"नोटबंदी जैसे तुगलकी फरमानों का भारतीय जॉब मार्केट पर प्रतिकूल असर पड़ा, छोटे व्यापारी और व्यवसाय अभी भी उन झटकों से उबर नहीं पाए हैं। इससे भारी संख्या में रोजगार के अवसर खत्म हुए हैं, खासतौर से महिलाओं और सर्वाधिक कमजोर तबकों के।" इसी को लेकर संयुक्त युवा मोर्चा के अधिवेशन में प्रस्ताव पारित किया गया कि युवाओं को सरकार से 'भरोसा' चाहिए कि उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं होगा और उन्हें रोजगार मिलेगा।"
बेरोज़गारी को राष्ट्रीय बहस का मुद्दा बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले युवा नेता अनुपम की पहल पर देश के 113 युवा समूहों के गठबंधन से बना 'संयुक्त युवा मोर्चा' (SYM) का राष्ट्रीय अधिवेशन दिल्ली में 15 जुलाई को संपन्न हुआ। रोज़गार के लिए देशव्यापी आंदोलन खड़ा करने के उद्देश्य से गठित यह संयुक्त मोर्चा देश के कई राज्यों में सघन अभियान चला रहा है। अपनी पहली बैठक में 'संयुक्त युवा मोर्चा' के नेता अनुपम ने रोजगार के समाधान के तौर पर चार प्रमुख मांगों वाला एक प्रस्ताव पेश किया था। प्रस्ताव को 'भारत रोजगार संहिता' यानी 'भरोसा' नाम दिया गया। अनुपम ने अधिवेशन को संबोधित करते हुए कहा गया कि "हमारे देश के युवाओं को सरकार से 'भरोसा' चाहिए कि उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं होगा। यह भरोसा है 'भारत रोजगार संहिता', जिसके लिए हमें सामूहिक रूप से लड़ना होगा। कहा कि जनसमुदाय के बीच बदलाव की यह उम्मीद पैदा करने के लिए व्यापकतम संभव एकता के साथ जनांदोलन की जरूरत है।
जी हां, किसान आंदोलन के बाद एक देशव्यापी युवा आंदोलन की तैयारी जोरों पर है। देश भर के 113 समूहों और संगठनों ने साथ आकर 'संयुक्त युवा मोर्चा' गठित किया है। राष्ट्रीय संयोजक अनुपम ने कहा कि रोजगार के लिए देशव्यापी आंदोलन शुरू किया जाएगा। बीते दिनों दिल्ली में हुई मोर्चा की बैठक में 22 राज्यों से विभिन्न भर्ती समूह और युवा संगठन शामिल हुए थे। बैठक में 'भारत रोजगार संहिता' लागू कराने और आंदोलन की जमीन तैयार करने को लेकर देश भर में युवा महापंचायत आयोजित करने का निर्णय लिया गया।
अनुपम ने कहा कि हमारा देश आज गहरे रोज़गार संकट का सामना कर रहा है। इसके पर्याप्त आँकड़े और ज़मीनी प्रभाव की कहानियां मौजूद हैं। इस विभीषिका के लिए सत्ता की नीति और राजनीति ज़िम्मेदार है। कहा कि आज न सिर्फ हमारी अर्थव्यवस्था, बल्कि हमारा सामाजिक सौहार्द और लोकतंत्र भी आज निशाने पर है। इसलिये वर्तमान संकट बहुआयामी और अभूतपूर्व है। नोटबन्दी जैसे तुगलकी फरमानों का भारतीय जॉब मार्केट पर प्रतिकूल असर पड़ा, छोटे व्यापारी और व्यवसाय अभी भी उन झटकों से उबर नहीं पाए हैं। इससे भारी संख्या में रोजगार के अवसर खत्म हुए हैं, खासतौर से महिलाओं और सर्वाधिक कमजोर तबकों के। निराशा के कारण लोग रोजगार की तलाश ही छोड़ रहे हैं और लेबर फोर्स से बाहर आने के लिए मजबूर हो रहे हैं।
