यूनियन ने प्रबंधन और केंद्र सरकार पर निजी कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए बीएसएनएल को व्यवस्थित रूप से नष्ट करने की नीतियों का आरोप लगाया है।
बीएसएनएल कर्मचारी संघ (बीएसएनएलईयू) ने सार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार कंपनी बीएसएनएल में संकट के लिए केंद्र सरकार और प्रबंधन की दोषपूर्ण नीतियों की आलोचना की है और एक अन्य स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) लागू करने की किसी भी योजना को रोकने का आग्रह किया है।
यूनियन ने फाइबर टू द होम (एफटीटीएच) कनेक्शन के प्रावधान और रखरखाव के लिए तीसरे पक्ष को नियुक्त करने के लिए मैनपावर की कमी के अपने दावों पर प्रबंधन के दोहरे मानकों पर सवाल उठाया है, जबकि संगठन द्वारा उठाए गए नुकसान के लिए अतिरिक्त कर्मचारियों का हवाला दिया गया है।
बीएसएनएल 2014 से कई चुनौतियों का सामना कर रहा है। केंद्र सरकार 4 जी सेवाओं के कार्यान्वयन में देरी कर रही है, जबकि अधिकांश निजी कंपनियां 5 जी सेवाएं दे रही हैं।
यूनियन ने कहा कि संगठन में अगला वीआरएस संभावित रूप से शिक्षित युवाओं के लिए रोजगार के अवसरों को खत्म कर देगा और कर्मचारियों को शोषण करने के लिए इंतजार कर रहे निजी संगठनों की रहमो करम पर छोड़ देगा।
सार्वजनिक क्षेत्र की प्रमुख दूरसंचार कंपनी ने 2020 में पहला वीआरएस लागू किया था जिसके नतीजे में बीएसएनएल और इसकी कॉर्पोरेट समर्थक नीतियों के प्रति केंद्र सरकार के उदासीन रवैये को देखते हुए लगभग 80,000 कर्मचारियों ने इस योजना का चयन किया।
संगठन के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक को लिखे एक पत्र में बीएसएनएलईयू ने केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (सीपीएसयू) के कर्मचारियों की संख्या को और कम करने के लिए एक और वीआरएस की प्रस्तावित योजनाओं की आलोचना की है। मार्च 2024 तक केवल 29,750 कार्यकारी और 26,750 गैर-कार्यकारी इस संगठन के साथ काम कर रहे थे जिससे कर्मचारियों की संख्या में कमी का पता चलता है।
बीएसएनएल कथित तौर पर अपने राजस्व का 38% कर्मचारियों को वेतन देने पर खर्च कर रहा है, जबकि अन्य निजी ऑपरेटरों का यह आंकड़ा सिंगल डिजिट में बताया जाता है।
बीएसएनएलईयू के पत्र में कहा गया है, "जियो और एयरटेल भारी राजस्व कमा रहे हैं और इस तरह वेतन भुगतान के लिए उनके खर्च का प्रतिशत उनके राजस्व की तुलना में न के बराबर है।"
यूनियन ने आरोप लगाया है कि सरकार और प्रबंधन की नीतियां बीएसएनएल संकट का मुख्य कारण बनी हुई हैं, लेकिन प्रबंधन यह दिखाने की कोशिश कर रहा है कि कर्मचारियों की संख्या ही संकट का कारण है।
बीएसएनएल में 2019, 2022 और 2023 में तीन रिवाइवल पैकेज लागू किए गए, लेकिन संगठन के राजस्व में कोई सुधार नहीं हुआ है। निजी कंपनियों द्वारा 5जी सेवाएं शुरू करने के बावजूद 4जी सेवाओं की कमी को ग्राहकों की हानि और उसके बाद राजस्व में कमी के लिए एक बड़ी चिंता के रूप में बताया गया है।
इस पत्र में कहा गया है कि जहां भी टीसीएस द्वारा 4जी इंस्टॉलेशन पूरा किया गया है वहां ग्राहकों को गुणवत्तापूर्ण वॉयस और डेटा सेवाएं प्राप्त करने में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। देश के कई हिस्सों में इंस्टॉलेशन पूरा होने में काफी देरी हो रही है।
बीएसएनएलईयू ने कहा कि केंद्र द्वारा बीएसएनएल को प्रतिष्ठित इंटरनेशन वेंडर्स से उच्च गुणवत्ता वाले उपकरण खरीदने से रोकने के बाद “भयानक स्थिति” पैदा हुई है, जबकि निजी कंपनियां ऐसे उपकरणों का इस्तेमाल कर रहे हैं जो उन्हें गुणवत्तापूर्ण सेवाएं देने में मदद करते हैं।
सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) की संसदीय समिति ने दिसंबर 2024 में संसद को सौंपी गई एक रिपोर्ट में निजी प्रदाताओं के बराबर गुणवत्तापूर्ण सेवाएं देने में बीएसएनएल द्वारा सामना किए जाने वाले नुकसान और रूकावटों का हवाला दिया है।
समिति ने 4जी तकनीक को अपनाने में बीएसएनएल की देरी पर भी ध्यान दिया, जिससे 4जी और 5जी के प्रभुत्व वाले बाजार में यह नुकसान में है जहां अब तक एक लाख प्लांड साइटों में से केवल 200 ही चालू हो पाई हैं।
बीएसएनएल अपना अधिकांश राजस्व लैंडलाइन कनेक्शनों से कमा रहा था जिनकी सेवाएं 2020 में लागू वीआरएस से बुरी तरह प्रभावित हुईं जबकि एक अन्य महत्वपूर्ण राजस्व स्रोत ब्रॉडबैंड कनेक्शन को आउटसोर्स किया गया।
यूनियन ने कहा कि विशाल ऑप्टिक फाइबर नेटवर्क के बावजूद बीएसएनएल को अपने लैंडलाइन कनेक्शन बेस का विस्तार करने से रोका गया जबकि जियो सबसे बड़ी सेवा प्रदाता के रूप में उभरने में कामयाब रही है।
एफटीटीएच सेवाओं ने भी बीएसएनएल के लिए काफी राजस्व हासिल किया लेकिन एफटीटीएच के प्रावधान और रखरखाव के लिए निजी भागीदारों को शामिल करने की मौजूदा व्यवस्था संगठन को बुरी तरह से नुकसान पहुंचा रही है।
इस पत्र में कहा गया है, बीएसएनएल द्वारा नियुक्त निजी पार्टियों से सेवा की कमी के कारण ग्राहक बीएसएनएल एफटीटीएच सेवाओं को बंद कर रहे हैं और निजी सेवाओं को चुन रहे हैं।
बीएसएनएलईयू ने प्रबंधन और केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि वे कॉरपोरेट्स के पक्ष में नीतियां बनाने के बजाय ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण सेवाएं सुनिश्चित करने में सबसे बड़े सीपीएसयू के पक्ष में नीतियां अपनाएं।
साभार: न्यूज़क्लिक
बीएसएनएल कर्मचारी संघ (बीएसएनएलईयू) ने सार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार कंपनी बीएसएनएल में संकट के लिए केंद्र सरकार और प्रबंधन की दोषपूर्ण नीतियों की आलोचना की है और एक अन्य स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) लागू करने की किसी भी योजना को रोकने का आग्रह किया है।
यूनियन ने फाइबर टू द होम (एफटीटीएच) कनेक्शन के प्रावधान और रखरखाव के लिए तीसरे पक्ष को नियुक्त करने के लिए मैनपावर की कमी के अपने दावों पर प्रबंधन के दोहरे मानकों पर सवाल उठाया है, जबकि संगठन द्वारा उठाए गए नुकसान के लिए अतिरिक्त कर्मचारियों का हवाला दिया गया है।
बीएसएनएल 2014 से कई चुनौतियों का सामना कर रहा है। केंद्र सरकार 4 जी सेवाओं के कार्यान्वयन में देरी कर रही है, जबकि अधिकांश निजी कंपनियां 5 जी सेवाएं दे रही हैं।
यूनियन ने कहा कि संगठन में अगला वीआरएस संभावित रूप से शिक्षित युवाओं के लिए रोजगार के अवसरों को खत्म कर देगा और कर्मचारियों को शोषण करने के लिए इंतजार कर रहे निजी संगठनों की रहमो करम पर छोड़ देगा।
सार्वजनिक क्षेत्र की प्रमुख दूरसंचार कंपनी ने 2020 में पहला वीआरएस लागू किया था जिसके नतीजे में बीएसएनएल और इसकी कॉर्पोरेट समर्थक नीतियों के प्रति केंद्र सरकार के उदासीन रवैये को देखते हुए लगभग 80,000 कर्मचारियों ने इस योजना का चयन किया।
संगठन के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक को लिखे एक पत्र में बीएसएनएलईयू ने केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (सीपीएसयू) के कर्मचारियों की संख्या को और कम करने के लिए एक और वीआरएस की प्रस्तावित योजनाओं की आलोचना की है। मार्च 2024 तक केवल 29,750 कार्यकारी और 26,750 गैर-कार्यकारी इस संगठन के साथ काम कर रहे थे जिससे कर्मचारियों की संख्या में कमी का पता चलता है।
