यूपी चुनाव 2022 के पहले चरण में 11 जिलों की 58 सीटों पर 62.08 % वोट डाले गए। वोट प्रतिशत में अबकी बार कैराना टॉप पर तो साहिबाबाद व गाजियाबाद फिसड्डी रहे। यही नहीं, शहरी सीटों के मुकाबले देहात क्षेत्रों में ज्यादा मतदान दर्ज किया गया। हालांकि निर्वाचन आयेाग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार 2017 की अपेक्षा 2022 के पहले चरण में ओवरऑल करीब ढाई से तीन फीसदी कम मतदान हुआ है। शामली की कैराना सीट में मतदाताओं ने वोट के दौरान खूब उत्साह दिखाया। कैराना में पहले चरण में सबसे अधिक रिकार्ड मत पड़े यहां पर 75.12 फीसद लोगों ने मतदान किया। जबकि 2017 में इसी कैराना के विधानसभा चुनाव में 69.53 फीसद मतदान हुआ था। गाजियाबाद की साहिबाबाद विधानसभा में सबसे कम मतदान हुआ। यहां पर 45 फीसद वोट पड़े। जबकि 2017 के विधानसभा चुनाव में इसी सीट पर 49.12 फीसद वोट डाले गए थे। सभी 58 सीटों पर सत्ताधारी बीजेपी की कड़ी परीक्षा मानी जा रही है।
दरअसल, जिन 58 सीटों पर मतदान हुआ उनमें से 53 सीटें 2017 के चुनाव में बीजेपी ने जीती थीं। वहीं बसपा और सपा के खाते में 2-2 सीटें आई थीं। इस बार सपा की सहयोगी पार्टी आरएलडी केवल एक सीट ही जीत पाई थी। यही नहीं, बीजेपी जिन 5 सीटों पर हारी थीं, उनमें से 4 पर वह दूसरे नंबर पर रही थी। 2017 में इन सीटों पर 63.75 और 2012 में 61.03% मतदान हुआ था। वेस्ट यूपी में देहात क्षेत्रों में ज्यादा मतदान को किसान आंदोलन का असर माना जा रहा है।
मोदी सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ संयुक्त मोर्चे के किसानों के आंदोलन का असर पश्चिमी यूपी में देखने को मिला है। 2017 में यहां बीजेपी को अप्रत्याशित सफलता मिली थी लेकिन किसान आंदोलन के बदौलत बने जाट मुस्लिम समीकरण के चलते इस बार सपा-रालोद गठबंधन का पलड़ा झुकता दिख रहा है। किसान नेता राकेश टिकैत ने खुलकर कहा था कि 2017 में उन्होंने भी बीजेपी को वोट किया था लेकिन इस बार वो बीजेपी के खिलाफ हैं। इस बार जाटों को भी खुलकर बीजेपी के खिलाफ बताया जा रहा है। खास है कि पहले चरण में जिन सीटों पर मतदान हुआ है, उनमें से करीब 2 दर्जन सीटों पर जाट आबादी एक तिहाई से ज्यादा है।
इसी सब से पहले चरण के चुनाव में मुकाबला बीजेपी और समाजवादी पार्टी-राष्ट्रीय लोकदल के गठबंधन के बीच माना जा रहा है। कहीं कहीं बसपा ने इसे त्रिकोणीय बनाया है तो कांग्रेस भी कहीं-कहीं मुकाबले में है।
----2017 के मुकाबले किस सीट पर कितना बढ़ा-घटा वोट प्रतिशत---
विधानसभा क्षेत्र : 2017 : 2022
कैराना: 69.53% : 75.12%
थाना भवन : 68.31 : 65.63
शामली : 65.42 : 67.50
बुढ़ाना : 67.10 : 67.69
चरथावल : 66.84 : 66.34
पुरकाजी (सु) : 64.86 : 63.00
मुजफ्फरनगर : 64.18 : 61.30
खतौली : 71.11 : 69.70
