नई दिल्ली. भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर रावण को अदालत ने दिल्ली आने की इजाजत दे दी है। दरियागंज हिंसा केस में जमानत मिलने के बाद चंद्रशेखर को 4 हफ्तों तक दिल्ली से बाहर रहने के निर्देश दिए गए थे। विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कोर्ट ने कहा कि चुनाव लोकतंत्र का सबसे बड़ा त्योहार होते हैं।
जज कामिनी लाऊ ने कहा, "चुनाव में ज्यादा से ज्यादा लोगों की भागीदारी होनी चाहिए इसलिए चंद्रशेखर को दिल्ली आने की इजाजत देना उचित है।'
सीएए के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान दरियागंज में हुई हिंसा के मामले में जमानत देने के बाद कोर्ट ने चंद्रशेखर के 16 फरवरी तक दिल्ली में किसी भी धरने और प्रदर्शन में शामिल होने से रोक दिया था।
अतिरिक्त सेशन जज जस्टिस कामिनी लाऊ ने कहा- चंद्रशेखर जब भी दिल्ली आएं तो उन्हें निर्धारित पते पर ही रहना होगा।
"दिल्ली और सहारनपुर में न रहने की स्थिति में उन्हें डीसीपी को फोन और ई-मेल के जरिए इसकी जानकारी देनी होगी।'
अदालत ने कहा- जेल से छूटने के बाद चंद्रशेखर के खिलाफ कोई नया मामला सामने नहीं आया। उनके किसी गैर कानूनी गतिविधि में शामिल होने की जानकारी भी नहीं है। उन्होंने लोगों या देश की सुरक्षा के खिलाफ कोई काम नहीं किया है। चंद्रशेखर पर लगे सभी आरोप जमानती हैं और किसी गैर जमानती अपराध का आधार मौजूद नहीं है।
चंद्रशेखर ने 20 दिसंबर, 2019 को शुक्रवार की नमाज के बाद जामिया मस्जिद के सामने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन किया था। इसके अगले दिन 21 दिसंबर को दरियागंज में हिंसा के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। 15 जनवरी को अदालत ने इस मामले में जमानत दे दी थी। पुलिस का आरोप था कि चंद्रशेखर के भड़काऊ भाषण के बाद हिंसा हुई।
हालांकि, कोर्ट ने इस संबंध में पुलिस से सबूत और रिकॉर्डिंग मांगी थी। लेकिन, पुलिस रिकॉर्डिंग पेश नहीं कर पाई। कोर्ट ने कहा था कि चंद्रशेखर की सोशल मीडिया पोस्ट में कुछ भी भड़काऊ नहीं था। कोर्ट ने कहा था कि धरना-प्रदर्शन संवैधानिक अधिकार है। कोई व्यक्ति कहीं भी विरोध कर सकता है, धार्मिक स्थल के बाहर भी।
जज कामिनी लाऊ ने कहा, "चुनाव में ज्यादा से ज्यादा लोगों की भागीदारी होनी चाहिए इसलिए चंद्रशेखर को दिल्ली आने की इजाजत देना उचित है।'
सीएए के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान दरियागंज में हुई हिंसा के मामले में जमानत देने के बाद कोर्ट ने चंद्रशेखर के 16 फरवरी तक दिल्ली में किसी भी धरने और प्रदर्शन में शामिल होने से रोक दिया था।
अतिरिक्त सेशन जज जस्टिस कामिनी लाऊ ने कहा- चंद्रशेखर जब भी दिल्ली आएं तो उन्हें निर्धारित पते पर ही रहना होगा।
"दिल्ली और सहारनपुर में न रहने की स्थिति में उन्हें डीसीपी को फोन और ई-मेल के जरिए इसकी जानकारी देनी होगी।'
अदालत ने कहा- जेल से छूटने के बाद चंद्रशेखर के खिलाफ कोई नया मामला सामने नहीं आया। उनके किसी गैर कानूनी गतिविधि में शामिल होने की जानकारी भी नहीं है। उन्होंने लोगों या देश की सुरक्षा के खिलाफ कोई काम नहीं किया है। चंद्रशेखर पर लगे सभी आरोप जमानती हैं और किसी गैर जमानती अपराध का आधार मौजूद नहीं है।
चंद्रशेखर ने 20 दिसंबर, 2019 को शुक्रवार की नमाज के बाद जामिया मस्जिद के सामने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन किया था। इसके अगले दिन 21 दिसंबर को दरियागंज में हिंसा के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। 15 जनवरी को अदालत ने इस मामले में जमानत दे दी थी। पुलिस का आरोप था कि चंद्रशेखर के भड़काऊ भाषण के बाद हिंसा हुई।
हालांकि, कोर्ट ने इस संबंध में पुलिस से सबूत और रिकॉर्डिंग मांगी थी। लेकिन, पुलिस रिकॉर्डिंग पेश नहीं कर पाई। कोर्ट ने कहा था कि चंद्रशेखर की सोशल मीडिया पोस्ट में कुछ भी भड़काऊ नहीं था। कोर्ट ने कहा था कि धरना-प्रदर्शन संवैधानिक अधिकार है। कोई व्यक्ति कहीं भी विरोध कर सकता है, धार्मिक स्थल के बाहर भी।