बीएसएनएल कथित तौर पर अपने राजस्व का 38% कर्मचारियों को वेतन देने पर खर्च कर रहा है, जबकि अन्य निजी ऑपरेटरों का यह आंकड़ा सिंगल डिजिट में बताया जाता है।
बीएसएनएलईयू के पत्र में कहा गया है, "जियो और एयरटेल भारी राजस्व कमा रहे हैं और इस तरह वेतन भुगतान के लिए उनके खर्च का प्रतिशत उनके राजस्व की तुलना में न के बराबर है।"
यूनियन ने आरोप लगाया है कि सरकार और प्रबंधन की नीतियां बीएसएनएल संकट का मुख्य कारण बनी हुई हैं, लेकिन प्रबंधन यह दिखाने की कोशिश कर रहा है कि कर्मचारियों की संख्या ही संकट का कारण है।
बीएसएनएल में 2019, 2022 और 2023 में तीन रिवाइवल पैकेज लागू किए गए, लेकिन संगठन के राजस्व में कोई सुधार नहीं हुआ है। निजी कंपनियों द्वारा 5जी सेवाएं शुरू करने के बावजूद 4जी सेवाओं की कमी को ग्राहकों की हानि और उसके बाद राजस्व में कमी के लिए एक बड़ी चिंता के रूप में बताया गया है।
इस पत्र में कहा गया है कि जहां भी टीसीएस द्वारा 4जी इंस्टॉलेशन पूरा किया गया है वहां ग्राहकों को गुणवत्तापूर्ण वॉयस और डेटा सेवाएं प्राप्त करने में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। देश के कई हिस्सों में इंस्टॉलेशन पूरा होने में काफी देरी हो रही है।
बीएसएनएलईयू ने कहा कि केंद्र द्वारा बीएसएनएल को प्रतिष्ठित इंटरनेशन वेंडर्स से उच्च गुणवत्ता वाले उपकरण खरीदने से रोकने के बाद “भयानक स्थिति” पैदा हुई है, जबकि निजी कंपनियां ऐसे उपकरणों का इस्तेमाल कर रहे हैं जो उन्हें गुणवत्तापूर्ण सेवाएं देने में मदद करते हैं।
सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) की संसदीय समिति ने दिसंबर 2024 में संसद को सौंपी गई एक रिपोर्ट में निजी प्रदाताओं के बराबर गुणवत्तापूर्ण सेवाएं देने में बीएसएनएल द्वारा सामना किए जाने वाले नुकसान और रूकावटों का हवाला दिया है।
समिति ने 4जी तकनीक को अपनाने में बीएसएनएल की देरी पर भी ध्यान दिया, जिससे 4जी और 5जी के प्रभुत्व वाले बाजार में यह नुकसान में है जहां अब तक एक लाख प्लांड साइटों में से केवल 200 ही चालू हो पाई हैं।
बीएसएनएल अपना अधिकांश राजस्व लैंडलाइन कनेक्शनों से कमा रहा था जिनकी सेवाएं 2020 में लागू वीआरएस से बुरी तरह प्रभावित हुईं जबकि एक अन्य महत्वपूर्ण राजस्व स्रोत ब्रॉडबैंड कनेक्शन को आउटसोर्स किया गया।
यूनियन ने कहा कि विशाल ऑप्टिक फाइबर नेटवर्क के बावजूद बीएसएनएल को अपने लैंडलाइन कनेक्शन बेस का विस्तार करने से रोका गया जबकि जियो सबसे बड़ी सेवा प्रदाता के रूप में उभरने में कामयाब रही है।
एफटीटीएच सेवाओं ने भी बीएसएनएल के लिए काफी राजस्व हासिल किया लेकिन एफटीटीएच के प्रावधान और रखरखाव के लिए निजी भागीदारों को शामिल करने की मौजूदा व्यवस्था संगठन को बुरी तरह से नुकसान पहुंचा रही है।
इस पत्र में कहा गया है, बीएसएनएल द्वारा नियुक्त निजी पार्टियों से सेवा की कमी के कारण ग्राहक बीएसएनएल एफटीटीएच सेवाओं को बंद कर रहे हैं और निजी सेवाओं को चुन रहे हैं।
बीएसएनएलईयू ने प्रबंधन और केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि वे कॉरपोरेट्स के पक्ष में नीतियां बनाने के बजाय ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण सेवाएं सुनिश्चित करने में सबसे बड़े सीपीएसयू के पक्ष में नीतियां अपनाएं।
साभार: न्यूज़क्लिक