मीरापुर: 69.39 : 64.00
सिवालखास : 70.85 : 66.50
सरधना : 71.92 : 62.30
हस्तिनापुर : 67.95 : 60.00
किठौर : 71.75 : 59.80
मेरठ कैंट : 58.86 : 51.00
मेरठ शहर : 64.65 : 64.74
मेरठ दक्षिण : 63.09 : 62.00
छपरौली : 62.95 : 57.10
बड़ौत : 64.23 : 62.30
बागपत : 65.87 : 64.66
लोनी : 60.22 : 57.60
मुरादनगर : 60.35 : 57.30
साहिबाबाद : 49.12 : 45.00
गाजियाबाद : 53.16 : 50.40
मोदीनगर : 64.76 : 63.53
धौलाना : 66.85 : 61.50
हापुड़ (सु) : 64.59 : 59.00
गढ़मुक्तेश्वर : 67.50 : 61.00
नोएडा : 48.55 : 50.10
दादरी : 60.22 : 59.78
जेवर : 65.53 : 60.30
सिकंदराबाद : 67.00 : 63.48
बुलंदशहर : 64.06 : 60.60
स्याना : 62.44 : 60.68
अनूपशहर : 64.49 : 56.70
डिबाई : 62.74 : 58.86
शिकारपुर : 65.08 : 60.88
खुर्जा (सु) : 65.40 : 62.47
खैर : 61.87 : 60.80
बरौली : 65.57 : 63.14
अतरौली : 59.96 : 57.20
छर्रा : 63.12 : 56.30
कोल : 62.66 : 62.12
अलीगढ़ : 66.49 : 62.10
इगलास : 64.88 : 61.80
छाता : 66.79 : 64.55
मांट : 66.62 : 65.10
गोवर्धन : 67.07 : 66.75
मथुरा : 59.26 : 57.33
बलदेव : 66.88 : 62.66
एत्मादपुर : 67.97 : 65.10
आगरा कैंट : 59.06 : 56.00
आगरा दक्षिण : 62.21 : 57.50
आगरा उत्तर : 58.20 : 56.40
आगरा ग्रामीण : 63.58 : 62.00
फतेहपुर सीकरी : 67.81 : 64.00
खैरागढ़ : 64.04 : 64.73
फतेहाबाद : 70.35 : 59.20
बाह : 59.97 : 58.01
पहला चरण : जिलावार मतदान प्रतिशत
जिला : वर्ष 2017 : वर्ष 2022
शामली : 67.76 : 69.42
मुजफ्फरनगर : 67.16 : 65.34
मेरठ : 66.64 : 60.91
बागपत : 64.33 : 61.35
गाजियाबाद : 55.80 : 54.77
हापुड़ : 66.31 : 60.50
गौतमबुद्धनगर : 56.80 : 56.73
बुलंदशहर : 64.47 : 60.52
अलीगढ़ : 63.48 : 60.49
मथुरा : 64.98 : 63.28
आगरा : 63.49 : 60.33
वोट प्रतिशत देंखे तो बीजेपी के प्रभाव वाली शहरी सीटों पर कम और देहात में ज्यादा मतदान होना बीजेपी के लिए खतरे की घंटी बजाने वाला है। यही नहीं, बीजेपी के लिए अफसोसनाक यह भी रहा कि पहले चरण के मतदान के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जब गुरुवार को पड़ोस में सहारनपुर में आयोजित जनसभा को संबोधित कर रहे थे तो बड़ी संख्या में कुर्सियां खाली पड़ी थीं। मतदान के दौरान पीएम-सीएम की रैली में खाली कुर्सियों की वीडियो भी सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुई। इस रैली में जब पीएम मोदी सपा, कांग्रेस पर निशाना साध रहे थे तो बीजेपी विरोधी पीएम की सहारनपुर सभा में खाली पड़ी कुर्सियों का वीडियो शेयर कर तंज कस रहे हैं।
