आईआईएसइआर में जारी मुक्तिपर्व महोत्सव में डॉ. आंबेडकर को लेकर एक सत्र रखा गया था जिसे संस्थान ने रद्द कर दिया।

पुणे स्थित भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (आईआईएसइआर) ने शुक्रवार 11 अप्रैल को बाबासाहेब आंबेडकर की जयंती यानी 14 अप्रैल से पहले इस सप्ताह के आखिर में आयोजित होने वाले एक कार्यक्रम में बाहरी वक्ताओं के शामिल होने को रद्द कर दिया है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, इन वक्ताओं को इसलिए शामिल होने से रोक दिया गया है क्योंकि एबीवीपी (अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद) ने पुलिस को एक पत्र लिखकर कहा था कि वे वक्ता ‘राष्ट्र-विरोधी माओवादी विचारों’ का समर्थन करने वाले लोग हैं और वे कानून-व्यवस्था की समस्या पैदा कर सकते हैं।
यहां जारी वार्षिक कला उत्सव- मुक्तिपर्व महोत्सव में बाहरी वक्ताओं के शामिल होने वाले इस सत्र में आंबेडकर और अन्य समाज सुधारकों के कार्यों पर बात की जानी थी।
रिपोर्ट के अनुसार, एबीवीपी ने पुलिस को लिखे पत्र में कहा कि इस कार्यक्रम में समाज में विभाजन पैदा करने के लिए ‘अलगाववादी, धार्मिक और जातिवादी टिप्पणियां’ की जा सकती हैं। आरएसएस की छात्र शाखा ने आयोजकों पर कथित ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग’ से संबंध रखने वाले लोगों को आमंत्रित करने का भी आरोप लगाया।
इस घटनाक्रम के बाद एक बयान में आईआईएसइआर ने कहा कि उसने विवाद से बचने के लिए बाहरी वक्ताओं के शामिल होने को रद्द कर दिया है।
बयान में कहा गया कि, ‘संस्थान में बाहरी वक्ताओं के संबोधन की योजना बनाई गई थी, जो शिक्षाविद और सामाजिक समानता तथा जाति व लिंग गतिशीलता के विशेषज्ञ हैं। संस्थान बाबासाहेब आंबेडकर द्वारा निर्धारित आदर्शों को कायम रखने के लिए प्रतिबद्ध है, इसलिए हम इस सप्ताहांत और पूरे वर्ष आंबेडकर जयंती मना रहे हैं।’
वहीं, आईआईएसइआर के छात्र परिषद ने एक बयान जारी कर इसकी निंदा की है। बयान में कहा गया कि ‘विद्यार्थी परिषद संस्थान द्वारा मुक्तिपर्व 2025 को मनमाने ढंग से रद्द करने की कड़ी निंदा करता है। मुक्तिपर्व डॉ. बीआर आंबेडकर के कार्यों को समर्पित एक उत्सव है जो व्यवस्थागत उत्पीड़न की संरचनाओं के खिलाफ मनाया जाता है। संस्थान ने अज्ञात कारणों से इसे बीच में ही रद्द कर दिया।’
बयान में आगे कहा गया, ‘मुख्य कार्यक्रम से जुड़े कला व साहित्य के क्षेत्र के कार्यक्रम पिछले सप्ताहांत से ही हो रहे हैं। मुख्य कार्यक्रम, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों के विद्वानों को मंच दिया जाना था वह 13 अप्रैल को होना निर्धारित था, जिसे संस्थान ने रद्द कर दिया। हमें पता चला है कि कार्यक्रम के खिलाफ निदेशक को शिकायतें भेजी गई थीं, जिसमें वक्ताओं को दलित कार्यकर्ता, पत्रकार और नारीवादी बताया गया था जिन्होंने ‘नाइट इज़ आवर’ विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया था। हमें चिंता है कि संस्थान ने ऐसी शिकायतों को शामिल किया, जिन्हें उनकी योग्यता की कमी को देखते हुए अनदेखा किया जाना चाहिए था।’
Related
आरजीआई ने जन्म और मृत्यु की रिपोर्टिंग में देरी पर अस्पतालों को चेतावनी दी

