मध्य प्रदेश: RSS जॉइन करने का दलित प्रोफेसर पर दबाव, हाईकोर्ट ने सात दिनों में रिपोर्ट देने को कहा

Written by sabrang india | Published on: January 24, 2025
प्रोफेसर चौधरी ने एसपी को शिकायत की लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई जिसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट का रुख किया।


फोटो साभार : आज तक

मध्य प्रदेश के सीधी जिले के एक दलित प्रोफेसर डॉ. रामजस चौधरी का मामला अब हाईकोर्ट पहुंच गया है। उन पर जानलेवा हमला किया गया और नौकरी से अवैधानिक तरीके से बर्खास्त किया गया। न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की खंडपीठ ने सीधी के एसपी को आदेश दिया कि सात दिनों के भीतर सभी आरोपियों पर आपराधिक कार्यवाही करें।

द मूकनायक की रिपोरट के अनुसार, डॉ. रामजस चौधरी, जो सीधी जिले के एक कॉलेज में वाणिज्य विभाग के गेस्ट फैकल्टी थे, उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका (क्रमांक 488/2025) दायर कर आरोप लगाया कि कॉलेज की प्राचार्य गीता भारती और उनके पति एस.आर. भारती समेत 20 लोगों ने स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की सदस्यता लेने और उनके कार्यक्रमों में आर्थिक सहयोग करने का दबाव बनाया। जब उन्होंने इसका विरोध किया, तो उनके साथ दुर्व्यवहार, किया गया और उन्हें बाथरूम में बंद करने जैसी घटनाएं हुईं।

प्रोफेसर डॉ. चौधरी ने पुलिस और एसपी कार्यालय को मामले की शिकायत की लेकिन राजनीतिक दबाव के चलते आरोपियों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट दरवाजा खटखटाया।

प्रोफेसर चौधरी ने कहा कि जब उन्होंने आरोपियों की बात नहीं मानी तो कॉलेज में उन्हें शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया। इस घटना के बाद कॉलेज प्रिंसिपल ने शिकायत वापस लेने का दबाव बनाया। शिकायत वापस न लेने पर उन्हें 10 दिसंबर 2024 को अवैधानिक रूप से नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया।

हालांकि, उच्च शिक्षा विभाग के आयुक्त ने प्रोफैसर चौधरी की बर्खास्तगी को अवैध मानते हुए इस महीने की 17 जनवरी को प्रोफेसर चौधरी को फिर से बहाल कर दिया।

हाई कोर्ट में याचिका पर सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील रामेश्वर सिंह ठाकुर और विनायक प्रसाद शाह ने डॉ. चौधरी की ओर से प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने अदालत को बताया कि शिकायत के बावजूद पुलिस ने अब तक आरोपियों पर कोई कार्रवाई नहीं की है। मामले की गंभीरता को देखते हुए हाईकोर्ट ने सीधी के एसपी को सात दिनों के भीतर सभी आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया।

प्रोफेसर चौधरी ने अपनी याचिका में 20 लोगों को आरोपी बनाया है। इनमें कॉलेज प्राचार्य गीता भारती, उनके पति एस.आर. भारती, सहायक अध्यापक राजकिशोर तिवारी, संदीप कुमार शर्मा, विपेंद्र द्विवेदी, डॉ. सुरेश तिवारी, और अन्य आरएसएस कार्यकर्ता शामिल हैं।

द मूकनायक से बातचीत करते हुए, वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ने बताया, दलित प्रोफेसर डॉ. रामजस चौधरी पर आरएसएस की सदस्यता न लेने के कारण हमले और अवैध बर्खास्तगी के मामले में हाईकोर्ट ने सीधी एसपी को सात दिनों के भीतर आरोपियों पर कार्रवाई का निर्देश दिया है। डॉ. चौधरी ने कॉलेज प्राचार्य गीता भारती और 19 अन्य लोगों पर दबाव बनाने और प्रताड़ना का आरोप लगाया था। उच्च शिक्षा विभाग ने उनकी बर्खास्तगी को अवैध ठहराकर बहाल किया, लेकिन पुलिस द्वारा कार्रवाई न होने पर उन्होंने हाईकोर्ट का रुख किया।

प्रोफेसर चौधरी ने द मूलनायक से बातचीत में कहा, “मुझसे आरएसएस की सदस्यता लेने और उनके कार्यक्रमों में आर्थिक सहयोग देने का दबाव बनाया गया। जब मैंने इनकार किया, तो मुझ पर हमला किया गया। मेरे साथ हुए अन्याय के खिलाफ मैंने अदालत का दरवाजा खटखटाया। मुझे न्याय की उम्मीद है।”

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