गए। NCRB के अनुसार, 2022 में सबसे कम हत्या के मामलों वाले शीर्ष पांच राज्यों में- सिक्किम (9), नागालैंड (21), मिजोरम (31), गोवा (44), और मणिपुर (47) थे। वहीं, केंद्र शासित प्रदेशों में, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 2022 में हत्या के 509 मामले दर्ज किए गए। इसके बाद जम्मू-कश्मीर (99), पुडुचेरी (30), चंडीगढ़ (18), दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव (16), अंडमान और निकोबार द्वीप समूह (7), लद्दाख (5) और लक्षद्वीप (शून्य) केस दर्ज हुए।

पूरे भारत की बात करें तो 2022 में हत्या की दर झारखंड (4) में सबसे अधिक थी। इसके बाद अरुणाचल प्रदेश (3.6), छत्तीसगढ़ और हरियाणा (दोनों 3.4), असम और ओडिशा (दोनों-3) थे। जबकि, प्रति लाख जनसंख्या पर अपराध के मामले में उत्तर प्रदेश (1.5), बिहार (2.3), महाराष्ट्र (1.8), मध्य प्रदेश (2.3) और राजस्थान (2.3) का प्रदर्शन बेहतर रहा।

उम्र के लिहाज से देखें तो हत्या के 95.4% पीड़ित वयस्क थे। NCRB के अनुसार, कुल हत्या पीड़ितों में से 8,125 महिलाएं और नौ तीसरे जेंडर के व्यक्ति थे। लगभग 70 प्रतिशत पीड़ित पुरुष थे। हालांकि भारतीय दंड संहिता (IPC), विशेष और स्थानीय कानून (SSL) के तहत रजिस्टर्ड क्राइम में कमी आई है। रिपोर्ट के मुताबिक प्रति लाख जनसंख्या पर रजिस्टर क्राइम रेट 2021 में 445.9 से घटकर 2022 में 422.2 हो गए हैं। 2022 में 58 लाख 24 हजार 946 अपराध दर्ज किए गए, जिनमें 35 लाख 61 हजार 379 भारतीय दंड संहिता (IPC) और 22 लाख 63 हजार 567 विशेष और स्थानीय कानून (SLL) अपराध शामिल हैं। 2021 में यह आंकड़ा 60,96,310 रजिस्टर्ड केस का था। इसमें 2 लाख 71 हजार 364 यानी 4.5% की आई है।

19 महानगरों में 2021 (9,52,273 केस) के मुकाबले क्राइम रेट 10.4% घटा है। 2022 में आंकड़ा 8,53,470 रहा है। इन शहरों में अहमदाबाद, बेंगलुरु, चेन्नई, कोयंबटूर, दिल्ली, गाजियाबाद, हैदराबाद, इंदौर, जयपुर, कानपुर, कोच्चि, कोलकाता, कोझिकोड, लखनऊ, मुंबई, नागपुर, पटना, पुणे और सूरत शामिल हैं।

2022 में 10,000 स्टूडेंट्स ने किया सुसाइड

रिपोर्ट में सामने आया है कि 2022 में 18 साल से कम उम्र के 10 हजार 295 बच्चों ने सुसाइड किया। इनमें लड़कों की संख्या 4616 थी, जबकि लड़कियों की संख्या 5588 थी। 2 हजार से ज्यादा स्टूडेंट्स ने परीक्षाओं में फेल होने के कारण सुसाइड किया।

सीनियर सिटिजन के खिलाफ भी बढ़ी हिंसा

2021 में 26,110 मामलों की तुलना में 2022 में वरिष्ठ नागरिकों के खिलाफ अपराध 9.3% बढ़कर 28,545 मामले हो गए। इनमें से अधिकांश मामले (7,805 या 27.3%) चोट के बाद चोरी (3,944 या 13.8%) से संबंधित रहे। वहीं, एससी के खिलाफ अपराध 13.1% बढ़ गए हैं। 2021 में 50,900 मामलों से बढ़कर 2022 में 57,582 मामले हो गए। एसटी के खिलाफ अपराध में 14.3% की वृद्धि हुई। 2022 के दौरान बच्चों के खिलाफ अपराध के 1,62,4 दर्ज किए गए, जो 2021 की तुलना में 8.7% (1,49,404 मामले) की वृद्धि दिखाता है।

अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के खिलाफ अपराध

अनुसूचित जाति के खिलाफ अपराध से संबंधित कुल 57,582 मामले दर्ज किए गए, जो 2021 (50,900 मामले) की तुलना में 13.1 प्रतिशत की बढ़ोती दिखाते हैं। इस बीच, अनुसूचित जनजाति (ST) के खिलाफ अपराध करने के 10,064 मामले दर्ज किए गए, जो 2021 (8,802 मामले) की तुलना में 14.3 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्शाते हैं। लगातार तीसरे साल, उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति (SC) के खिलाफ सबसे ज्यादा 15,368 मामले दर्ज किए गए, जो 2021 में 13,146 के मुकाबले बढ़ोतरी है। इसी तरह, राजस्थान भी 8,752 मामलों के साथ इसके बाद आता है, जो 2021 में 7,524 से ज्यादा है। जबकि महानगरीय शहरों में लखनऊ (420) और जयपुर (381) में अनुसूचित जाति के खिलाफ सबसे अधिक अत्याचार हुए, इसके बाद कानपुर (376), बेंगलुरु (231), अहमदाबाद (189) और दिल्ली (129) हैं।

साइबर क्राइम के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी

साइबर क्राइम के तहत कुल 65,893 मामले दर्ज किए गए, जो 2021 (52,974 मामले) की तुलना में पंजीकरण में 24.4% की बढ़ोतरी दिखाता है। 2022 में, दर्ज किए गए साइबर अपराध के 64.8% मामले (65,893 मामलों में से 42,710) धोखाधड़ी के मकसद से थे। 5.5% पर जबरन वसूली (3,648) व यौन शोषण 5.2% (3,434 मामले) हैं।

तेलंगाना में 2022 के दौरान साइबर अपराध की सबसे ज्यादा 15,297 घटनाएं दर्ज की गईं। कर्नाटक में 12,556 तथा उत्तर प्रदेश में 10,117 मामले आए हैं। महानगरीय शहरों में, बेंगलुरु 9,940 साइबर क्राइम मामलों की रिपोर्ट करके लिस्ट में टॉप पर है, इसके बाद मुंबई (4,724) और हैदराबाद (4,436) हैं। दिलचस्प बात यह है कि दिल्ली में 2022 में केवल 685 साइबर अपराध से संबंधित मामले दर्ज हुए लेकिन, यह आंकड़ा 2021 (345) में रिपोर्ट की गई संख्या से दोगुना है।

अचानक होने वाली मौत के आंकड़े चौंकाने वाले

साल 2021 के मुकाबले साल 2022 में अचानक मौत की संख्या में 11.6 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, जो बेहद चौंकाने वाली है। साल 2022 में 56,653 अचानक मौत हुई, जिसमें 32,410 मौतें दिल का दौरा पड़ने से, जबकि 24243 मौतें दूसरे कारणों से हुई हैं। अचानक मरने वालों में सबसे अधिक 19,456 मौत 45 से 60 आयु वर्ग के लोग थे। पिछले साल 2.5 लाख केस कम दर्ज हुए है। साल 2021 में आत्महत्या के 1,64,033 मामले थे, जबकि 2022 1,70,924 यानी करीब 6,000 ज्यादा लोगों ने मौत को गले लगाया। 

साल 2022 में कुल 58,24,946 संज्ञेय अपराध दर्ज किए गए, जबकि 2021 में इसकी संख्या 60,96,310 मामले दर्ज किए गए। इस तरह पिछले साल करीब ढाई लाख मामले कम दर्ज किए गए। साल 2022 में हत्या के मामलों में सबसे अधिक प्राथमिकी यूपी में दर्ज की गईं। यूपी में इन मामलों में 3,491 प्राथमिकी दर्ज की गई। बिहार (2,930), महाराष्ट्र (2,295), मप्र (1,978) और राजस्थान (1,834) में प्राथमिकी दर्ज की गर्ईं।

Related:

बाकी ख़बरें