पुणे स्थित भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (आईआईएसइआर) ने शुक्रवार 11 अप्रैल को बाबासाहेब आंबेडकर की जयंती यानी 14 अप्रैल से पहले इस सप्ताह के आखिर में आयोजित होने वाले एक कार्यक्रम में बाहरी वक्ताओं के शामिल होने को रद्द कर दिया है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, इन वक्ताओं को इसलिए शामिल होने से रोक दिया गया है क्योंकि एबीवीपी (अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद) ने पुलिस को एक पत्र लिखकर कहा था कि वे वक्ता ‘राष्ट्र-विरोधी माओवादी विचारों’ का समर्थन करने वाले लोग हैं और वे कानून-व्यवस्था की समस्या पैदा कर सकते हैं।
यहां जारी वार्षिक कला उत्सव- मुक्तिपर्व महोत्सव में बाहरी वक्ताओं के शामिल होने वाले इस सत्र में आंबेडकर और अन्य समाज सुधारकों के कार्यों पर बात की जानी थी।
रिपोर्ट के अनुसार, एबीवीपी ने पुलिस को लिखे पत्र में कहा कि इस कार्यक्रम में समाज में विभाजन पैदा करने के लिए ‘अलगाववादी, धार्मिक और जातिवादी टिप्पणियां’ की जा सकती हैं। आरएसएस की छात्र शाखा ने आयोजकों पर कथित ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग’ से संबंध रखने वाले लोगों को आमंत्रित करने का भी आरोप लगाया।
इस घटनाक्रम के बाद एक बयान में आईआईएसइआर ने कहा कि उसने विवाद से बचने के लिए बाहरी वक्ताओं के शामिल होने को रद्द कर दिया है।
बयान में कहा गया कि, ‘संस्थान में बाहरी वक्ताओं के संबोधन की योजना बनाई गई थी, जो शिक्षाविद और सामाजिक समानता तथा जाति व लिंग गतिशीलता के विशेषज्ञ हैं। संस्थान बाबासाहेब आंबेडकर द्वारा निर्धारित आदर्शों को कायम रखने के लिए प्रतिबद्ध है, इसलिए हम इस सप्ताहांत और पूरे वर्ष आंबेडकर जयंती मना रहे हैं।’
वहीं, आईआईएसइआर के छात्र परिषद ने एक बयान जारी कर इसकी निंदा की है। बयान में कहा गया कि ‘विद्यार्थी परिषद संस्थान द्वारा मुक्तिपर्व 2025 को मनमाने ढंग से रद्द करने की कड़ी निंदा करता है। मुक्तिपर्व डॉ. बीआर आंबेडकर के कार्यों को समर्पित एक उत्सव है जो व्यवस्थागत उत्पीड़न की संरचनाओं के खिलाफ मनाया जाता है। संस्थान ने अज्ञात कारणों से इसे बीच में ही रद्द कर दिया।’
बयान में आगे कहा गया, ‘मुख्य कार्यक्रम से जुड़े कला व साहित्य के क्षेत्र के कार्यक्रम पिछले सप्ताहांत से ही हो रहे हैं। मुख्य कार्यक्रम, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों के विद्वानों को मंच दिया जाना था वह 13 अप्रैल को होना निर्धारित था, जिसे संस्थान ने रद्द कर दिया। हमें पता चला है कि कार्यक्रम के खिलाफ निदेशक को शिकायतें भेजी गई थीं, जिसमें वक्ताओं को दलित कार्यकर्ता, पत्रकार और नारीवादी बताया गया था जिन्होंने ‘नाइट इज़ आवर’ विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया था। हमें चिंता है कि संस्थान ने ऐसी शिकायतों को शामिल किया, जिन्हें उनकी योग्यता की कमी को देखते हुए अनदेखा किया जाना चाहिए था।’
Related
आरजीआई ने जन्म और मृत्यु की रिपोर्टिंग में देरी पर अस्पतालों को चेतावनी दी
'बंगाल में नहीं लागू होगा नया वक्फ कानून’, ममता बनर्जी ने कहा 'आपकी संपत्ति की रक्षा करेंगे'