सुप्रीम कोर्ट गुजरात के गुलबर्ग सोसाइटी मामले में कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी की विधवा जकिया जाफरी की याचिका पर अगले सोमवार (19 नवंबर) को सुनवाई करेगा. अपनी अर्जी में जाफरी ने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट देने को चुनौती दी है. कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी भी इन दंगों के शिकार हुए थे.
विशेष जांच दल (एसआईटी) के नरेंद्र मोदी समेत अन्य 56 लोगों को क्लीन चिट देने के खिलाफ जकिया जाफरी ने गुजरात हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. लेकिन पिछले साल अक्टूबर में गुजरात हाईकोर्ट ने इसे खारिज कर दिया था.
जकिया और सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ के एनजीओ ‘सिटिजन फार जस्टिस एंड पीस’ ने दंगों के पीछे 'बड़ी आपराधिक साजिश' के आरोपों के संबंध में मोदी और अन्य को एसआईटी द्वारा दी गई क्लीन चिट को बरकरार रखने के खिलाफ हाईकोर्ट ने आपराधिक पुनर्विचार याचिका दायर की थी.
क्या है गुलबर्ग सोसाइटी केस?
27 फरवरी, 2002 के दिन गोधरा कांड के बाद गुजरात में बड़े पैमाने पर हिंदू-मुस्लिम दंगे भड़क गए थे. इन सांप्रदायिक दंगों में 1 हजार से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी. इस दौरान आक्रोशित भीड़ ने अहमदाबाद के गुलबर्ग सोसायटी पर हमला बोल दिया था. यहां हुई हिंसा और आगजनी में कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी समेत 69 लोगों की मौत हो गई थी.
यहां बाद में 39 लोगों के शव मिले मगर शेष 30 शवों का अता-पता नहीं चल सका. घटना के 7 वर्ष बीतने के बाद कानूनी परिभाषा के तहत लापता इन सभी लोगों को मृत घोषित मान लिया गया. इन दंगों के दौरान नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे.
विशेष जांच दल (एसआईटी) के नरेंद्र मोदी समेत अन्य 56 लोगों को क्लीन चिट देने के खिलाफ जकिया जाफरी ने गुजरात हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. लेकिन पिछले साल अक्टूबर में गुजरात हाईकोर्ट ने इसे खारिज कर दिया था.
जकिया और सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ के एनजीओ ‘सिटिजन फार जस्टिस एंड पीस’ ने दंगों के पीछे 'बड़ी आपराधिक साजिश' के आरोपों के संबंध में मोदी और अन्य को एसआईटी द्वारा दी गई क्लीन चिट को बरकरार रखने के खिलाफ हाईकोर्ट ने आपराधिक पुनर्विचार याचिका दायर की थी.
क्या है गुलबर्ग सोसाइटी केस?
27 फरवरी, 2002 के दिन गोधरा कांड के बाद गुजरात में बड़े पैमाने पर हिंदू-मुस्लिम दंगे भड़क गए थे. इन सांप्रदायिक दंगों में 1 हजार से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी. इस दौरान आक्रोशित भीड़ ने अहमदाबाद के गुलबर्ग सोसायटी पर हमला बोल दिया था. यहां हुई हिंसा और आगजनी में कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी समेत 69 लोगों की मौत हो गई थी.
यहां बाद में 39 लोगों के शव मिले मगर शेष 30 शवों का अता-पता नहीं चल सका. घटना के 7 वर्ष बीतने के बाद कानूनी परिभाषा के तहत लापता इन सभी लोगों को मृत घोषित मान लिया गया. इन दंगों के दौरान नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे.