कांवड़ यात्रा के दौरान हालिया हिंसक घटनाओं के मद्देनज़र अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (एबीएपी) ने मंगलवार, 15 जुलाई को श्रद्धालुओं से संयम बरतने की अपील की है।

फोटो साभार : मिंट
11 जुलाई से शुरू हुई कांवड़ यात्रा के महज पांच दिनों में, विभिन्न आरोपों के तहत 170 से अधिक कांवड़ियों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं।
हिंदुस्तान टाइम्स ने मेला पुलिस बल नियंत्रण कक्ष से प्राप्त आंकड़ों के हवाले से लिखा है कि कांवड़ियों पर गुंडागर्दी, दंगा, राजमार्गों को अवरुद्ध करना, पुलिस अधिकारियों के कार्य में बाधा डालना, शांति भंग और अवैध रोक जैसे आरोप लगाए गए हैं।
परिषद ने कहा कि यह प्राचीन तीर्थयात्रा आस्था और तपस्या का प्रतीक है, और श्रद्धालुओं को ऐसे किसी भी व्यवहार से बचना चाहिए जो इसकी आध्यात्मिक शुचिता और धार्मिक महत्व को ठेस पहुंचाए।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने कहा, “यह सिर्फ एक यात्रा नहीं है; यह भक्ति का एक गहन अनुष्ठान है जो त्रेता युग से चला आ रहा है, जब भगवान परशुराम पहली बार हरिद्वार से कांवड़ लाए थे। बाद में श्रवण कुमार ने अपने माता-पिता को कांवड़ पर बिठाया था, जो सेवा, त्याग और भक्ति का प्रतीक है। कांवड़ियों को याद रखना चाहिए कि वे ऐसे पूजनीय व्यक्तियों के पदचिह्नों पर चल रहे हैं। यह यात्रा करुणा और तपस्या की है, न कि आक्रामकता और अराजकता की।”
श्री पंचायती नया बड़ा उदासीन अखाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद महाराज ने गहरी चिंता जताते हुए हाल की घटनाओं को "यात्रा के सार का विरूपण" बताया।
उन्होंने कहा,
“हम देख रहे हैं कि कांवड़िये आजकल रिले रेस की तरह एक-दूसरे को डंडे की भांति गंगाजल के घड़े थमा रहे हैं। यह नया तरीका यात्रा के आध्यात्मिक मूल्यों को विकृत कर रहा है।”
उत्तराखंड में कांवड़ यात्रा की भीड़ और मानसून की सक्रियता के बीच पंचायत चुनावों की योजना को लेकर मंगलवार को हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा। कोर्ट ने राज्य के पुलिस महानिदेशक (DGP) और पंचायती राज विभाग के सचिव से यह स्पष्ट करने को कहा कि ऐसे चुनौतीपूर्ण समय में चुनाव कराने की क्या आवश्यकता है।
ज्ञात हो कि मुजफ्फरनगर में बीते सप्ताह कुछ कांवड़ियों ने एक ढाबे में प्याज परोसे जाने से नाराज़ होकर तोड़फोड़ कर दी थी।
फेडरल की रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस अधीक्षक सत्यनारायण प्रजापत ने बताया कि घटना की जानकारी मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और कांवड़ियों को शांत किया।
यह घटना सोमवार रात दिल्ली-हरिद्वार राष्ट्रीय राजमार्ग पर फौलादा बाईपास के पास, पुरकाजी थाना क्षेत्र में हुई थी। पुलिस के अनुसार, रात के खाने में प्याज दिए जाने से नाराज़ लगभग 20 कांवड़ियों ने ढाबे का कुछ फर्नीचर तोड़ दिया।
अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार, वलीदपुर गांव के सामने विश्राम कर रहे दिल्ली निवासी कुछ कांवड़ियों ने अपने साथियों के साथ बृहस्पतिवार को हंगामा किया और गुजरते वाहनों में तोड़फोड़ की। पुलिस ने कांवड़ियों को समझाकर शांत किया।
वलीदपुर गांव के सामने हाईवे पर कुछ कांवड़िये आराम कर रहे थे। दिल्ली से हरिद्वार की ओर जाने वाली लेन पर आकर उन्होंने लाठी-डंडों के साथ हंगामा शुरू कर दिया। हाईवे पर ई-रिक्शा और एक ऑटो को रुकवाकर उनमें सवार अन्य कांवड़ियों से बहस के बाद उन्हें उतार दिया। कांवड़ियों ने ऑटो का शीशा तोड़ दिया और ई-रिक्शा चालक की पिटाई कर दी। सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची और उन्हें शांत कराया। पूछताछ में कांवड़ियों ने बताया कि वे 101 लीटर जल लेकर हरिद्वार से आ रहे हैं और उन्हें जल्दी दिल्ली पहुंचना है।
आज तक की रिपोर्ट के अनुसार, कुछ दिन पहले हरिद्वार में कांवड़ मेले की शुरुआत के साथ ही उपद्रव की घटनाएं सामने आने लगी थीं।
ताज़ा मामला हर की पौड़ी क्षेत्र के ऊपर रोड का है, जहां शिव विश्रामगृह के बाहर देर रात कुछ कांवड़ियों ने कहासुनी के बाद एक चश्मे की दुकान में जमकर तोड़फोड़ की।