सपा नेता आईपी सिंह ने बीजेपी की सभा का वीडियो शेयर करते हुए कहा कि प्रचार मंत्री की हवा निकल गई उत्तर प्रदेश में। पंजाब जैसे उत्तर प्रदेश की जनता जाग गई है। खाली कुर्सियों को झूठा भाषण पिलाते रहे। झारखंड, दिल्ली और बंगाल की जनता ने कड़ा सबक सिखाया, अब उत्तर प्रदेश की बारी है। प्रचार, प्रचार, प्रचार, उखाड़ फेंको ऐसी सरकार। पूर्व आईएएस सूर्य प्रताप सिंह ने भी वीडियो शेयर करते हुए पीएम मोदी पर तंज कसा। उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि पीएम मोदी सहारनपुर रैली में अपार भीड़ को संबोधित करते हुए, खुद सुन लो। विवेक यादव नाम के यूजर ने लिखा कि जिस देश में लोग जेसीबी की खुदाई देखने के लिए भीड़ लगा लेते है, उस देश में अगर प्रधानमंत्री को देखने के लिए भी लोग नहीं आ रहे तो समझो के स्थिति बहुत नाजुक है।
हालांकि बीजेपी को भी लोग कम नहीं आंक रहे हैं। साम दाम दंड भेद किसी भी तरह हो बीजेपी को चुनावी जंग का बड़ा खिलाड़ी माना जाता है। सूत्रों के अनुसार, बड़ी मात्रा में साइलेंट वोट बीजेपी को भी गया है लेकिन यह भी सच है कि 2017 के मुकाबले इस बार उसके वोट बैंक में सपा-रालोद गठबंधन ने तगड़ी सेंध लगाई है। कुल मिलाकर पलड़ा गठबंधन का भारी दिख रहा है।
------पहले चरण में गड़बड़ियां भी कम नहीं रही-----
पहले चरण के मतदान के दौरान गड़बड़ियां भी कम नहीं रही। कही ईवीएम खराब हुई तो कहीं बटन दबाया हैंडपंप का और पर्ची निकली कमल की... । कैराना में बिना नंबर की गाड़ी से ईवीएम पकड़ी गई। किसी की वोट नहीं थी तो कही किसी की वोट पहले ही डाल दी गई। आलम यह है कि यूपी पुलिस के पास सोशल मीडिया पर ही 300 से ज्यादा शिकायतें आईं हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पहले चरण के मतदान के दौरान, सोशल मीडिया के जरिए यूपी पुलिस के पास चुनाव संबंधी करीब 300 शिकायतें आईं। जी हां, 2022 के पहले चरण में लोग पुलिस कंट्रोल रूम की जगह सोशल मीडिया के जरिए पुलिस तक अपनी आपत्तियां और शिकायतें पहुंचाने में ज्यादा सक्रिय दिखे। पहले चरण के मतदान के दौरान यूपी पुलिस के पास चुनाव संबंधी करीब 300 शिकायतें आईं। सोशल मीडिया के जरिए शिकायत करने में समाजवादी पार्टी सबसे ज्यादा ऐक्टिव दिखी। पुलिस की सोशल मीडिया सेल ने तत्काल संबंधित जिलों को शिकायतों से अवगत करवाते हुए जरूरी कार्रवाई करवाई।
गाजियाबाद से सोशल मीडिया के जरिए शिकायत आई कि ईवीएम में हैंडपंप का बटन दबाने पर कमल की पर्ची निकल रही है। इस मामले का वहां के डीएम एसएसपी ने तत्काल संज्ञान लिया। इसी तरह नोएडा में लोगों ने सोशल मीडिया के जरिए बताया कि कई लोग वोट नहीं डाल पा रहे हैं। कई की मतदाता पर्ची नहीं आई। इनमें से कई लोग ऐसे हैं, जो 20 से 25 साल से लगातार वोट डाल रहे हैं। नोएडा से कांग्रेस प्रत्याशी पंखुड़ी पाठक ने विडियो बनाकर भी सोशल मीडिया पर शेयर किया।
