यूपी विधानसभा चुनाव तेजी से अपने आखिरी पड़ाव की ओर बढ़ रहा है। आखिरी दो चरण में पूर्वांचल में मोदी योगी के गढ़ में वोट पड़ेंगे। इसके साथ ही सपा व भाजपा के सहयोगी दलों सुभासपा व अपना दल की भी परीक्षा है। छठे चरण में 3 मार्च को मुख्यमंत्री योगी के गढ़ माने जाने वाले गोरखपुर के आसपास के जिलों में मतदान होगा, जबकि सातवें यानी आखिरी चरण में 7 मार्च को पीएम मोदी के चुनाव क्षेत्र वाराणसी व उसके आसपास के जिलों में चुनाव होना है। अब तक के पांच चरणों में 292 सीटों पर वोटिंग हो चुकी है। बचे दो चरणों में 111 सीटों पर वोटिंग होनी है। छठे चरण में 10 जिलों, अंबेडकरनगर, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, बस्ती, संतकबीरनगर, महाराजगंज, गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया और बलिया की 57 सीटों पर चुनाव होना है जिनमें 11 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं।

इन दोनों चरणों की सीटों पर भाजपा ने पूरी ताकत लगा रखी है। ये दोनों चरण सियासी नजरिए से भाजपा के लिए काफी महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं। सीएम योगी के गोरखपुर सदर सीट से चुनाव लड़ने का असर पूर्वांचल की कई सीटों पर पड़ सकता है। सीएम योगी के खिलाफ भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर भी चुनाव लड़ रहे हैं। इसी के साथ इसी चरण के चुनाव में बीजेपी छोड़कर गए स्वामी प्रसाद मौर्य की किस्मत भी दांव पर लगी है। जबकि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू की किस्मत का फैसला भी इसी चरण में होना है। गोरखपुर और आसपास के जिलों पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मजबूत पकड़ भी मानी जाती है। वे गोरखपुर संसदीय सीट से पांच बार लोकसभा का चुनाव भी जीत चुके हैं। गोरखनाथ मंदिर के महंत होने के साथ ही वे प्रदेश के मुख्यमंत्री और भाजपा के स्टार प्रचारक हैं। ऐसे में छठे चरण में योगी के गढ़ माने जाने वाले इलाके में भाजपा की परीक्षा होनी है। मुख्यमंत्री खुद इस बार गोरखपुर शहर विधानसभा सीट से प्रत्याशी हैं। इसी से छठे चरण में अपने प्रभाव वाले क्षेत्रों में मतदान होने के कारण मुख्यमंत्री योगी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है।
यही नहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2014 से ही पूर्वी यूपी का बड़ा केंद्र माने जाने वाले वाराणसी से सांसद हैं। प्रदेश में सातवें (आखिरी) चरण में वाराणसी व आसपास के जिलों की सीट पर चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों की किस्मत तय होगी। 2017 के विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी ने वाराणसी को केंद्र बनाकर आसपास के जिलों में चुनाव प्रचार किया था। इन दोनों ही चुनावों में पीएम मोदी की ओर से ताकत लगाए जाने के बाद भाजपा दूसरे दलों को काफी पीछे छोड़ने में कामयाब हुई थी। यही कारण है कि अब सातवें चरण में चुनाव मैदान में उतरे प्रत्याशियों को पीएम मोदी की ताकत पर ही ज्यादा भरोसा है।
सातवें चरण में पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी व उससे लगते जिलों आजमगढ़, मऊ, गाजीपुर, भदोही, मिर्जापुर, जौनपुर, सोनभद्र और चंदौली की 54 सीटों पर मतदान होगा। इन सभी जिलों से निकलने वाले सियासी संदेश को पीएम मोदी से जोड़कर देखा जाएगा और यही कारण है कि इन सभी जिलों में पीएम मोदी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। पूर्वी उत्तर प्रदेश की इन सीटों पर निर्णायक बढ़त हासिल करने के लिए भाजपा ने पूरी ताकत झोंक दी है। मोदी-योगी से इतर देखें तो पूर्वांचल में भाजपा व सपा के गठबंधन के साथी भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
