एनसीआरबी की वार्षिक रिपोर्ट ने सरकार को मौखिक दावों और हकीकत का अंतर साफ कर दिया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2022 में देश में अपहरण के 1,07,588 मामले दर्ज किए गए जबकि साल 2021 में यह आंकड़ा 1,01,707 और 2020 में 84,805 था। इस मामले में उत्तर प्रदेश पहले स्थान पर रहा।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में वर्ष 2022 में अपहरण के एक लाख से अधिक मामले दर्ज किए गए। इसे प्रतिदिन के हिसाब देखा जाए तो औसतन 294 या हर घंटे 12 से अधिक मामले दर्ज किए गए। अपहरण के मामले में उत्तर प्रदेश पहले स्थान पर रहा। केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत काम करने वाले राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने अपनी वार्षिक अपराध रिपोर्ट में कहा कि 2022 में देश में अपहरण के 1,07,588 मामले दर्ज किए गए, जबकि साल 2021 में यह आंकड़ा 1,01,707 और 2020 में 84,805 था।
द वायर द्वारा उद्धत एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार, 2022 के दौरान 21,278 पुरुषों, 88,861 महिलाओं और एक ट्रांसजेंडर सहित कुल 1,10,140 लोगों के अपहरण होने की रिपोर्ट दर्ज हुई थी, जिनमें 76,069 बच्चे थे – 13,970 बालक और 62,099 बालिकाएं। कुल 34,071 वयस्कों में 7,308 पुरुष, 26,762 महिलाएं और एक ट्रांसजेंडर शामिल थे। एनसीआरबी ने कहा कि 2022 के दौरान, कुल 1,17,083 अपहृत लोगों में 21,199 पुरुष, 95,883 महिला और एक ट्रांसजेंडर थे, जिनमें से 1,16,109 लोगों को जीवित बचाया गया और 974 मृत पाए गए।
एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में 2022 में अपहरण की 5,641 एफआईआर दर्ज हुईं। 2021 और 2020 में यह आंकड़ा क्रमशः 5,527 और 4,062 था। आंकड़ों से पता चलता है कि राष्ट्रीय राजधानी में प्रति लाख जनसंख्या पर अपराध की उच्चतम दर 26.7 थी और देशभर के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की तुलना में सबसे खराब आरोप पत्र दर 7.8 भी यहीं दर्ज किया गया।
एनसीआरबी डेटा के अनुसार, उत्तर प्रदेश में 2022 में अधिकतम 16,262 मामले दर्ज किए गए, जो 2021 में 14,554 और 2020 में 12,913 थे। हालांकि, राज्य में अपराध दर 6.9 थी और आरोप पत्र दाखिल करने की दर 43.7 थी, जो राष्ट्रीय औसत से बेहतर है। 2022 में महाराष्ट्र में ऐसे 12,260 मामले दर्ज किए गए, जो 2021 में 10,502 और 2020 में 8,103 थे। अपराध दर 9.8 थी और आरोप पत्र दाखिल करने की दर 20.9 थी।
2022 में बिहार में अपहरण की 11,822, 2021 में 10,198 और 2020 में 7,889 एफआईआर दर्ज की गईं। 2022 में अपराध दर 9.4 थी जबकि आरोप पत्र दाखिल करने की दर 63 थी। मध्य प्रदेश में ये आंकड़े 10,409 (2022), 9,511 (2021) और 7,320 (2020) थी। 2022 में अपराध दर 12.1 रही जबकि आरोप पत्र दाखिल करने की दर 26.2 रही। पश्चिम बंगाल में ये आंकड़े 8,088 (2022), 8,339 (2021) और 9,309 (2020) थे. 2022 में अपराध दर 8.2 रही जबकि आरोप पत्र दाखिल करने की दर 69.4 रही।
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द वायर द्वारा उद्धत एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार, 2022 के दौरान 21,278 पुरुषों, 88,861 महिलाओं और एक ट्रांसजेंडर सहित कुल 1,10,140 लोगों के अपहरण होने की रिपोर्ट दर्ज हुई थी, जिनमें 76,069 बच्चे थे – 13,970 बालक और 62,099 बालिकाएं। कुल 34,071 वयस्कों में 7,308 पुरुष, 26,762 महिलाएं और एक ट्रांसजेंडर शामिल थे। एनसीआरबी ने कहा कि 2022 के दौरान, कुल 1,17,083 अपहृत लोगों में 21,199 पुरुष, 95,883 महिला और एक ट्रांसजेंडर थे, जिनमें से 1,16,109 लोगों को जीवित बचाया गया और 974 मृत पाए गए।
एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में 2022 में अपहरण की 5,641 एफआईआर दर्ज हुईं। 2021 और 2020 में यह आंकड़ा क्रमशः 5,527 और 4,062 था। आंकड़ों से पता चलता है कि राष्ट्रीय राजधानी में प्रति लाख जनसंख्या पर अपराध की उच्चतम दर 26.7 थी और देशभर के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की तुलना में सबसे खराब आरोप पत्र दर 7.8 भी यहीं दर्ज किया गया।
एनसीआरबी डेटा के अनुसार, उत्तर प्रदेश में 2022 में अधिकतम 16,262 मामले दर्ज किए गए, जो 2021 में 14,554 और 2020 में 12,913 थे। हालांकि, राज्य में अपराध दर 6.9 थी और आरोप पत्र दाखिल करने की दर 43.7 थी, जो राष्ट्रीय औसत से बेहतर है। 2022 में महाराष्ट्र में ऐसे 12,260 मामले दर्ज किए गए, जो 2021 में 10,502 और 2020 में 8,103 थे। अपराध दर 9.8 थी और आरोप पत्र दाखिल करने की दर 20.9 थी।
2022 में बिहार में अपहरण की 11,822, 2021 में 10,198 और 2020 में 7,889 एफआईआर दर्ज की गईं। 2022 में अपराध दर 9.4 थी जबकि आरोप पत्र दाखिल करने की दर 63 थी। मध्य प्रदेश में ये आंकड़े 10,409 (2022), 9,511 (2021) और 7,320 (2020) थी। 2022 में अपराध दर 12.1 रही जबकि आरोप पत्र दाखिल करने की दर 26.2 रही। पश्चिम बंगाल में ये आंकड़े 8,088 (2022), 8,339 (2021) और 9,309 (2020) थे. 2022 में अपराध दर 8.2 रही जबकि आरोप पत्र दाखिल करने की दर 69.4 रही।
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