भारत में सांप्रदायिक हिंसा की रिपोर्ट: 2024 में कैसे फैली नफरत

Written by sabrang india | Published on: January 3, 2025
अगर आप समाचार पत्रों की ख़बरों पर नजर डालें तो 2024 के लिए सीएसएसएस की रिपोर्ट बताती है कि पूरे देश में सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं में 84% की वृद्धि हुई है, जिसमें महाराष्ट्र सबसे आगे है।



सेंटर फॉर स्टडी ऑफ सोसाइटी एंड सेक्युलैरिज़्म (CSSS) द्वारा संकलित की गई रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में भारत में सांप्रदायिक हिंसा की 59 घटनाएं हुईं। यह डेटा समाचार पत्रों (इंडियन एक्सप्रेस, टाइम्स ऑफ इंडिया, द हिंदू, सहाफत और इंकलाब) की रिपोर्टों पर आधारित है, जो 2023 में दर्ज 32 सांप्रदायिक दंगों की तुलना में 84% की वृद्धि दर्शाती है। यह कोई चौंकाने वाली बात नहीं है कि चुनावी मौसम (अप्रैल-मई 2024 में आम चुनाव और नवंबर में राज्य विधानसभा चुनाव) को देखते हुए, महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा सांप्रदायिक दंगे हुए (12 घटनाएं), इसके बाद उत्तर प्रदेश और बिहार में सात-सात दंगे हुए।

महाराष्ट्र, जो अपने अंतर-सामुदायिक संघर्ष के इतिहास के कारण जाना जाता है, 2024 में भाजपा-एसएस (एकनाथ शिंदे-एनसीपी [अजित पवार] सरकार) के तहत सांप्रदायिक दंगों और मॉब लिंचिंग की घटनाओं की सबसे बड़ी संख्या वाला राज्य बनकर उभरा है। इन दंगों में 13 लोगों की मौत हुई, जिनमें से तीन हिंदू और दस मुस्लिम थे। अधिकांश सांप्रदायिक दंगे धार्मिक त्योहारों या जुलूसों के दौरान हुए, जिनमें अयोध्या राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा (जनवरी में चार दंगे), सरस्वती पूजा विसर्जन (सात), गणेश उत्सव (चार) और बकरी ईद (दो) घटनाएं शामिल हैं। यह आंकड़ा इस बात को रेखांकित करता है कि कैसे धार्मिक उत्सवों का इस्तेमाल सांप्रदायिक तनाव और राजनीतिक लामबंदी के लिए किया जा रहा है।

सिटीजन्स फॉर जस्टिस एंड पीस का हेट वॉच कार्यक्रम ऐसे घटनाक्रमों पर दिन-प्रतिदिन नजर रखता है और नफरत के नक्शे पर इसका एक विजुअल रिप्रेजेंटेशन भी प्रस्तुत करता है, जिसे यहां देखा जा सकता है।

सांप्रदायिक दंगों के अलावा, 2024 में 12 मॉब लिंचिंग की घटनाएं दर्ज की गईं, जिनमें 10 लोगों की मौत हुई, जिनमें एक हिंदू, एक ईसाई और आठ मुस्लिम थे। हालांकि यह 2023 में दर्ज 21 मॉब लिंचिंग की घटनाओं से कमी को दर्शाता है, लेकिन इन हमलों का लगातार होना एक चिंता का विषय बना हुआ है। इनमें से छह लिंचिंग गौरक्षकों या गौहत्या के आरोपों से जुड़ी थीं। अन्य लिंचिंग के मामले अंतरधार्मिक संबंधों और मुसलमानों को उनकी धार्मिक पहचान के लिए निशाना बनाकर किए गए थे। महाराष्ट्र में तीन लिंचिंग की घटनाएं हुईं, जबकि छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में दो-दो घटनाएं और कर्नाटक में एक घटना दर्ज की गई।