सपा ने ओमप्रकाश राजभर की पार्टी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के साथ गठबंधन किया है। वहीं बीजेपी ने अपना दल (सोनेलाल) और निषाद पार्टी के साथ गठबंधन किया है। 2017 में बीजेपी के सहयोगी रहे ओमप्रकाश राजभर 2022 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के साथ हैं। ओपी राजभर ने दावा किया है कि इस बार सपा गठबंधन भारी बहुमत से चुनाव जीतेगा। राजभर ने कई बार अपने बयानों में कहा है कि गाजीपुर, बलिया, मऊ, आजमगगढ़, जौनपुर में बीजेपी को एक भी सीट नहीं मिलेगी। साथ ही उन्होंने दावा किया है कि वाराणसी की कुछ सीटों पर भी बीजेपी को सपा गठबंधन से हार का सामना करना पड़ेगा। इसके साथ ही बनारस की शिवपुर सीट से ओमप्रकाश राजभर के बेटे अरविंद राजभर सुभासपा के टिकट पर मैदान में हैं। जबकि बीजेपी ने योगी सरकार में मंत्री अनिल राजभर पर एक बार फिर से दांव खेला है। अनिल राजभर वर्तमान में शिवपुर विधानसभा सीट से विधायक भी हैं। यही नहीं, बसपा छोड़कर समाजवादी पार्टी में शामिल होने वाले राम अचल राजभर, लालजी वर्मा और हरिशंकर तिवारी के बेटे विनय शंकर तिवारी की परीक्षा की घड़ी आ गई है। खास है कि इन सभी नेताओं के सामने सबसे बड़ी चुनौती न सिर्फ अपनी सीट बचाने की है बल्कि यह भी साबित करने की है कि उनका कद किसी पार्टी का मोहताज नहीं है और वे खुद जीत सकते हैं, चाहे किसी भी पार्टी से चुनाव लड़ें।
राजनीतिक जानकार बताते हैं कि 2017 विधानसभा चुनाव में पीएम मोदी ने जब यहां चुनावी जनसभाओं में लोगों से मुखातिब होना शुरू किया था, तो माहौल ऐसा बना कि पूर्वांचल की 61 विधानसभा सीटों में से 55 विधानसभा सीटें भाजपा की झोली में आ गईं। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो इस बार 2017 जैसे हालात नहीं हैं। 5 साल पहले सरकार बनाते वक्त पूर्वांचल के लोगों ने भाजपा से जो उम्मीदें की थीं वह कसौटी पर कितनी खरी उतरी है उसके आधार पर ही इस बार मतदान होगा। यही वजह है कि भाजपा के बड़े बड़े नेता पूर्वांचल में अपना दमखम दिखा रहे हैं। भाजपा सूत्रों के मुताबिक, अगले दो चरणों के लिए प्रधानमंत्री मोदी, गृहमंत्री शाह के अलावा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और भाजपा सांसद एवं दिल्ली भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी समेत तमाम दिग्गज नेता वाराणसी और आसपास के पूर्वाचल के जिलों में पार्टी को मजबूती देने के लिए मौजूद रहेंगे।
हालांकि पूर्वांचल केवल योगी व मोदी के लिए ही टेस्ट ग्राउंड नहीं है। यहां समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के प्रभाव का भी लिटमस टेस्ट होना है। आजमगढ़ से सांसद अखिलेश यादव के क्षेत्र में आखिरी चरण में वोटिंग होगी। सीएम योगी और पीएम मोदी की चुनाव की घोषणा होने से पहले से आजमगढ़ पर नजर रही है। पीएम मोदी तक यहां कार्यक्रम कर चुके हैं। जबकि सीएम योगी तो अखिलेश के कोरोना काल में आजमगढ़ से गायब रहने का मुद्दा कई बार उठा चुके हैं। भाजपा बूथ स्तर पर काम करती नजर आ रही है। ऐसे में अखिलेश यादव को इस सीट पर अपनी अहमियत का अहसास कराना है। इसको लेकर वे लगातार पूर्वांचल में दौरे कर रहे हैं। गोरखपुर में पहुंच कर सीधे सीएम योगी पर पलटवार करते नजर आ रहे हैं। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि वे योगी और मोदी की उम्मीदों को झटका देने में कितना कामयाब हो पाते हैं।
