30 जनवरी की दोपहर को नागपुर शहर में तीन जगहों से महात्मा गांधी की हत्या को दर्शाने वाले ग्राफिक बिलबोर्ड हटाए गए।
एक चौंकाने वाली घटना में नागपुर में महात्मा गांधी की हत्या को दर्शाने वाले बिलबोर्ड हटा दिए गए।ये बात हम भारत के लोग (HBKL) द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है। इसने इस कृत्य की निंदा की है जहां समूह ने कहा है कि “महात्मा गांधी की हत्या का सार्वजनिक तौर पर दिखाना भी मना है।”
इस साल, गांधीजी की शहादत की स्मृति की 77वीं वर्षगांठ मनाई गई। उनकी हत्या 30 जनवरी, 1948 को ठीक शाम 5.17 बजे की गई थी। राष्ट्रीय परंपरा को ध्यान में रखते हुए, HBKL ने इस दिन को राष्ट्रीय आत्मनिरीक्षण के दिन के रूप में मनाने के लिए नागरिकों, जन आंदोलनों और राजनीतिक दलों को शामिल करने का प्रयास किया है। इसका उद्देश्य महात्मा गांधी की शहादत को उनके मूल्यों और शिक्षाओं के संदर्भ में याद करना है, जैसा कि हम अपने स्वतंत्रता संग्राम के सभी शहीदों को याद करते हैं।
इस उद्देश्य से, मंच ने स्थानीय मदद के साथ नागपुर शहर में छह होर्डिंग लगाए थे जहां हम भारत के लोग (नागपुर) और गांधी स्मारक निधि (नागपुर) इस पहल में सक्रिय रूप से शामिल थे। केरल के एक कलाकार के रचनात्मक प्रयास पर आधारित होर्डिंग नागपुर में छह स्थानों पर लगाए गए थे।
इनमें वैरायटी स्क्वायर एफटीएफ लोकमत, गांधी प्रतिमा सीए रोड, त्रिमूर्ति नगर स्क्वायर, लक्ष्मण नगर स्क्वायर, आकाशवाणी स्क्वायर और भोले पेट्रोल पंप शामिल हैं। होर्डिंग 29 जनवरी की देर शाम को लगाए गए थे। इनमें से एक जगह महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस (भाजपा) का निर्वाचन क्षेत्र भी शामिल था।
इस साहसिक प्रयास का कोऑर्डिनेट कर रही प्रज्वला टाटे (एचबीकेएल, नागपुर) के अनुसार, "जिस कंपनी को हमने ठेका दिया था, उसने हमें फोन करना शुरू कर दिया कि उन्हें होर्डिंग हटाने होंगे, क्योंकि उनमें 'हिंसा को दर्शाया गया है'। साफ तौर से, विज्ञापन कंपनी को सरकार द्वारा धमकाया और दबाव डाला जा रहा था, हालांकि वह यह बात रिकॉर्ड पर कहने को तैयार नहीं था। उसने यह भी कहा कि आप गांधीजी की शवयात्रा के होर्डिंग लगा सकते हैं। खैर, मैंने उससे कहा कि यह तय करना उसका काम नहीं है। होर्डिंग 30 जनवरी को दोपहर 1.00 बजे से 2.00 बजे के बीच उतारे गए।
31 जनवरी को जारी एक बयान में एचबीकेएल ने कहा कि केंद्र में मौजूदा सरकार के तहत पूरे देश ने अलीगढ़ में गांधीजी की पुण्यतिथि, शौर्य दिवस के रूप में मनाने के लिए गांधीजी के पुतले पर गोली चलाने वाली पूजा शकुन पांडे (हिंदू महासभा की राष्ट्रीय सचिव) का वीडियो देखा है। नफरत और हिंसा को बढ़ावा देने के लिए उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।
ऐसे समय में जब "हमारे राष्ट्रपिता बापू के हत्यारे नाथूराम गोडसे के सम्मान में मंदिर बनाए जा रहे हैं," बापू की मृत्यु को दर्शाने वाले होर्डिंग को हटा दिया गया, वह भी उस शहर में जहां राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का मुख्यालय है।
संगठन ने महात्मा गांधी की हत्या पर राष्ट्रीय बहस की मांग की है और महात्मा गांधी के विचारों और नैतिक मूल्यों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है।
ये बयान डॉ. जी.जी. पारिख, तुषार गांधी, फिरोज मीठीबोरवाला, गुड्डी एस.एल., शरद कदम, धनंजय शिंदे, संतोष अंबेकर, अली भोजानी, सिद्धेश कदम, वनिता टोंडवलकर, यशोधन परांजपे और अर्चना ताजने ने जारी किया है।
