राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के 2021 के आंकड़ों से पता चला है कि जेलों में मुस्लिम कैदियों की संख्या कम हुई है। वहीं हिंदू कैदियों की संख्या में इजाफा हुआ है। NCRB की रिपोर्ट में भारतीय जेलों में मुस्लिम कैदियों की संख्या 2021 में 18.7% हो गई है जो 2020 में 20.2% थी। अनुसूचित जनजातियों (एसटी) पंजीकरण के खिलाफ अपराध में 2020 में 8,272 मामलों से 4% की वृद्धि के साथ 2021 में 8,802 तक की वृद्धि हुई है, जबकि अनुसूचित जातियों (एससी) के खिलाफ अत्याचार के मामलों में 2021 में 1.2% की वृद्धि दर्ज की गई है। महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों में भी उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है।
बात जेलों की करें तो राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के 2021 के आंकड़ों से पता चला है कि जेलों में मुस्लिम कैदियों की संख्या कम हुई है। वहीं हिंदू कैदियों की संख्या में इजाफा हुआ है। खास है कि NCRB रिपोर्ट में भारतीय जेलों में मुस्लिम कैदियों की संख्या 2021 में घटकर 18.7% हो गई है जबकि 2020 में यह 20.2% थी। वहीं भारतीय जेलों में हिंदू कैदियों की संख्या में बढ़ोतरी है। बता दें कि हिंदू कैदियों की संख्या 2020 में 72.8%थी जो 2021 में बढ़कर 73.6% हो गई है। यही नहीं, NCRB की इस रिपोर्ट के मुताबिक सिख कैदियों की संख्या भी बढ़ी है। लेकिन ईसाइयों की कम हुई है।
यूपी की जेलों में अधिक पढ़े लिखे कैदी
रिपोर्ट का कहना है कि देश में सबसे अधिक पढ़े लिखे कैदी UP की जेलों में बंद हैं। यूपी की जेलों में कैदियों को प्रबंधन कंप्यूटर ट्रेनिंग से लेकर कौशल विकास प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस तरह के प्रशिक्षण देने के मामले में यूपी सबसे आगे पाया गया। NCRB के आंकड़े बताते हैं कि उत्तर प्रदेश की जेलों में कैदियों को शिक्षा के साथ कम्प्यूटर प्रशिक्षण, उच्च शिक्षा और प्रौढ़ शिक्षा भी मिल रही है। 4101 बंदियों को 2021 में जेल में प्रशिक्षित किया गया।
रिपोर्ट के अनुसार, जेल में बंद 671 बंदी पोस्ट ग्रेजुएट हैं तो 2002 बंदी ग्रेजुएट हैं। 6035 कैदी इंटरमीडिएट और 10245 बंदियों ने हाईस्कूल पास किया है। 1162 बंदियों को कम्प्यूटर में दक्ष करने के साथ ही 5292 प्रौढ़ बंदियों की शिक्षित किया गया।
महिलाओं और बच्चों के खिलाफ भी बढ़े अपराध
इसके अलावा NCRB ने अपराधों को लेकर भी आंकड़े जारी किए हैं। रिपोर्ट के अनुसार महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले में उत्तर प्रदेश के बाद राजस्थान दूसरे पायदान पर है।रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के खिलाफ अपराधों में 2020 की तुलना में बढ़ोत्तरी हुई हैं 2020 में 8,272 मामले थे जो 4% की वृद्धि के साथ 2021 में 8,802 हो गए है, जबकि अनुसूचित जातियों (एससी) के खिलाफ अत्याचार मामलों में 2021 में 1.2% की वृद्धि दर्ज की गई है।
महिलाओं के खिलाफ अपराध के अधिकांश मामले 'पति या उनके रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता' (31.8%) के तहत दर्ज किए गए थे, इसके बाद 'महिलाओं पर उनकी शील भंग करने के इरादे से हमला' (20.8%) के तहत दर्ज किया गया था। उत्तर प्रदेश (56,083), राजस्थान (40,738) और महाराष्ट्र (39,526) ने राज्य से सबसे अधिक मामले दर्ज किए।
साइबर अपराध के मामलों में तेजी से 111% की उछाल
आंकड़ों के अनुसार, राजधानी शहर में 2021 में 356 मामलों के साथ, ऑनलाइन धोखाधड़ी, ऑनलाइन उत्पीड़न, स्पष्ट सामग्री के प्रकाशन आदि के मामलों में 111% की वृद्धि हुई है।