अधिवेशन में 'संयुक्त युवा मोर्चा' के नेताओं के अलावा बैंक यूनियन के नेता सी.एच. वेंकटचलम, देवीदास तुलजापुरकर समेत चिकित्सक संघ से लेकर शिक्षक संघ तक के नेता शामिल हुए। अधिवेशन को पूर्व सूचना आयुक्त यशोवर्धन आज़ाद, अधिवक्ता प्रशांत भूषण, इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व अध्यक्ष अखिलेन्द्र प्रताप सिंह, जाने माने अर्थशास्त्री प्रो. संतोष मेहरोत्रा, पर्यावरणविद रवि चोपड़ा समेत कई विशिष्टजन ने भी संबोधित किया।
अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने राष्ट्रीय अधिवेशन को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार रोजगार के प्रति बिलकुल गंभीर नहीं है। यह आंदोलन स्वतंत्र भारत का सबसे बड़ा आंदोलन होने वाला है। वहीं बैंक एसोसिएशन के नेता सीएच वेंकटचलम ने मोर्चा के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने की बात कही। अपनी बात रखते हुए अखिलेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि देश में बेरोजगारी के साथ साथ आर्थिक विषमता भी खतरनाक स्तर पर पहुंच चुकी है। इसका एकमात्र समाधान है देशव्यापी आंदोलन। वहीं पूर्व आईपीएस यशोवर्धन आजाद ने कहा कि न सिर्फ सत्ताधारी पार्टी बल्कि अन्य राजनीतिक दलों पर भी दबाव बनाना होगा कि वो इन मांगों पर अपना रुख स्पष्ट करे। अधिवेशन के समापन पर संयुक्त मोर्चा के नेता और विभिन्न यूनियनों के नेताओं ने हाथ उठाकर एकता का सांकेतिक प्रदर्शन भी किया।
खाली हल्ला नहीं मचा रहे, समस्या का हल भी सुझा रहे
अनुपम के मुताबिक, हम युवाओं की समस्या को लेकर केवल हल्ला नहीं मचा रहे हैं, बल्कि समस्या का हल भी सुझा रहे हैं। देश में ऐसी व्यवस्था लागू हो, जिसमें हर वयस्क को रोजगार का अधिकार मिले। 21-60 आयु वर्ग के प्रत्येक वयस्क के लिए उनके निवास के 50 किलोमीटर के दायरे में बुनियादी न्यूनतम मजदूरी सुनिश्चित करने के लिए एक कानूनी गारंटी हो। सार्वजनिक क्षेत्र में सभी रिक्त पदों को निष्पक्ष और समयबद्ध तरीके से भरा जाए। स्थाई प्रकृति की नौकरियों में बड़े पैमाने पर संविदाकरण को समाप्त किया जाए। घाटे में चलने वाले उद्योगों का राष्ट्रीयकरण और लाभ का निजीकरण बंद हो। इसके चलते सामाजिक न्याय, बुरी तरह प्रभावित हुआ है। देश में असमानता बढ़ रही है और साथ ही नौकरियों का नुकसान हो रहा है।
SYM: मानसून सत्र में रोजगार कानून पेश करने की मांग
