भीम आर्मी की दमदार दस्तक और उपचुनाव के नतीजों ने मायावती को रणनीति बदलने पर मजबूर कर दिया

Written by Navnish Kumar | Published on: November 17, 2020
बुलंदशहर उपचुनाव में भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर 'रावण' की 'आजाद समाज पार्टी' की दमदार दस्तक और ओमप्रकाश राजभर के साथ उनकी बढ़ती पींगों के साथ उपचुनाव में मुसलमानों के बसपा से दूरी बनाने के संकेतों ने बसपा प्रमुख मायावती की रातों की नींद उड़ा दी है और उन्हें रणनीति बदलने को मजबूर कर दिया है। मुनकाद अली से उप्र बसपा की कमान छीनकर, अति पिछड़े राजभर समाज के भीम राजभर को थमाना, मायावती की इसी बदली रणनीति और बैचेनी का परिणाम माना जा रहा है। 



बहुजन समाज पार्टी मुखिया कुमारी मायावती ने वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष मुनकाद अली के स्थान पर मऊ निवासी भीम राजभर को बसपा का नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया है। भीम राजभर वर्तमान समय में बिहार प्रभारी व आजमगढ़ के जोनल कॉर्डिनेटर थे। पश्चिमी उप्र में राजभर मतदाताओं की संख्या कम है लेकिन पूर्वी उप्र में राजभर मतदाताओं की अच्छी तादाद है। इसी सब से पिछले दिनों भीम आर्मी प्रमुख चन्द्रशेखर 'रावण', के सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के ओमप्रकाश राजभर से मिलकर कुछ नया गुल खिलाने की काट के तौर पर भी देखा जा रहा है।  इसी से माना जा रहा है कि बदली रणनीति  से बसपा प्रमुख ने एक तीर से दो शिकार किए हैं। 

भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर 'रावण' का सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के ओमप्रकाश राजभर से हाथ मिलाना कुमारी मायावती को चौकन्ना कर गया है। वहीं, बुलंदशहर सीट पर उपचुनाव में 'रावण' की पार्टी के दमदार प्रदर्शन ने उन्हें हिलाकर रख दिया है। बुलंदशहर उप चुनाव में 'रावण' की आजाद समाज पार्टी 13 हज़ार से ज्यादा मतों के साथ तीसरे नम्बर पर रही है। 

खास यह भी कि बुलंदशहर उपचुनाव में 10 हज़ार मतों के साथ कांग्रेस चौथे व 7 हज़ार वोट पाकर रालोद व सपा का गठबंधन पांचवें स्थान पर रहे हैं। ऐसे में मायावती का चौंकन्ना होना लाजिमी है। इसी के साथ उपचुनाव में मुसलमानों के छिटकने की आशंका ने उन्हें, अति पिछड़ों में पैठ बढ़ाने और रणनीति बदलने को मजबूर कर दिया है। 

बसपा ने अगड़ी जातियों को जोड़ने के लिए विधायक उमाशंकर सिंह को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी है तो दूसरी तरफ पूर्वी उत्तर प्रदेश में राजभरों को जोड़ने की कवायद के तहत भीम राजभर पर दांव खेला है।

बसपा के नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष भीम राजभर ने आज बसपा को सर्व समाज की पार्टी व अति पिछड़े वर्ग का हितैषी करार देकर दल की रणनीति का खुलासा भी कर दिया है। उन्होंने राजभरों को रिझाते हुए कहा है कि राजभरों का मान व सम्मान बसपा में ही सुरक्षित है।

सूबे में बसपा की कमान संभालने के बाद भीम राजभर ने आज भाजपा सरकार पर तीखे हमले करते हुए दावा किया है कि वर्ष 2022 में यूपी की मुख्यमंत्री बसपा मुखिया मायावती बनेंगी।

उन्होंने आरोप लगाया कि केन्द्र एवं प्रदेश सरकार संविधान को नकारने के साथ संविधान एवं लोकतंत्र की हत्या करने पर तुली हुई है। उन्होंने योगी सरकार में कानून व्यवस्था की बदतर होती स्थिति को लेकर सवाल खड़े करते हुए कहा कि सूबे में चारों तरफ अराजकता का बोलबाला हो गया है।

भीम राजभर ने इसके साथ ही कहा कि आये दिन हो रही हत्या, लूट व बलात्कार आदि घटनाएं यह साबित करती है कि प्रदेश में कानून का राज समाप्त हो गया है। उन्होंने कहा कि सूबे के लोग अब उम्मीद भरी निगाहों से बसपा मुखिया मायावती की तरफ देख रहे हैं। उन्होंने कहा कि बसपा, सर्वसमाज को साथ लेकर चलने में विश्वास करती है। उन्होंने राजभर मतदाताओं को रिझाते हुए कहा कि राजभरों का मान व सम्मान बसपा में ही सुरक्षित है ।

हालांकि सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर यह मानने को तैयार नहीं हैं कि बसपा को राजभर मतों को जोड़ने में सफलता मिलेगी।

सुभासपा अध्यक्ष का कहना है कि भीम राजभर के सहारे बसपा को राजभरों से निराशा ही हासिल होगा।  वह कहते हैं कि भीम राजभर स्वयं विधानसभा चुनाव में राजभर मत प्राप्त नहीं कर सके थे तो वह राजभरों को बसपा से जोड़ने में कैसे सफल हो पायेंगे।

भीम राजभर को बसपा द्वारा प्रदेश की कमान सौपने के बाद आने वाले समय में राजभर मतों पर कब्जे के लिए संघर्ष तेज होगा। भाजपा ने भी राजभर मतों को सहेजने के लिए मंत्री अनिल राजभर को लगाया है तो सपा की तरफ से रमाशंकर राजभर विद्यार्थी मैदान में हैं। यही नहीं, सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने चाचा शिवपाल यादव की पार्टी प्रसपा से भी गठबंधन के संकेत दिए हैं। यानि मोर्चेबंदी की कवायद तेज हो चली हैं।

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