केंद्रीय गृह राज्य मंत्री हंसराज गंगाराम अहीर ने सदन में बताया कि वर्ष 2017 में 822 सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं हुई, इसमें 111 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। 2016 में 703 सांप्रदायिक हिंसा की घटना हुई, जिसमें 86 लोग मारे गए। वहीं, 2015 में 751 घटनाओं में 97 लोग मारे गए.
आंकड़ों पर गौर करें तो यह साफ दिख रहा है कि वर्ष 2016 के मुकबाले वर्ष 2017 में सांप्रदायिक घटनाओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है वही जान गंवाने वाले लोगों की संख्या भी बढ़ गई। 2016 में जहां 86 लोग मारे गए थे, वहीं, 2017 में यह आंकड़ा 111 तक पहुंच गया.
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इस साल सांप्रदायिक हिंसा के सबसे ज्यादा मामले कथित रूप से राम राज्य कहे जाने वाले उत्तर प्रदेश में आए है यहां सांप्रदायिक हिंसा की 195 घटनाएं हुई, जिसमें 44 लोग मारे गए वहीं, कर्नाटक में भी 100 सांप्रदायिक घटनाएं हुई और 9 लोग मारे गए है बिहार में सांप्रदायिक हिंसा की 85 घटनाएं हुई, जिसमें 3 लोग मारे गए.
ये आंकड़े बताने को काफी हैं कि देश किस तरह सांप्रदायिक आग में झुलस रहा है सिर्फ ऊपरी तौर पर दिखावा किया जा रहा है कि मोदीराज में सब कुछ सही है.
आंकड़ों पर गौर करें तो यह साफ दिख रहा है कि वर्ष 2016 के मुकबाले वर्ष 2017 में सांप्रदायिक घटनाओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है वही जान गंवाने वाले लोगों की संख्या भी बढ़ गई। 2016 में जहां 86 लोग मारे गए थे, वहीं, 2017 में यह आंकड़ा 111 तक पहुंच गया.
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