गत शनिवार को एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले भोपाल पहुंचे थे लेकिन उन्होंने इस मुद्दे पर सीधे तौर पर कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया है।
फोटो साभार : जागरण जोश
मध्य प्रदेश के दलित छात्रों को पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति न मिलने के मुद्दे को लेकर नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने हाल ही में प्रमुखता से उठाया है। उन्होंने केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री रामदास आठवले से इस विषय पर स्पष्टीकरण मांगा है। सिंघार ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित 60% हिस्सेदारी समय पर नहीं दी जा रही है, जिसके चलते छात्रों को उनकी छात्रवृत्ति नहीं मिल पा रही है।
द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, मध्य प्रदेश में अनुसूचित जाति (SC) के छात्रों के लिए पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना में केंद्र सरकार की 60% और राज्य सरकार की 40% हिस्सेदारी होती है। इस योजना का उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर SC छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना है। हालांकि, हाल में छात्रों को समय पर छात्रवृत्ति न मिलने की शिकायतें बढ़ी हैं, जिससे उनकी शिक्षा प्रभावित हो रही है।
ज्ञात हो कि गत शनिवार को एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले भोपाल पहुंचे थे लेकिन उन्होंने इस मुद्दे पर सीधे तौर पर कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया है। हालांकि, उन्होंने पहले भी संसद में दलित और आदिवासी समुदायों के अधिकारों की वकालत की है और कांग्रेस सरकारों पर इन समुदायों के साथ न्याय न करने का आरोप लगाया है।
भोपाल के बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी के छात्र विपिन कुमार ने द मूकनायक से बात करते हुए कहा, "छात्रवृत्ति हमारी पढ़ाई का मुख्य सहारा होती है। पिछले दो वर्षों से छात्रवृत्ति मिलने में समस्या आ रही है, जिससे फीस भरने और अन्य शैक्षणिक खर्चों में दिक्कतें आ रही हैं। कई बार कॉलेज प्रशासन से बात की, लेकिन उन्होंने कहा कि जब सरकार पैसा भेजेगी, तभी हमें मिलेगा।"
विपिन ने आगे बताया कि "मेरे जैसे कई छात्र हैं जो आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों से आते हैं। हम लोग ट्यूशन पढ़ाकर या मजदूरी करके अपनी पढ़ाई जारी रखने की कोशिश कर रहे हैं। छात्रवृत्ति समय से नहीं मिलने के कारण, बहुत से छात्र पढ़ाई बीच में ही छोड़ देते हैं। सरकार को इस पर तुरंत ध्यान देना चाहिए।"
मध्य प्रदेश सरकार ने आरक्षित वर्ग पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के नवीनीकरण आवेदन पत्र भरने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। हालांकि, अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए छात्रवृत्ति वितरण में देरी की समस्या अब भी बनी हुई है। इस देरी के पीछे मुख्य कारण प्रशासनिक प्रक्रियाओं में सुस्ती, बजटीय आवंटन में कमी और केंद्र तथा राज्य सरकारों के बीच समन्वय की कमी बताई जा रही है।
अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार बीते साल अप्रैल में मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी मीडिया विभाग के अध्यक्ष मुकेश नायक ने आरोप लगाया था कि आदिवासियों के हित की बात करने वाली मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार ने पिछले दो साल से प्रदेश के सात लाख से अधिक अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के छात्रों को मिलने वाली छात्रवृत्ति का लाभ नहीं दिया। मध्यप्रदेश के स्कूल शिक्षा विभाग में स्वयं 28 मार्च को स्वीकार किया था कि अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के विद्यार्थियों को साल 2022-23 एवं 2023-24 की प्री-मैट्रिक एवं पोस्ट मैट्रिक में अध्ययनरत विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति का भुगतान नहीं किया गया।
नायक ने आरोप लगाते हुए आगे कहा था कि इतना ही नहीं भारत सरकार द्वारा भी मध्यप्रदेश को साल 2023-24 के लिए कक्षा दसवीं से बारहवीं तक के विद्यार्थियों को दी जाने वाली छात्रवृत्ति की राशि 468 करोड़ रुपये की राशि नहीं दी।