Related:
UP चुनाव: जाट मुस्लिम व यादव-लैंड में बंपर वोटिंग के बाद अब चौथे व पांचवे चरण में 'अवध' की जंग
तेलंगाना के बीजेपी MLA ने यूपी के वोटर्स को दिखाया योगी के बुलडोजर का डर, EC ने भेजा नोटिस
Hate Speech: चुनावी सभा में यूपी के बीजेपी विधायक ने मुसलमानों के खिलाफ उगला जहर

इन दोनों चरणों की सीटों पर भाजपा ने पूरी ताकत लगा रखी है। ये दोनों चरण सियासी नजरिए से भाजपा के लिए काफी महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं। सीएम योगी के गोरखपुर सदर सीट से चुनाव लड़ने का असर पूर्वांचल की कई सीटों पर पड़ सकता है। सीएम योगी के खिलाफ भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर भी चुनाव लड़ रहे हैं। इसी के साथ इसी चरण के चुनाव में बीजेपी छोड़कर गए स्वामी प्रसाद मौर्य की किस्मत भी दांव पर लगी है। जबकि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू की किस्मत का फैसला भी इसी चरण में होना है। गोरखपुर और आसपास के जिलों पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मजबूत पकड़ भी मानी जाती है। वे गोरखपुर संसदीय सीट से पांच बार लोकसभा का चुनाव भी जीत चुके हैं। गोरखनाथ मंदिर के महंत होने के साथ ही वे प्रदेश के मुख्यमंत्री और भाजपा के स्टार प्रचारक हैं। ऐसे में छठे चरण में योगी के गढ़ माने जाने वाले इलाके में भाजपा की परीक्षा होनी है। मुख्यमंत्री खुद इस बार गोरखपुर शहर विधानसभा सीट से प्रत्याशी हैं। इसी से छठे चरण में अपने प्रभाव वाले क्षेत्रों में मतदान होने के कारण मुख्यमंत्री योगी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है।
यही नहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2014 से ही पूर्वी यूपी का बड़ा केंद्र माने जाने वाले वाराणसी से सांसद हैं। प्रदेश में सातवें (आखिरी) चरण में वाराणसी व आसपास के जिलों की सीट पर चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों की किस्मत तय होगी। 2017 के विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी ने वाराणसी को केंद्र बनाकर आसपास के जिलों में चुनाव प्रचार किया था। इन दोनों ही चुनावों में पीएम मोदी की ओर से ताकत लगाए जाने के बाद भाजपा दूसरे दलों को काफी पीछे छोड़ने में कामयाब हुई थी। यही कारण है कि अब सातवें चरण में चुनाव मैदान में उतरे प्रत्याशियों को पीएम मोदी की ताकत पर ही ज्यादा भरोसा है।
सातवें चरण में पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी व उससे लगते जिलों आजमगढ़, मऊ, गाजीपुर, भदोही, मिर्जापुर, जौनपुर, सोनभद्र और चंदौली की 54 सीटों पर मतदान होगा। इन सभी जिलों से निकलने वाले सियासी संदेश को पीएम मोदी से जोड़कर देखा जाएगा और यही कारण है कि इन सभी जिलों में पीएम मोदी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। पूर्वी उत्तर प्रदेश की इन सीटों पर निर्णायक बढ़त हासिल करने के लिए भाजपा ने पूरी ताकत झोंक दी है। मोदी-योगी से इतर देखें तो पूर्वांचल में भाजपा व सपा के गठबंधन के साथी भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
