UP की नई औद्योगिक नीति: अब उद्योगों के लिए SC/ST की जमीन भी बेची जा सकेगी

Written by Navnish Kumar | Published on: October 3, 2022
नई औद्योगिक विकास एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति- 2022 के तहत यूपी में अब उद्योगों के लिए एससी एसटी की जमीन को भी बेचा जा सकेगा। इसके साथ ही निवेश यानी उद्योगों को आकर्षित करने के लिए ग्राम समाज की बंजर आदि जमीनों को भी सर्किल रेट के 1% के हिसाब से 50 साल के लिए पट्टे पर दिया जाएगा। इस समय को बाद में बढ़ाया भी जा सकेगा। इसके लिए राजस्व संहिता में संशोधन करने की तैयारी है। 



यह पूरी कवायद यूपी में होने जा रहे ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के मद्देनजर और उसके आयोजन से पहले की जानी है। कुल मिलाकर प्रदेश में उद्योगों को सस्ती भूमि आवंटन के लिए एक बड़ा लैंड बैंक बनाया जाएगा। इस भूमि के आवंटन में 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश वाली इकाइयों को विशेष रूप से प्राथमिकता दी जाएगी।

दरअसल उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था एक ट्रिलियन डालर बनाने का लक्ष्य लेकर चल रही योगी आदित्यनाथ सरकार तमाम नीतियों में परिवर्तन कर रही है। सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम नीति 2022 लागू करने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति 2022 का प्रारूप भी तैयार कर लिया है। इसके तहत तमाम पूंजीगत सुविधाओं के साथ उद्योगों के लिए जमीन की बाधा दूर करते हुए राजस्व संहिता में संशोधन करने की तैयारी है। इसके बाद उद्योगों के लिए अनुसूचित जाति व जनजाति की जमीन भी बेची जा सकेगी।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ निर्देश दे चुके थे कि ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के पहले ही आवश्यकता के अनुसार विभिन्न नीतियों में संशोधन कर लिया जाए, ताकि निवेशकों को आकर्षित किया जा सके। हाल ही में कैबिनेट ने नई एमएसएमई नीति को भी स्वीकृति दी है और अब औद्योगिक विकास एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति 2022 का प्रारूप भी तैयार कर लिया है। इस नीति में विशेष प्रस्ताव यह रखा गया है कि निवेश के लिए उद्योगों को आकर्षित करने के लिए ग्राम समाज की बंजर और अन्य अनुमन्य भूमि 50 वर्ष के लिए सर्किल रेट के 1% पर पट्टे पर दी जाएगी। पट्टे को 50 वर्ष बाद भी विस्तारित भी किया जा सकेगा। सरकारी भूमि उपलब्ध कराने का निर्णय मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित उच्चस्तरीय समिति करेगी।

उद्योग लगाने के लिए भूमि उपयोग प्रबंधन का सरलीकरण किया गया है। इसके लिए स्पष्ट तौर से कहा गया है कि राजस्व संहिता के प्रविधानों में संशोधन कर उद्योगों की स्थापना के लिए भूमि उपयोग प्रबंधन का सरलीकरण किया जाएगा। जैसे कि कृषि भूमि को गैर-कृषि भूमि में परिवर्तित करना, भू-उपयोग में परिवर्तन, ग्राम समाज की भूमि का निजी भूमि से विनिमय और अनुसूचित जाति-जनजाति की भूमि के विक्रय की अनुमति दी जा सकेगी। 

इसके साथ ही लैंडबैंक की चिंता करते हुए यह व्यवस्था भी बनाई जा रही है कि सार्वजनिक क्षेत्र की बीमार इकाइयाें के स्वामित्व वाली भूमि का भी उपयोग किया जाए। औद्योगिक विकास प्राधिकरणों के क्षेत्र में स्थित ग्राम समाज की भूमि को निश्शुल्क प्राधिकरणों में शामिल किया जाएगा। पूरे प्रदेश में कहीं भी स्थित ग्राम समाज की भूमि को औद्योगिक विकास प्राधिकरणों के पक्ष में निशुल्क पुनर्ग्रहण करने के लिए अनुमति देने के संबंध में उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 के तहत संबंधित निर्देश जारी किए जाएंगे।

फास्ट ट्रैक से जमीन का आवंटन

नई औद्योगिक नीति में प्रस्ताव है कि भूमि आवंटन के लिए आवेदन निवेश मित्र पोर्टल के माध्यम से लिए जाएंगे। इसमें खास बात यह है कि मेगा और उससे उच्च श्रेणी की परियोजनाओं के लिए फास्ट ट्रैक के आधार पर भूमि का आवंटन किया जाएगा। इसमें 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश वाली इकाइयां विशेष रूप से शामिल होंगी।

