NCRB Report: योगी के कार्यकाल में अपराध के मामले में नंबर वन पर पहुंचा उत्तर प्रदेश

Written by sabrang india | Published on: October 23, 2019
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड के ताजा आंकड़ों के अनुसार पिछले दो साल में अपराध के हर क्षेत्र में बढ़ोत्तरी दर्ज हुई है और इस क्षेत्र में देश का सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश सबसे आगे है.



नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो यानी एनसीआरबी देश भर में अपराध के आंकड़ों का ब्योरा रखने वाली संस्था है जो हर साल अपराध से संबंधित आंकड़े जारी करती है. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की स्थापना साल 1986 में अपराध और अपराधियों की सूचना के संग्रह और स्रोत के रूप में की गई थी जिससे कि अपराध को अपराधियों से जोड़ने में खोजकर्ताओं को सहायता मिल सके. यह संस्था देश के गृह मंत्रालय के अधीन काम करती है.

एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक देश भर में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों की संख्या में भी काफी बढ़ोत्तरी हुई है और यह वृद्धि लगभग सभी राज्यों में हुई है. एनसीआरबी के मुताबिक देश भर में साल 2017 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 3,59,849 मामले दर्ज किए गए. महिलाओं के खिलाफ अपराधों में यह लगातार तीसरे साल बढ़ोत्तरी हुई है. 2015 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 3,29,243 मामले दर्ज किए गए थे जबकि 2016 में 3,38,954 मामले दर्ज हुए थे.

महिलाओं के खिलाफ अपराध के दर्ज मामलों में हत्या, बलात्कार, दहेज हत्या, आत्महत्या के लिए उकसाना, एसिड हमले जैसे अपराध शामिल हैं. एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में भी उत्तर प्रदेश सबसे आगे है जबकि महाराष्ट्र दूसरे नंबर पर है. उत्तर प्रदेश में इस तरह के 56,011 जबकि महाराष्ट्र में 31,979 मामले दर्ज किए गए.

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो ने एक साल की देरी के बाद सोमवार को 2017 के आंकड़े जारी किए. इसके मुताबिक देश भर में संज्ञेय अपराध के 50 लाख केस दर्ज हुए, जो कि 2016 की तुलना में 3.6 फीसदी ज्यादा हैं. इस दौरान हत्या के मामलों में 3.6 फीसदी की कमी आई है जबकि अपहरण के मामले नौ फीसदी बढ़ गए.

एनसीआरबी के मुताबिक भारतीय दंड संहिता यानी आईपीसी के तहत देश भर में कुल 30,62,579 मामले दर्ज हुए, जबकि 2016 में यह आंकड़ा 29,75,711 था. जहां तक राज्यों का सवाल है तो इस मामले में उत्तर प्रदेश सबसे आगे है जहां कुल मामलों के करीब दस फीसद यानी 3,10,084 केस दर्ज हुए. यूपी के बाद नंबर महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, केरल और दिल्ली का है.

देश में दर्ज अपहरण के कुल मामलों में से करीब 21 फीसद मामले अकेले यूपी में ही दर्ज किए गए. यहां 2016 के मुकाबले चार हजार मामले ज्यादा दर्ज हुए हैं. 2017 में अपराध के दर्ज मामलों की संख्या 19,921 है. इस मामले में भी यूपी के बाद महाराष्ट्र का ही नंबर है. तीसरे नंबर पर बिहार है. खास बात यह है कि इस मामले में पांचवें नंबर पर आने वाली राजधानी दिल्ली में अपहरण के मामलों में कमी आई है. दिल्ली में अपहरण के दर्ज मामलों की संख्या 2016 में जहां 6,619 थी वहीं 2017 में घटकर 6,095 रह गई.

महिलाओं की तरह बच्चों के खिलाफ मामलों में भी देश भर में बढ़ोत्तरी हुई है और इस मामले में भी यूपी सबसे ऊपर है. दूसरे नंबर पर मध्य प्रदेश, तीसरे पर महाराष्ट्र, चौथे पर दिल्ली और पांचवें नंबर पर छत्तीसगढ़ है.

एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक 2017 में हत्या के कुल 28,653 मामले दर्ज किए गए. उत्तर प्रदेश में 2016 की तुलना में हत्या के मामलों में कमी आई है, जबकि बिहार में यह आंकड़ा बढ़ा है. कमी के बावजूद देश भर में उत्तर प्रदेश पहले स्थान पर रहा है जबकि केंद्र शासित प्रदेशों में इस मामले में दिल्ली अव्वल है.

वहीं भ्रष्टाचार के सबसे ज्यादा मामले महाराष्ट्र में दर्ज हुए हैं जबकि ओडिशा दूसरे नंबर पर है. आंकड़ों के मुताबिक 2017 में भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम व संबंधित धाराओं में कुल 4,062 मामले दर्ज हुए जिनमें महाराष्ट्र सबसे ऊपर रहा. कर्नाटक में मामले तो कम दर्ज हुए लेकिन बढ़ोत्तरी सबसे ज्यादा दर्ज की गई. 2016 में 25 मामलों की तुलना में 2017 में यहां भ्रष्टाचार के 289 मामले दर्ज हुए. दिलचस्प बात यह है कि सिक्किम एकमात्र ऐसा राज्य रहा जहां इस मामले में एक भी केस दर्ज नहीं हुआ.

एनसीआरबी के मुताबिक देशभर में साइबर अपराध के आंकड़े तेजी से बढ़े हैं. 2016 में जहां कुल 12,137 मामले दर्ज हुए थे, वहीं 2017 में 21,796 केस दर्ज किए गए. साइबर अपराधों के मामलों में भी यूपी शीर्ष पर और महाराष्ट्र दूसरे नंबर पर है. एनसीआरबी की रिपोर्ट में बताया गया है कि 2016 के मुकाबले 2017 में सरकार के खिलाफ हुए अपराधों की संख्या में 30 फीसद की बढ़ोत्तरी हुई है जिसमें देशद्रोह और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने जैसे मामले शामिल हैं.

वहीं अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने इन आंकड़ों के बारे में एक दिलचस्प रिपोर्ट प्रकाशित की है. अखबार के मुताबिक एनसीआरबी ने अपने पूर्व अध्यक्ष ईश कुमार के नेतृत्व में आंकड़ों को एकत्रित करने की प्रक्रिया में बदलाव किया था, जिसमें उन्होंने कुछ नई श्रेणियां जोड़ी थीं. इस प्रक्रिया में भीड़ हत्या यानी लिंचिंग और धार्मिक कारणों से की गई हत्या को अलग सूची में रखा गया था लेकिन सोमवार को जब रिपोर्ट जारी की गई तो उसमें इन श्रेणियों के अपराध नदारद मिले.

एनसीआरबी के एक अधिकारी के हवाले से अखबार लिखता है कि इन नई श्रेणियों में अपराध की संख्या और उससे जुड़े आंकड़ों को जुटाने का काम 2015 से ही शुरू हो गया था लेकिन अब रिपोर्ट में उनका शामिल न होना आश्चर्यजनक है.

बाकी ख़बरें