ये शहर दंगाइयों के आग से क्यों सुलग उठा…

Written by फ़हमिना हुसैन | Published on: April 7, 2018
बिहार से रिश्ता वैसे तो बहुत पुराना है. वो कहते हैं न जिस ज़मीन पर जन्म लेते हैं वो शहर अपना होता है. कुछ ऐसा ही नाता औरंगाबाद से रहा है, जहां पिछले दिनों अपने ही लोग जलने और जलाने उतारू हो गए…
 

वैसे बिहार में तो लगातर कई दिनों से साम्प्रदायिक तनाव का माहौल बन चुका था. भागलपुर से शुरू हुई साम्प्रदायिक हिंसा के आग की लपटें इतनी तेज़ी से उठी कि वो औरंगाबाद, समस्तीपुर, मुंगेर, सीवान, कैमूर, गया और नालंदा ज़िले तक पहुंच गई.

बिहार के औरंगाबाद में दो पक्षों में हुई भिड़ंत के बाद पूरा शहर धूं-धूं करके सुलग उठा. देखते-देखते हालत इतने बिगड़ गए कि पूरे शहर को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया.

दरअसल, औरंगाबाद ज़िले में रामनवमी का बाईक जुलूस एक दिन पहले ही निकल गया था. जब जुलूस नवाडीह रोड में इस्लाम टोला के नज़दीक पहुंची तो किसी बात को लेकर दो पक्षों में भिड़ंत शुरू हो गई और देखते-देखते पथराव शुरू हो गया. पथराव के साथ-साथ जमकर लाठी-डंडे भी चलाए गए.

जब तक मामले को स्थानीय प्रशासन समझ पाता, तब तक तो सब कुछ अनियंत्रित हो चुका था. एक-एक कर दुकानों में आग लगाई जाने लगी. दो दर्जन से ज़्यादा दुकानों और गुमटियों को फूंक दिया गया. इतना ही नहीं, शहर के ज़्यादातर हिस्सों में तोड़-फोड़ कर आग के हवाले कर दिया गया.



एक स्थानीय पत्रकार के मुताबिक़ औरंगाबाद थाना जुलुस निकालने को लेकर कुछ एरिया के लिए लाइसेंस परमिट नहीं कर रही थी, लेकिन रामनवमी के ठीक एक दिन पहले परमिट आर्डर कर दिया गया.

औरंगाबाद शहर में रहने वाले एक बुजुर्ग नाम न बताने की शर्त पर बताते हैं कि, दंगाइयों ने उनकी फल की पूरी दूकान जला डाली.

अपनी आँखों में नमी को समेटे हुए बताते हैं, मेरा रोज़ का कारोबार है. जो बेचते हैं वही पूंजी और मुनाफ़ा है, लेकिन इस दंगे ने सब बर्बाद कर दिया. हमने वोट इसलिए नहीं दिया था कि हमारे ये नेता अपने फ़ायदे के लिए हमारे रोज़ी-रोटी को ही आग लगा दे.

पान की गुमटी चलाने वाले अरूण चौरसिया कहते हैं, जिसको इल्ज़ाम दे मैडम! सब तो अपने हैं. इन नेता लोगन को भी क्या दोष दें, इनको भी तो हमने ही वोट देकर जिताया है.

एक दूसरे व्यक्ति का कहना है कि, ये कोई पहली बार नहीं हुआ है. ऐसा मुहर्रम के वक़्त भी हुआ था. हिंदू लड़के मोटरसाईकिल जुलूस को बड़ी मस्जिद के पास लाकर डीजे पर ‘जय श्री राम’ के नारे को तेज़ कर दिया और टोंट करना शुरू कर दिया. यही नहीं ‘पाकिस्तान मुर्दाबाद’ के नारे भी लगाने शुरू किए. समझ नहीं आता भारत में पाकिस्तान के नारे क्यों, हिम्मत हो तो पाकिस्तान जाकर ये नारे लगाते. पता नहीं, ये दंगा भड़काऊ गानों को सरकार बैन क्यों नहीं कर रही है.

वहीं विश्व हिंदू परिषद से जुड़े एक कार्यकर्त्ता का कहना है, सभी कुछ दूसरे समुदाय ने किया है. अगर इस तरह के गाने मार्किट में आएंगे तो बजेगा ही.

औरंगाबाद शहर में रहने अतीकुर रहमान जिनकी इस दंगे में एलेक्ट्रॉनिक सामान की दुकान को आग लगा दिया गया. वो बताते हैं कि, उनका लाखों का नुक़सान हुआ है. टीवी, वायर, फैन, कितने ही सामान ख़ाक हो गए.

अतीक़ कहते हैं, इन नुक़सानों की भरपाई कौन करने आएगा? जीएसटी, नोटबंदी की मार से अभी तक उभर भी नहीं पाए हैं कि एक और हादसे ने सब तबाह कर दिया.



मुर्गे की दुकान चलाने वाले सम्मी कहते हैं, हम दुकानदार हैं. हमारे ग्राहक हिन्दू-मुसलमान दोनों हैं. लेकिन यहां सिर्फ़ मुसलमानों की दुकानों को ढूंढ-ढूंढ कर जलाया गया. मेरी मुर्गियों की पच्चास स्टॉक थी सभी को उठा के ले गए. गरीब के पेट पर लात मारने को किस मज़हब में लिखा है, इसकी इजाज़त राम जी भी नहीं देंगे.

मेन मार्किट में स्थित फर्नीचर की दुकान को पूरी तरह जला दिया गया. दुकान के मालिक दाऊद अंसारी कहते हैं, शादी बियाह का सीजन चल रहा है. ऑर्डर की 23 अलमारियां थी, सब जला डालीं. हम छोटे व्यापारी हैं. सीजन में ही कमा पाते हैं, लेकिन इस नुक़सान ने सब चौपट कर दिया. हमने किसी का क्या बिगाड़ा था.



यहां चाय दुकान वाले उमेश कहते हैं, मार्केट में पहले से ही पैसा नहीं है. लोग महंगाई की मार पहले ही झेल रहे हैं. उसके बाद इस दंगे में छोटे दुकानदारों का सबसे ज्यादा नुक़सान किया.



स्थानीय लोगों की माने तो ये साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की बड़ी साज़िश थी. सुनियोजित तरीक़े से अफ़वाहों को फैलाया गया. यहां तक कि इस पर राजनीतिक रोटियां भी खूब सेंकी गई. और अब भी सेंकी जा रही हैं. बल्कि इस रामनवमी पर निकाले गए शोभा-यात्रा में शहर के सभी पार्टियों के नेता भी शामिल रहे थे. और अब भी सांसद सुशील कुमार सिंह सक्रिय हैं. इस मामले में जेल गए उपद्रवियों से मुलाक़ात कर उन्हें निर्दोष बता रहे हैं. उनका कहना है कि ग़लत तरीक़े से उनके लोगों को फंसा कर जेल भेजा जा रहा है.

औरंगाबाद के डीएम रंजन महिवाल के मुताबिक़, समाज विरोधी तत्वों के ख़िलाफ़ एक बड़ी कार्रवाई में 122 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था. ये गिरफ़्तारी सीसीटीवी फुटेज़ की मदद से पहचानकर की गई है. इन्हें किसी भी हाल में बख़्शा नहीं जाएगा.

बता दें कि हिंसा से जुड़ी तीन एफ़आईआर में 500 से अधिक लोगों पर आरोप लगा है.

Courtesy: Two Circles
 

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