"अधिकारी द्वारा शिकायत दर्ज कराने के बाद चौक और दशाश्वमेध पुलिस स्टेशनों में तीन मामले दर्ज किए गए। वाराणसी नगर निगम ने पिछले साल सांस्कृतिक और धार्मिक चिंताओं का हवाला देते हुए मंदिर के आसपास के क्षेत्र में मांस की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव पारित किया था।"
उत्तर प्रदेश पुलिस ने काशी विश्वनाथ मंदिर के पास 10 मीट दुकान मालिकों पर मंदिर के दो किलोमीटर के दायरे में मांस की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने वाले नियमों का उल्लंघन करने का मामला दर्ज किया है। नगर निगम के पशु चिकित्सा अधिकारी की शिकायत के बाद ये मामले दर्ज किए गए। मीट दुकान मालिकों पर भारतीय न्याय संहिता के तहत आरोप लगाए गए जो लोक सेवक के आदेशों की अवहेलना और पशु वध से संबंधित शरारत से जुड़ा है।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार पुलिस उपायुक्त (काशी जोन) गौरव बंसवाल ने बताया कि नगर निगम के पशु चिकित्सा अधिकारी की शिकायत पर चौक और दशाश्वमेध थाने में भारतीय न्याय संहिता की धारा 223 (लोक सेवक द्वारा जारी आदेश का पालन न करना) और 325 (पशु को मारना या अपंग करना) के तहत तीन प्राथमिकियां दर्ज की गई।
द ऑब्जर्वर पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस उपायुक्त (काशी जोन) गौरव बंसवाल के अनुसार, अधिकारी द्वारा शिकायत दर्ज कराने के बाद चौक और दशाश्वमेध पुलिस स्टेशनों में तीन मामले दर्ज किए गए। वाराणसी नगर निगम ने पिछले साल सांस्कृतिक और धार्मिक चिंताओं का हवाला देते हुए मंदिर के आसपास के क्षेत्र में मांस की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव पारित किया था।
इस महीने की शुरुआत में निगम ने प्रतिबंध का उल्लंघन करने पर 26 मीट दुकानों को नोटिस जारी कर उन्हें बंद करने का निर्देश दिया था। हालांकि, इकबाल अहमद समेत दुकान मालिकों ने कहा कि उन्हें गलत तरीके से निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि उसी दो किलोमीटर के दायरे में शराब की दुकानों पर ऐसी कार्रवाई नहीं की गई है। उन्होंने अपनी दुकानों को स्थानांतरित करने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की कमी पर भी चिंता जाहिर की।
मीट की दुकान मालिकों के एक प्रतिनिधिमंडल ने मेयर अशोक तिवारी से मुलाकात की जिन्होंने उनके मामले को सुना और कहा कि दुकान मालिक अपने व्यवसाय के लिए वैकल्पिक स्थानों की पहचान करें। मेयर ने उन्हें आश्वासन दिया कि नगर निगम भविष्य में उनके लिए जगह निर्धारित करेगा। ये दुकान मालिक अपने मामले को लेकर अगले सप्ताह फिर से मेयर से मिलेंगे।
ज्ञात हो कि पिछले साल उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड में कांवड़ यात्रा मार्ग से जुड़े फरमानों ने विवाद खड़ा कर दिया था, क्योंकि वाराणसी, उज्जैन और मुजफ्फरनगर जैसे कई शहरों में खाने-पीने की दुकानों को नेमप्लेट लगाने या बंद करने का निर्देश दिया गया था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, वाराणसी नगर निगम द्वारा जारी किए गए निर्देश में कांवड़ यात्रा मार्ग पर सभी मांस और मुर्गी की दुकानों को पूरे सावन महीने के लिए बंद रखने का आदेश दिया गया था।
वाराणसी के मेयर संदीप श्रीवास्तव की अध्यक्षता में कार्यकारी समिति की बैठक के दौरान निर्देश को अंतिम रूप दिया गया था। नगर आयुक्त ने कहा था कि कांवड़ियों के लिए संभावित असुविधा को 'रोकने' के लिए यह निर्णय लिया गया।
