रीवा में 40 घरों को प्रशासन द्वारा ध्वस्त किए जाने के बाद लोग खुले आसमान के नीचे जीने को मजबूर हैं।

फोटो साभार : वनइंडिया
मध्य प्रदेश के रीवा में 40 घरों पर बुलडोजर चला जिसके चलते ये सभी परिवार अचानक बेघर हो गए। ये सभी अपने बच्चों के साथ खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं। पहले प्रशासन ने मुनादी करवाई उसके बाद एक- एक कर मकान ढहाने शुरू कर दिए। भारी पुलिस बल की मौजूदगी में एक के बाद एक करके 40 मकानों को जेसीबी से ध्वस्त कर दिया गया। स्थानीय लोगों का आरोप है कि प्रशासन ने उन्हें नोटिस भी नहीं दिया और अचानक मकान तोड़ दिए।
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, रीवा जिला प्रशासन ने शहर के चिरहुला कॉलोनी में गुरुवार को सड़क किनारे बने 40 घरों को ध्वस्त कर दिया। इससे पहले बुधवार शाम इलाके में मुनादी कराई। गुरुवार सुबह नगर निगम का अमला जेसीबी मशीनों और भारी पुलिस बल के साथ पहुंचा और अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई शुरू कर दी। शुक्रवार-शनिवार तक देखते ही देखते 40 घर जमींदोज कर दिए गए। ऐसे में लोग खुले आसमान तले जीने को मजबूर हो गए।
प्रशासन की कार्रवाई के बाद स्थानीय लोग और प्रशासन आमने-सामने आ गए हैं। प्रशासन का कहना है कि सभी नियमों का पालन करते हुए अतिक्रमण की श्रेणी में आने वाले मकानों के खिलाफ कार्रवाई की गई है, जबकि स्थानीय लोग कार्रवाई से बेहद नाराज हैं, उनका कहना है कि शासन की तरफ से उन्हें किसी भी तरह की नोटिस नहीं मिली। न ही इतना समय दिया गया कि वो अपना सामान बाहर निकाल सकें।
नगर निगम की इस कार्रवाई के पीड़ित दिलीप ने मीडिया को बताया कि मेरे घर और आसपास में बने बड़ी संख्या में घरों को गिराया गया है, लेकिन किसी को लिखित नोटिस नहीं दिया गया है। जबकि प्रक्रिया के तहत सबसे पहले नोटिस देना चाहिए था। केवल एक दिन पहले रात में मुनादी करवाई गई।
वनइंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, लोगों का कहना है कि बच्चों की परीक्षाएं चल रही थीं और ऐसे वक्त में घरों को गिराना बेहद कठोर कदम था। एक निवासी ने कहा, "हमारे बच्चों की परीक्षाएं चल रही थीं, लेकिन निगम ने कोई राहत नहीं दी। हमें समय तक नहीं दिया कि हम अपने घरों को खाली कर सकें और बच्चों के लिए परीक्षा की तैयारी कर सकें।"
सड़क के किनारे बने ये घर लगभग सभी पक्के थे, और अधिकांश परिवारों ने इन घरों में वर्षों से अपनी जिंदगी बसाई थी। कई लोग यहां घर बनाकर अपने परिवार के साथ रह रहे थे। अब अचानक उनके घरों को गिराया जाना उनके लिए एक बड़े सदमे के समान है।

फोटो साभार : वनइंडिया
मध्य प्रदेश के रीवा में 40 घरों पर बुलडोजर चला जिसके चलते ये सभी परिवार अचानक बेघर हो गए। ये सभी अपने बच्चों के साथ खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं। पहले प्रशासन ने मुनादी करवाई उसके बाद एक- एक कर मकान ढहाने शुरू कर दिए। भारी पुलिस बल की मौजूदगी में एक के बाद एक करके 40 मकानों को जेसीबी से ध्वस्त कर दिया गया। स्थानीय लोगों का आरोप है कि प्रशासन ने उन्हें नोटिस भी नहीं दिया और अचानक मकान तोड़ दिए।
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, रीवा जिला प्रशासन ने शहर के चिरहुला कॉलोनी में गुरुवार को सड़क किनारे बने 40 घरों को ध्वस्त कर दिया। इससे पहले बुधवार शाम इलाके में मुनादी कराई। गुरुवार सुबह नगर निगम का अमला जेसीबी मशीनों और भारी पुलिस बल के साथ पहुंचा और अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई शुरू कर दी। शुक्रवार-शनिवार तक देखते ही देखते 40 घर जमींदोज कर दिए गए। ऐसे में लोग खुले आसमान तले जीने को मजबूर हो गए।
प्रशासन की कार्रवाई के बाद स्थानीय लोग और प्रशासन आमने-सामने आ गए हैं। प्रशासन का कहना है कि सभी नियमों का पालन करते हुए अतिक्रमण की श्रेणी में आने वाले मकानों के खिलाफ कार्रवाई की गई है, जबकि स्थानीय लोग कार्रवाई से बेहद नाराज हैं, उनका कहना है कि शासन की तरफ से उन्हें किसी भी तरह की नोटिस नहीं मिली। न ही इतना समय दिया गया कि वो अपना सामान बाहर निकाल सकें।
नगर निगम की इस कार्रवाई के पीड़ित दिलीप ने मीडिया को बताया कि मेरे घर और आसपास में बने बड़ी संख्या में घरों को गिराया गया है, लेकिन किसी को लिखित नोटिस नहीं दिया गया है। जबकि प्रक्रिया के तहत सबसे पहले नोटिस देना चाहिए था। केवल एक दिन पहले रात में मुनादी करवाई गई।
वनइंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, लोगों का कहना है कि बच्चों की परीक्षाएं चल रही थीं और ऐसे वक्त में घरों को गिराना बेहद कठोर कदम था। एक निवासी ने कहा, "हमारे बच्चों की परीक्षाएं चल रही थीं, लेकिन निगम ने कोई राहत नहीं दी। हमें समय तक नहीं दिया कि हम अपने घरों को खाली कर सकें और बच्चों के लिए परीक्षा की तैयारी कर सकें।"
सड़क के किनारे बने ये घर लगभग सभी पक्के थे, और अधिकांश परिवारों ने इन घरों में वर्षों से अपनी जिंदगी बसाई थी। कई लोग यहां घर बनाकर अपने परिवार के साथ रह रहे थे। अब अचानक उनके घरों को गिराया जाना उनके लिए एक बड़े सदमे के समान है।