संयुक्त युवा मोर्चा (SYM) अधिवेशन में 113 संगठन प्रतिनिधियों ने संसद के मानसून सत्र में रोजगार कानून पेश करने की मांग की। युवाओं ने कहा कि यदि मोदी सरकार मानसून सत्र में रोजगार कानून पेश नहीं करती है तो देशव्यापी आंदोलन होगा। सम्मेलन में केंद्र सरकार से रोजगार अधिकार की गारंटी लागू करने की मांग भी उठी। कहा देश के संविधान के अनुच्छेद 39 व 41 के अनुसार सरकार का यह दायित्व है कि वह हर भारतीय के काम के अधिकार की गारंटी करे। सुप्रीम कोर्ट तक ने अनुच्छेद 21 की व्याख्या करते हुए कहा है कि देश के हर नागरिक के एक गरिमापूर्ण जीवन की गारंटी करना सरकार का कर्तव्य है और इसे सरकार को हर हाल में पूरा करना चाहिए। इसलिए रोजगार अधिकार संहिता (भरोसा) के लिए देश भर में मजबूती से अभियान चलाने का निर्णय खचाखच भरे हॉल में देशभर से आए प्रतिनिधियों ने लिया। साथ ही यह मांग भी की गई कि रिक्त पड़े एक करोड़ सरकारी पदों को तत्काल भरा जाए, सरकारी क्षेत्र में ठेका प्रथा पर रोक लगे और जनता के लिए उपयोगी शिक्षा, स्वास्थ्य, बैंक, बीमा, रेलवे,पोर्ट, एयरपोर्ट, बिजली आदि उद्योगों के निजीकरण को बंद किया जाए।
मोर्चा नेताओं ने कहा कि भारत युवाओं का देश है। हमारी जनसंख्या का लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा 35 वर्ष के कम आयु वर्ग का है। भारत के पास डेमोग्राफिक डिविडेंड है। इतनी बड़ी युवा शक्ति और डेमोग्राफिक डिविडेंट किसी भी देश के लिए फायदेमंद बात हो सकती है यदि नेक नीयत और सुनियोजित तरह से उसका इस्तेमाल किया जाए। लेकिन हमारे नेताओं और सरकारों ने इस डिविडेंड को डिजास्टर बना दिया है। अगर युवाओं को बेहतर शिक्षा, रोज़गार, मूल्य और कौशल न मिले तो जिस आबादी के सहारे भारत विश्व की सबसे बड़ी आर्थिक ताकत बन सकता था, वही हमारे लिए बोझ बन जाएगी। किसी देश और समाज के लिए इससे बड़ा संकट क्या हो सकता है?
अधिवेशन को संबोधित करते हुए युवा हल्ला बोल अध्यक्ष अनुपम व सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस दौर में अगले 10 सालों में औपचारिक क्षेत्र में 90 फीसदी तक नौकरियां खत्म हो जाएंगी। इसका पहला हमला देश में वकीलों और डॉक्टरों जैसे प्रोफेशनल कामों में लगे हुए लोगों पर होगा। देश में गहराते जा रहे बेकारी के संकट का जिक्र करते हुए कहा कि इसके हल के लिए रोजगार अधिकार कानून बनाया जाना चाहिए। जिसमें कम से कम न्यूनतम मजदूरी पर सभी नागरिकों के लिए सालभर रोजगार की गारंटी हो और रोजगार न मिलने की स्थिति में न्यूनतम मजदूरी का कम से कम 50 फीसद बेकारी भत्ता दिया जाए।
22 राज्यों के युवा समूह शामिल
