स्कूल एक ऐसी जगह है जहां बच्चों को विभाजनकारी राजनीति से दूर रखकर सामाजिक सद्भाव की शिक्षा दी जानी चाहिए लेकिन अब सब गड़बड़ाता जा रहा है। राजस्थान के कोटा में शिक्षा मंत्री के आदेश पर तीन मुस्लिम शिक्षकों को निलंबित कर दिया गया है। मुस्लिम शिक्षकों पर नमाज पढ़वाने, छात्रों को बरगलाने आदि का आरोप है।
खजूरी ओदपुर के इसी स्कूल से जुड़ा है मामला, तस्वीर- इंडियन एक्सप्रेस से साभार
राजस्थान के कोटा का एक स्कूल इन दिनों सुर्खियों में है। राज्य के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के आदेश पर यहां के तीन मुस्लिम टीचर्स को निलंबित कर दिया गया है। इन टीचर पर स्कूल में जबरन नमाज अदा कराने और धर्मांतरण कराने का आरोप लगाया गया है। ये स्कूल कोटा के सांगोद में स्थित ओदपुर के खजूरी का गवर्नमेंट हायर सेकेंडरी स्कूल है। विवाद तब शुरू हुआ, जब स्कूल की एक पूर्व छात्रा ने अपना घर छोड़ दिया। लड़की हिंदू है, वह एक मुस्लिम लड़के के साथ अपने घर चली गई। मामले की छान-बीन चल रही थी। इस बीच पता चला कि छात्रा के एडमिशन फॉर्म में उसका धर्म ‘इस्लाम’ लिखा गया था। फिर उसी स्कूल में 26 जनवरी को हुए एक नाटक पर भी आपत्ति जताई जाने लगी।
हिंदू छात्रा का धर्म ‘इस्लाम’ मेंशन करने का मामला
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 में एक 14 साल की लड़की का नाम इस स्कूल में लिखाया गया था। 10वीं क्लास के एडमिशन फॉर्म में छात्रा का धर्म गलत हो गया था। हिंदू छात्रा का धर्म 'इस्लाम' मार्क हो गया था। साल 2022 में इस छात्रा ने 12वीं पास की। इसके बाद उसे ट्रांसफर सर्टिफिकेट भी जारी कर दिया गया। अब तक उसका धर्म 'इस्लाम' लिखे जाने का मामला नहीं उठा था। लेकिन इसी साल 5 फरवरी को लड़की ने अपने गांव के एक मुस्लिम लड़के के साथ घर छोड़ दिया। लड़की के माता-पिता ने पुलिस से शिकायत की।
पुलिस ने उसकी डिटेल के लिए स्कूल से संपर्क किया। जब स्कूल ने लड़की का एडमिशन फॉर्म और दूसरी डिटेल पुलिस के साथ शेयर की, तो फॉर्म में उसके धर्म का मामला सामने आया और विवाद भड़क गया। दक्षिणपंथी संगठन दावा करने लगे कि लड़की भाग गई क्योंकि स्कूल शिक्षकों ने उसका ब्रेनवॉश किया। इसके अलावा, इन दावों को पुख्ता साबित करने के लिए स्कूल में इस साल 26 जनवरी को हुए नाटक से क्रॉप की गई क्लिप का हवाला दिया गया।
26 जनवरी के एक नाटक से जुड़ा है विवाद
द लल्लनटॉप की रिपोर्ट के मुताबिक, इस नाटक में स्कूल की एक छात्रा ‘भारत माता’ बनी थी। नाटक में दिखाया गया कि एक-एक करके, एक हिंदू, एक मुस्लिम, एक सिख और एक ईसाई किरदार ने ‘भारत’ को अपनी पहचान में ढालने का प्रयास किया। आगे दिखाया गया कि समाज के लोगों ने ऐसी कोशिशों को नाकाम कर दिया। नाटक का अंत 'धर्मों' के एकजुट होने और तिरंगे को लहराने के साथ हुआ।
स्कूल के प्रिंसिपल कमलेश बैरवा ने कहा,
खजूरी ओदपुर के इसी स्कूल से जुड़ा है मामला, तस्वीर- इंडियन एक्सप्रेस से साभार
राजस्थान के कोटा का एक स्कूल इन दिनों सुर्खियों में है। राज्य के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के आदेश पर यहां के तीन मुस्लिम टीचर्स को निलंबित कर दिया गया है। इन टीचर पर स्कूल में जबरन नमाज अदा कराने और धर्मांतरण कराने का आरोप लगाया गया है। ये स्कूल कोटा के सांगोद में स्थित ओदपुर के खजूरी का गवर्नमेंट हायर सेकेंडरी स्कूल है। विवाद तब शुरू हुआ, जब स्कूल की एक पूर्व छात्रा ने अपना घर छोड़ दिया। लड़की हिंदू है, वह एक मुस्लिम लड़के के साथ अपने घर चली गई। मामले की छान-बीन चल रही थी। इस बीच पता चला कि छात्रा के एडमिशन फॉर्म में उसका धर्म ‘इस्लाम’ लिखा गया था। फिर उसी स्कूल में 26 जनवरी को हुए एक नाटक पर भी आपत्ति जताई जाने लगी।
हिंदू छात्रा का धर्म ‘इस्लाम’ मेंशन करने का मामला
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 में एक 14 साल की लड़की का नाम इस स्कूल में लिखाया गया था। 10वीं क्लास के एडमिशन फॉर्म में छात्रा का धर्म गलत हो गया था। हिंदू छात्रा का धर्म 'इस्लाम' मार्क हो गया था। साल 2022 में इस छात्रा ने 12वीं पास की। इसके बाद उसे ट्रांसफर सर्टिफिकेट भी जारी कर दिया गया। अब तक उसका धर्म 'इस्लाम' लिखे जाने का मामला नहीं उठा था। लेकिन इसी साल 5 फरवरी को लड़की ने अपने गांव के एक मुस्लिम लड़के के साथ घर छोड़ दिया। लड़की के माता-पिता ने पुलिस से शिकायत की।
पुलिस ने उसकी डिटेल के लिए स्कूल से संपर्क किया। जब स्कूल ने लड़की का एडमिशन फॉर्म और दूसरी डिटेल पुलिस के साथ शेयर की, तो फॉर्म में उसके धर्म का मामला सामने आया और विवाद भड़क गया। दक्षिणपंथी संगठन दावा करने लगे कि लड़की भाग गई क्योंकि स्कूल शिक्षकों ने उसका ब्रेनवॉश किया। इसके अलावा, इन दावों को पुख्ता साबित करने के लिए स्कूल में इस साल 26 जनवरी को हुए नाटक से क्रॉप की गई क्लिप का हवाला दिया गया।
26 जनवरी के एक नाटक से जुड़ा है विवाद
द लल्लनटॉप की रिपोर्ट के मुताबिक, इस नाटक में स्कूल की एक छात्रा ‘भारत माता’ बनी थी। नाटक में दिखाया गया कि एक-एक करके, एक हिंदू, एक मुस्लिम, एक सिख और एक ईसाई किरदार ने ‘भारत’ को अपनी पहचान में ढालने का प्रयास किया। आगे दिखाया गया कि समाज के लोगों ने ऐसी कोशिशों को नाकाम कर दिया। नाटक का अंत 'धर्मों' के एकजुट होने और तिरंगे को लहराने के साथ हुआ।
स्कूल के प्रिंसिपल कमलेश बैरवा ने कहा,
"ये एक सर्व धर्म सद्भाव वाला नाटक था, और शिक्षक होने के नाते, ये हमारी जिम्मेदारी है कि हम समुदाय को एकता का एक अच्छा संदेश देने का प्रयास करें।"
स्कूल में इस नाटक के मंचन के अगले कुछ दिनों में, स्कूल की पूर्व छात्रा के घर छोड़ने का मामला सामने आया। फिर उसके एडमिशन फॉर्म में उसका धर्म इस्लाम लिखे होने का पता चला। साथ ही, स्कूल में हुए नाटक के वीडियो को काट-छांट कर इस्तेमाल किया गया। खासकर एक 'मुस्लिम' किरदार द्वारा 'राष्ट्र' के बगल में नमाज अदा करने वाला हिस्सा।
