आरएसएस चीफ मोहन भागवत के लिए यह बेहद शर्मसार करने वाली घटना रही होगी। हाल में मध्य प्रदेश के उनके दौरे के दौरान वहां की पुलिस ने राज्य में सक्रिय आईएसआई के खुफिया रैकेट का पर्दाफाश किया। मध्य प्रदेश वह राज्य है, जहां उनके आंखों के तारे शिवराज सिंह चौहान का राज है।
Image: Asian Age
संघ के लिए यह और भी शर्मसार करने वाली बात इसलिए है कि यह जासूसी रैकेट वो लोग चला रहे थे, जो आरएसएस के विभिन्न संगठनों से नजदीकी तौर पर जुड़े हुए थे। संयोग से आईएसआई के इस रैकैट के भंडाफोड़ उसी दिन (10 फरवरी) उसी दिन हुआ, जिस दिन राज्य के एक शहर में आयोजित कार्यक्रम में डॉ. भागवत आईएसआईएस पर बरस रहे थे। भागवत ने इस कार्यक्रम में आईएसआईएस को मानवता के लिए खतरा करार दिया था। उन्होंने कहा था, आईएसआईएस बेकसूरों का कत्ल कर रहा है और इस संकट का कोई हल नहीं दिखाई दे रहा है।
मध्य प्रदेश के एंटी टेररिस्ट स्कवाड ने 10 फरवरी को एक अंतरराष्ट्रीय कॉल रैकेट का भंडाफोड़ किया, जिसका आईएसआई के एजेंट इस्तेमाल करते थे। इसका इस्तेमाल भारतीय सेना के ऑपरेशन पर नजर रखने के लिए किया जाता था। यह जासूसी रैकेट अफगानिस्तान,पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल के कॉल यहां आने में मदद करता था। ऐसा कानूनी चैनलों को दरकिनार करके होता था।
इस कार्रवाई में 11 संदिग्धों से 40 सिम बॉक्स (चीन में बने गैजेट, जिसमें कई सिम कार्ड होते हैं) और 3000 सिम कार्ड पकड़े गए। पकड़े गए संदिग्धों में एक भाजपा नेता का भाई भी शामिल है। इन लोगों को भोपाल, ग्वालियर और सतना से गिरफ्तार किया गया। इन लोगों के खिलाफ देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। जल्द ही कुछ और लोगों को गिरफ्तार किया जा सकता है।
मध्य प्रदेश पुलिस के मुताबिक इस मामले में गिरफ्तार संदिग्ध जासूसी, मनी लांड्रिंग और धोखाधड़ी में शामिल थे। इस ऑपरेशन का नेतृत्व करने वाले मध्य प्रदेश एटीएस के चीफ संजीव सामी ने कहा कि बड़ी टेलीकॉम कंपनियों के साथ काम करने वाले कुछ लोग पुलिस के रडार पर हैं और उनमें से कुछ जल्द ही सलाखों के पीछे होंगे। सामी बताते हैं, इस गिरोह के लोगों ने सिर्फ देश के खिलाफ जासूसी की है बल्कि देश के दूरसंचार विभाग को जबरदस्त वित्तीय नुकसान पहुंचाया है। गिरोह में शामिल लोग समांतर टेलीकॉम एक्सचेंज चला रहे थे। इसके जरिये साजिश करने वाले सीनियर आर्मी बन कर जम्मू-कश्मीर में तैनात सैन्यकर्मियों से बात करते थे और उनसे सेना के ऑपरेशन, तैनाती और हथियारों-साजोसामान की जानकारी लेते थे।
एमपीएटीएस पिछले पिछले दो महीनों से चौबीसों घंटे रात-दिन केंद्रीय एजेंसी के साथ मिल कर काम रही था। एमपीएटीएस की कार्रवाई के तहत तीन लोग भोपाल से गिरफ्तार हुए थे और पांच ग्वालियर से। दो लोग जबलपुर और दो सतना से गिरफ्तार किए गए थे।
एमपीएटीएस ने कई चीनी उपकरण जब्त किए हैं। इनमें मोबाइल फोन, लैपटॉप और डाटा कार्ड शामिल हैं। इंटरनेट के जरिये किए जाने वाले कॉल इन सिम बॉक्स में भेजे जाते थे और फिर इन्हें गैरकानूनी वीओआईपी की तरफ मोड़ दिया जाता था, जो फिर मोबाइल नेटवर्क की ओर चले जाते थे। जासूसी में इन लोगों की गिरफ्तारी के बाद राज्य कांग्रेस ने दावा किया कि गिरफ्तार 11 लोगों में एक ग्वालियर से भाजपा पार्षद का रिश्तेदार भी शामिल है।