अनुपम ने बताया, कई राज्यों के भर्ती समूह जैसे बिहार शिक्षक अभ्यर्थी, मध्यप्रदेश शिक्षक अभ्यर्थी, उत्तरप्रदेश पुलिस अभ्यर्थी, कार्यपालक सहायक, सेना अभ्यर्थी, राजस्थान लाइब्रेरियन अभ्यर्थी, रेलवे अभ्यर्थी, आशा वर्कर्स, कंप्यूटर शिक्षक अभ्यर्थी, महिला कामगार संघ, बिहार उर्दू अनुवादक, लेखपाल, खुदाई खिदमतगार सहित तमिलनाडु, केरल, जम्मू कश्मीर और पंजाब सहित 22 राज्यों के युवा समूहों ने एक साथ आकर बड़े आंदोलन की जमीन तैयार करने का फैसला किया है। इसके अतिरिक्त बेरोजगारी और अंधाधुंध निजीकरण के खिलाफ लड़ाई में जहां कर्मचारी संघ, जिसमें डॉक्टर, रेल कर्मी और बैंक कर्मी शामिल है का साथ मिला है तो वहीं, देश के प्रसिद्ध वकीलों, अर्थशास्त्रियों, पूर्व नौकरशाहों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का समर्थन भी मिल रहा है।
युवाओं के हक में आवाज बुलंद करने का आह्वान
अनुपम ने कहा कि आज देश में हर स्तर पर नेतृत्व का संकट है। युवाओं को नशा, नफरत और नकारेपन के अंधकार में धकेला जा रहा है। ऐसे में हर सच्चे देशप्रेमी की यह जिम्मेदारी है कि युवाओं के हक में अपनी आवाज बुलंद करें। कहा कि 'संयुक्त युवा मोर्चा' का गठन न सिर्फ रोजगार आंदोलन के लिए किया गया है, बल्कि यह हर प्रदेश में उभर रहे युवा नेतृत्व को तलाशने और तराशने का काम भी कर रहा है। मोर्चा नेताओं ने आपसी समन्वय को बेहतर करने, वैचारिक गहराई को नया आयाम देने को लेकर रणनीतिक मंथन की जरूरत बताई। कहा देशव्यापी आंदोलन की आगामी रणनीति पर बातचीत के साथ, विभिन्न राजनीतिक सवालों पर मोर्चा का क्या रुख हो इस पर भी चर्चा की गई। कहा आज निराशा के घुप्प अंधेरे में युवा आंदोलन, भविष्य की राह दिखाएगा।
देश में बेरोजगारी की स्थिति भयावह: वरुण गांधी
भाजपा सांसद वरुण गांधी के अपनी ही सरकार के खिलाफ आक्रामक तेवर दिखाते हुए, ट्विटर के जरिए सरकार द्वारा संसद में रखे गए बेरोजगारी के मुद्दों पर निशाना साधा। वरुण गांधी ने लिखा, विगत 8 वर्षों में 22 करोड़ों युवाओं ने केंद्रीय विभागों में नौकरी के लिए आवेदन दिया। जिसमें मात्र 7 लाख युवाओं को रोजगार मिल सका। जब देश में लगभग एक करोड़ स्वीकृत पद खाली हैं, तब इस स्थिति का जिम्मेदार कौन है।
हालांकि यह कोई पहली बार नहीं है कि बीजेपी सांसद वरुण गांधी बेरोजगारी के मुद्दे पर सरकार पर हमलावर नजर आए हों। इससे पहले भी वरुण गांधी ने समय-समय पर बेरोजगारी के आंकड़ों को ट्विटर पर रखते हुए सरकार को घेरने का काम किया था। इसके साथ ही वरुण गांधी बीते लंबे समय से विभागों में रिक्त पड़े स्वीकृत पदों को भरने की मांग कर रहे हैं, ताकि युवाओं को नौकरी मिल सके।
