दिल्ली सरकार ने साल 2020 की शुरूआत में कोविड महामारी के दौरान फ्रंटलाइन वर्कर्स की मृत्यु पर पीड़ित परिवार को एक करोड़ रुपये देने का वादा किया था। लेकिन पांच साल गुजरने के बाद भी 40 प्रतिशत आवेदकों को यह राशि नहीं मिली।
प्रतीकात्मक तस्वीर; साभार : इकोनॉमिक टाइम्स
साल 2020 की शुरूआत से देश में कोविड-19 महामारी पैर पसारने लगा था। लोगों में डर का माहौल था। मामले बढ़ते जा रहे थे। इस महामारी से प्रभावित लोगों की संख्या धीरे धीरे बढ़ रहे थे। अस्पतालों में भीड़ बढ़ती जा रही थी। ऐसे में देश भर की तरह दिल्ली के अस्पतालों की भी पोल खुल चुकी थी। इस संकट की घड़ी में डॉक्टर, नर्स, पुलिस, दवा विक्रेता व अन्य स्टाफ अपनी जान की परवाह किए बिना मरीजों की देखभाल कर रहे थे।
इसको देखते हुए दिल्ली के तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने घोषणा की थी कि ‘यदि कोई भी व्यक्ति कोविड-19 मरीज की सेवा करते हुए अपनी जान गंवाता है, चाहे वह सफाई कर्मी, डॉक्टर, नर्स या कोई अन्य स्टाफ, अस्थायी हो या स्थायी, निजी या सरकारी क्षेत्र से हो, उसके परिवार को उनकी सेवा के प्रति सम्मान स्वरूप एक करोड़ रुपये दिए जाएंगे।’
द वायर में प्रकाशित अंकित राज की रिपोर्ट में बताया गया है कि केजरीवाल के अन्य कई वादों की तरह इसके पीड़ितों का एक करोड़ रुपये देने का वादा भी अधूरा पड़ा है। दिल्ली सरकार ने ऐसे 40 प्रतिशत आवेदकों को एक करोड़ रुपये की ‘सम्मान राशि’ नहीं दी है, जिनके परिवार का सदस्य जनता की सेवा करते हुए मर गया।
शुरुआत में दिल्ली सरकार प्रतिबद्ध दिखी। खुद केजरीवाल कोरोना संक्रमितों का इलाज करते हुए जान गंवाने वाले एक डॉक्टर के परिवार से मिले थे और एक करोड़ रुपये का चेक दिया था। लेकिन घोषणा के पांच साल बाद दिल्ली सरकार ने जान गंवाने वाले कितने फ्रंटलाइन वर्कर्स के परिवारवालों को एक करोड़ रुपये की ‘सम्मान राशि’ दी है?
सामाजिक कार्यकर्ता कन्हैया कुमार द्वारा दाखिल आरटीआई के जवाब में सामने आया है कि इन पांच वर्षों में दिल्ली सरकार ने मात्र 92 मृतक फ्रंटलाइन वर्कर्स के परिजनों को एक करोड़ रुपये की अनुग्रह राशि दी है।
रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली सरकार ने खुद जानकारी दी है कि उसके पास 237 आवेदन आए थे। लेकिन उन्होंने इसमें से 83 आवेदनों को अस्वीकार कर दिया। जिन 154 मृतक फ्रंटलाइन वर्कर्स के परिजनों का आवेदन स्वीकार हुआ, उनमें से भी सिर्फ 92 को ही एक करोड़ रुपये की राशि मिली है यानी स्वीकृत आवेदकों में से भी 40 प्रतिशत को सरकार ने ‘सम्मान राशि’ नहीं दी है।
एक दूसरे आरटीआई के जवाब में दिल्ली सरकार ने बताया कि ‘मौजूदा उपलब्ध रिकॉर्ड के अनुसार, कोविड-19 के कारण मरने वाले स्वास्थ्यकर्मियों की कुल संख्या 177 है।’ इस 177 में 56 डॉक्टर, 16 पैरामेडिकल स्टाफ, 12 नर्स, और 92 सफाई कर्मचारी शामिल हैं।
संख्या ज्यादा हो सकती है क्योंकि ये डेटा देने के साथ ही आरटीआई के जवाब में यह भी लिखा गया है कि ‘इसके अलावा, संबंधित सरकारी अस्पतालों/ संस्थानों से अलग-अलग आरटीआई के माध्यम से भी सूचना प्राप्त की जा सकती है, जैसा कि कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DOPT) के नियमों/ आदेशों के अनुसार है।’
प्रतीकात्मक तस्वीर; साभार : इकोनॉमिक टाइम्स
साल 2020 की शुरूआत से देश में कोविड-19 महामारी पैर पसारने लगा था। लोगों में डर का माहौल था। मामले बढ़ते जा रहे थे। इस महामारी से प्रभावित लोगों की संख्या धीरे धीरे बढ़ रहे थे। अस्पतालों में भीड़ बढ़ती जा रही थी। ऐसे में देश भर की तरह दिल्ली के अस्पतालों की भी पोल खुल चुकी थी। इस संकट की घड़ी में डॉक्टर, नर्स, पुलिस, दवा विक्रेता व अन्य स्टाफ अपनी जान की परवाह किए बिना मरीजों की देखभाल कर रहे थे।
इसको देखते हुए दिल्ली के तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने घोषणा की थी कि ‘यदि कोई भी व्यक्ति कोविड-19 मरीज की सेवा करते हुए अपनी जान गंवाता है, चाहे वह सफाई कर्मी, डॉक्टर, नर्स या कोई अन्य स्टाफ, अस्थायी हो या स्थायी, निजी या सरकारी क्षेत्र से हो, उसके परिवार को उनकी सेवा के प्रति सम्मान स्वरूप एक करोड़ रुपये दिए जाएंगे।’
द वायर में प्रकाशित अंकित राज की रिपोर्ट में बताया गया है कि केजरीवाल के अन्य कई वादों की तरह इसके पीड़ितों का एक करोड़ रुपये देने का वादा भी अधूरा पड़ा है। दिल्ली सरकार ने ऐसे 40 प्रतिशत आवेदकों को एक करोड़ रुपये की ‘सम्मान राशि’ नहीं दी है, जिनके परिवार का सदस्य जनता की सेवा करते हुए मर गया।
शुरुआत में दिल्ली सरकार प्रतिबद्ध दिखी। खुद केजरीवाल कोरोना संक्रमितों का इलाज करते हुए जान गंवाने वाले एक डॉक्टर के परिवार से मिले थे और एक करोड़ रुपये का चेक दिया था। लेकिन घोषणा के पांच साल बाद दिल्ली सरकार ने जान गंवाने वाले कितने फ्रंटलाइन वर्कर्स के परिवारवालों को एक करोड़ रुपये की ‘सम्मान राशि’ दी है?
सामाजिक कार्यकर्ता कन्हैया कुमार द्वारा दाखिल आरटीआई के जवाब में सामने आया है कि इन पांच वर्षों में दिल्ली सरकार ने मात्र 92 मृतक फ्रंटलाइन वर्कर्स के परिजनों को एक करोड़ रुपये की अनुग्रह राशि दी है।
रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली सरकार ने खुद जानकारी दी है कि उसके पास 237 आवेदन आए थे। लेकिन उन्होंने इसमें से 83 आवेदनों को अस्वीकार कर दिया। जिन 154 मृतक फ्रंटलाइन वर्कर्स के परिजनों का आवेदन स्वीकार हुआ, उनमें से भी सिर्फ 92 को ही एक करोड़ रुपये की राशि मिली है यानी स्वीकृत आवेदकों में से भी 40 प्रतिशत को सरकार ने ‘सम्मान राशि’ नहीं दी है।
एक दूसरे आरटीआई के जवाब में दिल्ली सरकार ने बताया कि ‘मौजूदा उपलब्ध रिकॉर्ड के अनुसार, कोविड-19 के कारण मरने वाले स्वास्थ्यकर्मियों की कुल संख्या 177 है।’ इस 177 में 56 डॉक्टर, 16 पैरामेडिकल स्टाफ, 12 नर्स, और 92 सफाई कर्मचारी शामिल हैं।
संख्या ज्यादा हो सकती है क्योंकि ये डेटा देने के साथ ही आरटीआई के जवाब में यह भी लिखा गया है कि ‘इसके अलावा, संबंधित सरकारी अस्पतालों/ संस्थानों से अलग-अलग आरटीआई के माध्यम से भी सूचना प्राप्त की जा सकती है, जैसा कि कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DOPT) के नियमों/ आदेशों के अनुसार है।’