लोकपाल का सात लग्ज़री बीएमडब्ल्यू कारों का टेंडर, विपक्ष और कार्यकर्ताओं ने उठाए सवाल

Written by sabrang india | Published on: October 23, 2025
भ्रष्टाचार की निगरानी के लिए स्थापित देश के लोकपाल द्वारा जारी एक टेंडर में प्रति कार लगभग 70 लाख रुपये की कीमत वाली सात लग्ज़री बीएमडब्ल्यू कारों की खरीद का प्रस्ताव रखा गया है।



लोकपाल द्वारा जारी एक टेंडर में सात लग्ज़री बीएमडब्ल्यू कारों की खरीद का प्रस्ताव रखा गया है, जिनकी प्रति कार अनुमानित कीमत 70 लाख रुपये है। इस जानकारी के सार्वजनिक होने के बाद सामाजिक कार्यकर्ताओं और विपक्षी दलों ने इस कदम की आलोचना की है और इसे लोकपाल संस्था की अनावश्यक विलासिता की ओर झुकाव बताया है।

सीएनएन-न्यूज़18 की रिपोर्ट के अनुसार, 16 अक्टूबर को जारी टेंडर दस्तावेज़ में उल्लेख किया गया है कि भारत के लोकपाल कार्यालय ने सात बीएमडब्ल्यू 3 सीरीज़ 330 लीटर कारों की आपूर्ति के लिए योग्य और प्रतिष्ठित एजेंसियों से खुली निविदाएं आमंत्रित की हैं।

दस्तावेज़ में यह भी उल्लेख है कि आवश्यक कार मॉडल स्पोर्ट (लॉन्ग व्हीलबेस) संस्करण का होना चाहिए और उसका रंग सफेद हो।

रिपोर्ट के अनुसार, इस कार की बाजार में ऑन-रोड कीमत लगभग 70 लाख रुपये है, जिसके हिसाब से सात कारों की कुल लागत करीब 5 करोड़ रुपये होगी।

गौरतलब है कि भ्रष्टाचार निरोधक संस्था द्वारा जारी आदेश में यह भी कहा गया है कि इन गाड़ियों की आपूर्ति आदेश जारी होने की तारीख से दो सप्ताह के भीतर दिल्ली के वसंत कुंज इंस्टीट्यूशनल एरिया स्थित लोकपाल कार्यालय में की जानी चाहिए। हालांकि, दस्तावेज़ में यह भी स्पष्ट किया गया है कि आपूर्ति में 30 दिन से अधिक का समय नहीं लगना चाहिए।

यह उल्लेखनीय है कि वर्तमान में सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश ए. एम. खानविलकर लोकपाल के अध्यक्ष हैं।

वहीं, बीएमडब्ल्यू 3 सीरीज़ लॉन्ग व्हीलबेस को इसी वर्ष की शुरुआत में भारत में लॉन्च किया गया था। यह अपने सेगमेंट की सबसे लंबी कार मानी जाती है। बीएमडब्ल्यू की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, यह मॉडल अपने वर्ग में सबसे लंबे व्हीलबेस के साथ शानदार रियर सीट अनुभव देने के उद्देश्य से डिज़ाइन किया गया है।

न्यूज़18 की रिपोर्ट के अनुसार, टेंडर दस्तावेज़ में यह भी स्पष्ट किया गया है कि जिस विक्रेता या फर्म को यह निविदा दी जाएगी, उसे ड्राइवरों और लोकपाल कार्यालय के अन्य नामित कर्मचारियों के लिए एक विस्तृत व्यावहारिक और सैद्धांतिक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना अनिवार्य होगा।

इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस के राज्यसभा सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ काम करने वाली इस संस्था को अब अपने सदस्यों के लिए बीएमडब्ल्यू जैसी लग्ज़री कारें खरीदते देखना निराशाजनक है। उन्होंने टिप्पणी की कि यह संस्था अब ईमानदारी की रक्षा करने वाली कम और विलासिता की ओर आकर्षित होने वाली अधिक लगती है।

सिंघवी ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म ‘एक्स’ पर साझा किया कि उनके पिता डॉ. एल. एम. सिंघवी ने 1960 के दशक में लोकपाल की अवधारणा प्रस्तुत की थी और वे स्वयं लोकपाल पर संसदीय समिति के अध्यक्ष रह चुके हैं।

उन्होंने आगे बताया कि 2019 में लोकपाल की स्थापना के बाद से अब तक 8,703 शिकायतें प्राप्त हुई हैं, जिनमें से सिर्फ 24 मामलों में जांच की गई, जबकि केवल 6 मामलों में अभियोजन की मंज़ूरी दी गई है।

सिंघवी ने तंज कसते हुए यह भी कहा, “ऐसी स्थिति में 70 लाख की बीएमडब्ल्यू कारें! यह भ्रष्टाचार विरोधी निगरानी संस्था कम, पालतू जानवर ज़्यादा लगती है।”

वहीं, वरिष्ठ अधिवक्ता और सामाजिक कार्यकर्ता प्रशांत भूषण ने भी सोशल मीडिया पर लोकपाल के इस कदम की आलोचना की। उन्होंने लिखा, “सरकार ने लोकपाल संस्था को पूरी तरह निष्प्रभावी बना दिया है। ऐसे लोगों की नियुक्ति की गई है जिन्हें भ्रष्टाचार की परवाह नहीं, बस अपनी विलासिता से ख़ुशी है। अब वे अपने लिए 70 लाख रुपये की बीएमडब्ल्यू कारें खरीद रहे हैं!”

ज्ञात हो कि लोकपाल में आठ स्वीकृत पद हैं, हालांकि वर्तमान में अध्यक्ष के अलावा इसमें सात के बजाय छह सदस्य हैं।

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