यूपी चुनाव: सपा, रालोद गठबंधन से विधानसभा पहुंचे 36 मुस्लिम विधायक

Written by Sabrangindia Staff | Published on: March 12, 2022
उत्तर प्रदेश चुनाव में भारतीय जनता पार्टी एक बार फिर से बहुमत का आंकड़ा पार करने में कामयाब रही है। 403 विधानसभा सीट वाले यूपी में इस बार भारतीय जनता पार्टी ने अपने सहयोगियों के साथ 273 सीटों पर जीत दर्ज कर पूर्ण बहुमत हासिल किया है। इसके अलावा मुख्य विपक्षी पार्टी समाजवादी पार्टी को 111 सीटों पर विजय प्राप्त हुई है। इन चुनावों में मुस्लिम प्रतिनिधित्व की बात की जाए तो इस बार 36 मुस्लिम उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है। 



18 से 20 प्रतिशत मुस्लिम वोटर्स और 403 विधानसभा सीट वाले राज्य में 36 मुस्लिम वोटर्स का चुना जाना बहुत ज्यादा नहीं है। 20 प्रतिशत से अधिक मुस्लिम आबादी वाले राज्य के कुल 403 विधायकों में नवनिर्वाचित विधायक 8.93 प्रतिशत हैं। हालांकि यह संख्या 2017 से ज्यादा है क्योंकि पिछली बार 24 मुस्लिम विधायक विधानसभा पहुंचे थे। 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा ने 64 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया था। वहीं बसपा ने 88 और कांग्रेस ने 75 मुस्लिम प्रत्याशियों को टिकट दिया था। वहीं, एआईएमआईएम ने 60 से अधिक मुस्लिम उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन एक को भी जीत नहीं मिली। सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करने में माहिर भारतीय जनता पार्टी ने एक भी मुस्लिम को टिकट नहीं दिया था। हालांकि, एनडीए के सहयोगी अपना दल (सोनेवाल) ने एक मुस्लिम प्रत्याशी पर दांव लगाया था जिसे हार का सामना करना पड़ा। 

बीजेपी नेताओं की तरफ से हुई थीं सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की कोशिशें
यूपी सहित पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के दौरान बीजेपी नेताओं ने मुस्लिमों के खिलाफ जमकर जहर उगला था। इनमें टी. राजा से लेकर राघवेंद्र प्रताप सिंह का नाम आता है। इसके साथ ही यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी चुनाव को 80 बनाम 20 करार दिया था। हमारे सहयोगी संगठन सीजेपी ने बीजेपी नेताओं की हेट स्पीच को सूचीबद्ध कर आयोग को अवगत कराया था। 

यूपी विधानसभा चुनाव में चुने गए ये मुस्लिम विधायक
आजम खान रामपुर से (सपा)
आजम खान रामपुर विधानसभा सीट से 9 बार विधायक रह चुके हैं, अभी वो रामपुर से सांसद हैं। आजम खान ने विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला लिया था और सपा ने उन्हें रामपुर शहर सीट से अपना प्रत्याशी बनाया था। यहां आजम खान ने 55 हजार वोटों से जीत दर्ज की है।

अब्दुल्ला आजम खान स्वार से (सपा)
रामपुर की स्वार विधानसभा से समाजवादी पार्टी ने आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम को मैदान में उतारा था। सपा प्रत्याशी अब्दुल्ला आजम का मुकाबला बसपा के अध्यापक शंकर लाल और अपना दल (सोनेलाल) के हैदर अली खान उर्फ हमजा मियां से था। यहां अब्दुल्ला को 126162 वोट मिले। वहीं उनके प्रतिद्व्ंदी अपना दल (सोनेलाल) के हमजा मियां को 65059 वोट मिले।     
 
मुख्तार अब्बास अंसारी मऊ (सुभासपा)
मऊ सदर से सुभासपा से मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी ने जीत हासिल की है। वो सपा की सहयोगी पार्टी सुभासपा से मैदान में थे। उन्होंने बीजेपी के अशोक सिंह को 38116 वोटों से हराया। अब्बास अंसारी को कुल वोट 124691 मिले।

कमल अख्तर कांठ से (सपा)
समाजवादी पार्टी ने कांठ से आखिरी वक्त में कमल अख्तर को मैदान में उतारा था। यहां उन्होंने जीत दर्ज कर कांठ विधानसभा पर सपा का खाता खोला। इससे पहले कांठ विधासभा पर एक बार भी सपा जीत दर्ज नहीं करा पाई है। 