फोटो साभार : जागरण जोश
मध्य प्रदेश के दलित छात्रों को पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति न मिलने के मुद्दे को लेकर नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने हाल ही में प्रमुखता से उठाया है। उन्होंने केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री रामदास आठवले से इस विषय पर स्पष्टीकरण मांगा है। सिंघार ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित 60% हिस्सेदारी समय पर नहीं दी जा रही है, जिसके चलते छात्रों को उनकी छात्रवृत्ति नहीं मिल पा रही है।
द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, मध्य प्रदेश में अनुसूचित जाति (SC) के छात्रों के लिए पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना में केंद्र सरकार की 60% और राज्य सरकार की 40% हिस्सेदारी होती है। इस योजना का उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर SC छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना है। हालांकि, हाल में छात्रों को समय पर छात्रवृत्ति न मिलने की शिकायतें बढ़ी हैं, जिससे उनकी शिक्षा प्रभावित हो रही है।
ज्ञात हो कि गत शनिवार को एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले भोपाल पहुंचे थे लेकिन उन्होंने इस मुद्दे पर सीधे तौर पर कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया है। हालांकि, उन्होंने पहले भी संसद में दलित और आदिवासी समुदायों के अधिकारों की वकालत की है और कांग्रेस सरकारों पर इन समुदायों के साथ न्याय न करने का आरोप लगाया है।
भोपाल के बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी के छात्र विपिन कुमार ने द मूकनायक से बात करते हुए कहा, "छात्रवृत्ति हमारी पढ़ाई का मुख्य सहारा होती है। पिछले दो वर्षों से छात्रवृत्ति मिलने में समस्या आ रही है, जिससे फीस भरने और अन्य शैक्षणिक खर्चों में दिक्कतें आ रही हैं। कई बार कॉलेज प्रशासन से बात की, लेकिन उन्होंने कहा कि जब सरकार पैसा भेजेगी, तभी हमें मिलेगा।"
विपिन ने आगे बताया कि "मेरे जैसे कई छात्र हैं जो आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों से आते हैं। हम लोग ट्यूशन पढ़ाकर या मजदूरी करके अपनी पढ़ाई जारी रखने की कोशिश कर रहे हैं। छात्रवृत्ति समय से नहीं मिलने के कारण, बहुत से छात्र पढ़ाई बीच में ही छोड़ देते हैं। सरकार को इस पर तुरंत ध्यान देना चाहिए।"
मध्य प्रदेश सरकार ने आरक्षित वर्ग पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के नवीनीकरण आवेदन पत्र भरने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। हालांकि, अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए छात्रवृत्ति वितरण में देरी की समस्या अब भी बनी हुई है। इस देरी के पीछे मुख्य कारण प्रशासनिक प्रक्रियाओं में सुस्ती, बजटीय आवंटन में कमी और केंद्र तथा राज्य सरकारों के बीच समन्वय की कमी बताई जा रही है।
अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार बीते साल अप्रैल में मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी मीडिया विभाग के अध्यक्ष मुकेश नायक ने आरोप लगाया था कि आदिवासियों के हित की बात करने वाली मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार ने पिछले दो साल से प्रदेश के सात लाख से अधिक अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के छात्रों को मिलने वाली छात्रवृत्ति का लाभ नहीं दिया। मध्यप्रदेश के स्कूल शिक्षा विभाग में स्वयं 28 मार्च को स्वीकार किया था कि अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के विद्यार्थियों को साल 2022-23 एवं 2023-24 की प्री-मैट्रिक एवं पोस्ट मैट्रिक में अध्ययनरत विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति का भुगतान नहीं किया गया।
नायक ने आरोप लगाते हुए आगे कहा था कि इतना ही नहीं भारत सरकार द्वारा भी मध्यप्रदेश को साल 2023-24 के लिए कक्षा दसवीं से बारहवीं तक के विद्यार्थियों को दी जाने वाली छात्रवृत्ति की राशि 468 करोड़ रुपये की राशि नहीं दी।