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जी हां, किसान आंदोलन के बाद एक देशव्यापी युवा आंदोलन की तैयारी जोरों पर है। देश भर के 113 समूहों और संगठनों ने साथ आकर 'संयुक्त युवा मोर्चा' गठित किया है। राष्ट्रीय संयोजक अनुपम ने कहा कि रोजगार के लिए देशव्यापी आंदोलन शुरू किया जाएगा। बीते दिनों दिल्ली में हुई मोर्चा की बैठक में 22 राज्यों से विभिन्न भर्ती समूह और युवा संगठन शामिल हुए थे। बैठक में 'भारत रोजगार संहिता' लागू कराने और आंदोलन की जमीन तैयार करने को लेकर देश भर में युवा महापंचायत आयोजित करने का निर्णय लिया गया।
अनुपम ने कहा कि हमारा देश आज गहरे रोज़गार संकट का सामना कर रहा है। इसके पर्याप्त आँकड़े और ज़मीनी प्रभाव की कहानियां मौजूद हैं। इस विभीषिका के लिए सत्ता की नीति और राजनीति ज़िम्मेदार है। कहा कि आज न सिर्फ हमारी अर्थव्यवस्था, बल्कि हमारा सामाजिक सौहार्द और लोकतंत्र भी आज निशाने पर है। इसलिये वर्तमान संकट बहुआयामी और अभूतपूर्व है। नोटबन्दी जैसे तुगलकी फरमानों का भारतीय जॉब मार्केट पर प्रतिकूल असर पड़ा, छोटे व्यापारी और व्यवसाय अभी भी उन झटकों से उबर नहीं पाए हैं। इससे भारी संख्या में रोजगार के अवसर खत्म हुए हैं, खासतौर से महिलाओं और सर्वाधिक कमजोर तबकों के। निराशा के कारण लोग रोजगार की तलाश ही छोड़ रहे हैं और लेबर फोर्स से बाहर आने के लिए मजबूर हो रहे हैं।
अधिवेशन में 'संयुक्त युवा मोर्चा' के नेताओं के अलावा बैंक यूनियन के नेता सी.एच. वेंकटचलम, देवीदास तुलजापुरकर समेत चिकित्सक संघ से लेकर शिक्षक संघ तक के नेता शामिल हुए। अधिवेशन को पूर्व सूचना आयुक्त यशोवर्धन आज़ाद, अधिवक्ता प्रशांत भूषण, इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व अध्यक्ष अखिलेन्द्र प्रताप सिंह, जाने माने अर्थशास्त्री प्रो. संतोष मेहरोत्रा, पर्यावरणविद रवि चोपड़ा समेत कई विशिष्टजन ने भी संबोधित किया।
अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने राष्ट्रीय अधिवेशन को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार रोजगार के प्रति बिलकुल गंभीर नहीं है। यह आंदोलन स्वतंत्र भारत का सबसे बड़ा आंदोलन होने वाला है। वहीं बैंक एसोसिएशन के नेता सीएच वेंकटचलम ने मोर्चा के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने की बात कही। अपनी बात रखते हुए अखिलेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि देश में बेरोजगारी के साथ साथ आर्थिक विषमता भी खतरनाक स्तर पर पहुंच चुकी है। इसका एकमात्र समाधान है देशव्यापी आंदोलन। वहीं पूर्व आईपीएस यशोवर्धन आजाद ने कहा कि न सिर्फ सत्ताधारी पार्टी बल्कि अन्य राजनीतिक दलों पर भी दबाव बनाना होगा कि वो इन मांगों पर अपना रुख स्पष्ट करे। अधिवेशन के समापन पर संयुक्त मोर्चा के नेता और विभिन्न यूनियनों के नेताओं ने हाथ उठाकर एकता का सांकेतिक प्रदर्शन भी किया।
खाली हल्ला नहीं मचा रहे, समस्या का हल भी सुझा रहे
