बार के वरिष्ठ सदस्यों ने हमारा उत्साह बढ़ाया और अधिकांश पुरुष सहयोगियों ने सकारात्मक भावना के साथ चुनाव से हटने का निर्णय लेकर इस बदलाव का मार्ग प्रशस्त किया।

साभार : लाइव लॉ
केरल के कोट्टयम जिले में पाला बार एसोसिएशन ने भारतीय कानूनी क्षेत्र में ऐतिहासिक रिकॉर्ड बनाया है। पहली बार इसकी सभी कार्यकारिणी और पदाधिकारी पदों पर महिलाएं निर्वाचित हुईं हैं जो देश भर के बार एसोसिएशनों के लिए एक उदाहरण है। गत 24 अप्रैल को संपन्न हुए इस चुनाव में पुरुष प्रतिद्वंद्वी एडवोकेट जोसकुट्टी कुज़िथोट्टम को हराते हुए एडवोकेट उषा मेनन ने 163 मतों के साथ अध्यक्ष पद पर जीत हासिल की। एडवोकेट जोसकुट्टी कुज़िथोट्टम को 70 वोट मिले। इस चुनाव में 15 महिलाओं का एक पैनल चुना गया, जो एसोसिएशन में विभिन्न भूमिकाएं निभाएंगी।
द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, यह उपलब्धि उस समय और भी महत्वपूर्ण हो जाती है, जब देश में बार एसोसिएशनों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए कानूनी प्रयास चल रहे हैं। पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन में कम से कम एक-तिहाई पदों को महिलाओं के लिए आरक्षित करने का निर्देश दिया था। यह निर्देश बाद में दिल्ली हाई कोर्ट बार एसोसिएशन और कर्नाटक बार काउंसिल जैसे अन्य निकायों तक विस्तारित किया गया। हालांकि, पाला बार एसोसिएशन ने इस अनिवार्य कोटे से एक कदम आगे बढ़कर 100% महिला नेतृत्व वाली टीम का चुनाव करके लैंगिक समावेशी नेतृत्व का एक शक्तिशाली उदाहरण प्रस्तुत किया है।
नवनिर्वाचित अध्यक्ष एडवोकेट उषा मेनन ने कहा, "सभी पदों के लिए महिलाओं का पैनल बनाना कोई पूर्व-निर्धारित योजना नहीं थी, यह स्वाभाविक रूप से हो गया। लेकिन जब हमने सभी पदों के लिए नोमिनेशन दाखिल किया तो प्रतिक्रिया बहुत उत्साहजनक थी। हमारे ज्यादातर पुरुष सहयोगियों ने चुनाव से बाहर होने का फैसला किया। बार के वरिष्ठ सदस्य भी हमारा हौसला बढ़ा रहे थे।" उन्होंने कहा कि उनकी समिति एकजुट होकर काम करेगी और जूनियर वकीलों को अधिक अवसर प्रदान करने, कक्षाएं आयोजित करने और उचित मार्गदर्शन देने की योजना है।
नवनिर्वाचित सचिव रेम्या आर ने भी इस जीत पर खुशी व्यक्त की और कहा, "जब हमने नामांकन दाखिल किया, तो हमारे सहयोगियों से मिला अपार समर्थन हमारे लिए अत्यंत प्रेरणादायक और भावुक पल था। फिलहाल हमारे पास कोई योजना नहीं है, लेकिन हमारा मूल उद्देश्य स्पष्ट है एसोसिएशन वकीलों के कल्याण के लिए है और हमारा पूरा ध्यान इसी दिशा में केंद्रित रहेगा।" यह ऐतिहासिक पहल न सिर्फ पाला बार एसोसिएशन के लिए एक मील का पत्थर है, बल्कि इसने पूरे देश के कानूनी समुदाय को एक नई ऊर्जा और प्रेरणा प्रदान की है।
निर्वाचित सदस्यों की सूची इस प्रकार है:
अध्यक्ष: उषा मेनन
उपाध्यक्ष: मिनिमोल सिरियक वलियावीट्टिल
सचिव: रेम्या आर कक्कनट्टू ओज़ुकायिल
संयुक्त सचिव: प्रेजिशा जोस वथल्लूर
कोषाध्यक्ष: निशा निर्मला जॉर्ज पूथेनपुरक्कल
कार्यकारिणी सदस्य (महिला प्रतिनिधि): आशा रवि मुलंजनिक्कुन्नेल
कार्यकारिणी सदस्य (जूनियर): दीपा एन. जी. न्जुंदनमक्कल, इरिन एलिज़ाबेथ बी. मूथस्सेरिल
कार्यकारिणी सदस्य (सीनियर): मंजूषा के. जी. वडायट्टू, गायत्री रवींद्रन वंदनूर, मैगी बलराम एज़र्वयालिल, रेम्या रोज जॉर्ज परेक्कट्टू, सोलिमोल सेबेस्टियन इरुवेलिक्कुन्नेल, टिनू स्कारिया पंडियम्मक्कल, संजू पी. एस. श्रीनिलयम।
महिलाओं के नाम रिकॉर्ड
अपनी प्रगतिशील सोच और महिलाओं की भागीदारी के लिए जाना जाने वाला केरल नौकरी के क्षेत्र में भी महिलाएं पीछे नहीं रहीं। विश्वनजम बंदरगाह पर मछली पकड़ने वाली समुदाय की महिलाएं अब स्वचालित क्रेन का संचालन कर रही हैं, जो पुरुष प्रधान क्षेत्र में लैंगिक बाधाओं को तोड़ने का एक मिसाल है।

