केंद्र ने बाढ़ प्रभावित केरल के लिए विदेशी सहायता से किया था इनकार, लेकिन महाराष्ट्र को दी अनुमति

Written by sabrang india | Published on: June 2, 2025
विदेशी चंदा प्राप्त करने वाले भारतीय गैर-लाभकारी संगठनों को विनियमित करने वाली नोडल एजेंसी — केंद्रीय गृह मंत्रालय — ने महाराष्ट्र मुख्यमंत्री राहत कोष को एफसीआरए पंजीकरण प्रदान किया है।



महाराष्ट्र को एफसीआरए (विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम), 2010 के अंतर्गत मुख्यमंत्री राहत कोष के लिए विदेशी देशों से वित्तीय सहायता प्राप्त करने की अनुमति मिल गई है। यह अनुमति केंद्र सरकार द्वारा प्रदान की गई है।

द वायर की रिपोर्ट के अनुसार, नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार को गैर-लाभकारी संगठनों के एफसीआरए लाइसेंस रद्द करने या निलंबित करने के लिए तत्पर माना जाता रहा है। ऐसे में अब इस कानून के तहत महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस द्वारा संचालित राहत कोष को एफसीआरए लाइसेंस दिया जाना लोगों को हैरान कर सकता है।

द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, विदेशी चंदा प्राप्त करने वाले भारतीय गैर-लाभकारी संगठनों को विनियमित करने वाली नोडल एजेंसी — केंद्रीय गृह मंत्रालय — ने महाराष्ट्र मुख्यमंत्री राहत कोष को एफसीआरए पंजीकरण प्रदान किया है।

गौरतलब है कि कोविड-19 महामारी के दौरान, मार्च 2020 में, निजी तौर पर स्थापित निकाय ‘पीएम केयर्स फंड’ को एफसीआरए के प्रावधानों से छूट दी गई थी। इससे उसे ‘विदेशी चंदा प्राप्त करने के लिए एक अलग बैंक खाता’ खोलने की सुविधा मिल गई थी। जबकि, महाराष्ट्र मुख्यमंत्री राहत कोष को सीधे एफसीआरए पंजीकरण प्रदान किया गया है।

यह ध्यान देने योग्य है कि यह राहत कोष प्राकृतिक आपदाओं, दुर्घटनाओं, सांप्रदायिक दंगों, आतंकवादी हमलों से प्रभावित व्यक्तियों, तथा चिकित्सा या शैक्षिक सहायता की आवश्यकता वाले लोगों को वित्तीय मदद देने के उद्देश्य से स्थापित किया गया था।

इस ट्रस्ट को बॉम्बे पब्लिक ट्रस्ट्स एक्ट, 1950 के तहत पंजीकृत किया गया है, जिसकी निगरानी और नियंत्रण स्वयं मुख्यमंत्री के पास है। अब तक यह कोष पूरी तरह घरेलू अंशदान पर निर्भर रहा था।

रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2018 में केरल में आई बाढ़ के दौरान, राज्य सरकार द्वारा विदेशी मदद स्वीकार करने के प्रस्ताव को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अस्वीकार कर दिया था।

केंद्रीय गृह मंत्रालय एफसीआरए के तहत उन गैर-सरकारी संगठनों द्वारा प्राप्त विदेशी चंदे को नियंत्रित करता है, जो सामाजिक, शैक्षिक, धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों में संलग्न होते हैं। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना होता है कि ऐसी विदेशी सहायता भारत की आंतरिक सुरक्षा को कोई खतरा न पहुंचाए।

एफसीआरए लाइसेंस रद्द करने की संख्या में भारी वृद्धि
एफसीआरए (विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम) को पहली बार 1976 में लागू किया गया था, जिसे 2010 में एक नए अधिनियम द्वारा प्रतिस्थापित किया गया। इसके बाद 2020 में इसमें और संशोधन किए गए, जिसके पश्चात एफसीआरए लाइसेंसों को रद्द किए जाने की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई।

अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, 30 मई 2025 तक देश में 16,141 एफसीआरए-पंजीकृत एनजीओ थे।

द हिंदू की फरवरी 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, 2012 से अब तक 20,000 से अधिक एफसीआरए लाइसेंस रद्द किए जा चुके हैं, जिनमें से 10,000 से ज्यादा 2015 में रद्द किए गए थे।

ऑक्सफैम इंडिया जैसे प्रमुख सामाजिक कल्याण संगठन, सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च जैसे थिंक टैंक और न्यूज़क्लिक जैसे मीडिया पोर्टल इस प्रक्रिया के तहत विदेशी सहायता प्राप्त करने की अपनी पात्रता खो चुके हैं।

इस सूची में तमिलनाडु के 2,500 से अधिक संगठनों के एफसीआरए लाइसेंस रद्द किए गए हैं, जिससे यह राज्य संख्या के हिसाब से सबसे ऊपर है। दूसरी ओर, उत्तर प्रदेश में जारी लाइसेंसों की तुलना में सबसे अधिक लाइसेंस रद्द हुए हैं, यानी अनुपात के लिहाज से यह राज्य सबसे ऊपर है।

बाकी ख़बरें