भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ा अभियान छेड़ने का दावा करने वाली बीजेपी किस कदर चुनिंदा शिकार कर रही है यह किसी से छिपा नहीं है। मोदी सरकार के कारिंदे चुन-चुन कर विपक्ष के नेताओं के खिलाफ अभियान चला रहे हैं। उनके पुराने मामलों को उठा रहे हैं और उन्हें जनता के सामने ऐसे पेश कर रहे हैं जैसे उन्होंने भ्रष्टाचार का रिकार्ड तोड़ दिया हो। बाकी का काम भक्तों और गोदी मीडिया कर ही देता है। और फिर मोदी साहब सरकारी भोंपू से मन की बात में खुद और अपनी सरकार की पीठ थपथपाते हुए प्रवचनमय दिखते हैं। पूरा माहौल शुद्ध, शालीन और सुसंस्कृत दिखता है।
ईडी, सीबीआई और दूसरी सरकारी एजेंसियां तो सरकार के इशारे पर काम करने के लिए तो हाथ बांधे खड़ी ही हैं। सरकार के इशारे पर वो तुरंत रेड डालने लगती हैं।
ताजा मामला कथित आईआरसीटीसी घोटाले में लालू और तेजस्वी के खिलाफ छापा मारने के बाद राबड़ी देवी से पूछताछ का है। ईडी ने फैसला किया है कि वह अब राबड़ी देवी से पूछताछ करेगी। लालू के परिवार के खिलाफ ईडी या सीबीआई के इन अभियानों में नया कुछ भी नहीं है। बीजेपी के साथ नीतीश के सरकार बना लेने के बाद इन अभियानों में और तेज आई है। हाल के दिनों में लालू की बेटी मीसा के दिल्ली स्थित फार्म हाउसों पर छापे मारे गए। कॉरपोरेट घरानों के अखबारों और न्यूज चैनलों में इन छापों के बारे में खूब खबरें आती हैं और कई बार बढ़ा-चढ़ा कर। लेकिन अब तक ये एजेंसियां ये नहीं बता पाई हैं कि आखिर इन छापों से उन्हें क्या मिला।
कुल मिला कर सरकार के भ्रष्टाचार विरोधी अभियान विपक्ष नेताओं को टारगेट बनाने तक सीमित हो गए हैं। पश्चिम बंगाल में तृणमूल नेताओं को निशाना बनाया जा रहा है। बिहार में राजद नेताओं के कथित भ्रष्टाचार की फाइलें खंगाली जा रही हैं। हाल में बीजू जनता दल के एक नेता के खिलाफ पोंजी स्कीम में कार्रवाई भी इसी रणनीति का हिस्सा है। दक्षिण में कांग्रेस नेताओं और मंत्रियों के लिए मुश्किलें खड़ी की जा रही हैं लेकिन अभी तक बीजेपी के किसी बड़े नेता के खिलाफ न तो सीबीआई सक्रिय हुई है और न ईडी। आखिर यह सरकार किसे मूर्ख बना रही है। 2019 के चुनाव में अब बहुत देर नहीं है। जनता सब देख रही है।