नाहिद हसन कैराना से (सपा)
कैराना विधानसभा सीट पर समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार नाहिद हसन ने जीत हासिल की है। नाहिद हसन ने भाजपा की मृगांका सिंह को 25 हजार से ज्यादा वोटों से हराया। यूपी की सियासत में कैराना बड़ा नाम है। कभी पलायन को लेकर तो कभी यहां से उतरने वाले कैंडिडेट को लेकर यह सीट सुर्खियों में रहती आई है। बीजेपी यहां पलायन के नाम पर पूरे राज्य की राजनीति पर प्रभाव डालने की कोशिश करती रही है लेकिन इस बार उसे सफलता हासिल नहीं हो पाई। 

हाजी इरफान सोलंकी सिसामऊ से (सपा)
कानपुर की सीसामऊ विधानसभा सीट पर सपा प्रत्याशी इरफान सोलंकी ने भाजपा के सलिल विश्नोई को हराकर जीत दर्ज कराई। इरफान सोलंकी तीन बार से यहां से जीतते आ रहे हैं।

इकबाल मसूद संभल से (सपा)
संभल समाजवादी पार्टी का गढ़ माना जाता है। हालांकि इस बार यहां सपा और भाजपा के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिली, लेकिन अंत में सपा के प्रत्याशी इकबाल महमूद ने जीत दर्ज की। बता दें कि इकबाल महमूद यहां पांच बार जीत दर्ज करके विधानसभा पहुंच चुके हैं। 

आशु मलिक सहारनपुर से (सपा)
सहारनपुर सीट पर समाजवादी पार्टी के आशू मलिक ने जीत दर्ज की। आशू को भाजपा प्रत्याशी जगपाल सिंह से कड़ी टक्कर मिली थी। लेकिन आशू ने आखिरकार बाजी मार ली और हजारों वोटों से जगपाल को हराकर जीत दर्ज की। सहारनपुर किसान आंदोलन का भी गढ़ रहा है। यहां किसान महापंचायत कर किसान मोर्चा ने बीजेपी को वोट न देने की अपील की थी। 

जियाउर रिजवी सिकंदरपुर से (सपा)
सिकंदरपुर सीट से भाजपा के सीटिंग विधायक को हराकर सपा के पूर्व मंत्री जियाउद्दीन रिजवी ने जीत दर्ज की है। रिजवी 2012 में भी इस सीट से चुनाव जीते थे। 2017 के चुनाव में भी वह सपा से प्रत्याशी थे, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा।

गुलाम मोहम्मद सिवाल खास से (आरएलडी)
मेरठ जिले की सिवालखास विधानसभा सीट पर सपा आरएलडी गठबंधन ने बीजेपी को पटखनी दे दी। यह सीट गठबंधन की तरफ से राष्ट्रीय लोकदल को दी गई थी। यहां गुलाम मोहम्मद ने बीजेपी के प्रत्याशी मनिंदरपाल सिंह को शिकस्त दी है।

नवाब जान ठकुराद्वारा से (सपा)
मुरादाबाद जिले की ठाकुरद्वारा विधानसभा सीट पर समाजवादी पार्टी के नवाब जान ने जीत दर्ज की है। इस सीट पर बीजेपी और सपा दोनों का दबदबा माना जाता है। लेकिन यहां सपा के नवाब जान ने बीजेपी के अजय सिंह को हराकर जीत अपने नाम दर्ज कर ली। 
 
असरफ अली खान थाना भवन से (आरएलडी)
शामिली जिले के थाना भवन विधानसभा सीट से आरएलडी प्रत्याशी असरफ अली खान ने बीजेपी नेता व गन्ना मंत्री सुरेश राणा को हराकर जीत दर्ज की। यहां बीजेपी के सुरेश राणा 2012 और 2017 में जीत दर्ज करा चुके हैं।

अरमान खान लखनऊ से (सपा)
लखनऊ पश्चिम सीट से सपा के अरमान खान ने जीत दर्ज की है। राजधानी की नौ विधानसभा सीटों में सबसे कड़ी टक्कर लखनऊ पश्चिम और मध्य सीट पर ही मानी जा रही थी। ऐसे में इन दोनों सीटों पर शुरू से ही हर किसी की नजर थी। यहां बीजेपी ने अंजनी श्रीवास्तव पर दाव लगाया था। 