पत्रकारों से बातचीत में मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव ने कहा कि गिरफ्तार लोगों में से एक जितेंद्र सिंह यादव ग्वालियर के वार्ड नंबर 58 के पार्षद वंदना सतीश यादव का रिश्तेदार है। कांग्रेस नेता ने दावा किया कि वंदना सतीश यादव का परिवार केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और राज्य नगर प्रशासन मंत्री माया सिंह से गहरे जुड़ा है। उन्होंने मांग की कि एटीएस को जितेंद्र सिंह यादव और शीर्ष भाजपा नेताओं के रिश्तों की जांच करनी चाहिए। इन गिरफ्तारी के बाद कुछ लोगों के और नाम सामने आए, जो संघ परिवार से जुड़े थे। इनमें एक नाम है आशीष सिंह। आशीष सिंह का नाम आते ही कांग्रेस और भाजपा में ट्वीटर युद्ध शुरू हो गया।
सीनियर भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय ने इस रैकेट का भंडाफोड़ करने के लिए राज्य पुलिस की तारीफ की वहीं एआईसीसी के जनरल सेक्रेट्री दिग्विजय सिंह ने यह कह कर विवाद को हवा दी कि पकड़े गए आईएसआई संदिग्धों में कोई मुस्लिम नहीं है।
इस मामले में दिग्विजय ने बीजेपी की जम कर खिंचाई की। उन्होंने ट्वीट में लिखा - कई आईएसआई एजेंट भोपाल में गिरफ्तार। इनमें से एक भी मुसलमान नहीं। संदिग्धों में एक बीजेपी का सदस्य। मोदी के समर्थकों को इस पर जरूर विचार करना चाहिए।
इसके बाद कांग्रेस के सदस्यों ने कुछ तस्वीरें जारी कीं। उसने कहा कि संदिग्धों में से एक ध्रुव सक्सेना भारतीय जनता युवा मोर्चा के आईटी सेल का जिला संयोजक है। कुछ तस्वीरों में सक्सेना को भाजपा के कार्यक्रमों में पार्टी नेताओं के साथ दिखाया गया है। इनमें मुख्यमंत्री, कैलैश विजयवर्गीय और भारतीय जनता युवा मोर्चा के अंशुल तिवारी शामिल हैं।
बीजेपी ने इन तस्वीरों का यह कह कर विरोध किया कोई भी पार्टी के शीर्ष नेताओं के साथ सेल्फी ले सकता है और सदस्यता अभियान का हिस्सा बन सकता है। हम न ध्रुव को जानते हैं और न ही वह पार्टी का सदस्य है। दिग्विजय सिंह अपने ट्वीट से नफरत फैलाने की कोशिश कर रहे हैं।
बहरहाल, ध्रुव सक्सेना के बीजेपी के आईटी सेल से जुड़े होने की बात उजागर होने के बाद पार्टी उससे दूरी दिखाने का पूरा प्रयास करती रही। बीजेपी के राज्य प्रमुख नंद कुमार चौहान ने इस बात से इनकार किया इस मामले से भगवा आतंकवाद का भंडाफोड़ हुआ है। ध्रुव सक्सेना की मां रजनी सक्सेना ने माना कि उनका बेटा बीजेपी के लिए काम कर रहा था। लेकिन चौहान ने कहा कि वह झूठ बोल रही हैं। पार्टी का ध्रुव सक्सेना से कोई रिश्ता नहीं है। बीजेपी की राज्य इकाई ने युवा मोर्चा और आईटी सेल के पदाधिकारियों के नामों की नई सूची जारी की और कहा कि जासूसी रैकेट में गिरफ्तार लोगों से पार्टी का कोई संबंध नहीं है।
सरकार अब यह जानने की कोशिश कर रही है ध्रुव सक्सेना शिवराज सिंह चौहान के साथ तस्वीर खिंचवाने में कैसे सफल रहा। ध्रुव के अलावा दो और संदिग्धों जितेंद्र ठाकुर और मोहित अग्रवाल का ग्वालियर और भोपाल में बीजेपी नेताओं के साथ संबंध रहे हैं।
