केरल के दो सीबीएसई स्कूलों में शिक्षकों से ‘पाद-पूजा’ करवाने की घटना को राज्य सरकार ने धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक ताने-बाने को कमजोर करने के आरएसएस के एजेंडे का हिस्सा बताया है।

फोटो साभार : न्यूज18
केरल के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने रविवार, 13 जुलाई को 'गुरु पूजा' की परंपरा का समर्थन करते हुए कहा कि शिक्षकों के चरणों में पुष्प अर्पित करना भारतीय संस्कृति की एक महत्वपूर्ण परंपरा है।
राज्यपाल आर्लेकर की यह टिप्पणी उस समय आई है जब केरल की माकपा के नेतृत्व वाली सरकार ने हाल ही में राज्य के दो सीबीएसई स्कूलों में ‘पाद पूजा’ (यानी शिक्षकों के पैर धोने की रस्म) आयोजित किए जाने की निंदा की थी। इस घटना के बाद राज्य सरकार ने संबंधित स्कूल प्रबंधन से स्पष्टीकरण भी मांगा है।
न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, राज्यपाल आर्लेकर ने इस घटना पर राज्य सरकार की आलोचना पर सवाल उठाते हुए कहा, “मुझे समझ नहीं आता कि ये लोग किस संस्कृति से आते हैं।”
राज्यपाल आर्लेकर ने बलरामपुरम में दक्षिणपंथी संगठन बालगोकुलम द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, "गुरु पूजा हमारी संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है, जिसमें हम अपने गुरुओं के चरणों में पुष्प अर्पित करते हैं… लेकिन कुछ लोगों ने इस पर आपत्ति जताई है। मुझे समझ नहीं आता कि वे किस संस्कृति से जुड़े हुए हैं। यदि हम अपनी संस्कृति को भूल गए, तो हम अपनी पहचान खो देंगे और इस दुनिया में हमारा कोई स्थान नहीं रह जाएगा।"
केरल के शिक्षा मंत्री वी. शिवनकुट्टी ने शनिवार, 12 जुलाई को उन रिपोर्टों पर आश्चर्य व्यक्त किया, जिनमें यह कहा गया था कि छात्रों से सेवानिवृत्त शिक्षकों के पैर धुलवाए गए। उन्होंने इस कृत्य को 'निंदनीय' और 'लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ' बताया।
इसकी आलोचना सीपीआईएम के राज्य सचिव एम.वी. गोविंदन ने भी की है। उन्होंने इसे कथित रूप से 'केरल के धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक ताने-बाने को कमजोर करने के आरएसएस के एजेंडे' का हिस्सा बताया है।
एम.वी. गोविंदन ने कहा, "शिक्षकों के सम्मान या उनके प्रति आदरभाव का किसी को विरोध नहीं है। लेकिन यह रस्म, जिसे सदियों पहले त्याग दिया गया था, सामंती सोच से जुड़ी हुई है और इसका उद्देश्य प्राचीन जाति व्यवस्था 'चातुर्वर्ण्य' को फिर से स्थापित करना लगता है।"
उन्होंने आरोप लगाया कि इस तरह की प्रथाओं का मकसद विशेष रूप से आरएसएस द्वारा संचालित स्कूलों में पढ़ने वाली युवा पीढ़ी के भीतर एक गुलाम मानसिकता विकसित करना है।
उधर, राज्यपाल आर्लेकर की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव के.सी. वेणुगोपाल ने कहा कि स्कूली बच्चों से शिक्षकों के पैर धुलवाने जैसे कृत्य को सही ठहराना राज्यपाल द्वारा लिया गया एक शर्मनाक निर्णय है, जो केरल की गरिमा के खिलाफ है।
वहीं, राज्यपाल आर्लेकर की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव के.सी. वेणुगोपाल ने कहा कि स्कूली बच्चों से शिक्षकों के पैर धुलवाने जैसे कृत्य को जायज़ ठहराना राज्यपाल द्वारा लिया गया एक शर्मनाक कदम है, जो केरल की छवि को ठेस पहुंचाता है।
पलक्कड़ में पत्रकारों से बातचीत के दौरान वेणुगोपाल ने आरोप लगाया कि ऐसी ही एक घटना में बच्चों से भाजपा के एक जिला सचिव के पैर भी धुलवाए गए थे। उन्होंने कहा, "आर्लेकर केरल को अंधकार युग की ओर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं। संभवतः राज्यपाल को उस भूमि का इतिहास नहीं मालूम, जिसने सामाजिक पुनर्जागरण देखा है।"