साभार : लाइव लॉ
केरल के कोट्टयम जिले में पाला बार एसोसिएशन ने भारतीय कानूनी क्षेत्र में ऐतिहासिक रिकॉर्ड बनाया है। पहली बार इसकी सभी कार्यकारिणी और पदाधिकारी पदों पर महिलाएं निर्वाचित हुईं हैं जो देश भर के बार एसोसिएशनों के लिए एक उदाहरण है। गत 24 अप्रैल को संपन्न हुए इस चुनाव में पुरुष प्रतिद्वंद्वी एडवोकेट जोसकुट्टी कुज़िथोट्टम को हराते हुए एडवोकेट उषा मेनन ने 163 मतों के साथ अध्यक्ष पद पर जीत हासिल की। एडवोकेट जोसकुट्टी कुज़िथोट्टम को 70 वोट मिले। इस चुनाव में 15 महिलाओं का एक पैनल चुना गया, जो एसोसिएशन में विभिन्न भूमिकाएं निभाएंगी।
द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, यह उपलब्धि उस समय और भी महत्वपूर्ण हो जाती है, जब देश में बार एसोसिएशनों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए कानूनी प्रयास चल रहे हैं। पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन में कम से कम एक-तिहाई पदों को महिलाओं के लिए आरक्षित करने का निर्देश दिया था। यह निर्देश बाद में दिल्ली हाई कोर्ट बार एसोसिएशन और कर्नाटक बार काउंसिल जैसे अन्य निकायों तक विस्तारित किया गया। हालांकि, पाला बार एसोसिएशन ने इस अनिवार्य कोटे से एक कदम आगे बढ़कर 100% महिला नेतृत्व वाली टीम का चुनाव करके लैंगिक समावेशी नेतृत्व का एक शक्तिशाली उदाहरण प्रस्तुत किया है।
नवनिर्वाचित अध्यक्ष एडवोकेट उषा मेनन ने कहा, "सभी पदों के लिए महिलाओं का पैनल बनाना कोई पूर्व-निर्धारित योजना नहीं थी, यह स्वाभाविक रूप से हो गया। लेकिन जब हमने सभी पदों के लिए नोमिनेशन दाखिल किया तो प्रतिक्रिया बहुत उत्साहजनक थी। हमारे ज्यादातर पुरुष सहयोगियों ने चुनाव से बाहर होने का फैसला किया। बार के वरिष्ठ सदस्य भी हमारा हौसला बढ़ा रहे थे।" उन्होंने कहा कि उनकी समिति एकजुट होकर काम करेगी और जूनियर वकीलों को अधिक अवसर प्रदान करने, कक्षाएं आयोजित करने और उचित मार्गदर्शन देने की योजना है।
नवनिर्वाचित सचिव रेम्या आर ने भी इस जीत पर खुशी व्यक्त की और कहा, "जब हमने नामांकन दाखिल किया, तो हमारे सहयोगियों से मिला अपार समर्थन हमारे लिए अत्यंत प्रेरणादायक और भावुक पल था। फिलहाल हमारे पास कोई योजना नहीं है, लेकिन हमारा मूल उद्देश्य स्पष्ट है एसोसिएशन वकीलों के कल्याण के लिए है और हमारा पूरा ध्यान इसी दिशा में केंद्रित रहेगा।" यह ऐतिहासिक पहल न सिर्फ पाला बार एसोसिएशन के लिए एक मील का पत्थर है, बल्कि इसने पूरे देश के कानूनी समुदाय को एक नई ऊर्जा और प्रेरणा प्रदान की है।
निर्वाचित सदस्यों की सूची इस प्रकार है:
अध्यक्ष: उषा मेनन
उपाध्यक्ष: मिनिमोल सिरियक वलियावीट्टिल
सचिव: रेम्या आर कक्कनट्टू ओज़ुकायिल
संयुक्त सचिव: प्रेजिशा जोस वथल्लूर
कोषाध्यक्ष: निशा निर्मला जॉर्ज पूथेनपुरक्कल
कार्यकारिणी सदस्य (महिला प्रतिनिधि): आशा रवि मुलंजनिक्कुन्नेल
कार्यकारिणी सदस्य (जूनियर): दीपा एन. जी. न्जुंदनमक्कल, इरिन एलिज़ाबेथ बी. मूथस्सेरिल
कार्यकारिणी सदस्य (सीनियर): मंजूषा के. जी. वडायट्टू, गायत्री रवींद्रन वंदनूर, मैगी बलराम एज़र्वयालिल, रेम्या रोज जॉर्ज परेक्कट्टू, सोलिमोल सेबेस्टियन इरुवेलिक्कुन्नेल, टिनू स्कारिया पंडियम्मक्कल, संजू पी. एस. श्रीनिलयम।
महिलाओं के नाम रिकॉर्ड
अपनी प्रगतिशील सोच और महिलाओं की भागीदारी के लिए जाना जाने वाला केरल नौकरी के क्षेत्र में भी महिलाएं पीछे नहीं रहीं। विश्वनजम बंदरगाह पर मछली पकड़ने वाली समुदाय की महिलाएं अब स्वचालित क्रेन का संचालन कर रही हैं, जो पुरुष प्रधान क्षेत्र में लैंगिक बाधाओं को तोड़ने का एक मिसाल है।