गाजियाबाद में वोट डालने गईं नसीम नामक वृद्धा का वोट पोस्टल बैलेट से पहले डाल दिए जाने के मुद्दे को नामी वकील प्रशांत भूषण ने अपने हैंडल से उठाया। पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया के जरिए ईवीएम खराब होने, जान-बूझकर धीमा मतदान करवाए जाने का मामला उठाया और चुनाव आयोग से इस पर कार्रवाई की मांग उठाई। सोशल मीडिया पर मेरठ की सरधना सीट के सलावा गांव में दलितों को वोट देने से रोकने की शिकायत आई। आरोप लगा कि जब दलितों ने इसका विरोध किया तो उन्हें पीटा गया और पर्ची छीन ली गई। गाजियाबाद के लोनी अमन गार्डन में बीजेपी प्रत्याशी नंद किशोर गुर्जर के समर्थकों पर एक महिला को पीटे जाने का आरोप लगाया। महिला का रोते हुए वीडियो वायरल हुआ। इसमें वह आरोप लगा रहीं थी कि कुछ लोग जबरन बीजेपी को वोट देने का दबाव बना रहे थे।
शामली में रालोद प्रत्याशी प्रसन्ना चौधरी के साथ बीजेपी समर्थकों द्वारा हाथापाई किए जाने का विडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। शामली पुलिस ने बताया कि प्रत्याशी चार-पांच गाड़ियों के साथ एक मतदान केंद्र में घुस गए थे और फर्जी वोटिंग का आरोप लगा रहे थे। इसके बाद उनकी बीजेपी समर्थकों से भिड़ंत हो गई। बाद में पुलिस ने मौके पर पहुंचकर स्थिति संभाल ली। सपा के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से आगरा का एक विडियो पोस्ट किया गया। इसमें आरोप लगाया कि बीजेपी प्रत्याशी पक्षालिका सिंह समर्थक लोगों को वोट नहीं डालने दे रहे हैं। आगरा के बाह के क्वारी में भी दलितों को वोट डालने से रोकने का विडियो आया। शामली में सपा और रालोद के समर्थकों पर दलितों को वोट न डालने देने के आरोप लगे। मेरठ के किठौर में सपा और बीजेपी समर्थकों में भिड़ंत की सूचना भी सोशल मीडिया पर दी गई। कैराना में मुस्लिम समुदाय के लोगों को वोट न डालने देने का भी आरोप लगा। इस संबंध में विडियो भी शेयर किया गया।
----- 14 सोमवार को 9 जिलों की 55 सीट पर दूसरे चरण का मतदान-----
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के दूसरे चरण के लिए भी राजनीतिक दलो का प्रचार शनिवार शाम समाप्त हो गया। दूसरे चरण में 14 फरवरी को 9 जिलों (सहारनपुर, बिजनौर, अमरोहा, संभल, मुरादाबाद, रामपुर, बरेली, बदायूं और शाहजहांपुर) की 55 सीटों पर मतदान होगा। इस दौरान सत्ता पक्ष यानी योगी आदित्यनाथ और अखिलेश यादव, प्रियंका गांधी समेत अन्य विपक्षी दलों के भी कई कद्दावर नेताओं की भी परीक्षा होगी। इस चरण में योगी सरकार में मंत्री सुरेश खन्ना, बलदेव औलख और गुलाब देवी मजबूत दावेदारी पेश कर रहे हैं। दूसरी तरफ रामपुर से आजम खां और स्वार सीट से उनके बेटे अब्दुल्ला के सामने अपना गढ़ बचाने की चुनौती है। इस चरण में बीजेपी छोड़ सपा में जाने वाले धर्म सिंह सैनी पर भी जीत सुनिश्चित करने का काफी दबाव है। वहीं सपा के महबूब अली, कमाल अख्तर जैसे कद्दावर नेता हैं जिनके भाग्य का फैसला 14 तारीख को होना है। दूसरे चरण में 8 विधानसभा सीटें आरक्षित श्रेणी में हैं। 