वहीं, 2021 में "भारत में दुर्घटना से होने वाली मौतें और आत्महत्याएं" बताती हैं कि 2021 में आत्महत्या करने वालों में पेशा-वार देंखे तो 42,004 आत्महत्याओं (25.6%) के साथ दैनिक वेतनभोगी (दिहाड़ी मजदूर) सबसे बड़ा समूह रहा है। राष्ट्रीय स्तर पर, आत्महत्याओं की संख्या में 2020 से 2021 तक 7.17 प्रतिशत की वृद्धि हुई। हालांकि, इस अवधि के दौरान दैनिक वेतन भोगी समूहों में आत्महत्या करने वालों की संख्या में 11.52% की वृद्धि हुई।सबसे अधिक 22,207 आत्महत्याएं महाराष्ट्र में दर्ज की गईं, इसके बाद तमिलनाडु (18,925), मध्य प्रदेश (14,956), पश्चिम बंगाल (13,500) और कर्नाटक (13,056) का स्थान है। केंद्र शासित प्रदेशों में दिल्ली में सबसे ज्यादा 2,840 आत्महत्याएं दर्ज की गईं।
एनडीपीएस अधिनियम में पंजाब में अपराध दर सबसे ज्यादा है
नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सबस्टेंस (एनडीपीएस) अधिनियम के तहत पिछले साल दर्ज मामलों में पंजाब फिर से अपराध दर (प्रति लाख जनसंख्या) की सूची में सबसे ऊपर है। रिपोर्ट में हिमाचल प्रदेश- एनसीआरबी के अनुसार 74.06 लाख लोगों की आबादी के साथ - उसी श्रेणी में सूची में दूसरे स्थान पर रहा।
यूएपीए के तहत दर्ज मामलों में वृद्धि
2020 में 796 मामलों की तुलना में गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत 814 मामले दर्ज किए गए। देशद्रोह में देखें तो 2020 में 73 की तुलना में 2021 में देशद्रोह के 76 मामले दर्ज किए गए। NCRB रिपोर्ट के अनुसार, देशद्रोह के सबसे ज़्यादा मामले असम में दर्ज किए गए हैं।
असम में बीते 8 सालों के दौरान राजद्रोह के सबसे ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट के आंकड़ों के मुताबिक साल 2014 से लेकर 2021 के बीच देश में दर्ज किए गए 475 राजद्रोह के मामलों में से 69 मामले सिर्फ असम से ही थे। असम में आए मामलों की संख्या 8 साल के कुल आंकड़ों (राजद्रोह के 475 मामलों) का 14.52 प्रतिशत है। इसका मतलब है कि पिछले आठ वर्षों में देश में दर्ज छह में से एक राजद्रोह का मामला असम से आया है।
एनसीआरबी ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के जारी किए आंकड़ों की रिपोर्ट के आधार पर उन्हें एकत्र करके प्रकाशित किया है। वहीं साल 2014 से हुए राजद्रोह के अब तक के मामलों पर आईपीसी की धारा 124 ए के तहत रजिस्टर्ड डेटा उपलब्ध है।
8 सालों में इस तरह दर्ज हुए राजद्रोह के मामले
एनसीआरबी की क्राइम इन इंडिया रिपोर्ट के ताजा आंकड़ों के मुताबिक साल 2021 में देश भर में 76 राजद्रोह के मामले दर्ज किए गए थे, जो 2020 में दर्ज किए गए 73 मामलों से मामूली रूप से ज्यादा था। वहीं 2019 में इन मामलों की संख्या 93, 2018 में 70, 2017 में 51 मामले, 2016 में 35 मामले, 2015 में 30 मामले और 2014 में 47 मामले दर्ज किए गए थे।
6 राज्यों में राजद्रोह के 250 मामले
राजद्रोह के मामलों के राज्यों के किए गए विश्लेषण से पता चलता है कि असम के बाद हरियाणा में ऐसे सबसे अधिक (42 केस) दर्ज किए गए। वहीं इसके बाद झारखंड में 40 मामले, कर्नाटक 38 केस, आंध्र प्रदेश में 32 और जम्मू और कश्मीर 29 केस दर्ज किए गए। कुल मिलाकर इन छह राज्यों में ही 250 मामले दर्ज किए गए हैं जो कि 8 साल में पूरे देश में दर्ज कुल राजद्रोह के मामलों की संख्या के आधे से अधिक हैं।
असम में 2015 और 2016 में नहीं दर्ज हुआ
असम में राजद्रोह के रजिस्टर्ड मामले उस अवधि में दर्ज किए गए जब राज्य के 69 मामलों में से 2021 में तीन, 2020 में 12, 2019 में 17, 2018 में भी 17 मामले, साल 2017 में 19, 2014 में एक मामला दर्ज किया गया था। वहीं राज्य में साल 2015 और 2016 में कोई भी राजद्रोह का मामला दर्ज नहीं किया गया था। इसके अलावा देश के नौ अन्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने पिछले आठ सालों के दौरान राजद्रोह के मामले में दोहरे अंक में पहुंचने वाले प्रदेशों में मणिपुर (28), उत्तर प्रदेश (27), बिहार (25), केरल (25), नागालैंड (17), दिल्ली (13), हिमाचल प्रदेश (12), राजस्थान (12) और पश्चिम बंगाल (12) जैसे राज्य शामिल थे।
