राजस्थान के भीलवाड़ा में मवेशी ले जाने के दौरान मध्य प्रदेश के एक मुस्लिम व्यक्ति की पीट-पीटकर हत्या

Written by sabrang india | Published on: September 23, 2025
भीलवाड़ा पुलिस द्वारा भीड़ के हमले की जांच के दौरान परिवार ने नफरती अपराध और जबरन वसूली का आरोप लगाया। मृतक के परिवार में पत्नी और दो छोटे बच्चे हैं।


साभार : द हिंदू

मध्य प्रदेश के मंदसौर के 35 वर्षीय किसान को राजस्थान के भीलवाड़ा जिले में गौ-तस्करी के आरोप में बेरहमी से पीट-पीटकर मार डाला गया। मृतक के परिवार ने इसे विजिलेंस के नाम पर लक्षित नफरती अपराध बताया है।

मंदसौर के मुल्तानपुर निवासी पीड़ित आसिफ बाबू मुल्तानी और उनके चचेरे भाई मोहसिन 15 सितंबर को अपने खेतों और डेयरी व्यवसाय के लिए बैल और भैंस खरीदने भीलवाड़ा के लांबिया रैला पशु बाजार गए थे। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, 16 सितंबर की तड़के जब वे घर लौट रहे थे तो उनकी पिकअप वैन का पीछा किया गया, उन्हें सड़क से उतार दिया गया और 14-15 लोगों ने घेरकर बाहर खींच लिया और बेरहमी से पीटा।

पास के जंगल में छिपकर किसी तरह बच निकलने में कामयाब रहे मोहसिन के अनुसार, भीड़ आसिफ पर लाठियां बरसाते हुए "गौ-तस्कर" चिल्लाती रही। द हिंदू की रिपोर्ट में बताया गया है कि, "उन्होंने कोई सवाल भी नहीं पूछा। उन्होंने मवेशी देखे, मुसलमान देखा और तय कर लिया कि हम तस्कर हैं।" हमलावरों ने कथित तौर पर 36,000 रुपये नकदी भी छीन लिए, खरीदारी की रसीदें छीन लीं और आसिफ के फोन से उसके परिवार को कॉल कर उसकी जान बख्शने के लिए 50,000 रुपये और मांगे।

आसिफ को सिर में गंभीर चोटों के कारण पहले भीलवाड़ा के महात्मा गांधी अस्पताल ले जाया गया और बाद में न्यूरोसर्जरी के लिए जयपुर के सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया। 20 सितंबर को उनकी मौत हो गई। उनके परिवार में पत्नी, ढाई साल की बेटी और आठ महीने का बेटा है।

उनके भाई मंजू पेमला द हिंदू से बात करते हुए रो पड़े। उन्होंने कहा, "मेरे भाई का सिर्फ एक ही 'गुनाह' था कि वह मुसलमान था और मवेशी ले जा रहा था। वैन में एक भी गाय नहीं थी—सिर्फ बैल और भैंसे थे। उन्होंने उसे उसकी पहचान की वजह से मार डाला।"

पुलिस की प्रतिक्रिया

एबीपी लाइव के अनुसार, भीलवाड़ा के पुलिस अधीक्षक धर्मेंद्र सिंह ने पांच लोगों की गिरफ्तारी और भारतीय न्याय संहिता की कई धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज होने की पुष्टि की है, जिनमें हत्या का प्रयास, गैरकानूनी जमावड़ा, गलत तरीके से रोकना, जानबूझकर चोट पहुंचाना और जबरन वसूली शामिल है। पीड़ितों के खिलाफ कथित गौ-तस्करी का एक मामला भी दर्ज किया गया है।

रिपोर्ट के अनुसार, सीसीटीवी फुटेज और डिजिटल साक्ष्यों के आधार पर मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया है। अधिकारियों का कहना है कि एसआईटी यह भी जांच करेगी कि क्या व्यक्तिगत दुश्मनी, जबरन वसूली या सड़क किनारे हुए किसी विवाद का इसमें कोई पहलू था। हालांकि, परिवार के सदस्यों का कहना है कि हमलावर संगठित गौरक्षक समूहों का हिस्सा हैं जो पशु व्यापारियों को परेशान करने के लिए कुख्यात हैं।

इन गिरफ्तारियों के बावजूद पेमला ने बताया कि एफआईआर में दर्ज कई आरोपी अभी भी खुले घूम रहे हैं। उन्होंने कहा, "मोहसिन ने सोशल मीडिया वीडियो से जिन लोगों की पहचान की है, वे घूम रहे हैं। जब तक वे पकड़े नहीं जाते, हम सुरक्षित महसूस नहीं कर सकते।"

आसिफ की मौत एक भयावह पैटर्न को उजागर करती है—जहाँ मवेशियों के परिवहन को लेकर भीड़ की हिंसा धार्मिक पूर्वाग्रह और आपराधिक अवसरवाद का मिश्रण है, जिससे आम किसान और उनके परिवार टूटकर बिखर जाते हैं।

राष्ट्रीय दैनिक अखबारों के भीतर के पन्नों में प्रकाशित इस हत्या की खबर से इस तरह की लक्षित निगरानी हिंसा के सामान्यीकरण का भी पता चलता है; जिसे लगभग एक आदर्श के रूप में स्वीकार कर लिया गया है।

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