2017 में इनमें से 7 सीटों पर भाजपा ने जीत हासिल की थी। जबकि एक सीट सपा के खाते में गई थी। इस चरण में 8 ऐसी भी सीटें हैं जिस पर 2017 में मामूली मतों के अंतर से हार जीत का फैसला हुआ था जिसमें 5 सीटें भाजपा के खाते में गई थी और 3 सीटों पर सपा ने जीत हासिल की थी।
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दरअसल, जिन 58 सीटों पर मतदान हुआ उनमें से 53 सीटें 2017 के चुनाव में बीजेपी ने जीती थीं। वहीं बसपा और सपा के खाते में 2-2 सीटें आई थीं। इस बार सपा की सहयोगी पार्टी आरएलडी केवल एक सीट ही जीत पाई थी। यही नहीं, बीजेपी जिन 5 सीटों पर हारी थीं, उनमें से 4 पर वह दूसरे नंबर पर रही थी। 2017 में इन सीटों पर 63.75 और 2012 में 61.03% मतदान हुआ था। वेस्ट यूपी में देहात क्षेत्रों में ज्यादा मतदान को किसान आंदोलन का असर माना जा रहा है।
मोदी सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ संयुक्त मोर्चे के किसानों के आंदोलन का असर पश्चिमी यूपी में देखने को मिला है। 2017 में यहां बीजेपी को अप्रत्याशित सफलता मिली थी लेकिन किसान आंदोलन के बदौलत बने जाट मुस्लिम समीकरण के चलते इस बार सपा-रालोद गठबंधन का पलड़ा झुकता दिख रहा है। किसान नेता राकेश टिकैत ने खुलकर कहा था कि 2017 में उन्होंने भी बीजेपी को वोट किया था लेकिन इस बार वो बीजेपी के खिलाफ हैं। इस बार जाटों को भी खुलकर बीजेपी के खिलाफ बताया जा रहा है। खास है कि पहले चरण में जिन सीटों पर मतदान हुआ है, उनमें से करीब 2 दर्जन सीटों पर जाट आबादी एक तिहाई से ज्यादा है।
इसी सब से पहले चरण के चुनाव में मुकाबला बीजेपी और समाजवादी पार्टी-राष्ट्रीय लोकदल के गठबंधन के बीच माना जा रहा है। कहीं कहीं बसपा ने इसे त्रिकोणीय बनाया है तो कांग्रेस भी कहीं-कहीं मुकाबले में है।
----2017 के मुकाबले किस सीट पर कितना बढ़ा-घटा वोट प्रतिशत---
विधानसभा क्षेत्र : 2017 : 2022
कैराना: 69.53% : 75.12%
थाना भवन : 68.31 : 65.63
शामली : 65.42 : 67.50
बुढ़ाना : 67.10 : 67.69
चरथावल : 66.84 : 66.34
पुरकाजी (सु) : 64.86 : 63.00
मुजफ्फरनगर : 64.18 : 61.30
खतौली : 71.11 : 69.70
मीरापुर: 69.39 : 64.00
सिवालखास : 70.85 : 66.50
सरधना : 71.92 : 62.30
हस्तिनापुर : 67.95 : 60.00
किठौर : 71.75 : 59.80
मेरठ कैंट : 58.86 : 51.00
मेरठ शहर : 64.65 : 64.74
मेरठ दक्षिण : 63.09 : 62.00
छपरौली : 62.95 : 57.10
बड़ौत : 64.23 : 62.30
बागपत : 65.87 : 64.66
लोनी : 60.22 : 57.60
मुरादनगर : 60.35 : 57.30
साहिबाबाद : 49.12 : 45.00
गाजियाबाद : 53.16 : 50.40
मोदीनगर : 64.76 : 63.53
धौलाना : 66.85 : 61.50
हापुड़ (सु) : 64.59 : 59.00
