संभल हिंसा के पीड़ितों से मिले राहुल और प्रियंका गांधी 

Written by sabrang india | Published on: December 11, 2024
संभल में 19 नवंबर से ही तनाव की स्थिति है जब अदालत ने मुगलकालीन मस्जिद का सर्वेक्षण करने का आदेश दिया था। दावा किया गया है कि वहां हरिहर मंदिर था।


फोटो साभार : द मूकनायक

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और उनकी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा ने मंगलवार शाम को दिल्ली में 10 जनपथ पर संभल हिंसा पीड़ितों के परिवारों से मुलाकात की। उनकी मां सोनिया गांधी के आवास पर हुई इस बैठक में कांग्रेस नेताओं ने परिवारों से बातचीत की और संभल में हुई घटनाओं के बारे में जानकारी हासिल की। सूत्रों ने बताया कि परिवार के सदस्यों ने घटना के बारे में बताया।

द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश सरकार ने पिछले सप्ताह गांधी परिवार को संभल जिले में पीड़ितों के परिवारों से मिलने की अनुमति नहीं दी थी। 4 दिसंबर को उन्हें इस इलाके में जाने की कोशिश करते समय दिल्ली और उत्तर प्रदेश के बीच गाजीपुर सीमा पर रोक दिया गया था।

राहुल गांधी को जाने से रोके जाने का विरोध करते हुए उन्होंने कहा, "विपक्ष के नेता के तौर पर संभल जाना मेरा अधिकार है, लेकिन पुलिस मुझे रोक रही है।" उन्होंने अधिकारियों के साथ सहयोग करने की अपनी इच्छा पर जोर देते हुए कहा, "मैं अकेले जाने के लिए तैयार हूं, मैं पुलिस के साथ जाने के लिए तैयार हूं, लेकिन उन्होंने इसे भी स्वीकार नहीं किया।" गांधी ने इस स्थिति की निंदा करते हुए इसे अपने संवैधानिक अधिकारों और संविधान का उल्लंघन बताया और कहा, "यह नया भारत है; यह संविधान को खत्म करने वाला भारत है। यह अंबेडकर के संविधान को खत्म करने वाला भारत है। हम लड़ते रहेंगे।"

संभल में 19 नवंबर से ही तनाव की स्थिति है, जब अदालत ने मुगलकालीन मस्जिद के सर्वेक्षण का आदेश दिया था। ज्ञात हो कि इस स्थल पर हरिहर मंदिर का दावा किया गया था। सर्वेक्षण के दूसरे दिन 24 नवंबर को उस समय हिंसा भड़क उठी, जब प्रदर्शनकारियों की शाही जामा मस्जिद के पास सुरक्षा बलों के साथ झड़प हुई। हिंसा के परिणामस्वरूप चार लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हुए।

ज्ञात हो कि विभिन्न मस्जिदों और दरगाहों के सर्वेक्षण की मांग करते हुए कई अन्य अदालती मामले दायर किए गए हैं ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या उन्हें नष्ट किए गए मंदिरों पर बनाया गया था, इस सूची में प्रसिद्ध अजमेर शरीफ दरगाह, वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा में शाही ईदगाह शामिल हैं।

विपक्षी दलों और मुस्लिम समूहों ने आरोप लगाया है कि ये सिलसिलेवार अदालती याचिकाएं शरारतपूर्ण तरीके से और राजनीति से प्रेरित हैं और भाजपा के नेतृत्व वाले प्रशासन की भूमिकाओं पर सवाल उठाए हैं।

संभल में स्थानीय अदालत ने याचिका दायर किए जाने के दिन यानी 19 नवंबर को सर्वेक्षण का आदेश दिया था और अदालत द्वारा नियुक्त सर्वेक्षणकर्ताओं ने उसी दिन दोपहर में जिला मजिस्ट्रेट राजेंद्र पेंसिया और पुलिस अधीक्षक कृष्ण कुमार के साथ मस्जिद का दौरा किया।

वे 24 नवंबर की सुबह फिर आए उनके साथ कथित तौर पर कुछ लोग “जय श्री राम” के नारे लगा रहे थे। डीएम और एसपी वहां मौजूद थे पर उकसावे को रोकने के लिए कुछ नहीं करने का आरोप लगाया गया।

हालांकि एक जांच आयोग संभल हिंसा की जांच कर रहा है, ऐसे में प्रशासन ने 10 दिसंबर तक बाहरी लोगों के शहर में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया। राज्य इकाई के प्रमुख अजय राय के नेतृत्व में कांग्रेस दल को सोमवार को लखनऊ में रोक दिया गया क्योंकि उनका काफिला संभल के लिए रवाना होने वाला था।

राय ने कहा था कि, “केंद्र और राज्य की भाजपा सरकारें धर्म के नाम पर देश को बांटने पर तुली हुई हैं। उनका एकमात्र लक्ष्य बहुसंख्यक समुदाय को गुमराह करके और अल्पसंख्यकों को परेशान करके सत्ता में बने रहना है।”

संसद के 1991 के अधिनियम में बाबरी मस्जिद-रामजन्मभूमि को छोड़कर सभी पूजा स्थलों पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया गया है लेकिन इसे सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई है।

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