लखनऊ। इस समय पूरा देश कोरोना वायरस की महामारी से जूझ रहा है। इस बीच यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार ने राज्य में एस्मा (Essential Services Management Act) कानून लागू कर दिया है। इस कानून के मुताबिक, अब कर्मचारी न तो छुट्टी ले सकेंगे व न ही हड़ताल शुरू कर सकेंगे।
यूपी के अपर मुख्य सचिव, कार्मिक मुकुल सिंहल की ओर से जारी अधिसूचना के मुताबिक उत्तर प्रदेश अत्यावश्यक सेवाओं का अनुरक्षण अधिनियम, 1966 (उत्तर प्रदेश अधिनियम संख्या 30 सन् 1966) की धारा 3 की उप धारा (1) के तहत राज्य के कार्यकलापों से संबंधित किसी भी लोकसेवा, राज्य सरकार के स्वामित्व या नियंत्रण वाले किसी निगम या स्थानीय प्राधिकरण में हड़ताल पर अगले छह माह के लिए प्रतिबंध लागू कर दिया गया है।
एस्मा का विरोध भी शुरू हो गया है। श्रम संगठन सीटू ने इसे कर्मचारी और श्रमिक विरोधी बताया। सीटू प्रदेश महासचिव प्रेमनाथ राय का कहना है कि निर्देशों का उल्लंघन करते हुए कॉरपोरेट के तमाम पूंजीपतियों /मालिकों ने लॉकडाउन के समय का वेतन नहीं दिया। मजदूरों की छटनी की,उन्हें काम से निकाल दिया। उसे लेकर कुछ नहीं किया गया। सरकार श्रम कानूनों में बदलाव कर मजदूरों को गुलामी की ओर ले जाना चाहती है। काम के घंटे बढ़ाए जा रहे है। इससे मजदूरों में असंतोष बढ़ रहा है। कई संगठनों ने लॉकडाउन के नियमों के तहत ही विरोध किया। कर्मचारी, शिक्षक और अन्य संगठनों ने काली पट्टी बांधकर काम करना शुरू कर दिया था। इससे घबरा कर प्रदेश की योगी सरकार ने एस्मा कानून को लागू कर दिया है।
छुट्टी और हड़ताल पर नहीं जा सकेंगे कर्मचारी
योगी सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश में एस्मा कानून के लागू किए जाने के बाद अति आवश्यक सेवाओं में लगे कर्मचारी न तो छुट्टी ले सकेंगे और न ही हड़ताल पर जा सकेंगे। साफ है कि सभी अति आवश्यक कर्मचारियों को सरकार के निर्देशों का पालन करना अनिवार्य होगा और जो इस नियम को नहीं मानेगा उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।
क्या है एस्मा
एस्मा भारतीय संसद द्वारा पारित अधिनियम है, जिसे 1968 में लागू किया गया था। जबकि यह कानून संकट की घड़ी में कर्मचारियों की हड़ताल को रोकने के लिए बनाया गया था। वहीं, एस्मा लागू करने से पहले इससे प्रभावित होने वाले कर्मचारियों को समाचार पत्रों या अन्य माध्यमों से सूचित किया जाता है। जबकि किसी राज्य सरकार या केंद्र सरकार द्वारा यह कानून अधिकतम छह माह के लिए लगाया जा सकता है। इस कानून के लागू होने के बाद यदि कोई कर्मचारी छुट्टी लेता है या फिर हड़ताल पर जाता है, तो उनका ये कदम अवैध और दंडनीय की श्रेणी में आता है। यह नहीं, प्रदेश में एस्मा कानून का उल्लंघन कर हड़ताल पर किसी भी कर्मचारी को बिना वारंट गिरफ्तार किया जा सकता है।
यूपी के अपर मुख्य सचिव, कार्मिक मुकुल सिंहल की ओर से जारी अधिसूचना के मुताबिक उत्तर प्रदेश अत्यावश्यक सेवाओं का अनुरक्षण अधिनियम, 1966 (उत्तर प्रदेश अधिनियम संख्या 30 सन् 1966) की धारा 3 की उप धारा (1) के तहत राज्य के कार्यकलापों से संबंधित किसी भी लोकसेवा, राज्य सरकार के स्वामित्व या नियंत्रण वाले किसी निगम या स्थानीय प्राधिकरण में हड़ताल पर अगले छह माह के लिए प्रतिबंध लागू कर दिया गया है।
एस्मा का विरोध भी शुरू हो गया है। श्रम संगठन सीटू ने इसे कर्मचारी और श्रमिक विरोधी बताया। सीटू प्रदेश महासचिव प्रेमनाथ राय का कहना है कि निर्देशों का उल्लंघन करते हुए कॉरपोरेट के तमाम पूंजीपतियों /मालिकों ने लॉकडाउन के समय का वेतन नहीं दिया। मजदूरों की छटनी की,उन्हें काम से निकाल दिया। उसे लेकर कुछ नहीं किया गया। सरकार श्रम कानूनों में बदलाव कर मजदूरों को गुलामी की ओर ले जाना चाहती है। काम के घंटे बढ़ाए जा रहे है। इससे मजदूरों में असंतोष बढ़ रहा है। कई संगठनों ने लॉकडाउन के नियमों के तहत ही विरोध किया। कर्मचारी, शिक्षक और अन्य संगठनों ने काली पट्टी बांधकर काम करना शुरू कर दिया था। इससे घबरा कर प्रदेश की योगी सरकार ने एस्मा कानून को लागू कर दिया है।
छुट्टी और हड़ताल पर नहीं जा सकेंगे कर्मचारी
योगी सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश में एस्मा कानून के लागू किए जाने के बाद अति आवश्यक सेवाओं में लगे कर्मचारी न तो छुट्टी ले सकेंगे और न ही हड़ताल पर जा सकेंगे। साफ है कि सभी अति आवश्यक कर्मचारियों को सरकार के निर्देशों का पालन करना अनिवार्य होगा और जो इस नियम को नहीं मानेगा उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।
क्या है एस्मा
एस्मा भारतीय संसद द्वारा पारित अधिनियम है, जिसे 1968 में लागू किया गया था। जबकि यह कानून संकट की घड़ी में कर्मचारियों की हड़ताल को रोकने के लिए बनाया गया था। वहीं, एस्मा लागू करने से पहले इससे प्रभावित होने वाले कर्मचारियों को समाचार पत्रों या अन्य माध्यमों से सूचित किया जाता है। जबकि किसी राज्य सरकार या केंद्र सरकार द्वारा यह कानून अधिकतम छह माह के लिए लगाया जा सकता है। इस कानून के लागू होने के बाद यदि कोई कर्मचारी छुट्टी लेता है या फिर हड़ताल पर जाता है, तो उनका ये कदम अवैध और दंडनीय की श्रेणी में आता है। यह नहीं, प्रदेश में एस्मा कानून का उल्लंघन कर हड़ताल पर किसी भी कर्मचारी को बिना वारंट गिरफ्तार किया जा सकता है।