लखनऊ। यूपी के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद योगी आदित्यनाथ इन दिनों अपने काम को लेकर खूब चर्चा में हैं। अहले सुबह ही वह किसी सरकारी दफ्तर पहुंच जाते हैं और सरकारी कर्मचारियों के हाथ पैर फूलने लगते हैं। सभी मीडिया चैनलों में सिर्फ उनके ही काम के चर्चे हैं। लेकिन इस बीच उनके एक अभियान की बहुत आलोचना हो रही है वह है उनका ऐंटी-रोमियो अभियान।

योगी सरकार ने सत्ता संभालते ही मनचलों के खिलाफ 'ऐंटी-रोमियो स्क्वॉड' बनाने के चुनावी वादे को अमलीजामा पहनाया है और पूरे सूबे में जगह-जगह मनचलों की धर-पकड़ भी तेज हो गई है। लेकिन इसे लेकर सवाल भी उठने लगे हैं। कांग्रेस ने इसे लेकर संसद भवन में भी हंगामा किया है। कांग्रेस का कहना है कि अभियान के नाम पर किसी को भी पुलिस पकड़ ले रही है और कपल्स को भी परेशान किया जा रहा है। यही नहीं कांग्रेस सांसद रंजीता रंजन ने कहा कि लोगों की आजादी छीनी जा रही है और भाई-बहन भी साथ जा रहे हैं तो उन्हें बेवजह परेशान किया जा रहा है।
सवाल यह है कि यूपी पुलिस ऐसे लोगों की पहचान कैसे करती है? इस बाबत पूछने पर एक मेल कॉन्स्टेबल ने बताया, 'अब किसी के चेहरे पर तो नहीं लिखा होता कि कौन रोमियो है। पर हमारी इतने साल की ड्यूटी है कि हम लड़कों की आंखों से, उनके चेहरे से और उनके खड़े होने के अंदाज से पहचान लेते हैं कि कौन शरीफ घर का है और कौन रोमियो है।'
स्क्वॉड एक गर्ल्स कॉलेज के बाहर खड़े लड़कों के पास पहुंचता है। कॉन्स्टेबल एक लड़के को सख्त शब्दों में डांटता है। लड़का कहता है, 'लेकिन मैं यहां अपने दोस्त से मिलने आया हूं।' कॉन्स्टेबल जवाब देता है, 'एक लड़का और एक लड़की कभी दोस्त नहीं हो सकते। अगर तुम इतने ही अच्छे दोस्त हो तो तुम्हें लड़की के घर जाना चाहिए और उसके माता-पिता की इजाजत के बाद उससे बातचीत करनी चाहिए। सड़कों पर माहौल खराब मत करो।'
बीच में वायरलेस हैंडसेट बजने से कॉन्स्टेबल और लड़के के बीच सवाल-जवाब का सिलसिला थम जाता है। स्क्वॉड को निर्देश मिलता है कि वह एसपी के नेतृत्व में कोचिंग सेंटर हब के पास एक बड़ी टीम में शामिल हो। कोचिंग सेंटरों के पास 6 गाड़ियों का काफिला आकर रूकता है। पार्किंग में एक किशोर छात्र को पुलिस अफसर डांटता है, 'तुम यहां क्यों खड़े हो? घर जाओ।' बुक स्टाल के बाहर खड़ी एक महिला से कहा जाता है, 'तुम यहां क्या कर रही हो? क्या तुम्हें कोई परेशान कर रहा है?' महिला कहती है, 'नहीं, मुझे कोई परेशान नहीं कर रहा है। मैं यहां अपने बेटे के लिए किताबें खरीदने आई हूं।'
इसके बाद पुलिस टीम आगे बढ़ती है और एक महिला कॉलेज के बाहर पहुंचती है। टीम कॉलेज के बाहर खड़े कुछ लड़कों को डांटती है और कॉलेज की प्रिंसिपल से बात करती है। प्रिंसिपल इस 'शानदार पहल' के लिए टीम की तारीफ करती हैं। कुछ फोटो खींचे जाते हैं और अभियान सही से चल रहा है इससे आश्वस्त होने के बाद पुलिस टीम दूसरे कामों में लग जाती है।
ऐंटी-रोमियो स्क्वॉड का कॉलेजों के बाहर नजर रखना जारी है। एक कॉन्स्टेबल पूछता है, 'क्या रोमियो ब्रिटिश था?' दूसरा मेल कॉन्स्टेबल कहता है, 'नहीं, मुझे लगता है कि रोमियो ग्रीक था। उसका नाम आज हम लोगों की वजह से मशहूर है।' वह आगे कहता है, 'अगर रोमियो और जुलिएट मशहूर प्रेमी रहे हों तब भी हमारी संस्कृति उन्हें स्वीकार नहीं करती। यह इंग्लैंड या ग्रीस में हो सकता है या वे जहां के होंगे वहां हो सकता है लेकिन भारत में नहीं।'