इसके बाद स्कूल पर धर्मांतरण और ‘लव जिहाद’ के आरोप लगने लगे। 20 फरवरी को, ‘सर्व हिंदू समाज’ के बैनर तले दक्षिणपंथी संगठनों ने शिक्षा मंत्री मदन दिलावर को एक ज्ञापन सौंपा। इसमें स्कूल में 'लव जिहाद' और 'धर्म परिवर्तन' की गतिविधियों का आरोप लगाया गया। आरोप लगाया गया कि मुस्लिम शिक्षकों ने लालच देकर हिंदू छात्रों से स्कूल में नमाज पढ़वाई।
इसके बाद राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के आदेश पर स्कूल के सभी तीन मुस्लिम शिक्षकों को निलंबित कर दिया गया।
मामले पर सभी पक्षों की अपनी-अपनी सफाई
स्कूल के प्रिंसिपल और दूसरे टीचरों ने स्कूल में धर्म परिवर्तन के प्रयास या नमाज़ कराने से इनकार किया है। स्कूल मैनेजमेंट से जुड़े अधिकारियों और टीचरों ने इस मामले के जांच अधिकारी को खत लिखकर कहा है कि स्कूल में कोई धर्मांतरण गतिविधि या नमाज नहीं हुई है। उनमें से कुछ, जिन्होंने स्कूल में गणतंत्र दिवस समारोह में भाग लिया था, ने ये भी कहा कि प्ले में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं था।
वहीं अपना घर छोड़ने वाली स्कूल की पूर्व छात्रा के माता-पिता का कहना है कि लड़की का ‘अपहरण’ कर लिया गया है। स्कूल फॉर्म का हवाला देते हुए वो बताते हैं कि उनकी बेटी ने धर्म परिवर्तन कर लिया है। हालांकि, स्कूल के प्रिंसिपल और टीचरों का कहना है कि छात्रा के एडमिशन फॉर्म भरते वक्त एक मानवीय गलती हो गई थी। स्कूल की सफाई है कि दूसरे सभी डॉक्यूमेंट उस छात्रा का धर्म हिंदू बताते हैं।
निलंबित हुए एक टीचर फिरोज खान ने कहा,
"उस साल एक ही नाम की तीन छात्राएं थीं। बाकी दो मुस्लिम थी, और ये छात्रा हिंदू थी, इसलिए ऐसी मानवीय भूल हुई।"
विवाद बढ़ने पर लड़की ने 23 फरवरी को एक हलफनामा भी जारी किया। इसमें कहा गया कि उसने ही अपने हलफनामे में गलती से इस्लाम का उल्लेख किया था, 'जबकि उसका धर्म हिंदू है'। कानूनी तौर पर लड़की अभी भी एक हिंदू है। जबकि उसके परिवार और गांव के कुछ लोग एडमिशन फॉर्म का हवाला देते हुए उसके ‘धर्म परिवर्तन’ की बात कहते हैं। लड़की की मां ने कहा, "हमें उसके धर्म परिवर्तन के बारे में 5 फरवरी को पता चला।"
वहीं, लड़की के पिता स्कूल पर पूरी साजिश रचने का आरोप लगाते हैं। सांगोद पुलिस स्टेशन के SHO हीरा लाल जाट ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि इस मामले में पहले एक FIR दर्ज की गई थी। हालांकि, लड़की बालिग है और उसने कोर्ट में दिए बयान में कहा कि वह अपनी मर्जी से गई है। इस मामले की जांच जारी है।
शिक्षकों के निलंबन के विरोध में छात्रों का प्रदर्शन
इस बीच स्कूल के छात्रों के विरोध प्रदर्शन करते हुए वीडियो भी सामने आए। इन वीडियोज् में छात्र आरोप लगा रहे हैं कि उन्हें अपने मुस्लिम शिक्षकों के बारे में गलत बयान देने के लिए दबाव बनाया गया था। छात्रों का कहना है कि उन पर निराधार आरोप लगाए गए हैं। ऐसे वीडियो सामने आए हैं जिनमें स्कूल ड्रेस में छात्र सरकारी अधिकारियों से बात कर रहे हैं और अपने शिक्षकों के निलंबन का दृढ़तापूर्वक विरोध कर रहे हैं। एक वीडियो में एक छात्रा को यह कहते हुए देखा जा सकता है, “अब हमें कौन पढ़ाएगा? गलत बयान देने वाले या निलंबित शिक्षक?”