आलम बदी निजामाबाद से (सपा)
निजामाबाद विधानसभा सीट से सपा के मौजूदा विधायक आलम बदी ने दोबारा जीत दर्ज की है। वे अपनी सीट को बचाने में कामयाब रहे। उन्होंने भाजपा के मनोज को 34187 वोट से हराया है। 2012 में जब अखिलेश यादव की सरकार बनी तो उन्होंने आलम बदी को मंत्री पद ऑफर किया था। लेकिन आलम बदी ने अपेन क्षेत्र के लोगों पर ही पूरा ध्यान देने की बात कहते हुए मंत्रीपद ठुकरा दिया था।

तसलीम अहमद नजीबाबाद से (सपा)
नजीबाबाद विधानसभा क्षेत्र से सपा के तसलीम अहमद ने जीत दर्ज की है, यह उनकी लगातार तीसरी विजय है। उन्होंने भाजपा प्रत्याशी भारतेंद्र सिंह को 23803 मतों से पराजित किया।

मोहम्मद नासिर मुरादाबाद (ग्रामीण) से (सपा)
मुरादाबाद ग्रामीण से सपा के मोहम्मद नासिर ने जीत हासिल की है। मुरादाबाद जिले की 6 विधानसभा सीटों में से सपा ने 5 सीटों पर कब्जा किया है वहीं एक सीट भाजपा के खाते में गई।    

रफीक अंसारी मेरठ से (सपा)
उत्तर प्रदेश की मेरठ विधानसभा सीट से सपा के रफीक अंसारी जीत गए हैं। उन्होंने बीजेपी के कमल दत्त शर्मा को 26,282 मतों के अंतर से हराया।

जियाउर्रहमान कुंदरकी से (सपा)
मुरादाबाद जिले की कुंदरकी विधानसभा सीट पर सपा ने अपने विधायक मोहम्मद रिजवान का टिकट काटकर जियाउर्रहमान को उतारा था। इसका फायदा भी पार्टी को मिला और जियाउर्रहमान ने 43 हजार वोटों से जीत दर्ज कराई।
 
महमूब अली अमरोहा से (सपा)
अमरोहा विधानसभा सीट पर सपा प्रत्याशी महबूब अली ने जीत दर्ज की है। साल 2017 में भी अमरोहा सीट से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार महबूब अली ने जीत दर्ज की थी. 

उमर अली खान बेहट से (सपा)
सहारनपुर की बेहट विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी को जीत मिली है। सपा उम्मीदवार उमर अली खान ने जीत दर्ज की है। 

साजिल इस्लाम भोजपुरा से (सपा)
भोजीपुरा विधानसभा सीट पर सपा के शहजील इस्‍लाम अंसारी ने जीत दर्ज की है। यह सीट पहले भाजपा के कब्जे में थी, लेकिन कड़े मुकाबले में भारतीय जनता पार्टी के बहोरन लाल मौर्य को हार का सामना करना पड़ा।

मोहम्मद फहीम बिलारी से (सपा)
बिलारी में समाजवादी पार्टी प्रत्याशी एवं विधायक मोहम्मद फहीम इरफान ने बिलारी विधानसभा से तीसरी बार अपना लक आजमाया था, जो एक शानदार जीत से हैट्रिक लगाते हुए विधायक बन गए हैं।

नसीर अहमद चमरौवा से (सपा)
यूपी की चमरौआ विधानसभा सीट पर समाजवादी पार्टी के नसीर अहमद ने जीत दर्ज की। उन्हें 100976 वो मिले हैं। 
 
सैयदा खातून डुमरियागंज से
सिद्धार्थनगर की डुमरियागंज सीट से भाजपा प्रत्‍याशी राघवेंद्र प्रताप सिंह के खिलाफ सपा के टिकट पर सैयदा खातून ने जीत दर्ज की है। राघवेंद्र प्रताप सिंह मुस्लिमों के खिलाफ जहर उगलने के चलते सुर्खियों में रहे थे।

नफीस अहमद गोपालपुर से
आजमगढ़ की गोपालपुर विधानसभा सीट से सपा के उम्मीदवार नफीस अहमद ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी बीजेपी के उम्मीदवार सत्येंद्र राय को हराया।
 
मोहम्मद हसन कानपुर कैंट से (सपा)
कानपुर कैंट सीट पर समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार मोहम्मद हसन रूमी ने जीत दर्ज की है। मोहम्मद हसन रूमी ने  बीजेपी के उम्मीदवार रघुवंश भदौरिया को हराया है।