एसीपी (सिटी) आलोक प्रियदर्शी दावा करते हैं कि यह मोरल पुलिसिंग नहीं है। वह कहते हैं, 'हम सिर्फ शहर की सुरक्षा सुनिश्चित कर रहे हैं। हमारी मंशा निर्दोषों और कपल्स को परेशान करने की नहीं है।'
साभार- NBT
(संपादन- भवेंद्र प्रकाश)
Courtesy: National Dastak

योगी सरकार ने सत्ता संभालते ही मनचलों के खिलाफ 'ऐंटी-रोमियो स्क्वॉड' बनाने के चुनावी वादे को अमलीजामा पहनाया है और पूरे सूबे में जगह-जगह मनचलों की धर-पकड़ भी तेज हो गई है। लेकिन इसे लेकर सवाल भी उठने लगे हैं। कांग्रेस ने इसे लेकर संसद भवन में भी हंगामा किया है। कांग्रेस का कहना है कि अभियान के नाम पर किसी को भी पुलिस पकड़ ले रही है और कपल्स को भी परेशान किया जा रहा है। यही नहीं कांग्रेस सांसद रंजीता रंजन ने कहा कि लोगों की आजादी छीनी जा रही है और भाई-बहन भी साथ जा रहे हैं तो उन्हें बेवजह परेशान किया जा रहा है।
सवाल यह है कि यूपी पुलिस ऐसे लोगों की पहचान कैसे करती है? इस बाबत पूछने पर एक मेल कॉन्स्टेबल ने बताया, 'अब किसी के चेहरे पर तो नहीं लिखा होता कि कौन रोमियो है। पर हमारी इतने साल की ड्यूटी है कि हम लड़कों की आंखों से, उनके चेहरे से और उनके खड़े होने के अंदाज से पहचान लेते हैं कि कौन शरीफ घर का है और कौन रोमियो है।'
स्क्वॉड एक गर्ल्स कॉलेज के बाहर खड़े लड़कों के पास पहुंचता है। कॉन्स्टेबल एक लड़के को सख्त शब्दों में डांटता है। लड़का कहता है, 'लेकिन मैं यहां अपने दोस्त से मिलने आया हूं।' कॉन्स्टेबल जवाब देता है, 'एक लड़का और एक लड़की कभी दोस्त नहीं हो सकते। अगर तुम इतने ही अच्छे दोस्त हो तो तुम्हें लड़की के घर जाना चाहिए और उसके माता-पिता की इजाजत के बाद उससे बातचीत करनी चाहिए। सड़कों पर माहौल खराब मत करो।'
बीच में वायरलेस हैंडसेट बजने से कॉन्स्टेबल और लड़के के बीच सवाल-जवाब का सिलसिला थम जाता है। स्क्वॉड को निर्देश मिलता है कि वह एसपी के नेतृत्व में कोचिंग सेंटर हब के पास एक बड़ी टीम में शामिल हो। कोचिंग सेंटरों के पास 6 गाड़ियों का काफिला आकर रूकता है। पार्किंग में एक किशोर छात्र को पुलिस अफसर डांटता है, 'तुम यहां क्यों खड़े हो? घर जाओ।' बुक स्टाल के बाहर खड़ी एक महिला से कहा जाता है, 'तुम यहां क्या कर रही हो? क्या तुम्हें कोई परेशान कर रहा है?' महिला कहती है, 'नहीं, मुझे कोई परेशान नहीं कर रहा है। मैं यहां अपने बेटे के लिए किताबें खरीदने आई हूं।'
इसके बाद पुलिस टीम आगे बढ़ती है और एक महिला कॉलेज के बाहर पहुंचती है। टीम कॉलेज के बाहर खड़े कुछ लड़कों को डांटती है और कॉलेज की प्रिंसिपल से बात करती है। प्रिंसिपल इस 'शानदार पहल' के लिए टीम की तारीफ करती हैं। कुछ फोटो खींचे जाते हैं और अभियान सही से चल रहा है इससे आश्वस्त होने के बाद पुलिस टीम दूसरे कामों में लग जाती है।
ऐंटी-रोमियो स्क्वॉड का कॉलेजों के बाहर नजर रखना जारी है। एक कॉन्स्टेबल पूछता है, 'क्या रोमियो ब्रिटिश था?' दूसरा मेल कॉन्स्टेबल कहता है, 'नहीं, मुझे लगता है कि रोमियो ग्रीक था। उसका नाम आज हम लोगों की वजह से मशहूर है।' वह आगे कहता है, 'अगर रोमियो और जुलिएट मशहूर प्रेमी रहे हों तब भी हमारी संस्कृति उन्हें स्वीकार नहीं करती। यह इंग्लैंड या ग्रीस में हो सकता है या वे जहां के होंगे वहां हो सकता है लेकिन भारत में नहीं।'
एसीपी (सिटी) आलोक प्रियदर्शी दावा करते हैं कि यह मोरल पुलिसिंग नहीं है। वह कहते हैं, 'हम सिर्फ शहर की सुरक्षा सुनिश्चित कर रहे हैं। हमारी मंशा निर्दोषों और कपल्स को परेशान करने की नहीं है।'
साभार- NBT
(संपादन- भवेंद्र प्रकाश)
Courtesy: National Dastak