सपा ने ओमप्रकाश राजभर की पार्टी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के साथ गठबंधन किया है। वहीं बीजेपी ने अपना दल (सोनेलाल) और निषाद पार्टी के साथ गठबंधन किया है। 2017 में बीजेपी के सहयोगी रहे ओमप्रकाश राजभर 2022 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के साथ हैं। ओपी राजभर ने दावा किया है कि इस बार सपा गठबंधन भारी बहुमत से चुनाव जीतेगा। राजभर ने कई बार अपने बयानों में कहा है कि गाजीपुर, बलिया, मऊ, आजमगगढ़, जौनपुर में बीजेपी को एक भी सीट नहीं मिलेगी। साथ ही उन्होंने दावा किया है कि वाराणसी की कुछ सीटों पर भी बीजेपी को सपा गठबंधन से हार का सामना करना पड़ेगा। इसके साथ ही बनारस की शिवपुर सीट से ओमप्रकाश राजभर के बेटे अरविंद राजभर सुभासपा के टिकट पर मैदान में हैं। जबकि बीजेपी ने योगी सरकार में मंत्री अनिल राजभर पर एक बार फिर से दांव खेला है। अनिल राजभर वर्तमान में शिवपुर विधानसभा सीट से विधायक भी हैं। यही नहीं, बसपा छोड़कर समाजवादी पार्टी में शामिल होने वाले राम अचल राजभर, लालजी वर्मा और हरिशंकर तिवारी के बेटे विनय शंकर तिवारी की परीक्षा की घड़ी आ गई है। खास है कि इन सभी नेताओं के सामने सबसे बड़ी चुनौती न सिर्फ अपनी सीट बचाने की है बल्कि यह भी साबित करने की है कि उनका कद किसी पार्टी का मोहताज नहीं है और वे खुद जीत सकते हैं, चाहे किसी भी पार्टी से चुनाव लड़ें।
राजनीतिक जानकार बताते हैं कि 2017 विधानसभा चुनाव में पीएम मोदी ने जब यहां चुनावी जनसभाओं में लोगों से मुखातिब होना शुरू किया था, तो माहौल ऐसा बना कि पूर्वांचल की 61 विधानसभा सीटों में से 55 विधानसभा सीटें भाजपा की झोली में आ गईं। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो इस बार 2017 जैसे हालात नहीं हैं। 5 साल पहले सरकार बनाते वक्त पूर्वांचल के लोगों ने भाजपा से जो उम्मीदें की थीं वह कसौटी पर कितनी खरी उतरी है उसके आधार पर ही इस बार मतदान होगा। यही वजह है कि भाजपा के बड़े बड़े नेता पूर्वांचल में अपना दमखम दिखा रहे हैं। भाजपा सूत्रों के मुताबिक, अगले दो चरणों के लिए प्रधानमंत्री मोदी, गृहमंत्री शाह के अलावा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और भाजपा सांसद एवं दिल्ली भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी समेत तमाम दिग्गज नेता वाराणसी और आसपास के पूर्वाचल के जिलों में पार्टी को मजबूती देने के लिए मौजूद रहेंगे।
हालांकि पूर्वांचल केवल योगी व मोदी के लिए ही टेस्ट ग्राउंड नहीं है। यहां समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के प्रभाव का भी लिटमस टेस्ट होना है। आजमगढ़ से सांसद अखिलेश यादव के क्षेत्र में आखिरी चरण में वोटिंग होगी। सीएम योगी और पीएम मोदी की चुनाव की घोषणा होने से पहले से आजमगढ़ पर नजर रही है। पीएम मोदी तक यहां कार्यक्रम कर चुके हैं। जबकि सीएम योगी तो अखिलेश के कोरोना काल में आजमगढ़ से गायब रहने का मुद्दा कई बार उठा चुके हैं। भाजपा बूथ स्तर पर काम करती नजर आ रही है। ऐसे में अखिलेश यादव को इस सीट पर अपनी अहमियत का अहसास कराना है। इसको लेकर वे लगातार पूर्वांचल में दौरे कर रहे हैं। गोरखपुर में पहुंच कर सीधे सीएम योगी पर पलटवार करते नजर आ रहे हैं। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि वे योगी और मोदी की उम्मीदों को झटका देने में कितना कामयाब हो पाते हैं।
Related:
UP चुनाव: जाट मुस्लिम व यादव-लैंड में बंपर वोटिंग के बाद अब चौथे व पांचवे चरण में 'अवध' की जंग
तेलंगाना के बीजेपी MLA ने यूपी के वोटर्स को दिखाया योगी के बुलडोजर का डर, EC ने भेजा नोटिस
Hate Speech: चुनावी सभा में यूपी के बीजेपी विधायक ने मुसलमानों के खिलाफ उगला जहर