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संघ के लिए यह और भी शर्मसार करने वाली बात इसलिए है कि यह जासूसी रैकेट वो लोग चला रहे थे, जो आरएसएस के विभिन्न संगठनों से नजदीकी तौर पर जुड़े हुए थे। संयोग से आईएसआई के इस रैकैट के भंडाफोड़ उसी दिन (10 फरवरी) उसी दिन हुआ, जिस दिन राज्य के एक शहर में आयोजित कार्यक्रम में डॉ. भागवत आईएसआईएस पर बरस रहे थे। भागवत ने इस कार्यक्रम में आईएसआईएस को मानवता के लिए खतरा करार दिया था। उन्होंने कहा था, आईएसआईएस बेकसूरों का कत्ल कर रहा है और इस संकट का कोई हल नहीं दिखाई दे रहा है।
मध्य प्रदेश के एंटी टेररिस्ट स्कवाड ने 10 फरवरी को एक अंतरराष्ट्रीय कॉल रैकेट का भंडाफोड़ किया, जिसका आईएसआई के एजेंट इस्तेमाल करते थे। इसका इस्तेमाल भारतीय सेना के ऑपरेशन पर नजर रखने के लिए किया जाता था। यह जासूसी रैकेट अफगानिस्तान,पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल के कॉल यहां आने में मदद करता था। ऐसा कानूनी चैनलों को दरकिनार करके होता था।
इस कार्रवाई में 11 संदिग्धों से 40 सिम बॉक्स (चीन में बने गैजेट, जिसमें कई सिम कार्ड होते हैं) और 3000 सिम कार्ड पकड़े गए। पकड़े गए संदिग्धों में एक भाजपा नेता का भाई भी शामिल है। इन लोगों को भोपाल, ग्वालियर और सतना से गिरफ्तार किया गया। इन लोगों के खिलाफ देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। जल्द ही कुछ और लोगों को गिरफ्तार किया जा सकता है।
मध्य प्रदेश पुलिस के मुताबिक इस मामले में गिरफ्तार संदिग्ध जासूसी, मनी लांड्रिंग और धोखाधड़ी में शामिल थे। इस ऑपरेशन का नेतृत्व करने वाले मध्य प्रदेश एटीएस के चीफ संजीव सामी ने कहा कि बड़ी टेलीकॉम कंपनियों के साथ काम करने वाले कुछ लोग पुलिस के रडार पर हैं और उनमें से कुछ जल्द ही सलाखों के पीछे होंगे। सामी बताते हैं, इस गिरोह के लोगों ने सिर्फ देश के खिलाफ जासूसी की है बल्कि देश के दूरसंचार विभाग को जबरदस्त वित्तीय नुकसान पहुंचाया है। गिरोह में शामिल लोग समांतर टेलीकॉम एक्सचेंज चला रहे थे। इसके जरिये साजिश करने वाले सीनियर आर्मी बन कर जम्मू-कश्मीर में तैनात सैन्यकर्मियों से बात करते थे और उनसे सेना के ऑपरेशन, तैनाती और हथियारों-साजोसामान की जानकारी लेते थे।
एमपीएटीएस पिछले पिछले दो महीनों से चौबीसों घंटे रात-दिन केंद्रीय एजेंसी के साथ मिल कर काम रही था। एमपीएटीएस की कार्रवाई के तहत तीन लोग भोपाल से गिरफ्तार हुए थे और पांच ग्वालियर से। दो लोग जबलपुर और दो सतना से गिरफ्तार किए गए थे।
एमपीएटीएस ने कई चीनी उपकरण जब्त किए हैं। इनमें मोबाइल फोन, लैपटॉप और डाटा कार्ड शामिल हैं। इंटरनेट के जरिये किए जाने वाले कॉल इन सिम बॉक्स में भेजे जाते थे और फिर इन्हें गैरकानूनी वीओआईपी की तरफ मोड़ दिया जाता था, जो फिर मोबाइल नेटवर्क की ओर चले जाते थे। जासूसी में इन लोगों की गिरफ्तारी के बाद राज्य कांग्रेस ने दावा किया कि गिरफ्तार 11 लोगों में एक ग्वालियर से भाजपा पार्षद का रिश्तेदार भी शामिल है।
