दोपहर करीब 12:30 बजे बाइक पर सवार एक व्यक्ति ने मूर्ति के घेरे पर ईंट फेंकी, जिससे कांच टूट गया। बाद में मूर्ति को अंदर से दूसरी जगह ले जाया गया।

फोटो साभार : मकतूब
दिल्ली के मयूर विहार में सेंट मैरी चर्च पर रविवार को हमला हुआ, जहां मदर की मूर्ति को क्षतिग्रस्त कर दिया गया।
मकतूब की रिपोर्ट के अनुसार, दोपहर करीब 12:30 बजे बाइक पर सवार एक व्यक्ति ने मूर्ति के घेरे पर ईंट फेंकी, जिससे कांच टूट गया। बाद में मूर्ति को अंदर से दूसरी जगह ले जाया गया।
हमलावर की पहचान अभी तक नहीं हो पाई है। हालांकि, पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज हासिल कर ली है और घटना की जांच कर रही है।
चर्च के अधिकारियों ने कोई आधिकारिक शिकायत दर्ज नहीं कराई है, उन्होंने कहा कि वे फिलहाल कोई शिकायत दर्ज कराने की योजना नहीं बना रहे हैं।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, चर्च के पास स्थित दुकानदारों ने बताया कि हमलावर ने हेलमेट नहीं पहना था, लेकिन वे उसे पहचान नहीं पाए। पुलिस इन दुकानदारों और आसपास के लोगों से जानकारी जुटा रही है।
सेंट मैरी चर्च, जो निशाना बना, सिरो-मालाबार चर्च के तहत आता है और मयूर विहार में स्थित है, जहां मलयाली समुदाय की एक बड़ी आबादी रहती है।
उधर अखिल भारतीय कैथोलिक संघ (एआईसीयू) ने भारत के विभिन्न हिस्सों में, खासकर भाजपा शासित राज्यों में, ईसाइयों के खिलाफ बढ़ती हिंसा और भेदभाव पर चिंता व्यक्त की है।
106 साल पुराने इस संगठन ने एक बयान में चेतावनी दी है कि देश में धार्मिक असहिष्णुता बढ़ रही है।
द ऑब्जर्वर पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, एआईसीयू ने अरुणाचल प्रदेश धर्म स्वतंत्रता अधिनियम, 1978 को रीवाइव करने के प्रयासों की आलोचना की। यह कानून, जो लगभग 50 वर्षों से निष्क्रिय है, उसको “जबरन” धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए वापस लाया जा रहा है। हालांकि, एआईसीयू का मानना है कि इससे ईसाई समुदायों के लिए परेशानियां पैदा हो सकती हैं।
एआईसीयू के प्रवक्ता ने मीडिया से कहा, “हम 47 वर्षों के बाद इस कानून को रीवाइव करने के प्रयासों से बहुत परेशान हैं।” उन्होंने कहा, “इससे उन आदिवासी समूहों में विभाजन हो सकता है जो पीढ़ियों से शांतिपूर्वक रह रहे हैं और ईसाइयों को और हाशिए पर धकेल सकते हैं।”
एआईसीयू ने मध्य प्रदेश में एक प्रस्ताव के बारे में भी चिंता जताई, जहां मुख्यमंत्री मोहन यादव ने धर्मांतरण विरोधी कानून में संशोधन का सुझाव दिया है। नए प्रस्ताव के तहत, लड़कियों का धर्म परिवर्तन करने पर मृत्युदंड की सजा दी जा सकती है।
बयान में कहा गया है, "धर्मांतरण के लिए मृत्युदंड लगाने का यह कदम न केवल क्रूर है; यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर हमला है।" आगे कहा गया कि "यह एक खतरनाक संदेश भेजता है और धार्मिक अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से महिलाओं को और अलग-थलग करने का जोखिम उठाता है।"
संगठन ने मणिपुर में चल रहे संकट को भी उजागर किया, जहां राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद 60,000 से ज्यादा लोग विस्थापित हैं। इनमें से कई लोग धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यकों से जुड़े हैं।
एआईसीयू के बयान में कहा गया है, "मणिपुर में स्थिति बहुत खराब है।" आगे कहा गया कि "हजारों परिवार बिना उचित सहायता या आश्रय के भयानक परिस्थितियों में रह रहे हैं। सरकार को उनकी मदद के लिए तत्काल कदम उठाने चाहिए।"
रिपोर्ट के अनुसार, इस साल पूरे भारत में ईसाइयों के खिलाफ हिंसा के 834 मामले दर्ज किए गए हैं। सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ हैं, जहां भीड़ द्वारा हमले, सामाजिक बहिष्कार और ईसाइयों के खिलाफ धमकियां आम हैं।
एआईसीयू के एक प्रतिनिधि ने कहा, "हम क्रूर भीड़ द्वारा हिंसा के मामलों को देख रहे हैं।" आगे कहा गया कि, "पुलिस या तो कार्रवाई नहीं करती है या इन हमलों में शामिल होती है।" बयान में यह भी कहा गया कि कई पीड़ित अपराध की रिपोर्ट करने से डरते हैं क्योंकि उन्हें प्रतिशोध का डर होता है।
बयान में कहा गया, "ऐसे माहौल में जहां हमलावरों को दंडित नहीं किया जाता, कई लोग चुप रहना पसंद करते हैं। यह बदलना चाहिए।"
हिंसा के बावजूद, एआईसीयू ने यह स्पष्ट किया कि अधिकांश भारतीय शांति और एकता का समर्थन करते हैं।
बयान में कहा गया, "अधिकांश भारतीय इन नफरती अभियानों का समर्थन नहीं करते हैं।" आगे कहा गया कि "कुछ कट्टरपंथी समूह भय और विभाजन पैदा कर रहे हैं।"
एआईसीयू ने केंद्र और राज्य सरकारों से धार्मिक हिंसा के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का आग्रह किया।
बयान के आखिर में कहा गया, "हम सरकार से न्याय सुनिश्चित करने और हर नागरिक के अधिकारों की रक्षा करने का आह्वान करते हैं, चाहे उनका धर्म कुछ भी हो।"

फोटो साभार : मकतूब
दिल्ली के मयूर विहार में सेंट मैरी चर्च पर रविवार को हमला हुआ, जहां मदर की मूर्ति को क्षतिग्रस्त कर दिया गया।
मकतूब की रिपोर्ट के अनुसार, दोपहर करीब 12:30 बजे बाइक पर सवार एक व्यक्ति ने मूर्ति के घेरे पर ईंट फेंकी, जिससे कांच टूट गया। बाद में मूर्ति को अंदर से दूसरी जगह ले जाया गया।
हमलावर की पहचान अभी तक नहीं हो पाई है। हालांकि, पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज हासिल कर ली है और घटना की जांच कर रही है।
चर्च के अधिकारियों ने कोई आधिकारिक शिकायत दर्ज नहीं कराई है, उन्होंने कहा कि वे फिलहाल कोई शिकायत दर्ज कराने की योजना नहीं बना रहे हैं।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, चर्च के पास स्थित दुकानदारों ने बताया कि हमलावर ने हेलमेट नहीं पहना था, लेकिन वे उसे पहचान नहीं पाए। पुलिस इन दुकानदारों और आसपास के लोगों से जानकारी जुटा रही है।
सेंट मैरी चर्च, जो निशाना बना, सिरो-मालाबार चर्च के तहत आता है और मयूर विहार में स्थित है, जहां मलयाली समुदाय की एक बड़ी आबादी रहती है।
उधर अखिल भारतीय कैथोलिक संघ (एआईसीयू) ने भारत के विभिन्न हिस्सों में, खासकर भाजपा शासित राज्यों में, ईसाइयों के खिलाफ बढ़ती हिंसा और भेदभाव पर चिंता व्यक्त की है।
106 साल पुराने इस संगठन ने एक बयान में चेतावनी दी है कि देश में धार्मिक असहिष्णुता बढ़ रही है।
द ऑब्जर्वर पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, एआईसीयू ने अरुणाचल प्रदेश धर्म स्वतंत्रता अधिनियम, 1978 को रीवाइव करने के प्रयासों की आलोचना की। यह कानून, जो लगभग 50 वर्षों से निष्क्रिय है, उसको “जबरन” धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए वापस लाया जा रहा है। हालांकि, एआईसीयू का मानना है कि इससे ईसाई समुदायों के लिए परेशानियां पैदा हो सकती हैं।
एआईसीयू के प्रवक्ता ने मीडिया से कहा, “हम 47 वर्षों के बाद इस कानून को रीवाइव करने के प्रयासों से बहुत परेशान हैं।” उन्होंने कहा, “इससे उन आदिवासी समूहों में विभाजन हो सकता है जो पीढ़ियों से शांतिपूर्वक रह रहे हैं और ईसाइयों को और हाशिए पर धकेल सकते हैं।”
एआईसीयू ने मध्य प्रदेश में एक प्रस्ताव के बारे में भी चिंता जताई, जहां मुख्यमंत्री मोहन यादव ने धर्मांतरण विरोधी कानून में संशोधन का सुझाव दिया है। नए प्रस्ताव के तहत, लड़कियों का धर्म परिवर्तन करने पर मृत्युदंड की सजा दी जा सकती है।
बयान में कहा गया है, "धर्मांतरण के लिए मृत्युदंड लगाने का यह कदम न केवल क्रूर है; यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर हमला है।" आगे कहा गया कि "यह एक खतरनाक संदेश भेजता है और धार्मिक अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से महिलाओं को और अलग-थलग करने का जोखिम उठाता है।"
संगठन ने मणिपुर में चल रहे संकट को भी उजागर किया, जहां राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद 60,000 से ज्यादा लोग विस्थापित हैं। इनमें से कई लोग धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यकों से जुड़े हैं।
एआईसीयू के बयान में कहा गया है, "मणिपुर में स्थिति बहुत खराब है।" आगे कहा गया कि "हजारों परिवार बिना उचित सहायता या आश्रय के भयानक परिस्थितियों में रह रहे हैं। सरकार को उनकी मदद के लिए तत्काल कदम उठाने चाहिए।"
रिपोर्ट के अनुसार, इस साल पूरे भारत में ईसाइयों के खिलाफ हिंसा के 834 मामले दर्ज किए गए हैं। सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ हैं, जहां भीड़ द्वारा हमले, सामाजिक बहिष्कार और ईसाइयों के खिलाफ धमकियां आम हैं।
एआईसीयू के एक प्रतिनिधि ने कहा, "हम क्रूर भीड़ द्वारा हिंसा के मामलों को देख रहे हैं।" आगे कहा गया कि, "पुलिस या तो कार्रवाई नहीं करती है या इन हमलों में शामिल होती है।" बयान में यह भी कहा गया कि कई पीड़ित अपराध की रिपोर्ट करने से डरते हैं क्योंकि उन्हें प्रतिशोध का डर होता है।
बयान में कहा गया, "ऐसे माहौल में जहां हमलावरों को दंडित नहीं किया जाता, कई लोग चुप रहना पसंद करते हैं। यह बदलना चाहिए।"
हिंसा के बावजूद, एआईसीयू ने यह स्पष्ट किया कि अधिकांश भारतीय शांति और एकता का समर्थन करते हैं।
बयान में कहा गया, "अधिकांश भारतीय इन नफरती अभियानों का समर्थन नहीं करते हैं।" आगे कहा गया कि "कुछ कट्टरपंथी समूह भय और विभाजन पैदा कर रहे हैं।"
एआईसीयू ने केंद्र और राज्य सरकारों से धार्मिक हिंसा के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का आग्रह किया।
बयान के आखिर में कहा गया, "हम सरकार से न्याय सुनिश्चित करने और हर नागरिक के अधिकारों की रक्षा करने का आह्वान करते हैं, चाहे उनका धर्म कुछ भी हो।"