पुलिस और प्रशासन के आज्ञाकारी पत्रकारों को छत्तीसगढ़ में अच्छा पत्रकार माना जाता है. और जो सही मानो में पत्रकारिता करते हैं, पुलिस उन्हें गांव में जाने ही नहीं देती है. पत्रकारों को रोकते हुए पुलिस कहती है "आपकी सुरक्षा के लिए ही आपको रोका जा रहा है".
इसलिए अधिकतर मीडिया में वही उभर कर आता है जो सरकार चाहती है. ऐसे पुलिसिया तंत्र में जब पुलिस को चकमा देकर पत्रकार गांव देहात में पहुंचे तो मामला कुछ और ही निकल कर आया. हर कोई लोकतंत्र के त्यौहार में सम्मिलित होकर अपने मतदान का अधिकार चाहता है, बिजली, पानी, सड़क, स्वास्थ, शिक्षा, रोज़गार की समस्या सुनने वाला कोई नहीं है. जहाँ आठ दस साल पहले विकास था अब वो जगह भी विनाश की कगार पर है. माओवाद और नक्सल के नाम पर स्वयं सरकार अफवाह फैला रही है, लोग जुड़ना चाहते हैं, सरकार लाखों लोगों को लोकतंत्र से दूर रखना चाहती है.
जानिये ऐसे ही पत्रकार कमल शुक्ला की ज़ुबानी छत्तीसगढ़ की कहानी
Video by Anuj Shrivastava