शाहिद मंजूर किठौर से (सपा)
समाजवादी पार्टी के शाहिद मंजूर ने किठौर विधानसभा सीट पर करीबी मुकाबले में भारतीय जनता पार्टी के सत्यवीर त्यागी को 2180 वोट से हरा दिया।

शुहैब अंसारी उर्फ मन्नू मोहम्मदाबाद से (सपा)
गाजीपुर की मोहम्मदाबाद सीट पर मुख्तार अंसारी के भतीजे सुहेब अंसारी मन्नू ने सपा की टिकट पर जीत हासिल की है। उन्होंने बीजेपी अलका राय को हराया।      
 
मुख्य विपक्षी पार्टी बनकर उभरी समाजवादी पार्टी 
राज्‍य की मुख्‍य विपक्षी समाजवादी पार्टी ने 111 सीटों पर जीत दर्ज की है। सपा के सहयोगी दल आरएलडी ने आठ और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने छह सीटों पर जीत दर्ज की है। वहीं दूसरी तरफ, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) मात्र एक सीट पर सिमट कर रह गई है। मतगणना में बीजेपी को 41.29 प्रतिशत मत हासिल हुए हैं। समाजवादी पार्टी को 32.03 फीसदी मत हासिल हुए हैं। बहुजन समाज पार्टी को 12.88 प्रतिशत मत प्राप्त हुए हैं। 

बीजेपी के विस्तार के साथ घटती गई सांसदों की संख्या
अगर देश में मुस्लिमों को देखा जाए तो साल 2011 की जनगणना के मुताबिक देश में मुसलमानों की आबादी 14.2% है। आबादी के हिसाब से प्रतिनिधित्व की बात करें तो 545 सांसदों वाली लोकसभा में 77 मुसलमान सांसद होने चाहिए। लेकिन किसी भी लोकसभा में मुस्लिम सांसदों की संख्या इस आंकड़े पर नहीं पहुंच पाई है। 

आदर्श स्थिति की बात करें तो सातवीं लोकसभा में 49 सांसद लोकसभा पहुंचे। इसके बाद आठवीं लोकसभा (1984) में 46 मुस्लिम सांसद चुनकर संसद पहुंचे थे। उस समय बीजेपी के महज दो सांसद थे। लेकिन जैसे ही बीजेपी का विस्तार होता गया, मुस्लिम सांसदों की संख्या घटती गई। 17वीं लोकसभा में 2014 की तुलना में लोकसभा जाने वाले मुस्लिम सांसदो की संख्या बढ़ गई। 2019 में 27 मुस्लिम सांसद संसद पहुंचे।  वहीं, 2014 में बीजेपी के सबसे ज़्यादा 282 सांसद जीते तो मुस्लिम सांसदों की संख्या घटकर 22 रह गई थी। 

16वीं लोकसभा में संसद पहुंचे थे 22 मुस्लिम
16वीं लोकसभा में जब मोदी लहर थी तब देश के सिर्फ 7 राज्यों से मुसलमानों का प्रतिनिधित्व हुआ था। कुल 22 में से सबसे ज्यादा 8 सांसद पश्चिम बंगाल से जीते थे, बिहार से 4, जम्मू और कश्मीर और केरल से 3-3, असम से 2 और तमिलनाडु और तेलंगाना से एक-एक मुस्लिम सांसद जीत कर लोकसभा में पहुंचे थे। लोकसभा का कार्यकाल खत्म होने के वक्त कुल 23 मुस्लिम सांसद थे जो कि 545 सदस्य वाली लोकसभा में 4.24% बैठता है।

1992 में बीजेपी ने बाबरी विध्वंस के लिए ऐसा माहौल बनाया कि देश में सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ता चला गया। इसके बाद गुजरात में 2002 के दंगे हुए जिसका असर पूरे देश पर देखने को मिला है। बीजेपी के विस्तार के साथ ही राजनीतिक पार्टियां भी मुस्लिमों से दूरी बनाती नजर आती हैं लेकिन इस बार सपा, आरएलडी, कांग्रेस व बसपा ने मुस्लिम उम्मीदवार उतारकर बीजेपी के ध्रुवीकरण के प्रयासों को टक्कर देने की कोशिश की थी, जिसमें सपा, आरएलडी गठबंधन काफी हद तक कामयाब रहा है। 

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