गुजरात चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी रैली की शुरुआत में ही गरीबी का इमोशनल कार्ड खेलना शुरू कर दिया है। माना जा रहा था कि शुरुआत में कांग्रेस पर हमलावर होने के बाद प्रचार के अंतिम दो- तीन दिनों में अपने इस तुरुप के पत्ते का इस्तेमाल करेंगे। मोदी द्वारा अपनी गरीबी का जिक्र करते ही उनके बचपन की फोटो सोशल मीडिया में वायरल हो गई हैं।
इन फोटोज् की पुष्टि पीएम मोदी की वेबसाइट पर भी होती है। इसमें मोदी की बायोग्राफी में बचपन के फोटो भी शेयर किए गए हैं। इस लिंक पर जाकर आप मोदी की बायोग्राफी में उनके बचपन के फोटो देख सकते हैं।
सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात में जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था कि हां मैंने चाय बेचा है..लेकिन देश तो नहीं बेचा। इसके बाद से ही ट्विटर पर भी #मैंने_चाय_बेची_है ट्रेंड भी करने लगा।
सोशल मीडिया पर मोदी के बचपन के जो फोटो वायरल हो रहे हैं उनमें वे किसी भी एंगल से चाय बेचने वाले नजर नहीं आ रहे हैं। एक ट्विटर यूजर ने उनके बचपन की फोटो शेयर करते हुए लिखा है... Official dress of chaiwala in 1960.........Suit and boot.......





आपको बता दें कि मोदी अपने बचपन की गरीबी और चाय बेचने का इमोशनल मुद्दा सामने रखकर जनता से वोटों की अपील करते रहे हैं। 2014 के चुनावों में तो चाय पर चर्चा नाम से चुनावी कार्यक्रमों में काफी भीड़ उमड़ी थी, हालांकि गुजरात में बहुत सारी चीजें क्लियर होती जा रही हैं। मोदी की भुज रैली में कुर्सियां खाली पड़ी रहीं, यह भाजपा के लिए बहुत चिंता का विषय है। इसके साथ ही मोदी इमोशनली जुड़ने के लिए हिंदी छोड़कर गुजराती में ही भाषण दे रहे हैं।
दरअसल, गुजरात चुनाव में भाजपा के पास मोदी के अलावा कोई और वजह वोट लेने की नहीं दिखाई पड़ रही। यहां लंबे समय से भाजपा सत्ता में रही है। कांग्रेस लगातार कड़े तरीके से हमलावर है। ऐसे में कांग्रेस का सोशल मीडिया सेल भी भाजपा को कड़ी टक्कर दे रहा है।