बेशक हिंसक और अन्यायियों की संख्या बढ़ी है, पर सत्य और अहिंसा की ताकत कम तो नहीं हुई

Written by Mithun Prajapati | Published on: October 2, 2017
मैं कान में ईयरफोन लगाए गाना सुनते चला जा रहा था।  गाना अपनी मध्य लाइनों पर पहुंच चुका था- 

mahatma gandhi
 
धरती पर लड़ी तूने अजब ढंग की लड़ाई
दागी न कहीं तोप न बंदूक चलाई
दुश्मन के किले पर भी न की तूने चढ़ाई
वाह रे फकीर खूब करामात दिखाई।
 
मैं इमोशनल हो गया आंसू पोछने वाला था कि अगली लाइन बज पड़ी-
मन में थी अहिंसा की लगन तन पर लंगोटी
लाखों में  घूमता था लिए सत्य की सोटी
 
मैं बस गांधी में खोता चला गया । आंसू निकलना और तेज हो गए। इसके पहले की कोई मेरी आँखों मे आंसू देखे मैंने गाना बंद कर दिया। आंखे साफ ही कर रहा था कि पीछे से बापू की आवाज आई - रुको।

मैंने उनकी आवाज पर ठीक उसी तरह ध्यान नहीं दिया जैसे सरकारें गरीब निरीह जनता की आवाजें सुनती तो हैं पर उसपर प्रतिक्रिया देना मधुमक्खी के छत्ते में हाथ डालना समझती हैं।

मैंने और तेज़ चलना शुरू कर दिया। बापू ने फिर तेज़ से आवाज लगाई - रुक जाओ, मुझसे भागते क्यों हो ?
 
 मैं दौड़ना  चाहा लेकिन उसके पहले ही बापू ने पैर में लाठी डालकर मुझे गिरा दिया। मैं उठकर भागना चाह रहा था परंतु बापू के  हांड वाले हाथ ने मुझे  दबोच लिया। बापू मुझे बगल में आम के नीचे उगी घास पर लेकर गए और बगल में बैठाकर कहने लगे- तुम मुझसे इतना दूर क्यों भागते हो ?

बापू अपना हाथ मेरे सिर पर फिरा रहे थे। मैं नार्मल हो चुका था। इतना नॉर्मल की बापू से बात कर सकूं।
 
मैंने कहा- बापू, मैं आपके सवालों के जवाब नहीं दे पाता इसलिए आपसे भागता हूँ। 

बापू बोले- बनते तो बड़े जिगर वाले हो पर छोटे सवालों के जवाब नहीं होते तुम्हारे पास ?

मैं बस सिर झुकाए बापू को सुन रहा था। 
 
वे फिर बोले- अच्छा छोड़ो। ये बताओ तुम गाना सुनकर रोने क्यों लगे ?

 " बापू, आपकी जीवनी पढ़कर ,सुनकर बहुत आश्चर्य होता है और विश्वास ही नहीं होता कि इतनी बड़ी सत्ता को महज  अहिंसा और प्रेम के बल पर आपने उखाड़ फेंका। आप ही बताओ-  'दागी न कहीं तोप न बंदूक चलाई' इस लाइन को सुनकर किस इंसान का दिल नहीं पिघलेगा ?
 
"अच्छा, तुम्हारे अंदर दिल भी है ? हमें तो नज़र नहीं आया !!"
 
"बापू, अब मैं कैसे बताऊँ ?"
 
"बताने की क्या जरूरत, वह तो साफ दिखता है। उस  दिन पुलिस वाला तुम्हारी दुकान के सामने उस महिला को पीट रहा था तो तुम बीच मे हस्तक्षेप करके उसे बचाने क्यों नहीं गए, जबकि तुम्हें पता था कि महिला निर्दोष थी ?"
 
