दिल्ली चलो: शंभू खनौरी बॉर्डर से आज दिल्ली कूच करेंगे किसान, भारी पुलिस-अर्द्धसैनिक बल तैनात

Written by Navnish Kumar | Published on: December 6, 2024
पंजाब की खनौरी सीमा पर पिछले दस महीनों से डेरा डाले बैठे किसानों का एक 'जत्था' आज दिल्ली कूच करने वाला है। खनौरी सीमा पर अनशन पर बैठे किसानों ने हर घर से एक व्यक्ति के पहुंचने का आह्वान किया है।



"न्यूनतम समर्थन मूल्य लागू करने व अन्य मांगों को लेकर 297 दिनों से बॉर्डर पर डटे किसान आज शुक्रवार को एक बजे शंभू बॉर्डर से दिल्ली कूच करेंगे। शंभू-खनौरी बॉर्डर पर करीब 10 हजार किसान इकट्ठा हो गए हैं। इन सभी को रोकने के लिए दोनों बॉर्डर पर अर्द्धसैनिक बलों की 29 कंपनियों को तैनात कर दिया है। किसान संगठनों ने आंदोलन को ‘दिल्ली चलो’ का नाम दिया है।

किसान एक बार फिर दिल्ली रुख करना चाहते हैं तो वहीं पुलिस ने भी उन्हें रोकने की पूरी तैयारी कर ली है। पंजाब की खनौरी सीमा पर पिछले दस महीनों से डेरा डाले बैठे किसानों का एक 'जत्था' आज दिल्ली कूच करने वाला है। खनौरी सीमा पर अनशन पर बैठे किसानों ने हर घर से एक व्यक्ति के पहुंचने का आह्वान किया है। किसानों के कूच को लेकर प्रशासन ने कमर कस ली है। अंबाला के शंभू बॉर्डर पर गुरुवार देर शाम तक पुलिस प्रशासन की उच्चस्तरीय टीम मौजूद रही। इसमें आईजी अंबाला और एसपी अंबाला ने मौके का दौरा किया और सभी सुरक्षा प्रबंधों का जायजा लिया। दूसरी और हरियाणा के दाता सिंह वाला बार्डर पर सुरक्षा बलों को फिर से सतर्क कर दिया गया। पंजाब के किसानों को ‘दिल्ली कूच' से रोकने के लिए सुरक्षा बलों ने रणनीति तैयार कर ली है।

उधर, किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि किसानों का 101 सदस्यीय मरजीवड़ा जत्था जाएगा। पंधेर ने कहा, ‘जत्था दिल्ली की ओर कूच करेगा। सरकार क्या करेगी, यह उन्हें सोचना है। हम दोपहर 1 बजे शंभू बॉर्डर से दिल्ली की ओर कूच करेंगे।’ यह पूछे जाने पर कि अगर सरकार उन्हें मार्च करने से रोकती है तो वे क्या करेंगे, उन्होंने कहा कि फिर भी यह उनके लिए ‘नैतिक जीत’ होगी। उन्होंने कहा, ‘केंद्र और राज्यों में उनके नेता नियमित रूप से कह रहे हैं कि अगर किसान ट्रैक्टर-ट्रॉली नहीं लाते हैं, तो कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। इसलिए अगर हम पैदल दिल्ली जाते हैं, तो किसानों को रोकने का कोई कारण नहीं होना चाहिए।’

पंधेर ने कहा कि 101 किसानों का एक 'जत्था' शंभू बॉडर विरोध प्रदर्शन स्थल से शुक्रवार अपराह्न एक बजे दिल्ली के लिए पैदल मार्च शुरू करेगा. हालांकि, अंबाला जिला प्रशासन ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 163 के तहत एक आदेश जारी किया है, जिसमें जिले में पांच या अधिक व्यक्तियों की किसी भी गैरकानूनी सभा पर रोक है। उपायुक्त द्वारा जारी आदेश के मुताबिक अगले आदेश तक पैदल, वाहन या अन्य साधनों से कोई भी जुलूस निकालने पर रोक लगा दी गयी है। किसानों की दिल्ली मार्च करने की योजना को लेकर अंबाला में पुलिस ने भी बृहस्पतिवार को अलर्ट जारी किया और वहां सुरक्षा स्थिति का आकलन करने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों को सीमा पर भेजा। हरियाणा सीमा पर बहुस्तरीय बैरिकेडिंग किए जाने के अलावा केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को भी तैनात किया गया है। अंबाला जिला प्रशासन ने बुधवार को किसानों से मार्च पर पुनर्विचार करने और दिल्ली पुलिस से अनुमति लेने के बाद ही कोई कार्रवाई करने का आग्रह किया। इस बीच पंधेर ने बृहस्पतिवार को शंभू बॉर्डर पर संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘जत्था दिल्ली की ओर मार्च करेगा। सरकार क्या करेगी, यह उसे सोचना है। हम अपराह्न एक बजे शंभू बॉर्डर से दिल्ली की ओर कूच करेंगे।'' उन्होंने कहा कि अगर अब भी सरकार उन्हें मार्च निकालने से रोकती है तो यह उनके लिए ‘‘नैतिक जीत'' होगी। 