इस मामले में पुलिस ने दो आरोपियों — मुकेश उर्फ काढ़ा और मुकेश उर्फ बुद्धू — को गिरफ्तार किया है, जो हरियाणा के रहने वाले बताए जा रहे हैं।
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11 जुलाई से शुरू हुई कांवड़ यात्रा के महज पांच दिनों में, विभिन्न आरोपों के तहत 170 से अधिक कांवड़ियों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं।
हिंदुस्तान टाइम्स ने मेला पुलिस बल नियंत्रण कक्ष से प्राप्त आंकड़ों के हवाले से लिखा है कि कांवड़ियों पर गुंडागर्दी, दंगा, राजमार्गों को अवरुद्ध करना, पुलिस अधिकारियों के कार्य में बाधा डालना, शांति भंग और अवैध रोक जैसे आरोप लगाए गए हैं।
परिषद ने कहा कि यह प्राचीन तीर्थयात्रा आस्था और तपस्या का प्रतीक है, और श्रद्धालुओं को ऐसे किसी भी व्यवहार से बचना चाहिए जो इसकी आध्यात्मिक शुचिता और धार्मिक महत्व को ठेस पहुंचाए।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने कहा, “यह सिर्फ एक यात्रा नहीं है; यह भक्ति का एक गहन अनुष्ठान है जो त्रेता युग से चला आ रहा है, जब भगवान परशुराम पहली बार हरिद्वार से कांवड़ लाए थे। बाद में श्रवण कुमार ने अपने माता-पिता को कांवड़ पर बिठाया था, जो सेवा, त्याग और भक्ति का प्रतीक है। कांवड़ियों को याद रखना चाहिए कि वे ऐसे पूजनीय व्यक्तियों के पदचिह्नों पर चल रहे हैं। यह यात्रा करुणा और तपस्या की है, न कि आक्रामकता और अराजकता की।”
श्री पंचायती नया बड़ा उदासीन अखाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद महाराज ने गहरी चिंता जताते हुए हाल की घटनाओं को "यात्रा के सार का विरूपण" बताया।
उन्होंने कहा,
“हम देख रहे हैं कि कांवड़िये आजकल रिले रेस की तरह एक-दूसरे को डंडे की भांति गंगाजल के घड़े थमा रहे हैं। यह नया तरीका यात्रा के आध्यात्मिक मूल्यों को विकृत कर रहा है।”
उत्तराखंड में कांवड़ यात्रा की भीड़ और मानसून की सक्रियता के बीच पंचायत चुनावों की योजना को लेकर मंगलवार को हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा। कोर्ट ने राज्य के पुलिस महानिदेशक (DGP) और पंचायती राज विभाग के सचिव से यह स्पष्ट करने को कहा कि ऐसे चुनौतीपूर्ण समय में चुनाव कराने की क्या आवश्यकता है।
ज्ञात हो कि मुजफ्फरनगर में बीते सप्ताह कुछ कांवड़ियों ने एक ढाबे में प्याज परोसे जाने से नाराज़ होकर तोड़फोड़ कर दी थी।
फेडरल की रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस अधीक्षक सत्यनारायण प्रजापत ने बताया कि घटना की जानकारी मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और कांवड़ियों को शांत किया।
यह घटना सोमवार रात दिल्ली-हरिद्वार राष्ट्रीय राजमार्ग पर फौलादा बाईपास के पास, पुरकाजी थाना क्षेत्र में हुई थी। पुलिस के अनुसार, रात के खाने में प्याज दिए जाने से नाराज़ लगभग 20 कांवड़ियों ने ढाबे का कुछ फर्नीचर तोड़ दिया।
अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार, वलीदपुर गांव के सामने विश्राम कर रहे दिल्ली निवासी कुछ कांवड़ियों ने अपने साथियों के साथ बृहस्पतिवार को हंगामा किया और गुजरते वाहनों में तोड़फोड़ की। पुलिस ने कांवड़ियों को समझाकर शांत किया।
वलीदपुर गांव के सामने हाईवे पर कुछ कांवड़िये आराम कर रहे थे। दिल्ली से हरिद्वार की ओर जाने वाली लेन पर आकर उन्होंने लाठी-डंडों के साथ हंगामा शुरू कर दिया। हाईवे पर ई-रिक्शा और एक ऑटो को रुकवाकर उनमें सवार अन्य कांवड़ियों से बहस के बाद उन्हें उतार दिया। कांवड़ियों ने ऑटो का शीशा तोड़ दिया और ई-रिक्शा चालक की पिटाई कर दी। सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची और उन्हें शांत कराया। पूछताछ में कांवड़ियों ने बताया कि वे 101 लीटर जल लेकर हरिद्वार से आ रहे हैं और उन्हें जल्दी दिल्ली पहुंचना है।
आज तक की रिपोर्ट के अनुसार, कुछ दिन पहले हरिद्वार में कांवड़ मेले की शुरुआत के साथ ही उपद्रव की घटनाएं सामने आने लगी थीं।
ताज़ा मामला हर की पौड़ी क्षेत्र के ऊपर रोड का है, जहां शिव विश्रामगृह के बाहर देर रात कुछ कांवड़ियों ने कहासुनी के बाद एक चश्मे की दुकान में जमकर तोड़फोड़ की।
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