पत्रकारों से बातचीत में मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव ने कहा कि गिरफ्तार लोगों में से एक जितेंद्र सिंह यादव ग्वालियर के वार्ड नंबर 58 के पार्षद वंदना सतीश यादव का रिश्तेदार है। कांग्रेस नेता ने दावा किया कि वंदना सतीश यादव का परिवार केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और राज्य नगर प्रशासन मंत्री माया सिंह से गहरे जुड़ा है। उन्होंने मांग की कि एटीएस को जितेंद्र सिंह यादव और शीर्ष भाजपा नेताओं के रिश्तों की जांच करनी चाहिए। इन गिरफ्तारी के बाद कुछ लोगों के और नाम सामने आए, जो संघ परिवार से जुड़े थे। इनमें एक नाम है आशीष सिंह। आशीष सिंह का नाम आते ही कांग्रेस और भाजपा में ट्वीटर युद्ध शुरू हो गया।
सीनियर भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय ने इस रैकेट का भंडाफोड़ करने के लिए राज्य पुलिस की तारीफ की वहीं एआईसीसी के जनरल सेक्रेट्री दिग्विजय सिंह ने यह कह कर विवाद को हवा दी कि पकड़े गए आईएसआई संदिग्धों में कोई मुस्लिम नहीं है।
इस मामले में दिग्विजय ने बीजेपी की जम कर खिंचाई की। उन्होंने ट्वीट में लिखा - कई आईएसआई एजेंट भोपाल में गिरफ्तार। इनमें से एक भी मुसलमान नहीं। संदिग्धों में एक बीजेपी का सदस्य। मोदी के समर्थकों को इस पर जरूर विचार करना चाहिए।
इसके बाद कांग्रेस के सदस्यों ने कुछ तस्वीरें जारी कीं। उसने कहा कि संदिग्धों में से एक ध्रुव सक्सेना भारतीय जनता युवा मोर्चा के आईटी सेल का जिला संयोजक है। कुछ तस्वीरों में सक्सेना को भाजपा के कार्यक्रमों में पार्टी नेताओं के साथ दिखाया गया है। इनमें मुख्यमंत्री, कैलैश विजयवर्गीय और भारतीय जनता युवा मोर्चा के अंशुल तिवारी शामिल हैं।
बीजेपी ने इन तस्वीरों का यह कह कर विरोध किया कोई भी पार्टी के शीर्ष नेताओं के साथ सेल्फी ले सकता है और सदस्यता अभियान का हिस्सा बन सकता है। हम न ध्रुव को जानते हैं और न ही वह पार्टी का सदस्य है। दिग्विजय सिंह अपने ट्वीट से नफरत फैलाने की कोशिश कर रहे हैं।
बहरहाल, ध्रुव सक्सेना के बीजेपी के आईटी सेल से जुड़े होने की बात उजागर होने के बाद पार्टी उससे दूरी दिखाने का पूरा प्रयास करती रही। बीजेपी के राज्य प्रमुख नंद कुमार चौहान ने इस बात से इनकार किया इस मामले से भगवा आतंकवाद का भंडाफोड़ हुआ है। ध्रुव सक्सेना की मां रजनी सक्सेना ने माना कि उनका बेटा बीजेपी के लिए काम कर रहा था। लेकिन चौहान ने कहा कि वह झूठ बोल रही हैं। पार्टी का ध्रुव सक्सेना से कोई रिश्ता नहीं है। बीजेपी की राज्य इकाई ने युवा मोर्चा और आईटी सेल के पदाधिकारियों के नामों की नई सूची जारी की और कहा कि जासूसी रैकेट में गिरफ्तार लोगों से पार्टी का कोई संबंध नहीं है।
सरकार अब यह जानने की कोशिश कर रही है ध्रुव सक्सेना शिवराज सिंह चौहान के साथ तस्वीर खिंचवाने में कैसे सफल रहा। ध्रुव के अलावा दो और संदिग्धों जितेंद्र ठाकुर और मोहित अग्रवाल का ग्वालियर और भोपाल में बीजेपी नेताओं के साथ संबंध रहे हैं।