अधूरी तैयारियों के जीएसटी का एक और झटका, सर्विस सेक्टर पटरी से उतरा

Published on: August 4, 2017
मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर के बाद अब सर्विस सेक्टर को जीएसटी का करारा
झटका लगा है। सेवा क्षेत्र की गतिविधियों को जाहिर करने वाला
निक्केई इंडिया सर्विस पीएमआई जुलाई में घट कर 45.9 रह गया है।
सितंबर 2013 के बाद सर्विस पीएमआई का यह सबसे निचला स्तर है।
गौरतलब है कि 50 से ज्यादा पीएमआई इंडस्ट्री में विस्तार का सूचक
होता है, जबकि 50 से नीचे का इंडेक्स गिरावट का सूचक है।
ताजा सर्वे में सर्विस सेक्टर के पांच में चार सेक्टरों की कारोबारी
गतिविधियों में गिरावट दर्ज की गई है। फाइनेंस और इंश्योरेंस सेक्टर
को छोड़ कर कंज्यूमर सर्विसेज, ट्रांसपोर्ट, स्टोरेज और इन्फॉरमेशन-
कम्यूनिकेशन में गिरावट देखने को मिली है।


Image Courtesy: Deccan Chronicle


पहली बार जनवरी में सर्विस सेक्टर के आउटपुट और नए ऑर्डर में
गिरावट दर्ज की गई है। पिछले साल नवंबर में नोटबंदी लागू होने के

बाद से यह कयास लगाया जा रहा था कि सर्विस सेक्टर के ग्रोथ में
भारी कमी आ सकती है। लेकिन जुलाई में जीएसटी लागू होने की
संभावनाओं को देखते हुए सर्विस सेक्टर की कंपनियों ने अपनी
गतिविधियां धीमी करनी शुरू कर दी थी। इसके संकेत इस साल की
शुरूआत में दिखने लगे थे, जब इस सेक्टर की रफ्तार रुकने लगी थी।
इसके बाद जीएसटी लागू होने के बाद नए कारोबार भी रुक गए। इस
साल जुलाई में जब जीएसटी लागू हुआ तो सर्विस सेक्टर की कंपनियों
की ओर से अपनी गतिविधियों को धीमा करने और विस्तार रोक देने
की वजह से नौकरियों में भी कमी दर्ज की गई।

दरअसल हड़बड़ी में जीएसटी लागू करने की वजह से इकोनॉमी को गहरा
धक्का लगा है। पहले मैन्यूफैक्चरिंग और अब सर्विस सेक्टर में गिरावट
को देखते हुए यह निश्चित तौर पर कहा जा सकता है कि जीएसटी के
पेचीदा नियमों से इंडस्ट्री में असमंजस की स्थिति है। उद्योग अभी तक
इसके असर को ही समझने में लगा है।

दो दिन पहले अगर रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में चौथाई फीसदी की कटौती
की है तो सिर्फ इसलिए कि इकोनॉमी को रफ्तार दी जा सके। सरकार
धीमे निजी निवेश और अन्य कारणों से चिंतित थी। रिजर्व बैंक ने रेपो
रेट में इसलिए कटौती नहीं की कि महंगाई दर घटी हुई है। बल्कि
इसलिए की कि जीएसटी ने मैन्यूफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर दोनों को
पटरी से उतार दिया है।

देश की अर्थव्यवस्था में सर्विस सेक्टर की हिस्सेदारी 61 फीसदी है।
इसलिए इस सेक्टर की रफ्तार खासी चिंता की बात है। लेकिन सरकार
है कि नोटबंदी और आधी-अधूरी तैयारियों के साथ जीएसटी लागू करने
जैसे इकोनॉमी को पटरी से उतारने वाले कदम उठाने के बावजूद खुद को
सही ठहरा रही है।

बाकी ख़बरें