गढ़मुक्तेश्वर : 67.50 : 61.00
नोएडा : 48.55 : 50.10
दादरी : 60.22 : 59.78
जेवर : 65.53 : 60.30
सिकंदराबाद : 67.00 : 63.48
बुलंदशहर : 64.06 : 60.60
स्याना : 62.44 : 60.68
अनूपशहर : 64.49 : 56.70
डिबाई : 62.74 : 58.86
शिकारपुर : 65.08 : 60.88
खुर्जा (सु) : 65.40 : 62.47
खैर : 61.87 : 60.80
बरौली : 65.57 : 63.14
अतरौली : 59.96 : 57.20
छर्रा : 63.12 : 56.30
कोल : 62.66 : 62.12
अलीगढ़ : 66.49 : 62.10
इगलास : 64.88 : 61.80
छाता : 66.79 : 64.55
मांट : 66.62 : 65.10
गोवर्धन : 67.07 : 66.75
मथुरा : 59.26 : 57.33
बलदेव : 66.88 : 62.66
एत्मादपुर : 67.97 : 65.10
आगरा कैंट : 59.06 : 56.00
आगरा दक्षिण : 62.21 : 57.50
आगरा उत्तर : 58.20 : 56.40
आगरा ग्रामीण : 63.58 : 62.00
फतेहपुर सीकरी : 67.81 : 64.00
खैरागढ़ : 64.04 : 64.73
फतेहाबाद : 70.35 : 59.20
बाह : 59.97 : 58.01
पहला चरण : जिलावार मतदान प्रतिशत
जिला : वर्ष 2017 : वर्ष 2022
शामली : 67.76 : 69.42
मुजफ्फरनगर : 67.16 : 65.34
मेरठ : 66.64 : 60.91
बागपत : 64.33 : 61.35
गाजियाबाद : 55.80 : 54.77
हापुड़ : 66.31 : 60.50
गौतमबुद्धनगर : 56.80 : 56.73
बुलंदशहर : 64.47 : 60.52
अलीगढ़ : 63.48 : 60.49
मथुरा : 64.98 : 63.28
आगरा : 63.49 : 60.33
वोट प्रतिशत देंखे तो बीजेपी के प्रभाव वाली शहरी सीटों पर कम और देहात में ज्यादा मतदान होना बीजेपी के लिए खतरे की घंटी बजाने वाला है। यही नहीं, बीजेपी के लिए अफसोसनाक यह भी रहा कि पहले चरण के मतदान के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जब गुरुवार को पड़ोस में सहारनपुर में आयोजित जनसभा को संबोधित कर रहे थे तो बड़ी संख्या में कुर्सियां खाली पड़ी थीं। मतदान के दौरान पीएम-सीएम की रैली में खाली कुर्सियों की वीडियो भी सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुई। इस रैली में जब पीएम मोदी सपा, कांग्रेस पर निशाना साध रहे थे तो बीजेपी विरोधी पीएम की सहारनपुर सभा में खाली पड़ी कुर्सियों का वीडियो शेयर कर तंज कस रहे हैं।
सपा नेता आईपी सिंह ने बीजेपी की सभा का वीडियो शेयर करते हुए कहा कि प्रचार मंत्री की हवा निकल गई उत्तर प्रदेश में। पंजाब जैसे उत्तर प्रदेश की जनता जाग गई है। खाली कुर्सियों को झूठा भाषण पिलाते रहे। झारखंड, दिल्ली और बंगाल की जनता ने कड़ा सबक सिखाया, अब उत्तर प्रदेश की बारी है। प्रचार, प्रचार, प्रचार, उखाड़ फेंको ऐसी सरकार। पूर्व आईएएस सूर्य प्रताप सिंह ने भी वीडियो शेयर करते हुए पीएम मोदी पर तंज कसा। उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि पीएम मोदी सहारनपुर रैली में अपार भीड़ को संबोधित करते हुए, खुद सुन लो। विवेक यादव नाम के यूजर ने लिखा कि जिस देश में लोग जेसीबी की खुदाई देखने के लिए भीड़ लगा लेते है, उस देश में अगर प्रधानमंत्री को देखने के लिए भी लोग नहीं आ रहे तो समझो के स्थिति बहुत नाजुक है।
हालांकि बीजेपी को भी लोग कम नहीं आंक रहे हैं। साम दाम दंड भेद किसी भी तरह हो बीजेपी को चुनावी जंग का बड़ा खिलाड़ी माना जाता है। सूत्रों के अनुसार, बड़ी मात्रा में साइलेंट वोट बीजेपी को भी गया है लेकिन यह भी सच है कि 2017 के मुकाबले इस बार उसके वोट बैंक में सपा-रालोद गठबंधन ने तगड़ी सेंध लगाई है। कुल मिलाकर पलड़ा गठबंधन का भारी दिख रहा है।
------पहले चरण में गड़बड़ियां भी कम नहीं रही-----
पहले चरण के मतदान के दौरान गड़बड़ियां भी कम नहीं रही। कही ईवीएम खराब हुई तो कहीं बटन दबाया हैंडपंप का और पर्ची निकली कमल की... । कैराना में बिना नंबर की गाड़ी से ईवीएम पकड़ी गई। किसी की वोट नहीं थी तो कही किसी की वोट पहले ही डाल दी गई। आलम यह है कि यूपी पुलिस के पास सोशल मीडिया पर ही 300 से ज्यादा शिकायतें आईं हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पहले चरण के मतदान के दौरान, सोशल मीडिया के जरिए यूपी पुलिस के पास चुनाव संबंधी करीब 300 शिकायतें आईं। जी हां, 2022 के पहले चरण में लोग पुलिस कंट्रोल रूम की जगह सोशल मीडिया के जरिए पुलिस तक अपनी आपत्तियां और शिकायतें पहुंचाने में ज्यादा सक्रिय दिखे। पहले चरण के मतदान के दौरान यूपी पुलिस के पास चुनाव संबंधी करीब 300 शिकायतें आईं। सोशल मीडिया के जरिए शिकायत करने में समाजवादी पार्टी सबसे ज्यादा ऐक्टिव दिखी। पुलिस की सोशल मीडिया सेल ने तत्काल संबंधित जिलों को शिकायतों से अवगत करवाते हुए जरूरी कार्रवाई करवाई।
गाजियाबाद से सोशल मीडिया के जरिए शिकायत आई कि ईवीएम में हैंडपंप का बटन दबाने पर कमल की पर्ची निकल रही है। इस मामले का वहां के डीएम एसएसपी ने तत्काल संज्ञान लिया। इसी तरह नोएडा में लोगों ने सोशल मीडिया के जरिए बताया कि कई लोग वोट नहीं डाल पा रहे हैं। कई की मतदाता पर्ची नहीं आई। इनमें से कई लोग ऐसे हैं, जो 20 से 25 साल से लगातार वोट डाल रहे हैं। नोएडा से कांग्रेस प्रत्याशी पंखुड़ी पाठक ने विडियो बनाकर भी सोशल मीडिया पर शेयर किया।
गाजियाबाद में वोट डालने गईं नसीम नामक वृद्धा का वोट पोस्टल बैलेट से पहले डाल दिए जाने के मुद्दे को नामी वकील प्रशांत भूषण ने अपने हैंडल से उठाया। पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया के जरिए ईवीएम खराब होने, जान-बूझकर धीमा मतदान करवाए जाने का मामला उठाया और चुनाव आयोग से इस पर कार्रवाई की मांग उठाई। सोशल मीडिया पर मेरठ की सरधना सीट के सलावा गांव में दलितों को वोट देने से रोकने की शिकायत आई। आरोप लगा कि जब दलितों ने इसका विरोध किया तो उन्हें पीटा गया और पर्ची छीन ली गई। गाजियाबाद के लोनी अमन गार्डन में बीजेपी प्रत्याशी नंद किशोर गुर्जर के समर्थकों पर एक महिला को पीटे जाने का आरोप लगाया। महिला का रोते हुए वीडियो वायरल हुआ। इसमें वह आरोप लगा रहीं थी कि कुछ लोग जबरन बीजेपी को वोट देने का दबाव बना रहे थे।
