ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी केस में सोमवार को वाराणसी जिला कोर्ट में सुनवाई हुई. इसमें कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज करते हुए हिंदू पक्ष के हक में फैसला सुनाया। कोर्ट ने ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी विवाद को सुनने योग्य माना है। अब इसपर 22 सितंबर को सुनवाई होगी। इस मामले को लेकर सबरंग इंडिया ने अंजुमन इंतेजामिया के संयुक्त सचिव और मस्जिद प्रबंध समिति के सह-याचिकाकर्ता सैयद मोहम्मद यासीन से उनके रुख को लेकर एक्सक्लूसिव बातचीत की।
प्रस्तुत हैं बातचीत के अंश:
सबरंग संवाददाता- जिला अदालत के फैसले को आप किस प्रकार देखते हैं?
मोहम्मद यासीन- यह आदेश हमारे लिए बहुत तकलीफदेह और मायूसपूर्ण है। इससे एक पेंडोरा बॉक्स खुल जाएगा, अभी तो ज्ञानवापी पर सिर्फ 13 केस हैं, अभी और भी बढ़ जाएंगे। ऐसे और भी आदेश आने लगेंगे जिससे समाज के बीच शत्रुता बढ़ेगी। नफरत के बीज बोए जाएंगे और लोग एक दूसरे के शत्रु हो जाएंगे। हो सकता है कि मस्जिद पर हमला भी हो जाए।
सबरंग संवाददाता- आपको इस तरह का फैसला आने की उम्मीद थी?
मोहम्मद यासीन- नहीं, हमें इस तरह का फैसला आने की उम्मीद नहीं थी क्योंकि हमने जो कागजात जमा कराए थे वे बहुत मजबूत थे। हमें अपने पक्ष में फैसले की उम्मीद थी लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
सबरंग संवाददाता- इस आदेश के बाद क्या लोग मस्जिद के अंदर जाकर पूजा करेंगे?
मोहम्मद यासीन- हां, यह यही मांग है। अभी तक लोग बाहर पूजा करते थे, अब वे मस्जिद परिसर के अंदर पूजा करने की मांग कर रहे हैं, लेकिन ऐसा कभी हुआ नहीं।
सबरंग संवाददाता- आपको क्या लगता है कि ऐसा क्यों किया गया?
मोहम्मद यासीन- यह तो हम कह नहीं सकते कि ऐसा क्यों किया गया लेकिन कोई भी 1951 के कानून को मान नहीं रहा है। कुछ लोग कह रहे हैं कि यह सिर्फ मुसलमानों के लिए लागू है। ऐसा संभव ही नहीं है कि यह कानून सिर्फ एक वर्ग के लोगों के लिए ही हो।
सबरंग संवाददाता- वे यह भी कह रहे हैं कि काशी विश्वनाथ एक्ट 1983 जो यूपी विधानसभा में पास हुआ उसके अनुसार यह मंदिर परिसर है?
मोहम्मद यासीन- ऐसा नहीं है, मंदिर परिसर अलग है और मस्जिद परिसर अलग है। हमने जो जमीन एक्चेंज की है वो इसी बुनियाद पर है।
सबरंग संवाददाता- आगे क्या सोच रहे हैं?
मोहम्मद यासीन- हम हाई कोर्ट जाएंगे। हम न्याय के लिए लड़ेंगे।
पूरा इंटरव्यू यहां देखा जा सकता है:
प्रस्तुत हैं बातचीत के अंश:
सबरंग संवाददाता- जिला अदालत के फैसले को आप किस प्रकार देखते हैं?
मोहम्मद यासीन- यह आदेश हमारे लिए बहुत तकलीफदेह और मायूसपूर्ण है। इससे एक पेंडोरा बॉक्स खुल जाएगा, अभी तो ज्ञानवापी पर सिर्फ 13 केस हैं, अभी और भी बढ़ जाएंगे। ऐसे और भी आदेश आने लगेंगे जिससे समाज के बीच शत्रुता बढ़ेगी। नफरत के बीज बोए जाएंगे और लोग एक दूसरे के शत्रु हो जाएंगे। हो सकता है कि मस्जिद पर हमला भी हो जाए।
सबरंग संवाददाता- आपको इस तरह का फैसला आने की उम्मीद थी?
मोहम्मद यासीन- नहीं, हमें इस तरह का फैसला आने की उम्मीद नहीं थी क्योंकि हमने जो कागजात जमा कराए थे वे बहुत मजबूत थे। हमें अपने पक्ष में फैसले की उम्मीद थी लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
सबरंग संवाददाता- इस आदेश के बाद क्या लोग मस्जिद के अंदर जाकर पूजा करेंगे?
मोहम्मद यासीन- हां, यह यही मांग है। अभी तक लोग बाहर पूजा करते थे, अब वे मस्जिद परिसर के अंदर पूजा करने की मांग कर रहे हैं, लेकिन ऐसा कभी हुआ नहीं।
सबरंग संवाददाता- आपको क्या लगता है कि ऐसा क्यों किया गया?
मोहम्मद यासीन- यह तो हम कह नहीं सकते कि ऐसा क्यों किया गया लेकिन कोई भी 1951 के कानून को मान नहीं रहा है। कुछ लोग कह रहे हैं कि यह सिर्फ मुसलमानों के लिए लागू है। ऐसा संभव ही नहीं है कि यह कानून सिर्फ एक वर्ग के लोगों के लिए ही हो।
सबरंग संवाददाता- वे यह भी कह रहे हैं कि काशी विश्वनाथ एक्ट 1983 जो यूपी विधानसभा में पास हुआ उसके अनुसार यह मंदिर परिसर है?
मोहम्मद यासीन- ऐसा नहीं है, मंदिर परिसर अलग है और मस्जिद परिसर अलग है। हमने जो जमीन एक्चेंज की है वो इसी बुनियाद पर है।
सबरंग संवाददाता- आगे क्या सोच रहे हैं?
मोहम्मद यासीन- हम हाई कोर्ट जाएंगे। हम न्याय के लिए लड़ेंगे।
पूरा इंटरव्यू यहां देखा जा सकता है: