उन्नाव रेप केस की पीड़िता को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में रहने के लिए घर नहीं मिल रहा है। हाईकोर्ट ने उन्नाव रेप पीड़िता को घर उपलब्ध कराने का दिल्ली महिला आयोग (DCW) को आदेश दिया। कोर्ट ने डीसीडब्ल्यू की चेयरपर्सन को पीड़िता के पुनर्वास उपायों की देख करने का भी निर्देश दिया।
पीड़िता के वकील धर्मेंद्र कुमार मिश्रा ने डिस्ट्रिक्ट जज धर्मेश शर्मा को यह जानकारी दी कि बलात्कार पीड़िता और उसके परिवार को दिल्ली में कोई किराए पर घर देने को तैयार नहीं है। वकील के अनुसार लड़की के मामले की पृष्ठभूमि के बारे में बताए जाने पर मकान मालिक अपना घर किराये पर देने के लिए तैयार नहीं हो रहे हैं।
अदालत ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए दिल्ली महिला आयोग को आदेश जारी किया है कि वह पीड़ित लड़की और उसके परिजनों को दिल्ली में ठहरने की व्यवस्था करने में सहायता करे। अदालत ने दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष को पीड़िता के पुनर्वास की देखरेख के लिए एक टीम बनाने को कहा है।
गौरतलब है कि पीड़ित लड़की और उसकी मां ने जज के सामने दिल्ली में रहने की इच्छा जाहिर की थी। उनका कहना था कि उन्हें उत्तर प्रदेश लौटने में डर लग रहा है।
अदालत ने आयोग की अध्यक्ष को परिवार की आवासीय जरूरतों का आकलन करने के लिए दो सलाहकारों की एक टीम को नामित करने और कम से कम 11 महीने की अवधि के लिए किराए पर या किसी भी सरकारी आवास में उचित दर पर दिल्ली में उपयुक्त जगह उपलब्ध कराने के लिए कहा है। अदालत ने आयोग को परिवार में बच्चों के पुनर्वास उपायों की देखरेख करने और दिल्ली में उनकी पसंद के मुताबिक उनकी आगे की शिक्षा और कौशल विकास सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया।
अदालत ने मामले की अगली सुनवाई की तिथि 30 सितम्बर तय की है। गत 28 जुलाई को हुई एक दुर्घटना के बाद उच्चतम न्यायालय के आदेशों पर महिला को एम्स लाया गया था। पीड़िता के परिवार को सीआरपीएफ सुरक्षा मिली हुई है।
गौरतलब है कि उन्नाव में भाजपा के निष्कासित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर ने 2017 में महिला का कथित रूप से अपहरण किया और बलात्कार किया। उस वक्त वह नाबालिग थी। कोर्ट ने मामले में सेंगर के खिलाफ आरोप तय किए थे। बलात्कार पीड़िता के पिता को पुलिस ने शस्त्र अधिनियम के तहत तीन अप्रैल, 2018 को गिरफ्तार किया था। इसके छह दिन बाद उनकी न्यायिक हिरासत में मौत हो गई थी।
पीड़िता के वकील धर्मेंद्र कुमार मिश्रा ने डिस्ट्रिक्ट जज धर्मेश शर्मा को यह जानकारी दी कि बलात्कार पीड़िता और उसके परिवार को दिल्ली में कोई किराए पर घर देने को तैयार नहीं है। वकील के अनुसार लड़की के मामले की पृष्ठभूमि के बारे में बताए जाने पर मकान मालिक अपना घर किराये पर देने के लिए तैयार नहीं हो रहे हैं।
अदालत ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए दिल्ली महिला आयोग को आदेश जारी किया है कि वह पीड़ित लड़की और उसके परिजनों को दिल्ली में ठहरने की व्यवस्था करने में सहायता करे। अदालत ने दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष को पीड़िता के पुनर्वास की देखरेख के लिए एक टीम बनाने को कहा है।
गौरतलब है कि पीड़ित लड़की और उसकी मां ने जज के सामने दिल्ली में रहने की इच्छा जाहिर की थी। उनका कहना था कि उन्हें उत्तर प्रदेश लौटने में डर लग रहा है।
अदालत ने आयोग की अध्यक्ष को परिवार की आवासीय जरूरतों का आकलन करने के लिए दो सलाहकारों की एक टीम को नामित करने और कम से कम 11 महीने की अवधि के लिए किराए पर या किसी भी सरकारी आवास में उचित दर पर दिल्ली में उपयुक्त जगह उपलब्ध कराने के लिए कहा है। अदालत ने आयोग को परिवार में बच्चों के पुनर्वास उपायों की देखरेख करने और दिल्ली में उनकी पसंद के मुताबिक उनकी आगे की शिक्षा और कौशल विकास सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया।
अदालत ने मामले की अगली सुनवाई की तिथि 30 सितम्बर तय की है। गत 28 जुलाई को हुई एक दुर्घटना के बाद उच्चतम न्यायालय के आदेशों पर महिला को एम्स लाया गया था। पीड़िता के परिवार को सीआरपीएफ सुरक्षा मिली हुई है।
गौरतलब है कि उन्नाव में भाजपा के निष्कासित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर ने 2017 में महिला का कथित रूप से अपहरण किया और बलात्कार किया। उस वक्त वह नाबालिग थी। कोर्ट ने मामले में सेंगर के खिलाफ आरोप तय किए थे। बलात्कार पीड़िता के पिता को पुलिस ने शस्त्र अधिनियम के तहत तीन अप्रैल, 2018 को गिरफ्तार किया था। इसके छह दिन बाद उनकी न्यायिक हिरासत में मौत हो गई थी।