एमपी में छात्रों का प्रदर्शन: तीन साल से नहीं मिली छात्रवृत्ति, हॉस्टल भत्ता बंद, “कैसे पढ़ें जब सरकार ही साथ नहीं दे रही!”

Written by sabrang india | Published on: November 12, 2025
जयस ने इस प्रदर्शन से पहले सोशल मीडिया पर एक व्यापक अभियान शुरू किया था, जिसमें बड़ी संख्या में छात्र नेताओं और युवाओं से जुड़ने की अपील की गई थी। इस दौरान छात्रों ने अपने अनुभव साझा किए और सरकार से तुरंत प्रभावी कार्रवाई की मांग उठाई।



मध्य प्रदेश के इंदौर में जय आदिवासी युवा शक्ति (जयस) छात्र संगठन ने आदिवासी, दलित और पिछड़े वर्ग के विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति, हॉस्टल भत्ता और अन्य शैक्षणिक योजनाओं में हो रही अनियमितताओं और लापरवाहियों के विरोध में आंदोलन शुरू किया है। मंगलवार को बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं टंट्या भील चौराहा से पैदल मार्च करते हुए कलेक्टर कार्यालय पहुंचे। वहां उन्होंने धरना देकर नारेबाजी की और सरकार से अपनी मांगें जल्द पूरी करने की मांग की।

द मकूनायक की रिपोर्ट के अनुसार, जयस छात्र संगठन के जिला अध्यक्ष पवन अहिरवाल ने कहा, “साल 2022 से लेकर 2025 तक एससी-एसटी वर्ग के छात्रों की छात्रवृत्ति अब तक नहीं आई है। इस वजह से निजी कॉलेज मनमानी कर रहे हैं। छात्रों से मोटी फीस जमा करने का दबाव बनाया जा रहा है और जो फीस नहीं दे पा रहे हैं, उन्हें परीक्षा में बैठने से रोका जा रहा है।”

उन्होंने आगे बताया कि पहले छात्रों को स्टेशनरी के लिए भी राशि दी जाती थी, लेकिन अब वह योजना बंद कर दी गई है। “दिव्यांग विद्यार्थियों को मिलने वाला भत्ता भी बंद कर दिया गया है। सरकार का आदिम जाति कल्याण विभाग अब अन्य विभागों में फंड ट्रांसफर कर रहा है, जिसके कारण वास्तविक लाभार्थी अपने हक से वंचित रह गए हैं।”

तीन साल से छात्रवृत्ति नहीं, परीक्षा में बैठने नहीं दे रहे कॉलेज

प्रदर्शन में शामिल छात्रा लक्ष्मी चौहान ने मीडिया से कहा, “पिछले तीन साल से छात्रवृत्ति नहीं मिल रही है। कॉलेज रोज फीस जमा करने का दबाव डालते हैं, और अगर समय पर फीस न दी जाए तो परीक्षा में बैठने नहीं देते। सरकार ने छात्रवृत्ति जारी करने में इतनी देरी क्यों की? इससे गरीब छात्रों के भविष्य के साथ सीधा खिलवाड़ हो रहा है।”

वहीं, एक अन्य आदिवासी छात्र ने कहा, “हमारे माता-पिता मेहनत-मजदूरी करके हमें पढ़ने के लिए इंदौर भेजते हैं, लेकिन यहां रहना और खाना बहुत महंगा है। अब जब छात्रवृत्ति नहीं मिल रही है, तो फीस भरना लगभग असंभव हो गया है। कई छात्रों के एग्जाम फॉर्म तक स्वीकृत नहीं हुए हैं। सरकार एक ओर शिक्षा की बात करती है, लेकिन दूसरी ओर छात्रों को उनके अधिकारों से वंचित कर रही है।”

छात्रों की प्रमुख मांगें
  • साल 2022-23, 2023-24 और 2024-25 के हजारों छात्रों की छात्रवृत्ति राशि तत्काल जारी की जाए।
  • MPTASK पोर्टल पर Hostel Allowance की प्रक्रिया जो पिछले तीन सालों से बंद है, उसे पुनः शुरू किया जाए।
  • दिव्यांग छात्रों का भत्ता पुनः चालू किया जाए।
  • स्टेशनरी योजना को फिर से लागू किया जाए, ताकि सरकारी कॉलेजों के छात्रों पर आर्थिक बोझ कम हो।
  • छात्रवृत्ति न मिलने की स्थिति में विश्वविद्यालयों द्वारा छात्रों को परीक्षा से वंचित करना बंद किया जाए — यह शिक्षा के अधिकार (Right to Education) पर सीधा प्रहार है।
  • निजी कॉलेजों द्वारा अवैध शुल्क वसूली की जांच कर सख्त कार्रवाई की जाए।
  • सरकारी स्कूलों की छात्रवृत्ति व स्टेशनरी योजनाएं तत्काल पुनः लागू की जाएं।

सोशल मीडिया से आंदोलन की शुरुआत

जयस संगठन ने इस प्रदर्शन से पहले सोशल मीडिया पर एक अभियान चलाया था, जिसमें बड़ी संख्या में छात्र नेताओं और युवाओं से जुड़ने की अपील की गई थी। इस अभियान के दौरान छात्रों ने अपने अनुभव साझा किए और सरकार से तत्काल कार्रवाई की मांग की।

संगठन के अनुसार, “सरकारी योजनाओं के ठप पड़ जाने से गरीब और ग्रामीण इलाकों के छात्र अपनी उच्च शिक्षा जारी नहीं रख पा रहे हैं। कई विद्यार्थी फीस न भर पाने की वजह से कॉलेज छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं। यह स्थिति सरकार की उन नीतियों का परिणाम है, जो शैक्षणिक असमानता को और बढ़ा रही हैं।”

प्रशासनिक उदासीनता पर सवाल

प्रदर्शनकारियों ने बताया कि वे पिछले कई महीनों से जिला प्रशासन और आदिम जाति कल्याण विभाग के अधिकारियों से मुलाकात कर अपनी समस्याएं बता चुके हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। छात्रों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं, तो यह आंदोलन प्रदेशव्यापी रूप ले लेगा।

छात्रों का कहना है कि जिस विभाग की जिम्मेदारी आदिवासी और पिछड़े वर्गों को शिक्षा के बेहतर अवसर उपलब्ध कराना है, वही अब बजट की कमी का हवाला देकर योजनाओं को रोक रहा है।

Related

‘आस्था कोई अपराध नहीं’: महाराष्ट्र के प्रस्तावित धर्मांतरण-विरोधी विधेयक के खिलाफ मुंबई का ईसाई समुदाय एकजुट

बाकी ख़बरें