फोटो साभार : न्यूज18
केरल के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने रविवार, 13 जुलाई को 'गुरु पूजा' की परंपरा का समर्थन करते हुए कहा कि शिक्षकों के चरणों में पुष्प अर्पित करना भारतीय संस्कृति की एक महत्वपूर्ण परंपरा है।
राज्यपाल आर्लेकर की यह टिप्पणी उस समय आई है जब केरल की माकपा के नेतृत्व वाली सरकार ने हाल ही में राज्य के दो सीबीएसई स्कूलों में ‘पाद पूजा’ (यानी शिक्षकों के पैर धोने की रस्म) आयोजित किए जाने की निंदा की थी। इस घटना के बाद राज्य सरकार ने संबंधित स्कूल प्रबंधन से स्पष्टीकरण भी मांगा है।
न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, राज्यपाल आर्लेकर ने इस घटना पर राज्य सरकार की आलोचना पर सवाल उठाते हुए कहा, “मुझे समझ नहीं आता कि ये लोग किस संस्कृति से आते हैं।”
राज्यपाल आर्लेकर ने बलरामपुरम में दक्षिणपंथी संगठन बालगोकुलम द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, "गुरु पूजा हमारी संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है, जिसमें हम अपने गुरुओं के चरणों में पुष्प अर्पित करते हैं… लेकिन कुछ लोगों ने इस पर आपत्ति जताई है। मुझे समझ नहीं आता कि वे किस संस्कृति से जुड़े हुए हैं। यदि हम अपनी संस्कृति को भूल गए, तो हम अपनी पहचान खो देंगे और इस दुनिया में हमारा कोई स्थान नहीं रह जाएगा।"
केरल के शिक्षा मंत्री वी. शिवनकुट्टी ने शनिवार, 12 जुलाई को उन रिपोर्टों पर आश्चर्य व्यक्त किया, जिनमें यह कहा गया था कि छात्रों से सेवानिवृत्त शिक्षकों के पैर धुलवाए गए। उन्होंने इस कृत्य को 'निंदनीय' और 'लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ' बताया।
इसकी आलोचना सीपीआईएम के राज्य सचिव एम.वी. गोविंदन ने भी की है। उन्होंने इसे कथित रूप से 'केरल के धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक ताने-बाने को कमजोर करने के आरएसएस के एजेंडे' का हिस्सा बताया है।
एम.वी. गोविंदन ने कहा, "शिक्षकों के सम्मान या उनके प्रति आदरभाव का किसी को विरोध नहीं है। लेकिन यह रस्म, जिसे सदियों पहले त्याग दिया गया था, सामंती सोच से जुड़ी हुई है और इसका उद्देश्य प्राचीन जाति व्यवस्था 'चातुर्वर्ण्य' को फिर से स्थापित करना लगता है।"
उन्होंने आरोप लगाया कि इस तरह की प्रथाओं का मकसद विशेष रूप से आरएसएस द्वारा संचालित स्कूलों में पढ़ने वाली युवा पीढ़ी के भीतर एक गुलाम मानसिकता विकसित करना है।
उधर, राज्यपाल आर्लेकर की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव के.सी. वेणुगोपाल ने कहा कि स्कूली बच्चों से शिक्षकों के पैर धुलवाने जैसे कृत्य को सही ठहराना राज्यपाल द्वारा लिया गया एक शर्मनाक निर्णय है, जो केरल की गरिमा के खिलाफ है।
वहीं, राज्यपाल आर्लेकर की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव के.सी. वेणुगोपाल ने कहा कि स्कूली बच्चों से शिक्षकों के पैर धुलवाने जैसे कृत्य को जायज़ ठहराना राज्यपाल द्वारा लिया गया एक शर्मनाक कदम है, जो केरल की छवि को ठेस पहुंचाता है।
पलक्कड़ में पत्रकारों से बातचीत के दौरान वेणुगोपाल ने आरोप लगाया कि ऐसी ही एक घटना में बच्चों से भाजपा के एक जिला सचिव के पैर भी धुलवाए गए थे। उन्होंने कहा, "आर्लेकर केरल को अंधकार युग की ओर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं। संभवतः राज्यपाल को उस भूमि का इतिहास नहीं मालूम, जिसने सामाजिक पुनर्जागरण देखा है।"
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