एक चौंकाने वाली घटना में नागपुर में महात्मा गांधी की हत्या को दर्शाने वाले बिलबोर्ड हटा दिए गए।ये बात हम भारत के लोग (HBKL) द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है। इसने इस कृत्य की निंदा की है जहां समूह ने कहा है कि “महात्मा गांधी की हत्या का सार्वजनिक तौर पर दिखाना भी मना है।”
इस साल, गांधीजी की शहादत की स्मृति की 77वीं वर्षगांठ मनाई गई। उनकी हत्या 30 जनवरी, 1948 को ठीक शाम 5.17 बजे की गई थी। राष्ट्रीय परंपरा को ध्यान में रखते हुए, HBKL ने इस दिन को राष्ट्रीय आत्मनिरीक्षण के दिन के रूप में मनाने के लिए नागरिकों, जन आंदोलनों और राजनीतिक दलों को शामिल करने का प्रयास किया है। इसका उद्देश्य महात्मा गांधी की शहादत को उनके मूल्यों और शिक्षाओं के संदर्भ में याद करना है, जैसा कि हम अपने स्वतंत्रता संग्राम के सभी शहीदों को याद करते हैं।
इस उद्देश्य से, मंच ने स्थानीय मदद के साथ नागपुर शहर में छह होर्डिंग लगाए थे जहां हम भारत के लोग (नागपुर) और गांधी स्मारक निधि (नागपुर) इस पहल में सक्रिय रूप से शामिल थे। केरल के एक कलाकार के रचनात्मक प्रयास पर आधारित होर्डिंग नागपुर में छह स्थानों पर लगाए गए थे।
इनमें वैरायटी स्क्वायर एफटीएफ लोकमत, गांधी प्रतिमा सीए रोड, त्रिमूर्ति नगर स्क्वायर, लक्ष्मण नगर स्क्वायर, आकाशवाणी स्क्वायर और भोले पेट्रोल पंप शामिल हैं। होर्डिंग 29 जनवरी की देर शाम को लगाए गए थे। इनमें से एक जगह महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस (भाजपा) का निर्वाचन क्षेत्र भी शामिल था।
इस साहसिक प्रयास का कोऑर्डिनेट कर रही प्रज्वला टाटे (एचबीकेएल, नागपुर) के अनुसार, "जिस कंपनी को हमने ठेका दिया था, उसने हमें फोन करना शुरू कर दिया कि उन्हें होर्डिंग हटाने होंगे, क्योंकि उनमें 'हिंसा को दर्शाया गया है'। साफ तौर से, विज्ञापन कंपनी को सरकार द्वारा धमकाया और दबाव डाला जा रहा था, हालांकि वह यह बात रिकॉर्ड पर कहने को तैयार नहीं था। उसने यह भी कहा कि आप गांधीजी की शवयात्रा के होर्डिंग लगा सकते हैं। खैर, मैंने उससे कहा कि यह तय करना उसका काम नहीं है। होर्डिंग 30 जनवरी को दोपहर 1.00 बजे से 2.00 बजे के बीच उतारे गए।
31 जनवरी को जारी एक बयान में एचबीकेएल ने कहा कि केंद्र में मौजूदा सरकार के तहत पूरे देश ने अलीगढ़ में गांधीजी की पुण्यतिथि, शौर्य दिवस के रूप में मनाने के लिए गांधीजी के पुतले पर गोली चलाने वाली पूजा शकुन पांडे (हिंदू महासभा की राष्ट्रीय सचिव) का वीडियो देखा है। नफरत और हिंसा को बढ़ावा देने के लिए उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।
ऐसे समय में जब "हमारे राष्ट्रपिता बापू के हत्यारे नाथूराम गोडसे के सम्मान में मंदिर बनाए जा रहे हैं," बापू की मृत्यु को दर्शाने वाले होर्डिंग को हटा दिया गया, वह भी उस शहर में जहां राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का मुख्यालय है।
संगठन ने महात्मा गांधी की हत्या पर राष्ट्रीय बहस की मांग की है और महात्मा गांधी के विचारों और नैतिक मूल्यों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है।
ये बयान डॉ. जी.जी. पारिख, तुषार गांधी, फिरोज मीठीबोरवाला, गुड्डी एस.एल., शरद कदम, धनंजय शिंदे, संतोष अंबेकर, अली भोजानी, सिद्धेश कदम, वनिता टोंडवलकर, यशोधन परांजपे और अर्चना ताजने ने जारी किया है।