विश्लेषण किए गए डेटा से एक चिंताजनक प्रवृत्ति का पता चलता है। हालांकि मॉब लिंचिंग की घटनाओं में कमी आई है, लेकिन इन पांच अखबारों में दर्ज सांप्रदायिक दंगों में लगभग 84% की वृद्धि हुई है। साथ ही, यह घटनाक्रम सांप्रदायिक तनाव में वृद्धि और भारतीय मुसलमानों के हाशिए पर जाने का संकेत देते हैं, जिससे भारतीय समाज के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को और अधिक खतरा हो रहा है। सांप्रदायिक दंगों की संख्या में वृद्धि को अप्रैल/मई 2024 में होने वाले आम चुनाव और महाराष्ट्र, झारखंड और हरियाणा राज्यों में विधानसभा चुनावों से जोड़ा जा सकता है। इसी तरह, न्यायिक हस्तक्षेप—विशेष रूप से हिंदुओं के मॉब लिंचिंग का शिकार होने के बाद राज्य से मॉब लिंचिंग के खिलाफ कार्रवाई करने का आह्वान—के परिणामस्वरूप मॉब लिंचिंग की घटनाओं में कमी आई है।

अपने वार्षिक निगरानी कार्य के आधार पर, CSSS ने 2024 के दौरान भारत में सांप्रदायिक हिंसा के इन रुझानों को जारी किया है। इस वर्ष हिंसा के संस्थागत स्वरूप की ओर एक चिंताजनक बदलाव देखा गया, जिसकी मुख्य विशेषता धार्मिक पूजा स्थलों पर हमले और हिंदू दक्षिणपंथी समूहों द्वारा अजमेर शरीफ दरगाह जैसी ऐतिहासिक मस्जिदों और दरगाहों के पुरातात्विक सर्वेक्षण की मांग करना था। ये कार्य भारत के सामाजिक-राजनीतिक और सांस्कृतिक परिदृश्य को नया आकार देने के सम्मिलित प्रयास को दर्शाते हैं।

इस प्रवृत्ति के साथ महत्वपूर्ण विधायी परिवर्तन भी हुए हैं, जैसे उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता की शुरुआत और वक्फ बोर्ड अधिनियम में संशोधन। इसके अलावा, बिना उचित कानूनी प्रक्रिया के मुसलमानों की स्वामित्व वाली संपत्तियों को ध्वस्त करने के लिए बुलडोजर का इस्तेमाल 2023 से बेरोकटोक जारी रहा, जो राज्य की शक्ति के (गलत) इस्तेमाल का प्रतीक है—जहां भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) की सरकारों ने एक बड़ी भूमिका निभाई है, और मुस्लिम समुदाय के खिलाफ भेदभावपूर्ण तरीके से इसका इस्तेमाल किया जा रहा है। 2023 और 2024 में बुलडोजर मुसलमानों को दी जाने वाली "सामूहिक सजा" का पर्याय बन गए हैं। विडंबना यह है कि बुलडोजर का इस्तेमाल मुसलमानों को सजा देने के लिए तब किया जाता है जब वे वही सांप्रदायिक दंगों के शिकार होते हैं। इसके अलावा, धार्मिक त्योहारों के दौरान सांप्रदायिक दंगों में वृद्धि, भारत के धर्मनिरपेक्ष और समग्र सांस्कृतिक ताने-बाने के नुकसान को लेकर चिंता को और अधिक बढ़ा दिया है।

इस संक्षिप्त अंतरिम रिपोर्ट के बाद, एक अधिक विस्तृत विश्लेषण की संभावना है, जो वर्तमान स्थिति और भविष्य की दिशा पर गहरी जानकारी प्रदान करेगा।

[1] उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश (जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस-आईएनसी द्वारा शासित राज्य हैं) में भी तेज सांप्रदायिक ध्रुवीकरण देखा गया है, जहां मुस्लिम अल्पसंख्यक आबादी को गाली-गलौज, अभद्र भाषा और मस्जिदों (संजौली और नंदी मस्जिद) पर हमलों के जरिए निशाना बनाया जा रहा है।https://sabrangindia.in/tensions-escalate-in-himachal-and-uttarakhand-mu...

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