6 सितंबर के सवर्ण जातियों के भारत बंद को लेकर मध्यप्रदेश में, खासकर ग्वालियर-चंबल इलाके में जनता ही नहीं, नेता तक दहशत में आ गए हैं।
एससी-एसटी एक्ट के विरोध में प्रदेश भर में सवर्ण जातियों के लोग आंदोलन कर रहे हैं और भाजपा नेताओं तथा मंत्रियों का घेराव कर रहे हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तक पर चप्पल फेंकी जा चुकी है।
(Courtesy: FreePressJournal.com)
आंदोलन को लेकर अधिकारी भी चिंता में पड़ गए हैं क्योंकि अप्रैल के दलित संगठनों के भारत बंद के दौरान सवर्णों ने दलितों पर भारी हिंसा की थी। कई दिनों तक कर्फ्यू भी लगा रहा था।
इस बार बंद से पहले ही तनाव फैल चुका है। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर तक के बंगले का घेराव हो चुका है। सभी नेता डरे हुए हैं।
करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष महिपत सिंह मकराना के आंदोलन में कूदने के ऐलान से केंद्र और राज्य सरकारों की परेशानियां बढ़ गई हैं। दरअसल एससी-एसटी एक्ट में सुप्रीम कोर्ट के फैसले की खिलाफत भी इसी इलाके से शुरू हुई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी एक्ट के दुरुपयोग के खिलाफ इसमें कुछ बदलाव किए थे जिनके तहत इस एक्ट में पुलिस गिरफ्तारी जांच के बाद ही करने को कहा गया था। 2 अप्रैल को हुई हिंसा के बाद केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पलट दिया था।
ग्वालियर-चंबल अंचल के सवर्ण इस एक्ट का विरोध कर रहे हैं। नरेंद्र सिंह तोमर के बाद प्रदेश की कैबिनेट मंत्री माया सिंह को काले झंडे दिखाने का प्रयास किया। सीधी में सांसद रीति पाठक को घेरा गया। कुछ जगह कांग्रेस के नेताओं का भी विरोध हुआ है।
भाजपा के नेता डर के मारे अपने कार्यक्रम रद्द कर रहे हैं और चुनावी बेला में छिपकर बैठे हुए हैं। पिछले एक सप्ताह में ग्वालियर-चंबल अंचल के कई नेताओं ने अपने कार्यक्रम रद्द कर दिए हैं। अब तक सांसद अनूप मिश्रा, मंत्री नारायण कुशवाह, विधायक भारत कुशवाह समेत कई भाजपा नेता डर के मारे अपने कार्यक्रम रद्द कर चुके हैं।
सवर्ण वर्ग के लोगों ने भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा, स्वास्थ्य मंत्री रुस्तम सिंह, केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत समेत कई भाजपा नेताओं को काले झंडे दिखाए जा चुके हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह पर भी चप्पल फेंकी जा चुकी है।
एससी-एसटी एक्ट के विरोध में प्रदेश भर में सवर्ण जातियों के लोग आंदोलन कर रहे हैं और भाजपा नेताओं तथा मंत्रियों का घेराव कर रहे हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तक पर चप्पल फेंकी जा चुकी है।
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आंदोलन को लेकर अधिकारी भी चिंता में पड़ गए हैं क्योंकि अप्रैल के दलित संगठनों के भारत बंद के दौरान सवर्णों ने दलितों पर भारी हिंसा की थी। कई दिनों तक कर्फ्यू भी लगा रहा था।
इस बार बंद से पहले ही तनाव फैल चुका है। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर तक के बंगले का घेराव हो चुका है। सभी नेता डरे हुए हैं।
करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष महिपत सिंह मकराना के आंदोलन में कूदने के ऐलान से केंद्र और राज्य सरकारों की परेशानियां बढ़ गई हैं। दरअसल एससी-एसटी एक्ट में सुप्रीम कोर्ट के फैसले की खिलाफत भी इसी इलाके से शुरू हुई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी एक्ट के दुरुपयोग के खिलाफ इसमें कुछ बदलाव किए थे जिनके तहत इस एक्ट में पुलिस गिरफ्तारी जांच के बाद ही करने को कहा गया था। 2 अप्रैल को हुई हिंसा के बाद केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पलट दिया था।
ग्वालियर-चंबल अंचल के सवर्ण इस एक्ट का विरोध कर रहे हैं। नरेंद्र सिंह तोमर के बाद प्रदेश की कैबिनेट मंत्री माया सिंह को काले झंडे दिखाने का प्रयास किया। सीधी में सांसद रीति पाठक को घेरा गया। कुछ जगह कांग्रेस के नेताओं का भी विरोध हुआ है।
भाजपा के नेता डर के मारे अपने कार्यक्रम रद्द कर रहे हैं और चुनावी बेला में छिपकर बैठे हुए हैं। पिछले एक सप्ताह में ग्वालियर-चंबल अंचल के कई नेताओं ने अपने कार्यक्रम रद्द कर दिए हैं। अब तक सांसद अनूप मिश्रा, मंत्री नारायण कुशवाह, विधायक भारत कुशवाह समेत कई भाजपा नेता डर के मारे अपने कार्यक्रम रद्द कर चुके हैं।
सवर्ण वर्ग के लोगों ने भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा, स्वास्थ्य मंत्री रुस्तम सिंह, केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत समेत कई भाजपा नेताओं को काले झंडे दिखाए जा चुके हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह पर भी चप्पल फेंकी जा चुकी है।