यह निर्णय हिंदू त्योहार श्रावण शिवरात्रि की तैयारियों के बीच लिया गया था। वाराणसी में, अधिकारियों को कांवड़ मार्गों पर एक सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया गया था ताकि सभी मांस और मुर्गी की दुकानों की पहचान की जा सके और उन्हें तुरंत बंद किया जा सके।
उत्तर प्रदेश पुलिस ने काशी विश्वनाथ मंदिर के पास 10 मीट दुकान मालिकों पर मंदिर के दो किलोमीटर के दायरे में मांस की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने वाले नियमों का उल्लंघन करने का मामला दर्ज किया है। नगर निगम के पशु चिकित्सा अधिकारी की शिकायत के बाद ये मामले दर्ज किए गए। मीट दुकान मालिकों पर भारतीय न्याय संहिता के तहत आरोप लगाए गए जो लोक सेवक के आदेशों की अवहेलना और पशु वध से संबंधित शरारत से जुड़ा है।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार पुलिस उपायुक्त (काशी जोन) गौरव बंसवाल ने बताया कि नगर निगम के पशु चिकित्सा अधिकारी की शिकायत पर चौक और दशाश्वमेध थाने में भारतीय न्याय संहिता की धारा 223 (लोक सेवक द्वारा जारी आदेश का पालन न करना) और 325 (पशु को मारना या अपंग करना) के तहत तीन प्राथमिकियां दर्ज की गई।
द ऑब्जर्वर पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस उपायुक्त (काशी जोन) गौरव बंसवाल के अनुसार, अधिकारी द्वारा शिकायत दर्ज कराने के बाद चौक और दशाश्वमेध पुलिस स्टेशनों में तीन मामले दर्ज किए गए। वाराणसी नगर निगम ने पिछले साल सांस्कृतिक और धार्मिक चिंताओं का हवाला देते हुए मंदिर के आसपास के क्षेत्र में मांस की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव पारित किया था।
इस महीने की शुरुआत में निगम ने प्रतिबंध का उल्लंघन करने पर 26 मीट दुकानों को नोटिस जारी कर उन्हें बंद करने का निर्देश दिया था। हालांकि, इकबाल अहमद समेत दुकान मालिकों ने कहा कि उन्हें गलत तरीके से निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि उसी दो किलोमीटर के दायरे में शराब की दुकानों पर ऐसी कार्रवाई नहीं की गई है। उन्होंने अपनी दुकानों को स्थानांतरित करने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की कमी पर भी चिंता जाहिर की।
मीट की दुकान मालिकों के एक प्रतिनिधिमंडल ने मेयर अशोक तिवारी से मुलाकात की जिन्होंने उनके मामले को सुना और कहा कि दुकान मालिक अपने व्यवसाय के लिए वैकल्पिक स्थानों की पहचान करें। मेयर ने उन्हें आश्वासन दिया कि नगर निगम भविष्य में उनके लिए जगह निर्धारित करेगा। ये दुकान मालिक अपने मामले को लेकर अगले सप्ताह फिर से मेयर से मिलेंगे।
ज्ञात हो कि पिछले साल उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड में कांवड़ यात्रा मार्ग से जुड़े फरमानों ने विवाद खड़ा कर दिया था, क्योंकि वाराणसी, उज्जैन और मुजफ्फरनगर जैसे कई शहरों में खाने-पीने की दुकानों को नेमप्लेट लगाने या बंद करने का निर्देश दिया गया था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, वाराणसी नगर निगम द्वारा जारी किए गए निर्देश में कांवड़ यात्रा मार्ग पर सभी मांस और मुर्गी की दुकानों को पूरे सावन महीने के लिए बंद रखने का आदेश दिया गया था।
वाराणसी के मेयर संदीप श्रीवास्तव की अध्यक्षता में कार्यकारी समिति की बैठक के दौरान निर्देश को अंतिम रूप दिया गया था। नगर आयुक्त ने कहा था कि कांवड़ियों के लिए संभावित असुविधा को 'रोकने' के लिए यह निर्णय लिया गया।
यह निर्णय हिंदू त्योहार श्रावण शिवरात्रि की तैयारियों के बीच लिया गया था। वाराणसी में, अधिकारियों को कांवड़ मार्गों पर एक सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया गया था ताकि सभी मांस और मुर्गी की दुकानों की पहचान की जा सके और उन्हें तुरंत बंद किया जा सके।