उन्होंने कहा, 'केंद्र और राज्यों में उनके नेता नियमित रूप से कहते रहे हैं कि अगर किसान ट्रैक्टर-ट्रॉली नहीं लाते हैं, तो कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। इसलिए अगर हम पैदल दिल्ली जाते हैं, तो किसानों को रोकने का कोई कारण नहीं होना चाहिए।'

बीएनएसएस की धारा 163 को लागू करते हुए, अंबाला के उपायुक्त और जिला मजिस्ट्रेट ने 30 नवंबर के एक आदेश में पांच या अधिक व्यक्तियों की गैरकानूनी सभा और पैदल, वाहनों या किसी अन्य माध्यम से जुलूस निकालने पर रोक लगा दी है। आदेश में कहा गया है, “ऐसी आशंका है कि बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी पंजाब और हरियाणा से आएंगे और दिल्ली की ओर बढ़ने के लिए शंभू बॉर्डर पर इकट्ठा होंगे। इसलिए, बीएनएसएस की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा जारी करने समेत सीमा बिंदुओं पर और जिले में उचित कदम उठाए जाने की जरूरत है ताकि पूर्व अनुमति के बिना ऐसे किसी भी व्यक्ति की आवाजाही की अनुमति न दी जा सके।” आदेश में कहा गया है, 'यह आदेश 30.11.2024 से लागू है और अगले आदेश तक जारी रहेगा।” आदेश में कहा गया है, '‘जानकारी मिली है कि आंदोलनकारी संसद का घेराव कर सकते हैं या राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की ओर जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्गों पर स्थायी रूप से डेरा डाल सकते हैं।'' आदेश के मुताबिक, आंदोलनकारियों ने हरियाणा पुलिस अधिनियम की धारा 69 के तहत कोई अनुमति नहीं ली है।

कब से शंभू और खनौरी बॉर्डर पर किसान

संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) एवं किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले किसानों ने अपनी मांगों के समर्थन में इससे पहले पैदल दिल्ली कूच करने की घोषणा की थी। उनकी मांगों में फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी और कई अन्य मांग शामिल हैं। सुरक्षा बलों द्वारा दिल्ली की ओर मार्च रोके जाने के बाद वे 13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं।

कब से शंभू और खनौरी बॉर्डर पर किसान

संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) एवं किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले किसानों ने अपनी मांगों के समर्थन में इससे पहले पैदल दिल्ली कूच करने की घोषणा की थी. उनकी मांगों में फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी और कई अन्य मांग शामिल हैं. सुरक्षा बलों द्वारा दिल्ली की ओर मार्च रोके जाने के बाद वे 13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं।

दल्लेवाल का आमरण अनशन जारी

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, एसकेएम नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल ने बृहस्पतिवार को खनौरी सीमा पर अपना आमरण अनशन जारी रखा हुआ है। कृषक संगठन न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के अलावा, किसान कृषि ऋण माफी, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन, बिजली दरों में कोई बढ़ोतरी न करने, पुलिस मामलों की वापसी और 2021 लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए ‘‘न्याय’’ की मांग कर रहे हैं। भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 की बहाली और 2020-21 में पिछले आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा देना भी उनकी प्रमुख मांग हैं।

क्या है किसानों की मांग

यह इस सप्ताह की दूसरी पैदल मार्च योजना होगी। सोमवार को उत्तर प्रदेश के किसानों ने संसद तक मार्च करने की कोशिश की थी। उन्हें नोएडा में रोक दिया गया, लेकिन मार्च के कारण बॉर्डर के दोनों ओर भारी ट्रैफिक जाम हो गया। किसान संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के बैनर तले इकट्ठा हुए हैं और अन्य मांगों के अलावा फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए कानूनी गारंटी की मांग कर रहे हैं। एमएसपी के अलावा, वे कृषि ऋण माफी, उनके और उनके मजदूरों के लिए पेंशन, बिजली दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं, पुलिस मामलों को वापस लेने और 2021 लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं। सुरक्षा बलों द्वारा दिल्ली कूच रोक दिए जाने के बाद 13 फरवरी से वे पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी सीमा पर डेरा डाले हुए हैं।"

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