एफआईआर में कहा गया है कि शिक्षिका सुमन मसंद ने दावा किया है कि उनके पास एक ऑडियो रिकॉर्डिंग है, जिसमें लालवानी ने एक विशेष समुदाय के छात्रों को दाखिला न देने के निर्देश दिए हैं।

नागपुर के एक प्रमुख स्कूल के ट्रस्टी के खिलाफ पुलिस ने मामला दर्ज किया है। आरोप है कि ट्रस्टी के निर्देश पर एक छात्रा को कथित तौर पर दाखिला देने से मना कर दिया गया। उन्होंने कथित रूप से मौखिक निर्देश दिया था कि एक विशेष अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों को दाखिला नहीं दिया जाना चाहिए।
इस मामले में शिकायतकर्ता उसी स्कूल की प्रिंसिपल हैं। उन्होंने एक छात्रा को दाखिला न दिए जाने की जानकारी मिलने के बाद पुलिस से संपर्क किया।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, नागपुर पुलिस ने जरीपटका इलाके में स्थित दयानंद आर्य कन्या विद्यालय के सचिव के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 299 के तहत मामला दर्ज किया है। उन पर जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्य करने का आरोप है, जिसका उद्देश्य किसी वर्ग की धार्मिक आस्थाओं का अपमान कर उसकी भावनाओं को ठेस पहुंचाना है।
यह घटना 8 मई को उस समय हुई जब एक परिवार अपनी बेटी के लिए कक्षा 6 में दाखिला लेने के लिए स्कूल पहुंचा। एफआईआर के अनुसार, स्कूल चलाने वाली आर्य विद्या सभा के सचिव राजेश लालवानी के निर्देश पर शिक्षिका अनीता आर्य ने परिवार को बताया कि कोई सीट खाली नहीं है और सलाह दी कि छात्रा अपने वर्तमान स्कूल में ही पढ़ाई जारी रखे।
इस प्रक्रिया के दौरान सहायक शिक्षिका सुमन मसंद ने प्रिंसिपल डॉ. गीता हरवानी के सामने यह मुद्दा उठाने का निर्णय लिया, क्योंकि स्कूल में अभी भी सीटें उपलब्ध थीं। जब डॉ. हरवानी ने इस मामले की जानकारी ली, तो उन्हें दाखिला प्रक्रिया में शामिल कर्मचारियों ने बताया कि स्कूल सचिव राजेश लालवानी ने कथित तौर पर विशेष समुदाय की छात्राओं को दाखिला न देने के निर्देश दिए थे। एफआईआर में यह भी उल्लेख है कि सुमन मसंद के पास लालवानी के इस निर्देश की ऑडियो रिकॉर्डिंग मौजूद है।
इसके बाद, डॉ. हरवानी ने छात्रा के परिवार के साथ मिलकर अधिकारियों के समक्ष यह मामला उठाने का निर्णय लिया। महाराष्ट्र राज्य अल्पसंख्यक आयोग को एक औपचारिक शिकायत भेजी गई। 13 मई को जिला बाल संरक्षण इकाई के अधिकारी जांच के लिए स्कूल पहुंचे। उन्होंने शिक्षिका और छात्रा की मां से बातचीत की, बयान दर्ज किए और घटना की जानकारी ली।
इसके बाद, 14 मई को स्कूल सचिव राजेश लालवानी, एडमिशन इंचार्ज सिमरन ज्ञानचंदानी और शिक्षिका अनीता आर्य के खिलाफ पुलिस में औपचारिक शिकायत दर्ज कराई गई। आरोपों में धार्मिक भेदभाव और छात्रा के परिवार को मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का आरोप शामिल है।
जरीपटका पुलिस ने कहा है कि मामले की जांच की जा रही है।
छात्रा के माता-पिता ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि स्कूल ने अब उनसे दाखिला प्रक्रिया शुरू करने के लिए आवश्यक दस्तावेज जमा करने को कहा है।

नागपुर के एक प्रमुख स्कूल के ट्रस्टी के खिलाफ पुलिस ने मामला दर्ज किया है। आरोप है कि ट्रस्टी के निर्देश पर एक छात्रा को कथित तौर पर दाखिला देने से मना कर दिया गया। उन्होंने कथित रूप से मौखिक निर्देश दिया था कि एक विशेष अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों को दाखिला नहीं दिया जाना चाहिए।
इस मामले में शिकायतकर्ता उसी स्कूल की प्रिंसिपल हैं। उन्होंने एक छात्रा को दाखिला न दिए जाने की जानकारी मिलने के बाद पुलिस से संपर्क किया।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, नागपुर पुलिस ने जरीपटका इलाके में स्थित दयानंद आर्य कन्या विद्यालय के सचिव के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 299 के तहत मामला दर्ज किया है। उन पर जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्य करने का आरोप है, जिसका उद्देश्य किसी वर्ग की धार्मिक आस्थाओं का अपमान कर उसकी भावनाओं को ठेस पहुंचाना है।
यह घटना 8 मई को उस समय हुई जब एक परिवार अपनी बेटी के लिए कक्षा 6 में दाखिला लेने के लिए स्कूल पहुंचा। एफआईआर के अनुसार, स्कूल चलाने वाली आर्य विद्या सभा के सचिव राजेश लालवानी के निर्देश पर शिक्षिका अनीता आर्य ने परिवार को बताया कि कोई सीट खाली नहीं है और सलाह दी कि छात्रा अपने वर्तमान स्कूल में ही पढ़ाई जारी रखे।
इस प्रक्रिया के दौरान सहायक शिक्षिका सुमन मसंद ने प्रिंसिपल डॉ. गीता हरवानी के सामने यह मुद्दा उठाने का निर्णय लिया, क्योंकि स्कूल में अभी भी सीटें उपलब्ध थीं। जब डॉ. हरवानी ने इस मामले की जानकारी ली, तो उन्हें दाखिला प्रक्रिया में शामिल कर्मचारियों ने बताया कि स्कूल सचिव राजेश लालवानी ने कथित तौर पर विशेष समुदाय की छात्राओं को दाखिला न देने के निर्देश दिए थे। एफआईआर में यह भी उल्लेख है कि सुमन मसंद के पास लालवानी के इस निर्देश की ऑडियो रिकॉर्डिंग मौजूद है।
इसके बाद, डॉ. हरवानी ने छात्रा के परिवार के साथ मिलकर अधिकारियों के समक्ष यह मामला उठाने का निर्णय लिया। महाराष्ट्र राज्य अल्पसंख्यक आयोग को एक औपचारिक शिकायत भेजी गई। 13 मई को जिला बाल संरक्षण इकाई के अधिकारी जांच के लिए स्कूल पहुंचे। उन्होंने शिक्षिका और छात्रा की मां से बातचीत की, बयान दर्ज किए और घटना की जानकारी ली।
इसके बाद, 14 मई को स्कूल सचिव राजेश लालवानी, एडमिशन इंचार्ज सिमरन ज्ञानचंदानी और शिक्षिका अनीता आर्य के खिलाफ पुलिस में औपचारिक शिकायत दर्ज कराई गई। आरोपों में धार्मिक भेदभाव और छात्रा के परिवार को मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का आरोप शामिल है।
जरीपटका पुलिस ने कहा है कि मामले की जांच की जा रही है।
छात्रा के माता-पिता ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि स्कूल ने अब उनसे दाखिला प्रक्रिया शुरू करने के लिए आवश्यक दस्तावेज जमा करने को कहा है।