अनुपम के मुताबिक, हम युवाओं की समस्या को लेकर केवल हल्ला नहीं मचा रहे हैं, बल्कि समस्या का हल भी सुझा रहे हैं। देश में ऐसी व्यवस्था लागू हो, जिसमें हर वयस्क को रोजगार का अधिकार मिले। 21-60 आयु वर्ग के प्रत्येक वयस्क के लिए उनके निवास के 50 किलोमीटर के दायरे में बुनियादी न्यूनतम मजदूरी सुनिश्चित करने के लिए एक कानूनी गारंटी हो। सार्वजनिक क्षेत्र में सभी रिक्त पदों को निष्पक्ष और समयबद्ध तरीके से भरा जाए। स्थाई प्रकृति की नौकरियों में बड़े पैमाने पर संविदाकरण को समाप्त किया जाए। घाटे में चलने वाले उद्योगों का राष्ट्रीयकरण और लाभ का निजीकरण बंद हो। इसके चलते सामाजिक न्याय, बुरी तरह प्रभावित हुआ है। देश में असमानता बढ़ रही है और साथ ही नौकरियों का नुकसान हो रहा है।
SYM: मानसून सत्र में रोजगार कानून पेश करने की मांग
संयुक्त युवा मोर्चा (SYM) अधिवेशन में 113 संगठन प्रतिनिधियों ने संसद के मानसून सत्र में रोजगार कानून पेश करने की मांग की। युवाओं ने कहा कि यदि मोदी सरकार मानसून सत्र में रोजगार कानून पेश नहीं करती है तो देशव्यापी आंदोलन होगा। सम्मेलन में केंद्र सरकार से रोजगार अधिकार की गारंटी लागू करने की मांग भी उठी। कहा देश के संविधान के अनुच्छेद 39 व 41 के अनुसार सरकार का यह दायित्व है कि वह हर भारतीय के काम के अधिकार की गारंटी करे। सुप्रीम कोर्ट तक ने अनुच्छेद 21 की व्याख्या करते हुए कहा है कि देश के हर नागरिक के एक गरिमापूर्ण जीवन की गारंटी करना सरकार का कर्तव्य है और इसे सरकार को हर हाल में पूरा करना चाहिए। इसलिए रोजगार अधिकार संहिता (भरोसा) के लिए देश भर में मजबूती से अभियान चलाने का निर्णय खचाखच भरे हॉल में देशभर से आए प्रतिनिधियों ने लिया। साथ ही यह मांग भी की गई कि रिक्त पड़े एक करोड़ सरकारी पदों को तत्काल भरा जाए, सरकारी क्षेत्र में ठेका प्रथा पर रोक लगे और जनता के लिए उपयोगी शिक्षा, स्वास्थ्य, बैंक, बीमा, रेलवे,पोर्ट, एयरपोर्ट, बिजली आदि उद्योगों के निजीकरण को बंद किया जाए।
मोर्चा नेताओं ने कहा कि भारत युवाओं का देश है। हमारी जनसंख्या का लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा 35 वर्ष के कम आयु वर्ग का है। भारत के पास डेमोग्राफिक डिविडेंड है। इतनी बड़ी युवा शक्ति और डेमोग्राफिक डिविडेंट किसी भी देश के लिए फायदेमंद बात हो सकती है यदि नेक नीयत और सुनियोजित तरह से उसका इस्तेमाल किया जाए। लेकिन हमारे नेताओं और सरकारों ने इस डिविडेंड को डिजास्टर बना दिया है। अगर युवाओं को बेहतर शिक्षा, रोज़गार, मूल्य और कौशल न मिले तो जिस आबादी के सहारे भारत विश्व की सबसे बड़ी आर्थिक ताकत बन सकता था, वही हमारे लिए बोझ बन जाएगी। किसी देश और समाज के लिए इससे बड़ा संकट क्या हो सकता है?