शामली में रालोद प्रत्याशी प्रसन्ना चौधरी के साथ बीजेपी समर्थकों द्वारा हाथापाई किए जाने का विडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। शामली पुलिस ने बताया कि प्रत्याशी चार-पांच गाड़ियों के साथ एक मतदान केंद्र में घुस गए थे और फर्जी वोटिंग का आरोप लगा रहे थे। इसके बाद उनकी बीजेपी समर्थकों से भिड़ंत हो गई। बाद में पुलिस ने मौके पर पहुंचकर स्थिति संभाल ली। सपा के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से आगरा का एक विडियो पोस्ट किया गया। इसमें आरोप लगाया कि बीजेपी प्रत्याशी पक्षालिका सिंह समर्थक लोगों को वोट नहीं डालने दे रहे हैं। आगरा के बाह के क्वारी में भी दलितों को वोट डालने से रोकने का विडियो आया। शामली में सपा और रालोद के समर्थकों पर दलितों को वोट न डालने देने के आरोप लगे। मेरठ के किठौर में सपा और बीजेपी समर्थकों में भिड़ंत की सूचना भी सोशल मीडिया पर दी गई। कैराना में मुस्लिम समुदाय के लोगों को वोट न डालने देने का भी आरोप लगा। इस संबंध में विडियो भी शेयर किया गया।
----- 14 सोमवार को 9 जिलों की 55 सीट पर दूसरे चरण का मतदान-----
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के दूसरे चरण के लिए भी राजनीतिक दलो का प्रचार शनिवार शाम समाप्त हो गया। दूसरे चरण में 14 फरवरी को 9 जिलों (सहारनपुर, बिजनौर, अमरोहा, संभल, मुरादाबाद, रामपुर, बरेली, बदायूं और शाहजहांपुर) की 55 सीटों पर मतदान होगा। इस दौरान सत्ता पक्ष यानी योगी आदित्यनाथ और अखिलेश यादव, प्रियंका गांधी समेत अन्य विपक्षी दलों के भी कई कद्दावर नेताओं की भी परीक्षा होगी। इस चरण में योगी सरकार में मंत्री सुरेश खन्ना, बलदेव औलख और गुलाब देवी मजबूत दावेदारी पेश कर रहे हैं। दूसरी तरफ रामपुर से आजम खां और स्वार सीट से उनके बेटे अब्दुल्ला के सामने अपना गढ़ बचाने की चुनौती है। इस चरण में बीजेपी छोड़ सपा में जाने वाले धर्म सिंह सैनी पर भी जीत सुनिश्चित करने का काफी दबाव है। वहीं सपा के महबूब अली, कमाल अख्तर जैसे कद्दावर नेता हैं जिनके भाग्य का फैसला 14 तारीख को होना है। दूसरे चरण में 8 विधानसभा सीटें आरक्षित श्रेणी में हैं। 2017 में इनमें से 7 सीटों पर भाजपा ने जीत हासिल की थी। जबकि एक सीट सपा के खाते में गई थी। इस चरण में 8 ऐसी भी सीटें हैं जिस पर 2017 में मामूली मतों के अंतर से हार जीत का फैसला हुआ था जिसमें 5 सीटें भाजपा के खाते में गई थी और 3 सीटों पर सपा ने जीत हासिल की थी।
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