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बात जेलों की करें तो राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के 2021 के आंकड़ों से पता चला है कि जेलों में मुस्लिम कैदियों की संख्या कम हुई है। वहीं हिंदू कैदियों की संख्या में इजाफा हुआ है। खास है कि NCRB रिपोर्ट में भारतीय जेलों में मुस्लिम कैदियों की संख्या 2021 में घटकर 18.7% हो गई है जबकि 2020 में यह 20.2% थी। वहीं भारतीय जेलों में हिंदू कैदियों की संख्या में बढ़ोतरी है। बता दें कि हिंदू कैदियों की संख्या 2020 में 72.8%थी जो 2021 में बढ़कर 73.6% हो गई है। यही नहीं, NCRB की इस रिपोर्ट के मुताबिक सिख कैदियों की संख्या भी बढ़ी है। लेकिन ईसाइयों की कम हुई है।
यूपी की जेलों में अधिक पढ़े लिखे कैदी
रिपोर्ट का कहना है कि देश में सबसे अधिक पढ़े लिखे कैदी UP की जेलों में बंद हैं। यूपी की जेलों में कैदियों को प्रबंधन कंप्यूटर ट्रेनिंग से लेकर कौशल विकास प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस तरह के प्रशिक्षण देने के मामले में यूपी सबसे आगे पाया गया। NCRB के आंकड़े बताते हैं कि उत्तर प्रदेश की जेलों में कैदियों को शिक्षा के साथ कम्प्यूटर प्रशिक्षण, उच्च शिक्षा और प्रौढ़ शिक्षा भी मिल रही है। 4101 बंदियों को 2021 में जेल में प्रशिक्षित किया गया।
रिपोर्ट के अनुसार, जेल में बंद 671 बंदी पोस्ट ग्रेजुएट हैं तो 2002 बंदी ग्रेजुएट हैं। 6035 कैदी इंटरमीडिएट और 10245 बंदियों ने हाईस्कूल पास किया है। 1162 बंदियों को कम्प्यूटर में दक्ष करने के साथ ही 5292 प्रौढ़ बंदियों की शिक्षित किया गया।
महिलाओं और बच्चों के खिलाफ भी बढ़े अपराध
इसके अलावा NCRB ने अपराधों को लेकर भी आंकड़े जारी किए हैं। रिपोर्ट के अनुसार महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले में उत्तर प्रदेश के बाद राजस्थान दूसरे पायदान पर है।रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के खिलाफ अपराधों में 2020 की तुलना में बढ़ोत्तरी हुई हैं 2020 में 8,272 मामले थे जो 4% की वृद्धि के साथ 2021 में 8,802 हो गए है, जबकि अनुसूचित जातियों (एससी) के खिलाफ अत्याचार मामलों में 2021 में 1.2% की वृद्धि दर्ज की गई है।
महिलाओं के खिलाफ अपराध के अधिकांश मामले 'पति या उनके रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता' (31.8%) के तहत दर्ज किए गए थे, इसके बाद 'महिलाओं पर उनकी शील भंग करने के इरादे से हमला' (20.8%) के तहत दर्ज किया गया था। उत्तर प्रदेश (56,083), राजस्थान (40,738) और महाराष्ट्र (39,526) ने राज्य से सबसे अधिक मामले दर्ज किए।
साइबर अपराध के मामलों में तेजी से 111% की उछाल
आंकड़ों के अनुसार, राजधानी शहर में 2021 में 356 मामलों के साथ, ऑनलाइन धोखाधड़ी, ऑनलाइन उत्पीड़न, स्पष्ट सामग्री के प्रकाशन आदि के मामलों में 111% की वृद्धि हुई है।
वहीं, 2021 में "भारत में दुर्घटना से होने वाली मौतें और आत्महत्याएं" बताती हैं कि 2021 में आत्महत्या करने वालों में पेशा-वार देंखे तो 42,004 आत्महत्याओं (25.6%) के साथ दैनिक वेतनभोगी (दिहाड़ी मजदूर) सबसे बड़ा समूह रहा है। राष्ट्रीय स्तर पर, आत्महत्याओं की संख्या में 2020 से 2021 तक 7.17 प्रतिशत की वृद्धि हुई। हालांकि, इस अवधि के दौरान दैनिक वेतन भोगी समूहों में आत्महत्या करने वालों की संख्या में 11.52% की वृद्धि हुई।सबसे अधिक 22,207 आत्महत्याएं महाराष्ट्र में दर्ज की गईं, इसके बाद तमिलनाडु (18,925), मध्य प्रदेश (14,956), पश्चिम बंगाल (13,500) और कर्नाटक (13,056) का स्थान है। केंद्र शासित प्रदेशों में दिल्ली में सबसे ज्यादा 2,840 आत्महत्याएं दर्ज की गईं।
एनडीपीएस अधिनियम में पंजाब में अपराध दर सबसे ज्यादा है
नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सबस्टेंस (एनडीपीएस) अधिनियम के तहत पिछले साल दर्ज मामलों में पंजाब फिर से अपराध दर (प्रति लाख जनसंख्या) की सूची में सबसे ऊपर है। रिपोर्ट में हिमाचल प्रदेश- एनसीआरबी के अनुसार 74.06 लाख लोगों की आबादी के साथ - उसी श्रेणी में सूची में दूसरे स्थान पर रहा।
यूएपीए के तहत दर्ज मामलों में वृद्धि
2020 में 796 मामलों की तुलना में गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत 814 मामले दर्ज किए गए। देशद्रोह में देखें तो 2020 में 73 की तुलना में 2021 में देशद्रोह के 76 मामले दर्ज किए गए। NCRB रिपोर्ट के अनुसार, देशद्रोह के सबसे ज़्यादा मामले असम में दर्ज किए गए हैं।
असम में बीते 8 सालों के दौरान राजद्रोह के सबसे ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट के आंकड़ों के मुताबिक साल 2014 से लेकर 2021 के बीच देश में दर्ज किए गए 475 राजद्रोह के मामलों में से 69 मामले सिर्फ असम से ही थे। असम में आए मामलों की संख्या 8 साल के कुल आंकड़ों (राजद्रोह के 475 मामलों) का 14.52 प्रतिशत है। इसका मतलब है कि पिछले आठ वर्षों में देश में दर्ज छह में से एक राजद्रोह का मामला असम से आया है।
एनसीआरबी ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के जारी किए आंकड़ों की रिपोर्ट के आधार पर उन्हें एकत्र करके प्रकाशित किया है। वहीं साल 2014 से हुए राजद्रोह के अब तक के मामलों पर आईपीसी की धारा 124 ए के तहत रजिस्टर्ड डेटा उपलब्ध है।
8 सालों में इस तरह दर्ज हुए राजद्रोह के मामले
एनसीआरबी की क्राइम इन इंडिया रिपोर्ट के ताजा आंकड़ों के मुताबिक साल 2021 में देश भर में 76 राजद्रोह के मामले दर्ज किए गए थे, जो 2020 में दर्ज किए गए 73 मामलों से मामूली रूप से ज्यादा था। वहीं 2019 में इन मामलों की संख्या 93, 2018 में 70, 2017 में 51 मामले, 2016 में 35 मामले, 2015 में 30 मामले और 2014 में 47 मामले दर्ज किए गए थे।
6 राज्यों में राजद्रोह के 250 मामले
राजद्रोह के मामलों के राज्यों के किए गए विश्लेषण से पता चलता है कि असम के बाद हरियाणा में ऐसे सबसे अधिक (42 केस) दर्ज किए गए। वहीं इसके बाद झारखंड में 40 मामले, कर्नाटक 38 केस, आंध्र प्रदेश में 32 और जम्मू और कश्मीर 29 केस दर्ज किए गए। कुल मिलाकर इन छह राज्यों में ही 250 मामले दर्ज किए गए हैं जो कि 8 साल में पूरे देश में दर्ज कुल राजद्रोह के मामलों की संख्या के आधे से अधिक हैं।
असम में 2015 और 2016 में नहीं दर्ज हुआ
असम में राजद्रोह के रजिस्टर्ड मामले उस अवधि में दर्ज किए गए जब राज्य के 69 मामलों में से 2021 में तीन, 2020 में 12, 2019 में 17, 2018 में भी 17 मामले, साल 2017 में 19, 2014 में एक मामला दर्ज किया गया था। वहीं राज्य में साल 2015 और 2016 में कोई भी राजद्रोह का मामला दर्ज नहीं किया गया था। इसके अलावा देश के नौ अन्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने पिछले आठ सालों के दौरान राजद्रोह के मामले में दोहरे अंक में पहुंचने वाले प्रदेशों में मणिपुर (28), उत्तर प्रदेश (27), बिहार (25), केरल (25), नागालैंड (17), दिल्ली (13), हिमाचल प्रदेश (12), राजस्थान (12) और पश्चिम बंगाल (12) जैसे राज्य शामिल थे।
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