दिल्ली में ऐक्टू का सम्मेलन: मेहनतकश वर्ग उठाएंगे अपनी मांगें

Written by sabrang india | Published on: February 24, 2025
एक्टू के राष्ट्रीय महासचिव राजीव दिमरी ने सभी मजदूरों और समर्थकों से 24 फरवरी को तालकटोरा स्टेडियम में होने वाले राष्ट्रीय मजदूर सभा में शामिल होने का आह्वान किया और जोर देकर कहा कि यह एक ऐतिहासिक पल है, जब मेहनतकश वर्ग को उसका हक वापस मिलेगा।


प्रतीकात्मक तस्वीर; साभार : एक्टू

24 से 26 फरवरी तक दिल्ली में ऐक्टू का 11वां राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित होने जा रहा है। इस सम्मेलन देशभर से मजदूर प्रतिनिधि शामिल होंगे। इसके जरिए मजदूर अधिकारों की लड़ाई को तेज करने और बड़ा आंदोलन बनाने की रणनीति तैयार की जाएगी।

द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, सफाई कर्मचारियों से लेकर स्कीम कर्मचारी, निर्माण मज़दूरों से लेकर घरेलू कामगार, खदान मज़दूरों से लेकर फेरीवालों तक, सभी क्षेत्रों के हज़ारों मज़दूर सोमवार को एक मंच पर इकट्ठा होंगे।

ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियन्स (AICCTU) का 11वां राष्ट्रीय सम्मेलन 24 से 26 फरवरी तक दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित किया जाएगा। इसमें हजारों लोग कॉर्पोरेट शोषण, मज़दूर विरोधी नीतियों और श्रम अधिकारों के हनन के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करेंगे।

"हम हैं इसके मालिक, हिंदुस्तान हमारा" के नारे के साथ, यह सम्मेलन मजदूरों के सम्मान, न्यायसंगत मजदूरी, नौकरी की सुरक्षा और सामाजिक न्याय के अधिकारों की मांग करने का एक सशक्त मंच होगा।

इस सम्मेलन में शामिल होने वाले देश भर के मजदूर मोदी सरकार की कॉर्पोरेट-हितैषी नीतियों के खिलाफ एकजुट होंगे।

इस दौरान नए श्रम कोड और ठेका प्रथा के खिलाफ आवाज उठाई जाएगी। सफाई, रेलवे और निर्माण जैसे क्षेत्रों में ठेका प्रथा और शोषण के खिलाफ संघर्ष को मुख्य मुद्दा बनाया जाएगा।

रिपोर्ट के अनुसार, नए श्रम कोड और आपराधिक कानूनों के खिलाफ जोरदार विरोध जताया जाएगा। नए श्रम कोड मज़दूरों को उनके बुनियादी संरक्षण और उनके संघर्ष से हासिल अधिकारों से वंचित करने का आभास देते हैं। इसी तरह, नए आपराधिक कानून मजदूर विरोधी हैं, जिनका इस्तेमाल मजदूर आंदोलनों को निशाना बनाने और चुप कराने के लिए किया जा सकता है। मेहनतकश वर्ग इन पिछड़े कानूनों को रद्द करने की अपनी मांग में एकजुट है।

वहीं सम्मानजनक मजदूरी, पुरानी पेंशन योजना की बहाली और असुरक्षित रोजगार की स्थितियों को खत्म करने की मांग की जाएगी। साथ ही मोदी सरकार की नफरत भरी और विभाजनकारी नीतियों के खिलाफ एकजुट होने का आह्वान किया जाएगा।

एक्टू से जुड़ी सुचेता डे ने मीडिया को बताया कि असुरक्षित रोजगार, स्थिर मजदूरी और पेंशन अधिकारों को खत्म करने से मजदूरों को कमजोर बना दिया गया है। सुरक्षित, स्थायी नौकरियों, जीवनयापन लायक मजदूरी और OPS की बहाली के लिए संघर्ष लाखों मज़दूरों के लिए आर्थिक न्याय और सुरक्षा सुनिश्चित करने का केंद्रीय मुद्दा है।

विभिन्न क्षेत्रों के श्रमिकों की मांगें

सफाई कर्मचारी: ठेका प्रथा के खिलाफ नियमितकरण व अन्य सुविधा की मांग।

योजना कर्मचारी: मजदूर के रूप में मान्यता, नौकरी की सुरक्षा और सामाजिक सुरक्षा के साथ अन्य मांग।

निर्माण श्रमिक: सम्मानजनक मजदूरी व सुरक्षित कामकाजी परिस्थितियों के साथ साथ अन्य मांग।

रेल कर्मी: निजीकरण व पेंशन अधिकारों के हनन के खिलाफ संघर्ष।

घरेलू कामगार: सामंती, जातिवादी और पितृसत्तात्मक शोषण रोकने को लेकर मांग।

गिग वर्कर्स: मज़दूर के रूप में मान्यता व असुरक्षित रोजगार के खिलाफ संघर्ष।

खदान श्रमिक: अमानवीय कामकाजी परिस्थितियों व बुनियादी अधिकारों की मांग।

फेरीवाले: विस्थापन व पुलिस उत्पीड़न रोकने की मांग।

ज्ञात हो कि एक्टू के राष्ट्रीय महासचिव राजीव दिमरी ने सभी मजदूरों और समर्थकों से 24 फरवरी को तालकटोरा स्टेडियम में होने वाले राष्ट्रीय मजदूर सभा में शामिल होने का आह्वान किया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह एक ऐतिहासिक पल है, जब मेहनतकश वर्ग को उसका हक वापस मिलेगा।

मुख्य वक्ता

राजाराम सिंह (AIKM और CPIML सांसद, कराकट)

वकील हसन (सिलक्यारा सुरंग बचाव दल के मज़दूर)

दीपांकर (महासचिव, CPIML लिबरेशन)

बेजवाड़ा विल्सन (सफाई कर्मचारी आंदोलन)

सुदामा प्रसाद (AIKM और CPIML सांसद, आरा)

अतुल सूद (अर्थशास्त्री)

निर्मला एम. (कार्यकारी अध्यक्ष, ऑल इंडिया म्युनिसिपल एंड सैनिटेशन वर्कर्स फेडरेशन)

शशि यादव (सचिव, ऑल इंडिया स्कीम वर्कर्स फेडरेशन और एमएलसी, बिहार)

अरूप चटर्जी (CPIML विधायक, धनबाद)

सर्वजीत सिंह (महासचिव, इंडियन रेलवे एम्प्लॉयीज फेडरेशन)

अपूर्व गौतम (एशिया पैसिफिक कोऑर्डिनेटर, बीडीएस मूवमेंट)

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