वीडियो में एक छात्र कहता है, "बच्चों पर गलत बयान थोपे जा रहे हैं।" एक अन्य छात्र द्वारा यह भी कहा गया कि उन्हें कुछ बयान देने के लिए धमकी दी गई थी, और जिन शिक्षकों को निलंबित किया गया था वे 'अच्छे' थे। बच्चे ने यह भी कहा, “कोई नमाज़ नहीं पढ़ी जाती थी। शिक्षक भी अच्छे थे। स्कूल में कुछ नहीं होता था। हमको धमकाकर बोला गया था कि आप ऐसे बोलो।”
छात्रों का वीडियो यहां क्लिक कर देखा जा सकता है
इस बीच, राजस्थान में उर्दू शिक्षक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमीन कामख्यानी ने इन आरोपों की निंदा की है और कहा है, निलंबन "राजनीतिक तुष्टीकरण" के लिए है। जमात-ए-इस्लामी हिंद के प्रदेश अध्यक्ष मोहम्मद नाज़िमुद्दीन ने इसे एकतरफा कार्रवाई बताया है, और इस "ध्रुवीकरण रणनीति" के लिए शासन परिवर्तन (भाजपा के निर्वाचित होने के साथ) को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने मामले में नये सिरे से जांच की भी मांग की।
बता दें कि राजस्थान में पिछले साल हुए चुनाव में भाजपा के सत्ता में आने के बाद लव जिहाद, भूमि जिहाद आदि के मुद्दे गरमाते जा रहे हैं। सत्ताधारी पार्टी के चुने हुए प्रतिनिधियों को आए दिन विभाजन के बीज बोते देखा जा सकता है। बीजेपी विधायक बालमुकुंद आचार्य ने जनवरी में एक विद्यालय का दौरा कर हिजाब के मुद्दे को गरमा दिया था। आचार्य ने 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस समारोह के हिस्से के रूप में सरकारी सीनियर सेकेंडरी गर्ल्स स्कूल, गंगापोल का दौरा किया था। कार्यक्रम के वीडियो में उन्हें लोगों से यह कहते हुए दिखाया गया है कि स्कूलों में हिजाब की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। उन्हें मंच पर "भारत माता की जय" और "सरस्वती माता की जय" जैसे नारे लगाते हुए भी देखा गया। उन्होंने यहां तक कहा कि, "कुछ लड़कियां ये नारे नहीं लगा रही हैं", और पूछा, "क्या आपको ऐसा न करने के लिए कहा गया है?"
Related:
क्या राजस्थान में हिजाब पर प्रतिबंध लागू होगा?
राजस्थान: हिजाब पहनने पर मुस्लिम छात्राओं को स्कूल से बाहर किया, 'चंबल के डाकू' कहा गया
राजस्थान: मुस्लिम शिक्षकों को 'लव-जिहाद' के आरोप में निलंबित किया, छात्रों का आरोप- उनसे झूठी गवाही दिलवाई गई
इसके बाद स्कूल पर धर्मांतरण और ‘लव जिहाद’ के आरोप लगने लगे। 20 फरवरी को, ‘सर्व हिंदू समाज’ के बैनर तले दक्षिणपंथी संगठनों ने शिक्षा मंत्री मदन दिलावर को एक ज्ञापन सौंपा। इसमें स्कूल में 'लव जिहाद' और 'धर्म परिवर्तन' की गतिविधियों का आरोप लगाया गया। आरोप लगाया गया कि मुस्लिम शिक्षकों ने लालच देकर हिंदू छात्रों से स्कूल में नमाज पढ़वाई।
इसके बाद राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के आदेश पर स्कूल के सभी तीन मुस्लिम शिक्षकों को निलंबित कर दिया गया।
मामले पर सभी पक्षों की अपनी-अपनी सफाई
स्कूल के प्रिंसिपल और दूसरे टीचरों ने स्कूल में धर्म परिवर्तन के प्रयास या नमाज़ कराने से इनकार किया है। स्कूल मैनेजमेंट से जुड़े अधिकारियों और टीचरों ने इस मामले के जांच अधिकारी को खत लिखकर कहा है कि स्कूल में कोई धर्मांतरण गतिविधि या नमाज नहीं हुई है। उनमें से कुछ, जिन्होंने स्कूल में गणतंत्र दिवस समारोह में भाग लिया था, ने ये भी कहा कि प्ले में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं था।
वहीं अपना घर छोड़ने वाली स्कूल की पूर्व छात्रा के माता-पिता का कहना है कि लड़की का ‘अपहरण’ कर लिया गया है। स्कूल फॉर्म का हवाला देते हुए वो बताते हैं कि उनकी बेटी ने धर्म परिवर्तन कर लिया है। हालांकि, स्कूल के प्रिंसिपल और टीचरों का कहना है कि छात्रा के एडमिशन फॉर्म भरते वक्त एक मानवीय गलती हो गई थी। स्कूल की सफाई है कि दूसरे सभी डॉक्यूमेंट उस छात्रा का धर्म हिंदू बताते हैं।
निलंबित हुए एक टीचर फिरोज खान ने कहा,
"उस साल एक ही नाम की तीन छात्राएं थीं। बाकी दो मुस्लिम थी, और ये छात्रा हिंदू थी, इसलिए ऐसी मानवीय भूल हुई।"
विवाद बढ़ने पर लड़की ने 23 फरवरी को एक हलफनामा भी जारी किया। इसमें कहा गया कि उसने ही अपने हलफनामे में गलती से इस्लाम का उल्लेख किया था, 'जबकि उसका धर्म हिंदू है'। कानूनी तौर पर लड़की अभी भी एक हिंदू है। जबकि उसके परिवार और गांव के कुछ लोग एडमिशन फॉर्म का हवाला देते हुए उसके ‘धर्म परिवर्तन’ की बात कहते हैं। लड़की की मां ने कहा, "हमें उसके धर्म परिवर्तन के बारे में 5 फरवरी को पता चला।"
वहीं, लड़की के पिता स्कूल पर पूरी साजिश रचने का आरोप लगाते हैं। सांगोद पुलिस स्टेशन के SHO हीरा लाल जाट ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि इस मामले में पहले एक FIR दर्ज की गई थी। हालांकि, लड़की बालिग है और उसने कोर्ट में दिए बयान में कहा कि वह अपनी मर्जी से गई है। इस मामले की जांच जारी है।
शिक्षकों के निलंबन के विरोध में छात्रों का प्रदर्शन
इस बीच स्कूल के छात्रों के विरोध प्रदर्शन करते हुए वीडियो भी सामने आए। इन वीडियोज् में छात्र आरोप लगा रहे हैं कि उन्हें अपने मुस्लिम शिक्षकों के बारे में गलत बयान देने के लिए दबाव बनाया गया था। छात्रों का कहना है कि उन पर निराधार आरोप लगाए गए हैं। ऐसे वीडियो सामने आए हैं जिनमें स्कूल ड्रेस में छात्र सरकारी अधिकारियों से बात कर रहे हैं और अपने शिक्षकों के निलंबन का दृढ़तापूर्वक विरोध कर रहे हैं। एक वीडियो में एक छात्रा को यह कहते हुए देखा जा सकता है, “अब हमें कौन पढ़ाएगा? गलत बयान देने वाले या निलंबित शिक्षक?”
वीडियो में एक छात्र कहता है, "बच्चों पर गलत बयान थोपे जा रहे हैं।" एक अन्य छात्र द्वारा यह भी कहा गया कि उन्हें कुछ बयान देने के लिए धमकी दी गई थी, और जिन शिक्षकों को निलंबित किया गया था वे 'अच्छे' थे। बच्चे ने यह भी कहा, “कोई नमाज़ नहीं पढ़ी जाती थी। शिक्षक भी अच्छे थे। स्कूल में कुछ नहीं होता था। हमको धमकाकर बोला गया था कि आप ऐसे बोलो।”
छात्रों का वीडियो यहां क्लिक कर देखा जा सकता है
इस बीच, राजस्थान में उर्दू शिक्षक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमीन कामख्यानी ने इन आरोपों की निंदा की है और कहा है, निलंबन "राजनीतिक तुष्टीकरण" के लिए है। जमात-ए-इस्लामी हिंद के प्रदेश अध्यक्ष मोहम्मद नाज़िमुद्दीन ने इसे एकतरफा कार्रवाई बताया है, और इस "ध्रुवीकरण रणनीति" के लिए शासन परिवर्तन (भाजपा के निर्वाचित होने के साथ) को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने मामले में नये सिरे से जांच की भी मांग की।
बता दें कि राजस्थान में पिछले साल हुए चुनाव में भाजपा के सत्ता में आने के बाद लव जिहाद, भूमि जिहाद आदि के मुद्दे गरमाते जा रहे हैं। सत्ताधारी पार्टी के चुने हुए प्रतिनिधियों को आए दिन विभाजन के बीज बोते देखा जा सकता है। बीजेपी विधायक बालमुकुंद आचार्य ने जनवरी में एक विद्यालय का दौरा कर हिजाब के मुद्दे को गरमा दिया था। आचार्य ने 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस समारोह के हिस्से के रूप में सरकारी सीनियर सेकेंडरी गर्ल्स स्कूल, गंगापोल का दौरा किया था। कार्यक्रम के वीडियो में उन्हें लोगों से यह कहते हुए दिखाया गया है कि स्कूलों में हिजाब की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। उन्हें मंच पर "भारत माता की जय" और "सरस्वती माता की जय" जैसे नारे लगाते हुए भी देखा गया। उन्होंने यहां तक कहा कि, "कुछ लड़कियां ये नारे नहीं लगा रही हैं", और पूछा, "क्या आपको ऐसा न करने के लिए कहा गया है?"
Related:
क्या राजस्थान में हिजाब पर प्रतिबंध लागू होगा?
राजस्थान: हिजाब पहनने पर मुस्लिम छात्राओं को स्कूल से बाहर किया, 'चंबल के डाकू' कहा गया
राजस्थान: मुस्लिम शिक्षकों को 'लव-जिहाद' के आरोप में निलंबित किया, छात्रों का आरोप- उनसे झूठी गवाही दिलवाई गई