स्थानीय लोगों के अनुसार, कब्रिस्तान के अलावा भी यहां बिहार सरकार की जमीन है लेकिन कब्रिस्तान को सिर्फ गांव का माहौल खराब करने के लिए निशाना बनाया जा रहा है।
साभार : जर्नो मिरर
नीतीश सरकार ने बिहार में दशकों पुराने कब्रिस्तान में खेल मैदान बनाने का आदेश जारी किया है। इसके बाद यह आरोप लग रहा है कि भाजपा विधायक अपने प्रतिद्वंदी के गांव में सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश कर रहे है।
बता दें कि नीतीश सरकार अल्पसंख्यक समुदाय के लिए किए गए काम में बिहार के कब्रिस्तान की घेराबंदी के काम को गिनाते नहीं थकती हैं लेकिन उनके राज्य के एक दशकों पुराने कब्रिस्तान में खेल का ग्राउंड बनाने की कोशिश सामने आई है।
जर्नो मिरर की रिपोर्ट के अनुसार, बिहार के मुजफ्फरपुर जिला के कटाई पंचायत के उफरौली का कब्रिस्तान दशकों पुराना है और उसमें सैंकड़ों लोगों की कब्रें है,अब अंचल अधिकारी द्वारा एक पत्र जारी कर उस ज़मीन पर खेल का मैदान बनाने की इजाजत दी गई है।
ग्रामीणों का कहना है कि 1962 से पहले ये जमीन कब्रिस्तान के नाम पर ही थी और उसमें मुर्दे को दफन किया जा रहा था।
स्थानीय लोगों के अनुसार, कब्रिस्तान के अलावा भी यहां बिहार सरकार की जमीन है लेकिन कब्रिस्तान को सिर्फ गांव का माहौल खराब करने के लिए निशाना बनाया जा रहा है।
उफरौली के एक व्यक्ति ने मीडिया को बताया कि इसी गांव के निवासी आफताब आलम ने 2020 में महागठबंधन के भाकपा माले की ओर से विधानसभा चुनाव लड़ा था और उनके खिलाफ ही भाजपा के विधायक राम सूरत राय जीत कर आए थे, इसलिए वह पीछे से इस मामले को हवा देकर गांव और पंचायत का माहौल खराब करना चाहते हैं।
इस मामले को लेकर भाकपा माले ने मुजफ्फरपुर डीएम को ज्ञापन दिया है और मांग कि है कि वो इस निर्माण पर रोक लगा कर गांव का सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश को नाकाम करें।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 1722 ई. में नवाब अहमद अली खान 'कयामत' द्वारा निर्मित संगीदलान (संगमरमर का एक स्मारक) ख्वाजाकलां पटना शहर में वक्फ संपत्ति के रूप में पंजीकृत एक कब्रिस्तान के साथ एक इमामबाड़ा है जिसमें नवाब सहित महत्वपूर्ण सूफी फकीरों और कवियों की कब्रें हैं। यह कब्रिस्तान कब्रों के निशानों को काफी हद तक मिटाकर एक विशाल बाजार में तब्दील हो गया है। इसमें अहमद अली खान 'कयामत', नवाब खादिम हुसैन खान 'खादिम', शाह कमाल अली के शिष्य सूफी कवि हेदायत हुसैन खान 'मोमिन' , 1857 के विद्रोह के एक क्रांतिकारी कवि जाफ़र हसन खान 'फ़ैज़' की कब्रें हैं।
साभार : जर्नो मिरर
नीतीश सरकार ने बिहार में दशकों पुराने कब्रिस्तान में खेल मैदान बनाने का आदेश जारी किया है। इसके बाद यह आरोप लग रहा है कि भाजपा विधायक अपने प्रतिद्वंदी के गांव में सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश कर रहे है।
बता दें कि नीतीश सरकार अल्पसंख्यक समुदाय के लिए किए गए काम में बिहार के कब्रिस्तान की घेराबंदी के काम को गिनाते नहीं थकती हैं लेकिन उनके राज्य के एक दशकों पुराने कब्रिस्तान में खेल का ग्राउंड बनाने की कोशिश सामने आई है।
जर्नो मिरर की रिपोर्ट के अनुसार, बिहार के मुजफ्फरपुर जिला के कटाई पंचायत के उफरौली का कब्रिस्तान दशकों पुराना है और उसमें सैंकड़ों लोगों की कब्रें है,अब अंचल अधिकारी द्वारा एक पत्र जारी कर उस ज़मीन पर खेल का मैदान बनाने की इजाजत दी गई है।
ग्रामीणों का कहना है कि 1962 से पहले ये जमीन कब्रिस्तान के नाम पर ही थी और उसमें मुर्दे को दफन किया जा रहा था।
स्थानीय लोगों के अनुसार, कब्रिस्तान के अलावा भी यहां बिहार सरकार की जमीन है लेकिन कब्रिस्तान को सिर्फ गांव का माहौल खराब करने के लिए निशाना बनाया जा रहा है।
उफरौली के एक व्यक्ति ने मीडिया को बताया कि इसी गांव के निवासी आफताब आलम ने 2020 में महागठबंधन के भाकपा माले की ओर से विधानसभा चुनाव लड़ा था और उनके खिलाफ ही भाजपा के विधायक राम सूरत राय जीत कर आए थे, इसलिए वह पीछे से इस मामले को हवा देकर गांव और पंचायत का माहौल खराब करना चाहते हैं।
इस मामले को लेकर भाकपा माले ने मुजफ्फरपुर डीएम को ज्ञापन दिया है और मांग कि है कि वो इस निर्माण पर रोक लगा कर गांव का सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश को नाकाम करें।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 1722 ई. में नवाब अहमद अली खान 'कयामत' द्वारा निर्मित संगीदलान (संगमरमर का एक स्मारक) ख्वाजाकलां पटना शहर में वक्फ संपत्ति के रूप में पंजीकृत एक कब्रिस्तान के साथ एक इमामबाड़ा है जिसमें नवाब सहित महत्वपूर्ण सूफी फकीरों और कवियों की कब्रें हैं। यह कब्रिस्तान कब्रों के निशानों को काफी हद तक मिटाकर एक विशाल बाजार में तब्दील हो गया है। इसमें अहमद अली खान 'कयामत', नवाब खादिम हुसैन खान 'खादिम', शाह कमाल अली के शिष्य सूफी कवि हेदायत हुसैन खान 'मोमिन' , 1857 के विद्रोह के एक क्रांतिकारी कवि जाफ़र हसन खान 'फ़ैज़' की कब्रें हैं।