" बापू, मेरी सड़क पर ही दुकान है। पुलिस वाला मुझे पहचानता है। वह मुझसे हफ्ते भी वसूलता है। यदि मैं उस मामले में हस्तक्षेप करता तो अगले दिन मेरी दुकान जरूर बंद हो जाती। "
 
"वाह , यही दिल है तुम्हारे अंदर !! दया आती है पर शर्तों के साथ।  मतलब वहीं बोलोगे जहाँ अपने बिगाड़ का डर नहीं है। जरा सी अपने पर मुसीबत पड़ती दिखी की सत्य का साथ छोड़कर भागने लगते हो। यदि ऐसा ही है तो मुझे अपनी प्रेरणा मत माना करो। "
 
"बापू, बात ऐसी नहीं है। जमाना बहुत आगे बढ़ गया है। आपका दौर कुछ और था। मूर्ख थे पर संख्या में कम थे। लोग सत्य और अहिंसा समझते थे। सच के साथ खड़े होने वालों की प्रतिशतता ज्यादा थी। आज के दौर में यदि मैं उस पुलिस वाले से भिड़ता  तो पुलिस वाला उस  महिला को छोड़ मुझे दबोचता और किसी भी जुल्म में अंदर कर देता।"
 
इतना सुनते ही बापू के चेहरे पर व्यंग भरी मुस्कान फैल गयी।  सच में , उस मुस्कान में इतनी ताकत थी कि किसी भी व्यक्ति के गुस्से , नफरत , बैर को क्षण भर में गायब कर दे। उन्होंने मेरे चेहरे की तरफ देखा और कहने लगे- भ्रम में हैं आप, बेशक हो सकता है कि हिंसा में विश्वास रखने वाले, झूठे, फरेबियों की तादात बढ़ी हो पर अहिंसा और सत्य की ताकत तो नहीं घटी ? जरूरत है सच्चे लगन से इसे अपनाने की। अहिंसा ही वह मार्ग है जिससे हर दौर में युद्ध , घृणा ,द्वेष को जीता जा सकता है।

मैंने कहा- बापू, मैं आपकी बात से सहमत हूँ पर आपके जाने के बाद बहुत बुरे वक्त से गुजर रहा है भारत। आप जिस चीज के लिए जिंदगी खपा दिए उसका महत्व ही लोग न समझ सके। भक्ति का दौर चल पड़ा है।  सवाल पूछने पर प्रतिबंध है, हक़ मांगने पर प्रतिबंध है। यहाँ तक कि हम अपनी चुनी हुई सरकार से प्रश्न करते हैं तो जनता में से ही कोई दहाड़ने लगता है कि इसे मारो, यह देश द्रोही है। अभी आपने देखा ही होगा लड़कियां बस अपनी सुरक्षा की मांग कर रही थीं कि उनपर लाठीचार्ज हो गया। बताओ बापू, क्या सुरक्षा की मांग करना लोकतन्त्र के खिलाफ है ?

 बापू शांत रहे। वह मुझे बस सुनते रहे। उनके चेहरे पर थोड़ी चिंता दिखी। मैंने फिर कहना शुरू किया- बापू, मामला उतना सीधा नहीं रह गया है। अन्याय के खिलाफ  उठी आवाज किसी तरह सरकार के पास पहुंच जाती है तो कुछ का कुछ जवाब मिलता है। प्रधानमंत्री से किसी ने कहा कि देश मे मोब लिंचिंग बढ़ गयी है आप इसके खिलाफ एक्शन लीजिए  तो प्रधानमंत्री ने जवाब में कहा कि हमारे जवान सीमा पर लड़ तो रहे हैं। किसी ने सवाल किया कि आप गाय के नाम पर हो रही हिंसा को रोकते क्यों नहीं तो उन्होंने जवाब दिया कि भारत ने बढ़िया क्रिकेट खेला, मैं जीत की बधाई देता हूँ। बताओ बापू, आपने ऐसे लोकतंत्र का सपना देखा था ? 
 
बापू बस सिर झुकाए घास में न जाने क्या ढूंढ रहे थे। तबतक नवरात्रि में देवी माँ के सामने DJ में बजने वाले गाने की आवाज तेज हो गयी और मेरी नींद खुल गयी।  मैं बिस्तर पर उठकर बैठ गया और बापू-बापू कहके उन्हें खोजने लगा , पर बापू तो चले गए। सपना टूटने के बाद की चीजें कहाँ दिखाई देती हैं। काश DJ कुछ देर और न बजता तो बापू के साथ  कुछ पल और बिताने को मिलता।
 

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