VHP व बजरंग दल के देश भर में चल रहे प्रशिक्षण शिविरों का सच

Written by sabrang india | Published on: June 17, 2019
चुनाव का शोर-गुल शांत होने के साथ ही VHP और बजरंग दल जैसे संस्थानों ने वापस अपने एजेंडे पर काम शुरू कर दिया है। देश के कई हिस्सों में निपुण कार्यकर्ता और अच्छे गौ-रक्षक बनाने के लिए कार्यशालाएं आयोजित कराई जा रही हैं। उत्तर प्रदेश के कानपुर से मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर में उपयुक्त विषयों को लेकर कार्यकर्ताओं की बैठक हो रही है।

विश्व हिन्दू परिषद के गोरक्षा विभाग मध्य क्षेत्र ने उज्जैन में अच्छे कार्यकर्ता और गौ-रक्षक बनाने के लिए क्षेत्रीय गोरक्षा का प्रशिक्षण वर्ग आरंभ किया है। पांच दिन के इस कार्यशाला में कार्यकर्ताओं सहित महिलाओं को भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जून 14 को शुरू हुए इस कार्यशाला के प्रथम सत्र में वीर शिवाजी महाराज के जीवन पर, दूसरे सत्र में प्रशिक्षण के महत्व पर और तृतीय सत्र में पंचगव्य उत्पादों के सेवन से निरोगी जीवन जीने पर चर्चा हुई। प्रशिक्षण कार्यक्रम की क्या महत्ता है इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि अतिथि के रूप में इस्कॉन मंदिर के अध्यक्ष बृजेंद्र दास और सहप्रांत प्रचारक राज मोहन उपस्थित थे।

VHP व बजरंग दल के प्रशिक्षण शिविर
गौरतलब है कि VHP व बजरंग दल द्वारा अलग-अलग स्थानों पर सामूहिक बैठक आयोजित कराई जा रही है। आइये कुछ इन्हीं प्रकार की बैठकों के बारे में एक छोटा सा विश्लेषण करते हैं।

VHP के परिषद शिक्षा वर्ग का आयोजन 28 मई से 7 जून तक वैशाली जिले के भगवानपुर में हुआ। जहां लगभग 200 कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया गया। सभी वर्गों में  बौद्धिक तथा आत्मसुरक्षा के गुण सिखाने के साथ ही राष्ट्रवाद का प्रशिक्षण दिया गया। यह कहना गलत नहीं होगा कि ‘राष्ट्रवाद’ के नाम पर VHP द्वारा लोगों तक अपनी ‘हिन्दुत्व’ की विचारधारा पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है।

इसी प्रकार बेगूसराय में भी दुर्गावाहिनी का शौर्य प्रशिक्षण केंद्र 9 जून से 16 जून तक चलाया गया। इसमें उत्तर बिहार से लगभग 100 प्रशिक्षनार्थियों ने हिस्सा लिया। देश की संस्कृति (हिंदुत्व संस्कृति) से उन्हें अवगत कराया गया। शुभारंभ समारोह में क्षेत्र संगठन मंत्री केशव राजू और प्रांत अध्यक्ष कृष्णदेव झा ने बताया कि इस प्रशिक्षण का उद्देश्य समाज से लव-जिहाद, गौहत्या, कन्या भ्रूण हत्या जैसी विकृतियों को बंद कराना है। साथ ही देश भर में ऐसे 99 प्रांत सक्रिय शिविर चलने की बात भी कही।

मुंबई के भायंदर पूर्व स्थित बीजेपी विधायक नरेंद्र मेहता के सेवेन इलेवन अकादमी में युवाओं को बजरंग दल द्वारा 25 मई से 1 जून तक हथियारों का प्रशिक्षण दिया जा रहा था। ‘समर कैंप’ के नाम पर चल रहे इस गैर-कानूनी कृत की सच्चाई सामने आने पर हंगामा मचने लगा। डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया के कार्यकर्ताओं की ओर से इस मामले में लिखित शिकायत भी दर्ज करवाई गई।

कानपुर में 7 जून से 17 जून तक परिषद के केंद्रीय पदाधिकारी ने यहां कई मुद्दों पर विचार मंथन किया। इस बैठक में अगले साल तक परिषद की गतिविधियों पर चर्चा की गई। शिक्षा वर्ग के व्यवस्था प्रमुख व प्रांत के सह मंत्री दीनदयाल गौड़ ने बताया कि वर्ग में 80 जिलों के लगभग 300 कार्यकर्ता प्रशिक्षण लेने वाले हैं।

अयोध्या में श्री राम के मंदिर निर्माण के लिए VHP ने जून माह के अंत में शीर्ष नेताओं की बैठक बुलाई गई है। साथ ही यह दावा किया गया है कि 18 माह के अंदर मंदिर निर्माण का काम शुरू हो जाएगा। VHP के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने यह स्पष्ट करते हुए कहा कि राम जन्म स्थान पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा। साथ ही यह भी बताया कि 19-20 जून को हरिद्वार में VHP की ‘मार्गदर्शक समिति’ इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए बैठक करेगी।

बता दें कि राम मंदिर का विवाद सुप्रीम कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया जा चुका है, जिसके लिए मध्यस्ता कमिटी भी बनाई जा चुकी है। ऐसे में VHP के इस बैठक का कोई भी आधार नज़र नहीं आ रहा है। क्या देश में VHP सुप्रीम कोर्ट से ऊपर है, जिसने कोर्ट से पहले ही 18 महीनों में निर्माण आरंभ करने का एलान कर दिया है?

प्रशिक्षण शिविरों का विश्लेषण
देश भर में हो रहे इन प्रशिक्षण शिविरों का असर यह हो रहा है कि धीरे-धीरे बिना किसी की निगरानी में आए RSS/VHP/बजरंग दल जैसे संस्थानों का विस्तार हो रहा है। VHP के अंतरराष्ट्रीय महामंत्री मिलिंद परानडे ने कहा कि इस वर्ष पूरे भारत में लगभग 98 VHP एवं बजरंग दल शौर्य प्रशिक्षण वर्ग चल रहे हैं। इसमें लगभग 9000 शिक्षार्थी प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं, जो देशभक्ति, समाज सेवा के लिए समर्पित भाव से कार्य करने की शपथ लेंगे। पहले से ही समाज में ‘हिन्दुत्व’ के नाम का विष घोला जा चुका है, अब नई पीढ़ियों द्वारा इस विष को घर-घर पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है।

आज के दौर में धर्म की परिभाषा को इतना विकृत कर दिया जा चुका है कि इन संस्थानों के प्रशिक्षण शिविर पर आपत्ति जताना भी खतरे से खाली नहीं है। एक समय था जब धार्मिक संस्थान समाज में अमन-शांति स्थापित करने का काम करते थे। परन्तु आज समाज में धर्म के नाम पर द्वेष और हिंसा का विष घोला जा रहा है। ऐसे में यह अत्यंत आवश्यक है कि हम भारतीय ही एकजुट होकर, इन संस्थानों को देश की गंगा-जमुना तहज़ीब का स्मरण कराएं। साथ ही देश के विभिन्न धर्मों के समावेश और अनेकता में एकता की परंपरा से इन्हें पुनः परिचित कराएं। 

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