निवेश प्रोत्साहन को पूंजीगत अनुदान के लिए तीन-तीन विकल्प

दैनिक जागरण की एक खबर के अनुसार, इन्वेस्ट यूपी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) अभिषेक प्रकाश का कहना है कि पिछली नीति का उद्देश्य भी उद्यमियों को प्रोत्साहन देना ही था, लेकिन अनुदान को लेकर वह कुछ असमंजस में रहते थे। इसे देखते हुए पहली बार विकल्प आधारित प्रोत्साहन माडल इस नीति में प्रस्तावित किया गया है। अब उद्यमी पूंजीगत अनुदान, नेट एसजीएसटी की प्रतिपूर्ति और भारत सरकार की प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआइ) योजना के तहत प्राप्त प्रोत्साहनों पर टाप-अप में से कोई भी एक विकल्प चुन सकेंगे। 

पूंजीगत अनुदान के लिए प्रस्ताव रखा गया है कि मध्यांचल एवं पश्चिमांचल में अधिकतम 40 करोड़ और बुंदेलखंड एवं पूर्वांचल में अधिकतम 45 करोड़ की सीमा के अधीन पात्र स्थाई पूंजी निवेश (भूमि लागत को छोड़कर) के 25 प्रतिशत का पूंजीगत अनुदान दिया जाएगा। श्रमिकों के लिए छात्रावास-डोरमेटरी आवास की लागत (भूमि लागत को छोड़कर) के 25 प्रतिशत की दर से पूंजीगत अनुदान अधिकतम 25 करोड़ रुपये की सीमा के अधीन मिलेगा। 

स्टांप शुल्क में भी मिलेगी छूट

बुंदेलखंड और पूर्वांचल में 100%, मध्यांचल एवं पश्चिमांचल (गौतमबुद्धनगर व गाजियाबाद को छोड़कर) में 75%, गौतमबुद्धनगर और गाजियाबाद में 50% के साथ औद्योगिक इकाइयों की श्रेणियां वृहद - 50 करोड़ रुपये से अधिक, लेकिन 200 करोड़ रुपये से कम मेगा - 200 करोड़ रुपये से अधिक, लेकिन 500 करोड़ रुपये से कम सुपर मेगा - 500 करोड़ रुपये से अधिक, लेकिन 5000 करोड़ रुपये से कम अल्ट्रा मेगा - 5000 करोड़ रुपये या उससे अधिक की परियोजना पर स्टाम्प शुल्क में भी छूट दी जाएगी।

अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त अरविंद कुमार ने बताया कि उत्तर प्रदेश को एक ट्रिलियन डालर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए अधिक से अधिक निवेश को आकर्षित करना आवश्यक है। इसे देखते हुए ही देश के विभिन्न राज्यों की औद्योगिक नीतियों का अध्ययन कर अधिक से अधिक सहूलियत और प्रोत्साहन उद्यमियों-कारोबारियों को देने के उद्देश्य से नई नीति का प्रारूप तैयार किया गया है।

UP में भूमि हस्तांतरण पर लागू प्रतिबंध?

एससी एसटी के व्यक्ति की जमीन को औने पौने में न बिकने देने या खुर्द बुर्द होने से बचाने के लिए उत्तर प्रदेश में भूमि हस्तांतरण प्रतिबंध लगाए गए थे। इंडियन एक्सप्रेस की जनवरी 2022 में प्रकाशित एक खबर के अनुसार... 

उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता, 2006 की धारा 98 (1) के तहत - जिसे उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता नियम, 2016 के प्रकाशन के साथ लागू किया गया था - "अनुसूचित जाति से संबंधित किसी भी भूमिधर (भूमि मालिक) को हस्तांतरण का अधिकार नहीं होगा, कलेक्टर की लिखित पूर्व अनुमति के बिना किसी अनुसूचित जाति के व्यक्ति को किसी भी भूमि की बिक्री, उपहार, गिरवी या पट्टे के माध्यम से।

जिला कलेक्टर पांच विशिष्ट शर्तों के तहत ऐसी अनुमति दे सकता है: यदि अनुसूचित जाति भूमिधर का कोई जीवित उत्तराधिकारी नहीं है; यदि व्यक्ति किसी भिन्न जिले या राज्य में बस गया है या सामान्य रूप से निवासी है; यदि व्यक्ति या उसके परिवार का कोई सदस्य किसी घातक बीमारी से पीड़ित है; यदि व्यक्ति किसी अन्य भूमि को खरीदने के लिए स्थानान्तरण की अनुमति मांग रहा है; और यदि आवेदन की तिथि को आवेदक द्वारा धारित भूमि ऐसे हस्तांतरण के बाद 1.26 हेक्टेयर से कम नहीं हो जाती है।

वहीं, जमींदारी उन्मूलन अधिनियम की धारा 157-ए के तहत अनुसूचित जाति के व्यक्ति को कलेक्टर की पूर्वानुमति के बिना अपनी भूमि को बिक्री, उपहार, गिरवी या पट्टे पर गैर-अनुसूचित जाति के व्यक्ति को हस्तांतरित करने का कोई अधिकार नहीं था। 1.26 हेक्टेयर से कम भूमि होने की स्थिति में कलेक्टरों को स्वीकृति देने से रोक दिया गया था।

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