अधिवेशन को संबोधित करते हुए युवा हल्ला बोल अध्यक्ष अनुपम व सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस दौर में अगले 10 सालों में औपचारिक क्षेत्र में 90 फीसदी तक नौकरियां खत्म हो जाएंगी। इसका पहला हमला देश में वकीलों और डॉक्टरों जैसे प्रोफेशनल कामों में लगे हुए लोगों पर होगा। देश में गहराते जा रहे बेकारी के संकट का जिक्र करते हुए कहा कि इसके हल के लिए रोजगार अधिकार कानून बनाया जाना चाहिए। जिसमें कम से कम न्यूनतम मजदूरी पर सभी नागरिकों के लिए सालभर रोजगार की गारंटी हो और रोजगार न मिलने की स्थिति में न्यूनतम मजदूरी का कम से कम 50 फीसद बेकारी भत्ता दिया जाए।
22 राज्यों के युवा समूह शामिल
अनुपम ने बताया, कई राज्यों के भर्ती समूह जैसे बिहार शिक्षक अभ्यर्थी, मध्यप्रदेश शिक्षक अभ्यर्थी, उत्तरप्रदेश पुलिस अभ्यर्थी, कार्यपालक सहायक, सेना अभ्यर्थी, राजस्थान लाइब्रेरियन अभ्यर्थी, रेलवे अभ्यर्थी, आशा वर्कर्स, कंप्यूटर शिक्षक अभ्यर्थी, महिला कामगार संघ, बिहार उर्दू अनुवादक, लेखपाल, खुदाई खिदमतगार सहित तमिलनाडु, केरल, जम्मू कश्मीर और पंजाब सहित 22 राज्यों के युवा समूहों ने एक साथ आकर बड़े आंदोलन की जमीन तैयार करने का फैसला किया है। इसके अतिरिक्त बेरोजगारी और अंधाधुंध निजीकरण के खिलाफ लड़ाई में जहां कर्मचारी संघ, जिसमें डॉक्टर, रेल कर्मी और बैंक कर्मी शामिल है का साथ मिला है तो वहीं, देश के प्रसिद्ध वकीलों, अर्थशास्त्रियों, पूर्व नौकरशाहों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का समर्थन भी मिल रहा है।
युवाओं के हक में आवाज बुलंद करने का आह्वान
अनुपम ने कहा कि आज देश में हर स्तर पर नेतृत्व का संकट है। युवाओं को नशा, नफरत और नकारेपन के अंधकार में धकेला जा रहा है। ऐसे में हर सच्चे देशप्रेमी की यह जिम्मेदारी है कि युवाओं के हक में अपनी आवाज बुलंद करें। कहा कि 'संयुक्त युवा मोर्चा' का गठन न सिर्फ रोजगार आंदोलन के लिए किया गया है, बल्कि यह हर प्रदेश में उभर रहे युवा नेतृत्व को तलाशने और तराशने का काम भी कर रहा है। मोर्चा नेताओं ने आपसी समन्वय को बेहतर करने, वैचारिक गहराई को नया आयाम देने को लेकर रणनीतिक मंथन की जरूरत बताई। कहा देशव्यापी आंदोलन की आगामी रणनीति पर बातचीत के साथ, विभिन्न राजनीतिक सवालों पर मोर्चा का क्या रुख हो इस पर भी चर्चा की गई। कहा आज निराशा के घुप्प अंधेरे में युवा आंदोलन, भविष्य की राह दिखाएगा।
देश में बेरोजगारी की स्थिति भयावह: वरुण गांधी
भाजपा सांसद वरुण गांधी के अपनी ही सरकार के खिलाफ आक्रामक तेवर दिखाते हुए, ट्विटर के जरिए सरकार द्वारा संसद में रखे गए बेरोजगारी के मुद्दों पर निशाना साधा। वरुण गांधी ने लिखा, विगत 8 वर्षों में 22 करोड़ों युवाओं ने केंद्रीय विभागों में नौकरी के लिए आवेदन दिया। जिसमें मात्र 7 लाख युवाओं को रोजगार मिल सका। जब देश में लगभग एक करोड़ स्वीकृत पद खाली हैं, तब इस स्थिति का जिम्मेदार कौन है।
हालांकि यह कोई पहली बार नहीं है कि बीजेपी सांसद वरुण गांधी बेरोजगारी के मुद्दे पर सरकार पर हमलावर नजर आए हों। इससे पहले भी वरुण गांधी ने समय-समय पर बेरोजगारी के आंकड़ों को ट्विटर पर रखते हुए सरकार को घेरने का काम किया था। इसके साथ ही वरुण गांधी बीते लंबे समय से विभागों में रिक्त पड़े स्वीकृत पदों को भरने की मांग कर रहे हैं, ताकि युवाओं को नौकरी मिल सके।
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